लहकेगा तेल? अमेरिका ने दिया मोदी को झटका, खड़े किए हाथ

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अमेरिकी समर्थन के बदले भारत ने ईरान से सस्ता तेल खरीदना किया बंद

नई दिल्ली : ईरान से तेल खरीदने पर रोक लगाने के बदले भारत को अमेरिका से राहत की उम्मीद थी. लेकिन अब इस समस्या पर अमेरिका का बयान भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है. अमेरिका ने सोमवार, 6 मई को कहा कि वह भारत को ईरान के सस्ते तेल का आयात रोकने से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए भारत को कम दरों पर कच्चा तेल बेचने का भरोसा नहीं दे सकता है.

अमेरिका के वाणिज्य मंत्री विलबर रॉस ने नई दिल्ली में कहा, ‘हमारा कच्चा तेल निजी क्षेत्र के हाथों में है और सरकार उन्हें सस्ते दर पर बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है.’ इधर पाकिस्तानी आतंकवादी अजहर मसूद को संयुक्त राष्ट्र से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करवाने के अमेरिकी समर्थन के बदले भारत ने ईरान से सस्ता तेल खरीदना बंद कर दिया है.

उल्लेखनीय है कि भारत, चीन के बाद ईरान के कच्चा तेल का दूसरा बड़ा खरीदार रहा है. पिछले वित्त वर्ष में भारत ने ईरान से 240 लाख टन कच्चा तेल खरीदा, यह भारत की कुल जरूरत का 10 प्रतिशत है.

स्थिति यह है कि अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध से मिल रही छूट के समाप्त होने के बाद भारत ने इस महीने से ईरान से कच्चा तेल मंगाना बंद कर दिया है. ईरान से कच्चा तेल मंगाना भारत के रिफायनरी संयंत्रों के लिए फायदेमंद होता है. ईरान खरीदारों को भुगतान के लिए 60 दिन का समय देता है. लेकिन यह सुविधा अन्य विकल्पों सउदी अरब, कुवैत, इराक, नाइजीरिया और अमेरिका के साथ उपलब्ध नहीं है.

रॉस ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात करने के बाद आतंकवाद का हवाला देकर कहा, ‘ईरान एक समस्या है, अगर आपने आतंकवाद की हालिया घटनाओं को देखा होगा और हमें हर ऐसा कदम उठाना चाहिए, जो हम आतंकवाद के खिलाफ उठा सकते हैं.’

हालांकि भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर ने कहा, ‘अमेरिका भारत को कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सउदी अरब समेत अन्य देशों के साथ काम कर रहा है.’

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