नई दिल्ली : देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए. जानेमाने कवि, प्रखर वक्ता, सशक्त पत्रकार और जन नायक को दिल्ली के स्मृति स्थल पर राष्ट्र ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उन्हें मुखाग्नि दी. इस दौरान वहां मौजूद सभी लोग हाथ जोड़े खड़े रहे. सभी की आंखों में आंसू थे. वाजपेयी का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ संपन्न किया गया.
अंतिम सफर का जिक्र किया था अपनी कविता में
उनका शरीर भले ही अब इस दुनिया में नहीं है पर उनके अटल विचार, सिद्धांत और नैतिक मूल्य हमेशा देशवासियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे. अटल ने कविता के जरिए पहले ही अपने अंतिम सफर का जिक्र करते हुए कहा था-
‘मौत की उम्र क्या है?
दो पल भी नहीं, जिंदगी सिलसिला,
आज कल की नहीं.
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं,
लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?’
देश-विदेश में बसे भारतीय अब उनकी इन्हीं पंक्तियों के जरिए अपने प्रिय नेता को याद कर रहे हैं.
नातिन निहारिका ने वाजपेयी के पार्थिव शरीर पर से तिरंगा ग्रहण किया. उस पल स्मृति स्थल पर मानों घड़ी की सुई कुछ देर के लिए थम गई, पूरा माहौल गमगीन था. बेटी, नातिन और परिवार के लोग ही नहीं स्मृति स्थल पर मौजूद हर किसी की आंखों में आंसू थे. अटल थे ही कुछ ऐसे, उनका कवि मन सदैव संवेदनाओं से भरा होता था. उनकी आत्मीयता, समरसता, मधुरता और सादगी लोगों को बांध लेती थी. सियासत की दुनिया का उन्हें ‘अजातशत्रु’ कहा जाता था, क्योंकि उन्होंने हमेशा दोस्त बनाए, दुश्मन उनका कोई नहीं था.
तीनों सेनाओं, राष्ट्रपति समेत प्रमुख हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि
इससे पहले स्मृति स्थल पर तीनों सेनाओं की ओर से वाजपेयी को अंतिम सलामी दी गई. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, वाजपेयी के पुराने साथी रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत समेत कई गणमान्य हस्तियों ने अटल को श्रद्धांजलि दी.
विपक्षी दलों के बड़े नेता भी स्मृति स्थल पर रहे मौजूद
यह उनका असाधारण व्यक्तित्व ही था कि उनकी पार्टी के नेता ही नहीं विचारधारा को लेकर मतभेद के बावजूद विपक्षी दलों के बड़े नेता भी इस जननेता के आखिरी दर्शन के लिए स्मृति स्थल पहुंचे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मुलायम सिंह यादव, नीतीश कुमार, राज्यों के मुख्यमंत्री, गवर्नर समेत सभी विपक्षी दलों के नेता मौजूद रहे.
पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों ने भी दी अंतिम विदाई
पड़ोसी देशों की ओर से भूटान नरेश जिग्मे नामग्याल वांग्चुक, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और वाजपेयी के मित्र रहे हामिद करजई ने भी स्मृति स्थल पहुंच कर उन्हें अंतिम विदाई दी. बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के विदेश मंत्री और पाकिस्तान के सूचना मंत्री भी अटल को श्रद्धांजलि देने के लिए पहुंचे.
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
इससे पहले वाजपेयी जी की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ पड़ा. वाजपेयी जी की अंतिम यात्रा में भाजपा मुख्यालय से उनके पार्थिव शरीर को लेकर जा रहे वाहन के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पैदल चल रहे थे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, कई केंद्रीय मंत्री और विजय रूपाणी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस समेत अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री भी वाहन के पीछे चल रहे थे.
अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे ‘राष्ट्रीय स्मृति स्थल’ पर किया गया
लंबी बीमारी के बाद वाजपेयी का 93 वर्ष की आयु में गुरुवार, 16 अगस्त की शाम को एम्स में निधन हो गया था. पूर्व प्रधानमंत्री का अंतिम संस्कार यमुना नदी के किनारे स्थित ‘राष्ट्रीय स्मृति स्थल’ पर किया गया. उमस भरी गर्मी के बीच हजारों की संख्या में लोग 7 किलोमीटर लंबे मार्ग पर वाहन के साथ चल रहे थे. जिस मार्ग से वाजपेयी की अंतिम यात्रा गुजर रही थी, उस पर भारी सुरक्षाबल तैनात किए गए थे.