लोकसभा चुनाव के ऐन पहले प्रहार, मुंबई उत्तर पश्चिम सीट विवाद बना कारण
मुंबई : कांग्रेस से निष्कासित पूर्व सांसद संजय निरुपम ने खिचड़ी घोटाले के जिन्न को निकाल कर शिवसेना (यूबीटी) और उसके नेता संजय राउत पर कहर बरपाने की कोशिश की है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने उन्हीं अमोल कीर्तिकर को मुंबई उत्तर पश्चिम सीट के लिए लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया है, खिचड़ी घोटाले में शामिल लोगों में शामिल होने का आरोप झेल रहे हैं.
निरुपम ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर खिचड़ी घोटाला मामले में बड़ा खुलासा किया है. निरुपम ने कहा कि संजय राउत के भाई संदीप राउत के अकाउंट में अगस्त 2020 में 5 लाख रिश्वत आया था और.संजय राउत के दोस्त सुजीत पाटणकर के बैंक अकाउंट में कई बार पैसा आया था. 33 रुपए में 300 ग्राम खिचड़ी देने का कॉन्ट्रैक्ट सह्याद्री रिफ्रेशमेंट को मिला था. आगे इस कंपनी ने एक दूसरी कंपनी को 16 रुपए में 100 ग्राम खिचड़ी बांटने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था. निरुपम का आरोप है कि राउत और अमोल कीर्तिकर ने गरीबों का 200 ग्राम खिचड़ी कोविड के दौरान चुराया.
निरुपम ने बताया-कैसे हुआ खिचड़ी घोटाला
संजय निरुपम ने बताया कि उत्तर पश्चिम मुंबई से शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को खिचड़ी चोरी मामले में ईडी ने बुलाया है, उसे तो गिरफ्तार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खिचड़ी चोरी मामले में अकेला अमोल कीर्तिकर ही नहीं है..जब मैंने इस मामले की जांच की तो पता चला और भी लोग शामिल हैं. मुझे पता चला कि शिवसेना यूबीटी के संजय राउत खिचड़ी घोटाले के सूत्रधार हैं. कोविड काल मे 6 करोड़ 37 लाख का खिचड़ी बांटने का कॉन्ट्रैक्ट बीएमसी ने सह्याद्री रिफ्रेशमेंट कंपनी को दिया था, जिसका खुलासा हो गया है.
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 27 मार्च को उन्हें उद्धव सेना के उम्मीदवार के रूप में नामित किए जाने के बमुश्किल एक घंटे बाद मामले के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था. एजेंसी ने 29 मार्च को उन्हें एक और समन जारी किया.
मुंबई उत्तर-पश्चिम से कांग्रेस के टिकट के इच्छुक निरुपम अपने सहयोगी उद्धव सेना को इस सीट पर दावा करने देने से पार्टी से नाराज थे. यही अंततः उन्हें कांग्रेस से बाहर निकलने का कारण बना. निरुपम ने कीर्तिकर और संजय राउत पर कथित तौर पर खिचड़ी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है. अपनी ओर से, कीर्तिकर ने ईडी पर मामले में उन्हें निशाना बनाने के लिए राजनीतिक आदेश पर काम करने का आरोप लगाया है.
क्या है करोड़ों रुपए का खिचड़ी घोटाला
एफआईआर में कहा गया है कि सामुदायिक रसोई पर चर्चा के लिए 9 अप्रैल, 2020 को बीएमसी के भायखला कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी. तय हुआ कि जो 5000 या इससे ज्यादा खाने के पैकेट तैयार कर सकेगा, उसे ठेका दिया जाएगा. तय हुआ कि इसका ठेका किसी धर्मार्थ संगठन या सामुदायिक रसोई वाले एनजीओ को दिया जाए. एक शर्त यह थी कि ठेकेदार के पास रसोई एवं स्वास्थ्य विभाग का प्रमाणपत्र होना चाहिए. हालांकि, एफआईआर के अनुसार, आरोपी ने सभी मानदंडों का उल्लंघन किया.
एफआईआर में कहा गया है कि वैष्णवी किचन/सह्याद्री रिफ्रेशमेंट और सुनील उर्फ बाला कदम को ठेका दिया गया था, लेकिन उनके पास 5,000 से अधिक लोगों के लिए खिचड़ी बनाने के लिए रसोई उपलब्ध नहीं थी. पुलिस जांच में पता चला कि समझौते के तहत ठेकेदार को 300 ग्राम वजन के पैकेट तैयार करने थे, लेकिन आरोपी ने 100 ग्राम से 200 ग्राम वजन के खाद्य पार्सल सौंपे. उन्होंने काम का उप ठेका भी दूसरों को दे दिया.
जांच के दायरे में कीर्तिकर
कथित घोटाले में विभिन्न संदिग्धों और गवाहों से पूछताछ के दौरान कीर्तिकर का नाम कथित तौर पर सामने आया. पिछले साल ईओडब्ल्यू अधिकारियों ने उनसे करीब छह घंटे तक पूछताछ की थी. वह मुंबई उत्तर पश्चिम के मौजूदा सांसद गजानन कीर्तिकर के बेटे हैं, जिन्होंने सेना में विभाजन के बाद शिंदे गुट के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा की थी. हालांकि, उन्होंने अपने गिरते स्वास्थ्य के कारण आगामी चुनाव लड़ने से परहेज किया.
ईडी की कार्रवाई
जनवरी में आदित्य के करीबी सहयोगी और युवा सेना कार्यकर्ता सूरज चव्हाण को मामले के सिलसिले में ईडी ने गिरफ्तार किया था. केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया कि चव्हाण ने पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करने के बावजूद कंपनियों को बीएमसी के खिचड़ी अनुबंध हासिल करने में मदद करने के लिए अपने “राजनीतिक संबंधों” का इस्तेमाल किया.
ईडी के सूत्रों ने आरोप लगाया कि अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए, फर्मों द्वारा लाखों रुपए का भुगतान किया गया था, जो दावा करते हैं कि यह एक परामर्श शुल्क था। एजेंसी की चार्जशीट में बीएमसी के एक अधिकारी का बयान शामिल है, जिन्होंने दावा किया था कि चव्हाण ने उनसे आरोपी फर्मों में से एक को ठेका देने का अनुरोध किया था.
एजेंसी का यह भी दावा है कि बीएमसी ने सह्याद्रि रिफ्रेशमेंट्स को 5.93 करोड़ रुपए और फोर्स वन मल्टी सर्विसेज को 8.64 करोड़ रुपए का भुगतान किया, जिसने कथित तौर पर कार्यों को उप-ठेके पर देकर अवैध लाभ कमाया.