पत्नी पीड़ितों ने सूर्पनखा का पुतला दहन कर मनाया दशहरा

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औरंगाबाद (महाराष्ट्र) : दशहरा के मौके पर रावण का पुतला दहन करने के बजाय कल गुरूवार, १९ अक्टूबर को औरंगाबाद के करोली गांव में कुछ पत्नी पीड़ितों ने अलग अंदाज में दशहरा मनाया. ऐसे पतियों ने लंका के राजा रावण की बहन सूर्पनखा का पुतला जलाया.

देश के सभी कानून को पुरुष विरोधी बताया
‘पत्नी पीड़ित पुरुष संगठन’ नामक पत्नी पीड़ितों के संगठन के सदस्यों ने गुरुवार की शाम औरंगाबाद के समीप करोली गांव में सूर्पनखा के पुतले का दहन किया. संगठन के संस्थापक भरत फुलारे ने कहा, ‘भारत में सभी कानून पुरुषों विरोधी हैं. ये सभी कानून महिलाओं का समर्थन करते हैं.

‘मी टू आंदोलन’ पर भी उठाया सवाल
उन्होंने कहा, “महिलाएं छोटे-छोटे मामलों पर अपने पति और ससुराल के लोगों प्रताड़ित करने के लिए इसका दुरुपयोग करती हैं. हम देश में पुरुषों के खिलाफ इस अन्याय का विरोध करते हैं और सांकेतिक कदम के रूप में हमारे संगठन ने दशहरा के मौके पर गुरुवार के शाम सूर्पनखा का पुतला दहन किया है.’ फुलारे ने दावा किया कि 2015 के रिकार्ड के अनुसार देश में आत्महत्या करने वाले कुल विवाहितों में से 74 फीसद पुरुष थे. संगठन के कुछ सदस्यों ने देश में चल रहे ‘मी टू आंदोलन’ पर भी सवाल उठाया.

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्पनखा ही राम और रावण के बीच युद्ध के मूल में थी. सूर्पनखा के अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने साधु का वेश धारण किया और सीता हरण किया था. इसके बाद ही राम-रावण युद्ध हुआ था.

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