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कर्मचारियों की

कर्मचारियों की अब कमी बताने लगा है ईपीएफओ 

18 महीने से अधिक हो गए, निपटा नहीं पाया ईपीएस-95 पेंशनरों के जॉइंट ऑप्शन आवेदनों को  -सुरभि प्रसाद (बिजनेस टुडे) सुप्रीम कोर्ट के फैसले के लगभग 18 महीने बाद, कर्मचारियों की अब कमी बताने लगा है ईपीएफओ. कर्मचारी पेंशन योजना के तहत उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वाले पेंशनरों के साथ ईपीएफओ का यह एक और क्रूर हथकंडा सामने आया है.   कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) के सदस्य लंबे समय से उच्च पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट के नवंबर 2022 के फैसले के कार्यान्वयन का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें अभी भी उम्मीद है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ), सैकड़ों हजारों जॉइंट ऑप्शन आवेदन पत्रों पर कार्रवाई कर रहा है, हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि शीर्ष अदालत के फैसले को वह ईमानदारी से कब लागू करेगा.  कुल मिलाकर, ईपीएफओ को उच्च पेंशन के लिए 1.75 मिलियन आवेदन प्राप्त हुए थे. इसमें 1 सितंबर 2014 से पहले सेवानिवृत्त हुए पेंशनभोगियों के लगभग 4,10,000 आवेदन शामिल हैं, और संयुक्त विकल्प के तहत सदस्यों के 1.34 मिलियन अन्य आवेदन शामिल हैं (जहां, उनका वेतन 15,000 रुपए की सीमा से अधिक है). दिसंबर 2023 तक, लगभग 1.17 मिलियन आवेदन अभी भी नियोक्ताओं द्वारा सत्यापन के विभिन्न चरणों में थे और यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें संसाधित करने में कितना समय लगेगा. सेवानिवृत्ति निधि प्रबंधक के रूप में ईपीएफओ ने पिछले बकाया भुगतान को पूरा करने के लिए धनराशि जमा करने के लिए उच्च पेंशन का विकल्प चुनने वाले सदस्यों द्वारा अतिरिक्त भुगतान के लिए 42,000 से अधिक डिमांड नोटिस भेजे थे.  टैक्स कंसल्टिंग फर्म मेनस्टे टैक्स के पार्टनर कुलदीप कुमार कहते हैं, "प्रक्रिया का पहला चरण - आवेदन जमा करना - अब समाप्त हो गया है. समझा जाता है कि ईपीएफओ इन आवेदनों पर कार्रवाई कर रहा है. जिन सदस्यों के आवेदन सभी प्रकार से सही पाए गए हैं, उन्हें जल्द ही ईपीएफ खाते से ईपीएस में स्थानांतरित की जाने वाली राशि के बारे में सुनना चाहिए, अगर अब तक नहीं सुना है.''  लेकिन, वस्तुस्थिति यह है कि जमीनी स्तर पर बहुत कम प्रगति हुई है, जिससे कई पेंशनभोगियों और ग्राहकों के साथ-साथ नियोक्ताओं को भी अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है.  पेंशन कार्यकर्ता परवीन कोहली कहते हैं, "1 सितंबर, 2014 के बाद के मामलों के कार्यान्वयन में देरी बहुत लंबी रही है और कई पेंशनभोगी इसके कारण पीड़ित हैं. कुछ लोगों की बिना लाभ प्राप्त किए ही अंतरिम में मृत्यु हो गई,'' उनका दावा है कि इन सेवानिवृत्त लोगों के लिए उच्च पेंशन की गणना की पद्धति के कारण पेंशन की मात्रा काफी कम हो गई है और इस पर उच्च न्यायालयों में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. कुलदीप कुमार का कहना है कि इसमें पुराने रिकॉर्ड शामिल हो सकते हैं और यह देखने की जरूरत है कि विसंगतियों के लिए इन आवेदनों का निपटान कैसे किया जाएगा. उन्होंने कहा, “ऐसे मामले भी हो सकते हैं जहां नियोक्ता विवरण...
डॉ. हेडगेवार

डॉ. हेडगेवार ब्लड बैंक में Gamma Irradiation Facility की स्थापना

  वेकोलि ने ‘प्रदान की 35.09 लाख रुपए की वित्तीय सहायता नागपुर : डॉ. हेडगेवार ब्लड बैंक, नागपुर में Gamma Irradiation Facility की स्थापना की गई है. इस Facility का उद्घाटन वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक जे.पी. द्विवेदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्य समिति सदस्य भैय्याजी जोशी तथा कार्यकारी निदेशक AIIMS, नागपुर  डॉ.(प्रा.) प्रशांत जोशी ने विगत 9 मई 2024 को किया.  Gamma Irradiation Facility की स्थापना के लिए वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) ने सीएसआर फंड से डॉ. हेडगेवार ब्लड बैंक में 35.09 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की है. डॉ. हेडगेवार ब्लड सेंटर एनएबीएच मान्यता के साथ मध्य भारत का एक प्रसिद्ध ब्लड सेंटर है. इस अवसर पर उद्घाटन समारोह में वेकोलि के महाप्रबंधक (कल्याण/सीएसआर), ए.के. सिंह, वेकोलि के कल्याण/सीएसआर विभाग के अधिकारी, डॉ. हेडगेवार ब्लड बैंक, नागपुर के अधिकारी तथा कर्मी प्रमुखता से उपस्थित थे. डॉ हेडगेवार ब्लड बैंक, नागपुर ने वित्तीय सहायता के लिए वेकोलि के प्रति आभार प्रकट किया. विदित हो कि, Gamma Irradiation रक्त में निष्क्रिय टी-लिम्फोसाइट्स (एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है) पर की जाने वाली एक प्रक्रिया है, जो रक्त के घटकों में मौजूद ट्रांसफ्यूजन से जुड़े ग्राफ्ट बनाम होस्ट रोग (टीए-जीवीएचडी) को रोकने के लिए होती है.  वेकोलि द्वारा की गई वित्तीय सहायता में Gamma Irradiator (Civil & Electrical), dosimeters, radiation, Survey Meter & other requirements like manpower training and dosimeter testing जैसी आवश्यकताएं शामिल हैं. Irradiated blood (विकिरणित रक्त) उन रोगियों में रुग्णता को काफी कम कर देगा, जिन्हें एकाधिक ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है, जैसे कि समय से पहले बच्चे, अंतर्गर्भाशयी और नवजात एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन, प्रतिरक्षा-समझौता रोगी, कीमोथेरेपी, प्लेटलेट और अंग प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ता.  डॉ. हेडगेवार रक्त केंद्र में वेकोलि द्वारा Gamma Irradiation Facility की स्थापना से उपरोक्त वर्णित Irradiated blood (विकिरणित रक्त) रोगियों को टीए-जीएचडी की रोकथाम में काफी मदद मिलेगी. इससे नागपुर और आसपास के जिलों के अस्पतालों को ऐसे रोगियों के लिए उपयुक्त रक्त उपलब्ध हो सकेगा. 
आम

‘आम बाजरा अनाज महोत्सव’ ने मचाई नागपुर में धूम 

जब सिस्टम गढ़चिरौली के जीवनगट्टा गांव को दिला देता है नई पहचान! नागपुर : कोंकण के देवगढ़ के हापुस आम से लेकर गढ़चिरौली जिले के जीवनगट्टा गांव के देसी आम 'गोला' तक, खानदेश के ज्वार से लेकर वर्धा नागपुर जिले के केसर तक, दशहरी से लेकर सफेदा तक, विविधता का मुख्य आकर्षण है 'आम बाजरा अनाज महोत्सव'.  महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड के माध्यम से किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाने के उद्देश्य से यहां कुसुमताई वानखेड़े भवन में 16 तारीख से शुरू हुए आम बाजरा अनाज महोत्सव को नागपुर वासियों का शानदार प्रतिसाद (response) मिला है. गढ़चिरौली के जीवनगट्टा गांव से कृषि स्नातक प्रणाली गावड़े ने अपने कौशल का उपयोग करते हुए आत्मविश्वास से गांव के स्वदेशी गोला आम को विभिन्न प्रकार के आम, टमाटर, लहसुन के अचार के साथ हापुस पंक्ति में रखा है. “ मैं अपने गांव की पहली महिला कृषि स्नातक बन रही हूं. मैं प्रयास कर रही हूं कि मेरी मां द्वारा स्थापित आदिवासी महिला स्व-सहायता समूह में कृषि शिक्षा को जोड़कर उसका मूल्य कैसे बढ़ाया जाए.' प्रणाली गावड़े ने बताया कि आदिवासी महिलाओं के पारंपरिक कौशल के आधार पर खाद्य प्रसंस्करण में थोड़ी वैज्ञानिक प्रक्रिया जोड़कर, उन्होंने भांग, टमाटर का अचार, आंवला प्रसंस्कृत सिरप, प्राकृतिक रूप में आम का रस जैसे कुछ उत्पादों के साथ एक स्टॉल लगाने का फैसला किया है. मैं इस गतिविधि के माध्यम से एक नया आत्मविश्वास महसूस कर रही हूं और विश्वास प्रणाली ने दिखाया है कि मैं इसे हमारे जीवनगुट्टा में अन्य महिलाओं तक ले जाऊंगी. वह जंगली सब्जियां समेत अन्य उत्पाद बेचती हैं. इस महोत्सव में कुल 57 स्टॉल हैं. इनमें से 25 स्टॉल आम के और 32 स्टॉल बाजरा अनाज के हैं. वरुड के किसान प्रशांत वेखंडे ने अपने खेत में प्राकृतिक रूप से उगाए गए दशहरी, लड्डू, लंगड़ा, सफेदा, चौसा जैसे आमों को बिक्री के लिए रखा है. कई महिलाओं ने अपने विविध उत्पादों से उपभोक्ताओं का ध्यान खींचा है. इस स्थान पर विभिन्न प्रकार के बाजरा, बाजरी, नचनी, वरई, राला आदि, बिस्कुट, पापड़, हल्दी, गवरन तेजा मिर्च और अचार बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. यह महोत्सव उत्तरी अंबाझरी रोड पर कुसुमताई वानखेड़े सभागार में 19 मई तक सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक सभी के लिए खुला है.
बिजली

बिजली गिरने, तूफानी हवाओं के साथ ओलावृष्टि की आशंका

उत्तर भारत में 17 मई से बदल सकता है मौसम का मिजाज मौसम विभाग के अनुसार, आज, 16 मई को मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ के अलग-अलग हिस्सों में बिजली गिरने तथा तूफानी हवाओं के साथ ओलावृष्टि होने की आशंका जताई गई है. इसका कारण एक चक्रवाती प्रसार दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे सटे दक्षिण श्रीलंका पर जारी होना बताया गया है. वहीं आज, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में वज्रपात होने, 50 से 60 किमी प्रति घंटे तक की गति के साथ चलने वाली तूफानी हवाओं के साथ बौछारें पड़ने का पूर्वानुमान लगाया गया है. आज, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, विदर्भ, कोंकण और गोवा, मराठवाड़ा, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, तेलंगाना, रायलसीमा, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल तथा केरल और माहे के अलग-अलग हिस्सों में तूफानी हवाओं के साथ बूंदाबांदी होने तथा बिजली गिरने की आशंका जताई गई है. देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम संबंधी बदलाव देखें तो, आज, छत्तीसगढ़ और उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के अलग-अलग हिस्सों में बिजली चमकने, 30 से 40 किमी प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलने वाली हवाओं के साथ बारिश हो सकती है. वहीं आज, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा और तटीय कर्नाटक के अलग-अलग इलाकों में बिजली गिरने की आशंका जताई गई है. कहां होगी भारी बारिश? मौसम विभाग ने आज, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और माहे तथा कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश होने की आशंका जताई है, इन हिस्सों में 64.5 मिमी से 115.5 मिमी तक बादल बरस सकते हैं. वहीं बादल कल, तमिलनाडु के अलग-अलग हिस्सों में जमकर बरसे. उत्तर भारत में 17 मई से बदल सकता है मौसम का मिजाज क्योंकि एक ताजे पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होकर उत्तर के कई हिस्सों में मौसम संबंधी बदलाव करने का पूर्वानुमान लगाया गया है. मौसम विभाग की मानें तो दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 19 मई के आसपास दक्षिण अंडमान सागर, दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों और निकोबार द्वीप समूह से आगे बढ़ने की संभावना जताई गई है. कल, 15 मई को 8:30 से 5:30 के दौरान असम और मेघालय के शिलांग में 2 सेमी, विदर्भ के गढ़चिरौली में 2 सेमी, केरल और माहे के कोच्चि में 2 सेमी, तमिलनाडु के अधिरामपतिनम में 7 सेमी बारिश दर्ज की गई. Subscribe to our daily hindi newsletter
प्याज

प्याज के उत्पादन में 15%, आलू में दो फीसदी कमी रहेगी  

केंद्र सरकार के कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग का बागवानी फसलों के उत्पादन का अग्रिम अनुमान नई दिल्ली : इस साल आलू व प्याज के उत्पादन में कमी की आशंका है. प्याज के उत्पादन में लगभग 15 प्रतिशत और आलू के उत्पादन में दो फीसदी की गिरावट का अनुमान है.  कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा सात मार्च 2024 को जारी बागवानी फसलों के वर्ष 2023-24 के उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान में यह जानकारी दी गई है.  विभाग की एक सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक साल 2023-24 में प्याज का उत्पादन पिछले वर्ष के लगभग 302.08 लाख टन के उत्पादन की तुलना में लगभग 254.73 लाख टन रहने की आशंका है. यानी कि पिछले साल के मुकाबले इस साल 47.35 लाख टन प्याज का उत्पादन कम रह सकता है.  विज्ञप्ति के अनुसार इस साल महाराष्ट्र में 34.31 लाख टन, कर्नाटक में 9.95 लाख टन, आंध्र प्रदेश में 3.54 लाख टन और राजस्थान में 3.12 लाख टन उत्पादन में कमी रह सकती है.  इसी तरह 2023-24 में आलू का उत्पादन (पहला अग्रिम अनुमान) लगभग 589.94 लाख टन होने की उम्मीद है. जबकि पिछले साल यह लगभग 601.42 लाख टन था. जिसका कारण पश्चिम बंगाल में पिछले वर्ष की तुलना में आई कमी बताया गया है. बागवानी उत्पादन में वृद्धि होगी  हालांकि विज्ञप्ति में कहा गया है कि देश में 2023-24 में बागवानी उत्पादन (प्रथम अग्रिम अनुमान) लगभग 35.525 करोड़ टन होने का अनुमान है. 2022-23 (अंतिम अनुमान) की तुलना में 2023-24 (प्रथम अग्रिम अनुमान) में 1.15 प्रतिशत या 3.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की वृद्धि रहेगी. मुख्य रूप से केला, नारंगी और आम के उत्पादन में वृद्धि के कारण फलों का उत्पादन 11.208 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है. सब्जियों का उत्पादन बढ़ेगा  इसी तरह सब्जियों का उत्पादन लगभग 20.939 करोड़ टन होने का अनुमान किया गया है. पत्ता गोभी, फूलगोभी, कद्दू, साबूदाना, टमाटर और अन्य सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि टमाटर का उत्पादन पिछले साल के लगभग 204.25 लाख टन की तुलना में लगभग 208.19 लाख टन होने की उम्मीद है, जो 1.93 प्रतिशत लाख टन की वृद्धि है.
फर्जी

फर्जी बीज बेचने वालों की खैर नहीं – डॉ. इटनकर

खरीफ मौसम के लिए  प्रत्येक बीज बैग और पैकेट पर लगाया गया है क्यूआर कोड  नागपुर :  कृषि विभाग द्वारा विभिन्न टीमों के माध्यम से इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि फर्जी कंपनियों के माध्यम से किसानों को बीज एवं खाद में किसी प्रकार का नुकसान न हो. कलेक्टर डॉ. विपिन  इटनकर ने निर्देश दिए हैं कि किसानों को बीज एवं अन्य सामग्री बेचने वाले पेशेवर भी अधिक सावधान रहें तथा यह सुनिश्चित करें कि उनके प्रतिष्ठान के माध्यम से कोई फर्जी बीज या फर्जी कृषि सामग्री न बेची जाए.  वे समाहरणालय स्थित भट्ट भवन सभागार में आयोजित खरीफ मौसम के लिए बीज एवं अन्य सामग्रियों की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे. इस अवसर पर जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी रवीन्द्र मनोहरे, महाबीज के जिला प्रबंधक गणेश चिरुतकर, राष्ट्रीय बीज निगम के प्रभागीय प्रबंधक नितिन मोरानिया,  ज्ञानेश्वर तसरे, जिला परिषद कृषि मिशन अधिकारी जयंत कौतकर, डीलर एसोसिएशन के अध्यक्ष पद्मावर और अन्य व्यापारी मौजूद थे.  कलेक्टर डॉ. इटनकर ने कहा कि किसानों को बीज के मामले में धोखा न मिले, इसके लिए सरकार ने प्रत्येक बीज बैग और पैकेट पर क्यूआर कोड लगाकर उसे प्रमाणित कर दिया है. हर जगह ख्याल रखा गया है. हमारे जिले में सोयाबीन, कपास और धान खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है. उन्होंने कहा कि मांग को देखते हुए तीनों प्रकार के बीज एवं अन्य कृषि आदान प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं. किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं है. कलेक्टर ने किसानों से अपील की है कि वे स्वयं बीज खरीदते समय सावधानी बरतें.  सभा में बताया गया कि कुछ व्यापारी अपने फायदे के लिए किसानों को गुमराह करने और फर्जी बीज बेचने की कोशिश करते हैं. पिछले साल 72 व्यापारियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है. एहतियात के तौर पर इस वर्ष भी जिले में लगभग 42 टीमों को मोबाइल आधार पर जांच के काम पर रखा गया है. यदि कहीं भी फर्जी बीज बेचा जा रहा हो, अथवा प्रमाणित बी.टी. भारत में प्रतिबंधित कपास के बीजों के स्थान पर एच.टी.बी.टी. तरह का बीज बेचेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह चेतावनी कलेक्टर  डॉ. विपीन इटानकर ने दिया. 
घुलनशील

घुलनशील उर्वरक के प्रमाणीकरण में सामने आया NRCG 

SFIA साथ परीक्षण और अनुसंधान में साझेदारी से किसानों में बढ़ेगा भरोसा  नागपुर : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से सम्बद्ध राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र (NRCG), पुणे अंगूर समेत तमाम फलोत्पादन में घुलनशील उर्वरक के उपयोग पर अनुसंधान करने जा रहा है. इसके लिए उसने घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ (SFIA) के साथ साझेदारी समझौता (MOU) किया है. इस उर्वरक के सरकारी संस्थान द्वारा परिक्षण समझौते के परिणाम से अधिक से अधिक संख्या में किसान पूरी प्रमाणिकता के साथ फसलों के लिए इसका उपयोग कर पाएंगे.  यह जानकारी SFIA के अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती ने यहां 'विदर्भ आपला' को दी. उन्होंने बताया कि घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ और ICAR से सम्बद्ध राष्ट्रीय संस्थान NRCG सब्सिडी वाले पारंपरिक उर्वरकों के मुकाबले घुलनशील (SOMS) उर्वरकों के लाभ और स्थिरता पर एक अग्रणी अनुसंधान में प्रवेश किया. यह परिक्षण घुलनशील उर्वरक का प्रमाणीकरण साबित होगा. चक्रवर्ती ने विश्वास व्यक्त किया कि इस महत्वपूर्ण परीक्षण से निकट भविष्य में घुलनशील (एसओएमएस) उर्वरकों के लिए संभावित रूप से सब्सिडी वाले उर्वरकों की जगह लेने का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा, जो फिलहाल किसानों के लिए अधिक टिकाऊ और संभावित रूप से प्रभावी समाधान पेश करता रहा है. उन्होंने कहाकि हम पहले से इसके पोजेटिव परिणाम आने के लिए आश्वस्त हैं.  वर्षों से इस उर्वरक का उपयोग कर रहे किसान  उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों के किसान फलोत्पादन समेत अन्य परंपरागत फसलों में घुलनशील उर्वरक का उपयोग कर रहे हैं. धान और गेहूं के फसलों में भी इसके बेहतर परिणाम रहे हैं. इसके उपयोग से किसानों को बहुत लाभ हो रहा है. एक प्रश्न के उत्तर में चक्रवर्ती ने बताया कि हाल में सामने आया नैनो यूरिया भी एक घुलनशील यूरिया ही है. जो हमारे घुलनशील उर्वरक की तरह ही प्रभावी है.  समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर समारोह में दोनों संगठनों के प्रमुख व्यक्तियों, NRCG के निदेशक डॉ. कौशिक बनर्जी, SFIA के अध्यक्ष राजीब चक्रवर्ती समझौता ज्ञापन में हताक्षर किए. इस अवसर पर NRCG के प्रिंसिपल वैज्ञानिक डॉ. एस.डी. रामटेके और SFIA महाराष्ट्र के बालासाहेब थोंबरे भी उपस्थित थे.  राजीब चक्रवर्ती ने कहा, "हमारा मानना है कि सरकारी स्तर पर यह सहयोग कृषि उद्योग पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालेगा. हम अनुसंधान के परिणाम देखने के लिए उत्साहित हैं." उन्होंने कहा कि एसएफआईए और आईसीएआर एनआरसीजी के बीच यह सहयोग एसओएमएस उर्वरकों के साथ संभावित रूप से अधिक टिकाऊ और प्रभावी सब्सिडी समाधान की खोज, कृषि उद्योग के लिए बेहतर विकास का वादा है. 4 एवं 5 जुलाई 2024 को पुणे में उर्वरक सम्मेलन और एक्सपो उन्होंने कृषि उद्योग जगत के नेताओं जोड़ने और उर्वरक व्यापारियों को अपना  नेटवर्क का विस्तार करने के लिए 4 एवं 5 जुलाई 2024 को पुणे में उर्वरक सम्मेलन और एक्सपो का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कृषि उद्यमियों और उर्वरक व्यवसायियों से इस आयोजन में शामिल होने के लिए अपने-अपने संस्थान का पंजीकरण कराने के लिए निम्नलिखित लिंक जारी किए हैं.  इवेंट लिंक...
नवीन अग्रवाल 

नवीन अग्रवाल राज. लोकप्रशासन संस्थान के रिसोर्स पर्सन बने 

बाखरू सिंधु महाविद्यालय के कुलसचिव राजस्थान के सिविल सेवकों को आरटीआई का प्रशिक्षण देंगे नागपुर : नवीन अग्रवाल अब राजस्थान के सिविल सेवकों को आरटीआई का प्रशिक्षण देंगे. 'हरीशचंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान' ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI 2005) पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए उनका नाम रिसोर्स पर्सन की सूची में समाविष्ट किया है. रिसोर्स पर्सन की सूची में महाराष्ट्र से केवल नवीन अग्रवाल के ही नाम का समावेश हैं, जो बड़ी उपलब्धि हैं. अग्रवाल दादा रामचंद बाखरू सिंधु महाविद्यालय, नागपुर के कुलसचिव हैं.  हरीश चंद्र माथुर राजस्थान राज्य लोक प्रशासन संस्थान राजस्थान सरकार का शीर्ष प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान है, जिसमें राजस्थान के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है. जयपुर में मुख्यालय सहित संस्थान के कोटा, जोधपुर, बीकानेर एवं उदयपुर में क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्र भी है.   नवीन महेशकुमार अग्रवाल महाराष्ट्र सरकार के सर्वोच्च प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान यशदा पुणे में आरटीआई के लिए अतिथि संकाय हैं, साथ ही सचिवालय प्रशिक्षण प्रबंधन संस्थान, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित आरटीआई ट्रेनर भी हैं. नवीन अग्रवाल ने सूचना का अधिकार अधिनियम पर “डाइजेस्ट ऑफ आरटीआई केसेस” नामक पुस्तक भी प्रकाशित की है. अग्रवाल अब तक 5000 से अधिक सरकारी अधिकारियों, नागरिकों और छात्रों को आरटीआई पर प्रशिक्षण प्रदान कर चुके हैं. वे महाराष्ट्र राज्य महाविद्यालयीन रजिस्ट्रार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हैं. अग्रवाल इससे पूर्व रजिस्ट्रार एसोसिएशन के नागपुर विभाग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उन्हें राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की ओर से सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार ‘आदर्श शिक्षकेतर कर्मचारी पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है. सिंधी हिंदी विद्या समिति के अध्यक्ष डॉ. आई.पी. केसवानी, चेयरमैन डॉ. विंकी रूघवानी, महासचिव नीरज बाखरू, महाविद्यालयीन मामलों के सचिव अमित बाखरू, महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य डॉ. वी.एम. पेंडसे, उपप्राचार्य डॉ. सतीश तेवानी, डॉ. मिलिंद शिनखेड़े, डॉ. मुकेश कौशिक व डॉ. सुनीता हिवरकर आदि ने नवीन अग्रवाल को इस उपलब्धि पर बधाई दी है.
लोकसभा चुनाव

लोकसभा चुनाव 2024 : चुनाव प्रचार में ओछी आक्रामकता

सातवें चरण के प्रचार तक यदि यह एके-47 से लेकर टैंक के गोलों और मिसाइलों तक जा पहुंचे तो आश्चर्य नहीं कल्याण कुमार सिन्हा-विश्लेषण : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान के तीन चरण पूरे हो चुके हैं. इसके साथ ही  सभी राजनीतिक दलों के नेता चुनाव प्रचार में अपनी ओछी आक्रामकता से मतदाताओं को रिझाने में मर्यादा की सीमा लांघते नजर आए हैं. अगले चार चरणों की वोटिंग के लिए उनकी यह आक्रामकता उन्हें और कितने निम्न स्तर पर ले जाएगी, यह सोच कर ही राजनीतिक विश्लेषकों के छक्के छूट रहे हैं. कांग्रेस और उनके इंडिया गठबंधन के नेता जहां सत्तारूढ़ भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर हमलों में हदें पार करते नजर आ रहे हैं, वहीं जवाबी हमलों में सत्तारूढ़ पक्ष भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा. इस मायने में सचमुच 'लोकसभा चुनाव 2024' बिलकुल अलग ही साबित हो रहा है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि पूर्व के चुनावों में दिग्गज नेताओं ने मर्यादा की सीमा नहीं लांघी थी, आपको याद होगा कि गोधरा कांड के बाद गुजरात में भीषण दंगा हुआ था. उस दंगे के बाद हुए विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस की सर्वोच्च नेता स्वयं सोनिया गांधी ने उस समय गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी के लिए जिस भाषा का प्रयोग किया था, उसे लोग आज भी नहीं भूल सके हैं. इस तरह की वारदातों को नेतागण पिछले अनेक चुनावों में अंजाम देते ही रहे हैं, लेकिन इस बार विपक्षी नेता सरकार की विफलताओं की जानकारी मतदाताओं को देने के बजाय, हर दूसरे दिन पीएम मोदी को गाली देने, संविधान खतरे में, आरक्षण खतरे में, के अनर्गल प्रलापों के साथ ही मुस्लिमों, दलितों, आदिवासियों में डर पैदा करने वाली बातों को हवा देते सुनाई देते हैं. इसके साथ ही देश के उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम भाग के रंगभेद और नस्लीय भेद को लेकर निम्नस्तरीय टिप्पणी करने से भी बाज नहीं आ रहे. लोकसभा चुनाव प्रचार में उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने तो गुजरात में जन्में मुग़ल बादशाह औरंगजेब की तरह इशारों में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी महाराष्ट्र में गाड़ देने जैसी बात कर गन्दी मानसिकता का परिचय देते नजर आ रहे हैं. उधर, कांग्रेस ने की मुंबई की उत्तर मध्य सीट से प्रत्याशी वर्षा गायकवाड़ मराठी बनाम गैर मराठी को मुद्दा बनाने की कोशिश करती नजर आ रही हैं. ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) की ही सांसद प्रियंका चतुर्वेदी भी विवादित टिप्पणी करने में पीछे नहीं  हैं. उन्होंने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के बेटे और लोकसभा सांसद श्रीकांत शिंदे को लेकर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है. उत्तर मुंबई से शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार संजय दिना पाटील के समर्थन में एक जनसभा में प्रियंका चतुर्वेदी ने एकनाथ शिंदे और श्रीकांत शिंदे पर जमकर निशाना साधा और उन्हें गद्दार कहा. प्रियंका ने कहा- "गद्दार, गद्दार ही रहेगा. एक फिल्म आई थी 'दीवार', जिसमें अमिताभ बच्चन अपना हाथ दिखाते हैं, उनके हाथ पर लिखा था- मेरा बाप चोर...
खिचड़ी

खिचड़ी घोटाले ने उद्धव सेना पर फिर बरपाया कहर

लोकसभा चुनाव के ऐन पहले प्रहार, मुंबई उत्तर पश्चिम सीट विवाद बना कारण मुंबई : कांग्रेस से निष्कासित पूर्व सांसद संजय निरुपम ने खिचड़ी घोटाले के जिन्न को निकाल कर शिवसेना (यूबीटी) और उसके नेता संजय राउत पर कहर बरपाने की कोशिश की है. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने उन्हीं अमोल कीर्तिकर को मुंबई उत्तर पश्चिम सीट के लिए लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार घोषित किया है, खिचड़ी घोटाले में शामिल लोगों में शामिल होने का आरोप झेल रहे हैं. निरुपम ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर खिचड़ी घोटाला मामले में बड़ा खुलासा किया है. निरुपम ने कहा कि संजय राउत के भाई संदीप राउत के अकाउंट में अगस्त 2020 में 5 लाख रिश्वत आया था और.संजय राउत के दोस्त सुजीत पाटणकर के बैंक अकाउंट में कई बार पैसा आया था. 33 रुपए में 300 ग्राम खिचड़ी देने का कॉन्ट्रैक्ट सह्याद्री रिफ्रेशमेंट को मिला था. आगे इस कंपनी ने एक दूसरी कंपनी को 16 रुपए में 100 ग्राम खिचड़ी बांटने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था. निरुपम का आरोप है कि राउत और अमोल कीर्तिकर ने गरीबों का 200 ग्राम खिचड़ी कोविड के दौरान चुराया. निरुपम ने बताया-कैसे हुआ खिचड़ी घोटाला संजय निरुपम ने बताया कि उत्तर पश्चिम मुंबई से शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को खिचड़ी चोरी मामले में ईडी ने बुलाया है, उसे तो गिरफ्तार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि खिचड़ी चोरी मामले में अकेला अमोल कीर्तिकर ही नहीं है..जब मैंने इस मामले की जांच की तो पता चला और भी लोग शामिल हैं. मुझे पता चला कि शिवसेना यूबीटी के संजय राउत खिचड़ी घोटाले के सूत्रधार हैं. कोविड काल मे 6 करोड़ 37 लाख का खिचड़ी बांटने का कॉन्ट्रैक्ट बीएमसी ने सह्याद्री रिफ्रेशमेंट कंपनी को दिया था, जिसका खुलासा हो गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 27 मार्च को उन्हें उद्धव सेना के उम्मीदवार के रूप में नामित किए जाने के बमुश्किल एक घंटे बाद मामले के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाया था. एजेंसी ने 29 मार्च को उन्हें एक और समन जारी किया. मुंबई उत्तर-पश्चिम से कांग्रेस के टिकट के इच्छुक निरुपम अपने सहयोगी उद्धव सेना को इस सीट पर दावा करने देने से पार्टी से नाराज थे. यही अंततः उन्हें कांग्रेस से बाहर निकलने का कारण बना. निरुपम ने कीर्तिकर और संजय राउत पर कथित तौर पर खिचड़ी घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया है. अपनी ओर से, कीर्तिकर ने ईडी पर मामले में उन्हें निशाना बनाने के लिए राजनीतिक आदेश पर काम करने का आरोप लगाया है. क्या है करोड़ों रुपए का खिचड़ी घोटाला एफआईआर में कहा गया है कि सामुदायिक रसोई पर चर्चा के लिए 9 अप्रैल, 2020 को बीएमसी के भायखला कार्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी. तय हुआ कि जो 5000 या इससे ज्यादा खाने के पैकेट तैयार कर सकेगा, उसे ठेका दिया जाएगा. तय हुआ कि इसका ठेका किसी धर्मार्थ संगठन या सामुदायिक रसोई वाले एनजीओ...