पत्नी पीड़ितों ने सूर्पनखा का पुतला दहन कर मनाया दशहरा

औरंगाबाद (महाराष्ट्र) : दशहरा के मौके पर रावण का पुतला दहन करने के बजाय कल गुरूवार, १९ अक्टूबर को औरंगाबाद के करोली गांव में कुछ पत्नी पीड़ितों ने अलग अंदाज में दशहरा मनाया. ऐसे पतियों ने लंका के राजा रावण की बहन सूर्पनखा का पुतला जलाया. देश के सभी कानून को पुरुष विरोधी बताया 'पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन' नामक पत्नी पीड़ितों के संगठन के सदस्यों ने गुरुवार की शाम औरंगाबाद के समीप करोली गांव में सूर्पनखा के पुतले का दहन किया. संगठन के संस्थापक भरत फुलारे ने कहा, 'भारत में सभी कानून पुरुषों विरोधी हैं. ये सभी कानून महिलाओं का समर्थन करते हैं. 'मी टू आंदोलन' पर भी उठाया सवाल उन्होंने कहा, "महिलाएं छोटे-छोटे मामलों पर अपने पति और ससुराल के लोगों प्रताड़ित करने के लिए इसका दुरुपयोग करती हैं. हम देश में पुरुषों के खिलाफ इस अन्याय का विरोध करते हैं और सांकेतिक कदम के रूप में हमारे संगठन ने दशहरा के मौके पर गुरुवार के शाम सूर्पनखा का पुतला दहन किया है.' फुलारे ने दावा किया कि 2015 के रिकार्ड के अनुसार देश में आत्महत्या करने वाले कुल विवाहितों में से 74 फीसद पुरुष थे. संगठन के कुछ सदस्यों ने देश में चल रहे 'मी टू आंदोलन' पर भी सवाल उठाया. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्पनखा ही राम और रावण के बीच युद्ध के मूल में थी. सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने साधु का वेश धारण किया और सीता हरण किया था. इसके बाद ही राम-रावण युद्ध हुआ था.

फरियादी पति ही निकला पत्नी का कातिल, 33 दिनों की छानबीन के बाद आया...

पुलगांव (वर्धा) : स्थानीय रेलवे क्वाटर तारफैल निवासी धीरज तुलसीदास जांभुलकर (43) को अपनी पत्नी भारती पर 15 सितम्बर की हत्या के आरोप में कल 18 अक्टूबर को गिरफ्तार कर 22 अक्टूबर तक की पुलिस हिरासत में लिया. उल्लेखनीय है कि इस हत्या का फरियादी भारती का पति स्वयं धीरज जांभुलकर ही था. धीरज ने ही पीछे महीने 15 सितंबर को पुलगांव पुलिस को बताया था कि उसकी पत्नी की हत्या किसी अज्ञात व्यक्ति ने उसके रेलवे क्वाटर क्रमांक आर.बी. 24 ई में घुस कर धारदार हथियार से उसके गले, चेहरे, आंखों, और हाथ पर वार कर कर दी. उसकी शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज जांच शुरू कर दी. लेकिन अपराध की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने पुलगांव पुलिस के सहयोग के लिए क्राइम ब्रांच को भी लगाया. पूरे 33 दिनों तक जांच के सभी पहलुओं की बारीकी से छानबीन और खबरियों के माध्यम से पूछताछ के साथ ही प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्राप्त साक्ष्य की सभी ऐंगल से जांच और धीरज और उसके मित्रों, रिश्तेदारों, पड़ोसियों आदि से मिली जानकारी के बाद अंततः जांच दल ने पाया कि फरियादी पति धीरज ही इस हत्या का आरोपी है. इसके बाद पुलिस ने धीरज को 18 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया. इसके साथ ही उसे अदालत में पेश कर 22 अक्टूबर तक के लिए पुलिस हिरासत में लिया. इस मामले की जांच पुलिस निरीक्षक निलेश ब्राम्हणे, स्थानीय क्राइम ब्रांच, वर्धा पुलिस निरीक्षक एम.पी. बुराडे, पुलगांव थाने के पु.उप.नि. महेंद्र इंगले, स.फौ. नामदेव किटे, हवलदार सलाम कुरेशी, नरेंद्र डहाके, स्वप्निल भारद्वाज, मनीष श्रीवास, वैभव कट्टोजवार, अमित शुक्ला, जगदीश डफ, सचिन खैरकार और पुलगांव के हवलदार विवेक बन्सोड, रविंद्र मुजबैले, अमोल आत्राम, किसना कास्देकर और विकास मुंडे ने पुलिस अधीक्षक डॉ. बसवराज तेली, अपर पुलिस अधीक्षक निखिल पिंगले, उपविभागीय पुलिस अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार कोल्हे के मार्गदर्शन में किया और सही आरोपी का पता लगा कर उसे गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की.

अमृतसर में बड़ा रेल हादसा, रावण-दहन देख रहे रेल पटरी पर बैठे लोग कुचले...

खून से लथपथ लाशें बिखरी हुई हैं, नजारा देश के विभाजन के समय हुए दंगों जैसा नई दिल्ली : पंजाब के अमृतसर में आज शाम करीब 7 बजे बड़ी रेल दुर्घटना हुई है. खबर है कि पठानकोट से अमृतसर की तरफ आ रही इस ट्रेन संख्या 74943ने 50 ने अधिक लोगों कुचल दिया है. अनेक एक समाचार एजेंसी के अनुसार एक रेल अधिकारी का कहना है कि अमृतसर-माननवाला के निकट गेट संख्या-27 के पास रावण दहन देखने के लिए रेल पटरी पर खड़े बहुत से लोगों के ऊपर से यह ट्रेन गुजरी है. क्रैकर की आवाज के कारण ट्रेन की आहाट नहीं मिली पता चला है कि यह हादसा अमृतसर के चौड़ा बाजार के समीप हुआ है. यह हादसा उस समय हुआ, जब ट्रेन पटरी के पास राणव का पुतला जलाया जा रहा था, जिसे देखने के लिए ट्रैक पर लोग खड़े थे. उस समय रावण दहन हो रहा था और समझा जाता है कि क्रैकर फूटने की आवाज के कारण लोगों ने ट्रेन के आने की आवाज नहीं सुनी. आशंका है कि ट्रेन लोगों की भीड़ के ऊपर चढ़ गई. इसमें काफी लोगों के मारे जाने की आशंका है. बताया जा रहा है कि घटना के वक्त भगदड़ मच गई. खून से लथपथ लाशें बिखरी पड़ी हैं यह हादसा अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास हुआ है. घटना स्थल से हृदयविदारक तस्वीरें आ रही हैं, जिसे देखा नहीं जा सकता है. ट्रैक के आसपास खून से लथपथ लाशें बिखरी पड़ी हुई हैं. घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीद बता रहे हैं कि ट्रेन की स्पीड बहुत ज्यादा थी, जबकि भीड़भाड़ वाले इलाके को देखते हुए इसकी रफ्तार कम होनी चाहिए. इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने घटना को लेकर दु:ख जताया है. उन्होंने कहा कि सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को घायलों के इलाज के लिए खुला रखने को कहा गया है. जिला प्रशासन को उचित कदम उठाने को कहा गया है. इधर, दुर्घटनास्थल के पास काफी लोग जमा हैं और स्वजनों को ढूंढ रहे हैं. मौके पर बचाव दल पहुंच गया है. वहां पर सुरक्षा और राहत के लिए पुलिस बल को भी तैनात किया गया है. घायलों को अस्पताल पहुंचाया जा रहा है. एक चश्मदीद का कहना है कि ट्रैक के पास का नजारा 1947 में देश के विभाजन के समय हुए दंगों जैसा हो गया है, जहां लाशें क्षत-विक्षत स्थिति में पड़ी हुईं हैं.

साईं बाबा समाधि शताब्दी समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री

शिरडी : साईं बाबा को समाधि लिए हुए आज 100 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरडी के साईं मंदिर पहुंचे. प्रधानमंत्री मोदी ने यहां पर साईं मंदिर में विशेष पूजा की, इस दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और राज्यपाल विद्यासागर राव भी मौजूद थे. बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां मंदिर की विजिटर बुक में अपने विचार भी लिखे. प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर साईं बाबा की याद में चांदी का सिक्का जारी किया. इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के कई लाभार्थियों को घर की चाभी सौंपी. उन्होंने लाभार्थियों से बात की. कार्यक्रम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक रैली को भी संबोधित किया. प्रधानमंत्री ने अपने भाषण की शुरुआत मराठी भाषा में की. प्रधानमंत्री ने देशवासियों को यहां से विजयादशमी की बधाई दी, मेरी कोशिश रहती है कि हर त्योहार देशवासियों के साथ मनाऊं. प्रधानमंत्री ने कहा कि साईं को याद कर लोगों की सेवा करने के लिए शक्ति मिलती है.

अब पटियाला के चाटवाले की 1.20 करोड़ की अघोषित संपत्ति पकड़ी

पकौड़े वाले के बाद लगा चाट वाले का नंबर, खरीद-बिक्री का कोई लिखित रिकार्ड नहीं नई दिल्ली : पंजाब के शहर पटियाला के एक मशहूर चाटवाले ने 1 करोड़ 20 लाख रुपए की अघोषित संपत्ति का खुलासा किया. गुरुवार को आयकर विभाग ने वहां का सर्वे किया तो चाटवाले ने अपनी इतनी बड़ी अघोषित संपत्ति उजागर किया. यह चाट वाला कैटरर का काम भी करता है. ज्ञातव्य है कि इसी महीने लुधियाना के एक पकौड़े वाले ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की छापेमारी के दौरान 60 लाख रुपए सरेंडर किए थे. करीब 52 लाख रुपए का टैक्स भरना पड़ेगा अब चाट वाले को अपने अघोषित 1.20 करोड़ रुपए करीब 52 लाख रुपए का टैक्स देना पड़ेगा. चाट वाले के यहां आयकर विभाग की टीम ने बुधवार को ही टीम लुधियाना-3 और पटियाला कमिश्नरी के प्रमुख आयुक्त परनीत सचदेव के मार्गदर्शन में सर्वे शुरू किया था. उस दौरान पाया गया कि चाट वाले ने न केवल अपनी आमदनी के बड़े हिस्से को गुप्त रखा और उसका अचल संपत्ति में निवेश किया, बल्कि उसने दो सालों से इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भी फाइल नहीं किया. आईटी डिपार्टमेंट के सूत्रों ने बताया कि चाटा वाले ने दो पार्टी हॉल बनाए थे. वह किसी समारोह में चाट मुहैया कराने के लिए 2.5 से 3 लाख रुपए तक लेता था. अधिकारियों का अनुमान है कि टैक्स चोरी की रकम और बढ़ सकती है, क्योंकि ज्यादार खरीद-बिक्री का कोई लिखित हिसाब-किताब नहीं रखा गया है.

जिला अस्पतालों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी योजना लागू होगी

हृदय, कैंसर और फेफड़े संबंधी बीमारियों का इलाज जन आरोग्य योजना या राज्य बीमा योजना के तहत होगा नई दिल्ली : हृदय, कैंसर और फेफड़े संबंधी गैर-संक्रामक बीमारियों के पूर्व निर्धारित दरों पर इलाज के लिए जिला अस्पतालों में बेहतर ढांचागत सुविधा स्थापित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी लागू करने के लिए नीति आयोग प्रयत्नशील है. उसने सरकार को इस आशय का सुझाव भी दिया है. लेकिन यह योजना सरकार कब तक अमल में लाएगी, यह अभी तय नहीं है. सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत राज्य सरकारों द्वारा मौजूदा जिला अस्पतालों में हृदय, कैंसर और फेफड़े संबंधी बीमारियों के इलाज के लिए सुविधा स्थापित करने को लेकर निजी क्षेत्र को जगह उपलब्ध कराया जाएगा. गैर-संक्रामक बीमारियों के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को लेकर दिशानिर्देश जारी करते हुए नीति आयोग सदस्य वी.के. पॉल ने बुधवार को कहा कि पीपीपी माडल के तहत इलाज की लागत वही होगी, जो आयुष्मान भारत के अंतर्गत जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) या राज्य बीमा योजना के तहत होगी. जिन राज्यों में बीमा पैकेज नहीं उपलब्ध नहीं, वे उस अवधि के लिये सीजीएचएस पैकेज दरों का उपयोग कर सकते हैं. दिशानिर्देश के अनुसार निजी भागीदार सुविधाओं को उन्नत बनाने, निर्माण और मानव संसाधन की तैनाती में निवेश करेंगे. दिशानिर्देश दस्तावेज के अनुसार, "ऐसी उम्मीद है कि गैर-संक्रामक बीमारी (एनसीडी) के इलाज की सुविधा जिला अस्पतालों में होगी और ये सुविधाएं जिला स्तर पर सरकारी अस्पतालों में उक्त बीमारियों से जुड़ी सेवाओं तक पहुंच बेहतर बनाएगी." इसके अनुसार, "एनसीडी इलाज की सुविधा से जुड़ी सभी सेवाएं एकल इकाई उपलब्ध कराएगी. यह ट्रस्ट, कंपनी, समूह आदि हो सकते हैं." पीपीपी माडल विशेषीकृत एनसीडी सेवा उपलब्ध कराएंगे. साथ ही जिला स्तर पर विशेषज्ञों की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा. दिशानिर्देश दस्तावेज के अनुसार, "राज्य सरकार भेजे गए उन सभी मरीजों की तरफ से निजी क्षेत्र को भुगतान करेगी जो एनसीडी केंद्रों पर सेवाएं प्राप्त करेंगे." पॉल ने कहा कि भारत को स्वास्थ्य क्षेत्र में और निवेश की जरूरत है क्योंकि बेहतर इलाज की सुविधा की आपूर्ति से जुड़े मसले हैं. उन्होंने कहा, "हम जांचे-परखे मॉडल पर भरोसा कर रहे हैं और उसे एनसीडी में लागू कर रहे हैं, जिसकी लंबे समय से उपेक्षा की गई है." इस मौके पर नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में निजी भागीदारी से समान वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा. साथ ही वैश्विक स्तर का बुनियादी ढांचा, विशेषज्ञ उपलब्ध कराने में मददगार होगा. दस्तावेज में कहा गया है कि हालांकि जन्म के समय जीवन प्रत्याशा जैसे मामलों में काफी सुधार हुए हैं, लेकिन गैर-संक्रामक बीमारियां मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है. इसका देश में कुल बीमारियों में 55 प्रतिशत तथा मृत्यु में 62 प्रतिशत से अधिक योगदान है.

पेंशन के लिए 15 हजार सीमा तय करना अन्यायपूर्ण, केरल हाईकोर्ट ने किया खारिज

कोर्ट ने इसे बेमानी और कर्मचारियों के लिए अन्यायपूर्ण करार दिया, ट्रस्टियों को भी दी नसीहत केरल हाईकोर्ट ने पेंशन पाने के लिए पेंशनेबल मासिक वेतन 15 हजार रुपए तक की सीमा तय किए जाने के इम्प्लॉईज पेंशन (अमेंडमेंट) स्कीम, 2014 (कर्मचारी पेंशन (संशोधित) योजना, 2014) को बेमानी, अवास्तविक और अधिकतम कर्मचारियों को अच्छी पेंशन राशि से वंचित करने वाला करार देते हुए उसे खारिज कर दिया है. साथ ही उसने इसके लिए उसने ईपीएफओ बोर्ड के ट्रस्टियों नीयत पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है. न्यायमूर्ति के. सुरेंद्र मोहन और न्यायमूर्ति ए.एम. बाबू की खंडपीठ ने इस इस योजना में संशोधन के विरुद्ध अनेक कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका को मंजूर किया, जिसमें विभिन्न संशोधनों के माध्यम से अधिकतम पेंशन की सीमा तय की गई है. इसमें ईपीएफओ सदस्यों को अपने नियोक्ताओं (इम्प्लायर) के साथ संयुक्त रूप से 01.09.2014 तक 15 हजार रुपए मासिक से अधिक पर अंशदान का ताजा विकल्प प्रस्तुत करने को कहा गया था. इसमें की गई चालाकी की ओर याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का ध्यान दिलाया था. संशोधन कर की गई पेंशनरों के साथ की गई धोखाधड़ी तदनुसार ही 1 सितंबर 2014 से उनका अधिकतम मासिक पेंशनेबल वेतन संशोधित योजना के अनुसार 6,500 रुपए से बढ़ा कर 15 हजार रुपए निर्धारित किया जा सकता. कोर्ट ने इस संशोधित योजना के अंतर्गत की गई चालाकी को भांपते हुए और इसे कर्मचारियों के प्रति अन्यायपूर्ण करार देते हुए इसे खारिज करने का आदेश दिया है. ईपीएफओ के ट्रस्टियों को दी नसीहत केरल हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ईपीएफओ फंड के ट्रस्टियों का यह कर्तव्य है कि वो फंड का संचालन बुद्धिमता पूर्वक और कुशल प्रबंध द्वारा कर्मचारियों को बेहतर लाभ दिलाने के लिए करें. उन्हें कोई अधिकार नहीं है कि कर्मचारियों को उनके कानूनन जायज यथोचित देय से वंचित करने का लिए उनके लाभ के लिए बने कानूनों में ऐसे अन्यायपूर्ण संशोधन लाकर उस पर काम करें

संविधान का पालन कर ही देश आगे बढ़ रहा है : फड़णवीस

62वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिन पर भारी संख्या में देश-विदेश के लोग हुए शामिल नागपुर : 62वें धम्मचक्र प्रवर्तन दिन पर परमपूज्य डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति की और से दीक्षा भूमि पर आयोजित प्रमुख कार्यक्रम में आज गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के प्रति आदरांजलि अर्पित करते हुए कहा कि देश बाबा साहब द्वारा निर्मित संविधान के निर्देशों का पालन कर ही प्रगति मार्ग पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने इस अवसर पर अपनी सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लिए किए जा रहे कार्यों का ब्यौरा दिया. इस कार्यक्रम में पूरे राज्य और आस-पास के राज्यों तथा विदेश से आए भारी संख्या में नागरिक उपस्थित थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता भदंत आर्य नागार्जुन सुरेई ससाई ने की. इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और रामदास आठवले के साथ राज्य के ऊर्जा मंत्री और नागपुर जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, सामाजिक न्यायमंत्री राजकुमार बडोले, महापौर नंदा जिचकार आदि उपस्थित थीं. अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए 65 नए छात्रावासों का निर्माण उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए 65 नए छात्रावासों का निर्माण कराया गया है. साथ ही दीक्षाभूमि के विकास के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. पिछले साल इसके लिए 100 करोड़ रुपए के किए गए प्रावधान के तहत पहली किश्त के रूप में 40 लाख रुपए दिए जा चुके हैं. 32 हजार शालाओं में संविधान की पढ़ाई शुरू मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की 32 हजार शालाओं में बाबा साहब द्वारा निर्मित देश के संविधान के मूल्यों की जानकारी पाठ्यक्रम में जोड़े गए हैं. साथ ही डॉ. आंबेडकर स्मारक के लिए मुंबई की इंदू मिल की भूमि उपलब्ध कराने में सफलता मिली है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भूमि के लिए अपने मंत्रिमंडल से 3 हजार करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं. यह समारसक 2020 तक बन कर तैयार हो जाएगा. बुद्धिस्ट सर्किट व धर्मयात्रा योजनान्तर्गत 10 हजार करोड़ की सड़कें कार्यक्रम में उपस्थित केंद्रीय भूतल परिवहन, जहाजरानी और जलसंपदा मंत्री नितिन गड़करी ने बताया कि देश के बौद्ध स्थलों को देखने के लिए देश-विदेश से हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं. उन्होंने घोषणा की कि बुद्धिस्ट सर्किट व धर्मयात्रा योजनान्तर्गत इन बौद्ध तीर्थों तक के पहुंच मार्गों के विकास के लिए 10 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि इस कार्य पर अभी तक 5 हजार करोड़ रुपए की सड़कों का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है. बाकी की सड़कों का निर्माण जल्द पूरा कर लिया जाएगा. संविधान की पढ़ाई के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षित किया केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास आठवले ने बताया कि कि राज्य की जिन 32 हजार शालाओं में देश के संविधान के पढ़ाई शुरू हुई है, उन शालाओं के शिक्षकों को उनके मंत्रालय की ओर से संविधान के संदर्भ में प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को संविधान की मूल भावनाओं का ज्ञान होने में अन्याय, अत्याचार, भेदभाव जैसी प्रवृतियां दूर होंगी. महिलाओं के प्रति सद्भावना और सम्मान की भावना पैदा होगी. अ‍ॅट्रॉसिटी कानून में नहीं होगा...

#MeToo कैंपेन : तो ऐसे चलता किए गए एम.जे. अकबर सरकार से

नई दिल्ली : 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की चुनौतियों में फंसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार तो दूसरी ओर विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर पर #MeToo कैंपेन के तहत एक के बाद एक लगते आरोप पार्टी और सरकार दोनों के लिए भारी पड़ने लगा था. सूत्रों के अनुसार एम.जे. अकबर पर #MeToo के बढ़ते आरोपों की फौरी तौर प्राथमिक जांच के लिए सरकार ने अपने स्तर पर जांच की. शुरुआती जांच में कुछ तथ्य अकबर के खिलाफ आए. प्राथमिक जांच के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अकबर से मुलाकात कर उन्हें जांच के बारे में तथ्यों की जानकारी दी. उसके बाद अजित डोभाल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर एम.जे. अकबर पर लगे आरोपों की जांच में पाए गए तथ्यों की जानकारी दी. मंत्रियों की राय भी ली भाजपा महामंत्री रामलाल ने सूत्रों ने बताया कि बुधवार को एम.जे. अकबर ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा. उसके बाद पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल ने भाजपा नेतृत्व और सरकार के बड़े मंत्रियों से बात कर पूरे मामले में उनकी राय ली. रामलाल ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सभी नेताओं से बातचीत का ब्यौरा दिया. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अकबर पर लगे आरोपों के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया और उसके बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह ने फैसला लिया कि अकबर को इस्तीफा देना होगा. पीएम मोदी और अमित शाह के फैसले की जानकारी रामलाल ने एम.जे. अकबर को दी और उनसे कहा वो मंत्री पद से इस्तीफा सौंप दें. संघ ने भी जताई थी नाराजगी केंद्रीय मंत्री अकबर पर लेंगे आरोपों से राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) भी नाराज था. संघ नेताओं ने अकबर को लेकर अपनी नाराजगी पीएम मोदी और पार्टी नेतृत्व को बता दी थी. संघ की चिंता थी कि जिस तरह से अकबर पर आरोप लगाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. उससे उनका मोदी सरकार में मंत्री बने रहना सरकार और पार्टी के खिलाफ जनता में एक संदेश जा रहा हैं, इसलिए अकबर को बिना देरी किए उनसे इस्तीफा लेना चाहिए. मामले को बढ़ता देख संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एम.जे. अकबर के खिलाफ के सोशल मीडिया पर एक लेख समर्थन करते हुए ट्वीट किया था, 'जो आपने लिखा वो उनकी भी भावना हैं.'

किसी भी रास्ते से हो राम मंदिर का निर्माण

संघ प्रमुख ने सरकार पर बनाया बड़ा अप्रत्याशित दवाब, सबरीमाला मामले में फैसले से भी जताई असहमति नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी उत्सव के मौके पर संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा और अप्रत्याशित सा बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि "किसी भी रास्ते से राम मंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिए, इसके लिए सरकार को कानून लाना चाहिए." राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे मामले की सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू हो रही है. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सुनवाई से 10 दिन पहले राममंदिर निर्माण को लेकर कड़े तेवर दिखाते हुए ऐसा अप्रत्याशित बयान देकर सरकार पर बड़ा दवाब बनाने का काम कर दिया. संघ प्रमुख ने कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. हिंदू-मुस्लिम दोनों के लिए आदर्श हैं. संविधान की प्रति में भगवान राम का चित्र है. उन्होंने कहा कि किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए. भागवत ने कहा कि अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि इनकी सत्ता है फिर भी मंदिर क्यों नहीं बना, वोटर सिर्फ एक ही दिन का राजा रहता है. आज गुरुवार, 18 अक्टूबर को संघ मुख्यालय नागपुर में आरएसएस की ओर से पारंपरिक विजयादशमी उत्सव मनाया गया. साथ ही संघ प्रमुख ने पहले शस्त्र-पूजन भी किया. इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख के राममंदिर को लेकर दिए गए बयान से साफ है कि संघ अब और लंबा इंतजार नहीं करना चाहता. सभी विषयों पर खुल कर बोले भागवत इससे पूर्व स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया. नोबोल पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी संघ के वार्षिक विजयदशमी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल उपस्थित थे. इस अवसर पर अपने वार्षिक भाषण में संघ प्रमुख ने राम मंदिर, सबरीमला, अर्बन नक्सली से लेकर पाकिस्तान और चीन को भी निशाने पर लिया. साथ ही अपने संबोधन में इशारों-इशारों में राफेल का भी जिक्र किया. भागवत ने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. हमें जिस किसी चीज की भी जरूरत है उसका उत्पादन खुद ही करना चाहिए. संघ प्रमुख ने सरकार और देश के लोगों को साफ संकेत दिए हैं कि राममंदिर किसी भी कीमत पर चाहिए. ऐसे में अगर सरकार राममंदिर के लिए कानून नहीं लाती है तो सबरीमाला मामले पर भागवत का ये कहना कि धर्म से जुड़े मामले पर धर्माचार्यों की राय के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए, वो बदलाव की बात को समझते हैं. सबरीमाला मामले में कोर्ट के फैसले से असहमति... संघ प्रमुख ने कहा कि सबरीमाला में जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं कोर्ट के फैसले से असहमत होकर आंदोलन कर रही हैं, वो आस्था को मानती हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती...