सुविधाभोगी वर्ग निहाल हो सकता है मोदी03 के पहले बजट से

सुविधाभोगी वर्ग निहाल हो सकता है मोदी03 के पहले बजट से

केंद्रीय बजट देश
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नई दिल्ली : केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मंगलवार, 23 जुलाई को संसद में बजट 2024-25 पेश करने वाली हैं. मोदी03 का यह पहला वार्षिक बजट विशेष रूप से लोकलुभावन रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसमें सुविधाभोगी सरकारी नौकरी पेशा वर्ग से लेकर व्यवसाय क्षेत्र और MSME को संतुष्ट करने के साथ किसानों और महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ हो सकता है. बजट में युवाओं को प्रभावित करने के लिए रोजगार के साथ ही भारी संख्या में नौकरियों के लिए भी दरवाजे खोले जा सकते हैं. 

बजट को लेकर हर वर्ग के लोगों की अपनी-अपनी उम्मीदों को किसी न किसी तरह से पूरे करने के प्रयास तो हमेशा से होते रहे हैं. लेकिन इस बार सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती विपक्षी दलों के तेवर को कुंद करना हो सकता है. लोकसभा चुनाव में पहले से अधिक संख्या हासिल कर लेने और इंडिया गठबंधन की एकजुटता से विपक्षी दलों के हौसले बढ़े हैं. विपक्ष रोजगार और महंगाई के मुद्दों को लेकर सरकार पर हावी है. सरकार बजट के माध्यम से विपक्ष को कैसे जवाब देती है, यह मंगलवार को वित्त मंत्री के बजट भाषण में नजर आ सकता है. 

नौकरी पेशा और सरकारी सेवानिवृत्तों की बजट से काफी उम्मीदें होती हैं. हालांकि महंगाई भत्ता के रूप में महंगाई की मार से बचाने के लिए उन्हें सरकार उनके पेट हमेशा भरती ही रहती है. लेकिन इसके बावजूद इन दोनों वर्ग की ‘छूट-छूट और छूट’ की लालच कम नहीं होती. जबकि यह वर्ग, देश का ऐसा सुविधाभोगी नस्ल है, जो नौकरियों में रहते हुए भी सभी सुविधाओं के मजे लूटता है, और रिटायर होने के बाद भारी-भरकम पेंशन और भत्ते की मौज लेता है. इस वर्ग सुविधाभोगी की संगठित शक्ति के आगे सरकार झुकती ही रही है. क्योंकि इस वर्ग में सरकार अपना वोट बैंक भी नजर आता है.   

पिछले वित्त वर्ष में देश में करीब 8.2 करोड़ लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया था, जो उससे पिछले वित्त वर्ष से 9% अधिक था. देश में टैक्स भरने वालों में एक बड़ी संख्या नौकरीपेशा लोगों की है. ऐसे में उन्हें अब इस बजट से खासा उम्मीदें हैं.

एनालिस्ट्स का मानना है कि वेतन पाने वाले सुविधाभोगी लोगों के लिए बजट 2024 खास होने वाला हैं. सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव, धारा 80सी में छूट और चिकित्सा बीमा से जुड़े कई ऐलान कर सकती है. 

1. बढ़ सकता है स्टैंडर्ड डिडक्शन का लेवल
2018 के बजट में पहली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन को शामिल किया गया था. हर वेतन का वह हिस्सा होता है जिस पर सरकार टैक्स से छूट देती है. सरकार ने उस समय 40,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन का ऐलान किया था. बाद में 2019 के बजट में इसे बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया था. तब से कटौती राशि में कोई बदलाव नहीं हुआ है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, उम्मीद है कि 50,000 रुपए की मौजूदा डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर 60,000 रुपए या संभवत: 70,000 रुपए किया जा करता है.

2. धारा 80 सी में बढ़ सकती है छूट
वेतनभोगी एक वित्तीय वर्ष में अपनी टैक्स योग्य आय को 1.5 लाख रुपए तक कम करने के लिए धारा 80 सी के तहत दिए जाने वाले छूट का उपयोग कर सकते हैं. हालांकि, मुद्रास्फीति दर बढ़ने के बावजूद इसमें 2014 से कोई बदलाव नहीं किया गया है. इस तरह के संशोधन से करदाताओं को मुद्रास्फीति के प्रबंधन में मदद मिलेगी और बचत और ईएलएसएस, टैक्स सेवर एफडी और पीपीएफ जैसे आवश्यक वित्तीय साधनों में निवेश को प्रोत्साहित किया जा सकेगा.

3. टैक्स में मिल सकती है राहत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र आगामी बजट में टैक्स को 3 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने की योजना बना रही है. अगर आयकर छूट को बढ़ाकर 5 लाख रुपए किया जाता है तो इसका मतलब यह होगा कि 8.5 लाख रुपए तक की सालाना आय वाले व्यक्ति कोई टैक्स नहीं देना होगा.

4. NPS में हो सकता है महत्वपूर्ण बदलाव
पिछले काफी समय से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में भी बदलावों की मांग की जा रही है. NPS की धारा 80सीसीडी 1 बी के तहत अतिरिक्त आयकर कटौती सीमा बढ़ाने की मांग कई बार हो चुकी है. मैच्योरिटी पर टैक्स फ्री निकासी सीमा को बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है, इसे ईपीएफ जैसी अन्य सेवानिवृत्ति बचत योजनाओं के अनुरूप लाया जा सकेगा.

5. वेतन पर अधिकतम टैक्स हो सकता है कम
सरकार आय पर नई कर व्यवस्था की घोषणा कर सकती है. वेतन पर सबसे अधिकतम टैक्स लेवल को 30% से घटाकर 25% करने पर विचार करने की उम्मीद है. अटकलें ऐसी भी हैं कि सरकार पुरानी कर व्यवस्था के तहत उच्चतम कर दर की सीमा 10 लाख रुपए से बढ़ाकर 20 लाख रुपए कर सकती है.

6. बढ़ सकता है हाउस रेंट अलाउंस
शहरी क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर कियाए का बोझ हर साल बढ़ रहा है. इसके प्रभाव को कम करने के लिए सरकार हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में छूट की दर बढ़ा सकती है. यह समायोजन कर योग्य आय को कम करेगा और किराए की संपत्तियों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए सामर्थ्य में वृद्धि करेगा.

7. चिकित्सा बीमा प्रीमियम में बढ़ सकती है कटौती
हेल्थ केयर की बढ़ती लागत के कारण, 1961 के आयकर अधिनियम की धारा 80 डी के तहत चिकित्सा बीमा प्रीमियम के लिए कटौती सीमा में वृद्धि की उम्मीद है. मौजूदा समय में व्यक्तियों के लिए 25,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपए की मौजूदा सीमा को बढ़ाकर व्यक्तियों के लिए 50,000 रुपए और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 75,000 रुपए तक बढ़ाया जा सकता है.

बता दें कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का यह लगातार सातवां बजट होगा. वह सबसे अधिक बार और लगातार सात बार बजट पेश करने वाली देश की पहली वित्त मंत्री बन जाएंगी. 

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