थर्मल संयंत्रों को सस्ता कोयला देगा वेकोलि 

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थर्मल

महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात को होगा फायदा

 
नागपुर : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की अनुषंगी कम्पनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) ने बिजली-उत्पादन की लागत कम करने में मदद की दृष्टि से विभिन्न थर्मल संयंत्रों को लैंडेड चीपर कीमत पर पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराने का ऑफर दिया है. इनमें महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात के विभिन्न थर्मल संयंत्र शामिल होंगे. लैंडेड चीपर कीमत पर अतिरिक्त कोयला उपलब्ध कराने से बिजली कम्पनियों को न केवल अपनी बिजली-दर कम करने में सहायता मिलेगी, बल्कि राष्ट्र-हित में थर्मल कोयले के आयात में भी कमी आएगी.

उल्लेखनीय है कि मध्य भारत में वेकोलि द्वारा खनन-संचालन करने के अपने लाभ हैं. इससे मध्य, पश्चिम और दक्षिण भारत के उपभोक्ताओं को सस्ता कोयला मिलेगा, क्योंकि देश के पूर्वी भाग में स्थित सीआईएल की कोयला कम्पनियों की तुलना में उन्हें रेलवे-भाड़ा कम लगेगा. स्थान विशेष का लाभ और उत्पादन में लगातार वृद्धि के साथ वेकोलि ने प्रदेश विद्युत कम्पनियों, एनटीपीसी तथा अन्य स्वतंत्र बिजली-निर्माताओं को 20-25 मिलियन टन कोयला ऑफर किया है, जिससे वे अन्यत्र स्थित कोयला कम्पनी की जगह वेकोलि से कोयला ले सकेंगे. यह मात्रा वेकोलि से वर्तमान लिंकेज मात्रा के अतिरिक्त होगी.

पिछले दो दिनों में वेकोलि तथा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात राज्य की प्रदेश विद्युत कम्पनियों एवं एनटीपीसी एवं स्वतंत्र बिजली निर्माताओं के साथ हुई कई बैठकों के दौरान वर्तमान लिंकेज के सभी पैरामीटर्स तथा भविष्य में अदला-बदली एवं बिजली कम्पनियों को होने वाले वित्तीय लाभ पर विस्तृत चर्चा की गई. कम्पनी द्वारा अदला-बदली की प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं, ताकि वेकोलि कोयले की इस अतिरिक्त मात्रा की आपूर्ति अक्टूबर, 2020 से शुरू कर सके. उनकी जरूरतों के अनुसार, विभिन्न थर्मल संयंत्रों को ऑफर की गयी कोयले की अदला-बदली की यह अतिरिक्त मात्रा 3-6 मिलियन टन के बीच होगी. और अधिक कोयले की उपलब्धता के आलोक में,  भविष्य में यह मात्रा और बढाई जाएगी.
2013-14 में वेकोलि का उत्पादन-स्तर घट कर 39 मिलियन टन तक आ गया था. सो, विद्युत संयंत्र के उपभोक्ताओं के पास कोल इंडिया की दूसरी अनुषंगी कम्पनियों; एसईसीएल, एमसीएल तथा एससीसीएल से भी कोयला लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. लम्बी दूरी होने के कारण, उपभोक्ताओं को अधिक रेल-भाड़ा चुकाना पड़ता था. इसलिए, कोयले की लैंडेड कीमत उन्हें महंगी पडती थी. वेकोलि ने पिछले छह वर्षों में 20 नयी परियोजनाएं शुरू कीं, जिनसे 2019-20 के दौरान 36 मिलियन टन कोयला-उत्पादन हुआ. इन छह वर्षों के दौरान, कोयले का भंडार समाप्त होते जाने की वज़ह से उत्पादन में आई 22 मिलियन टन की कमी के बावजूद कम्पनी ने 2019-20 में करीब 58 मिलियन टन कोयला-उत्पादन किया. वेकोलि ने 20 और नयी खदानें खोलने की तैयारी के साथ 2023-24 तक 75 मिलियन टन और 2026-27 तक 100 मिलियन टन कोयला-उत्पादन की योजना बनायी है. कोयला-उत्पादन में सतत वृद्धि के साथ, अपने निकटवर्ती उपभोक्ताओं को लैंडेड चीपर कीमत पर आपूर्ति के लिए वेकोलि के पास अब पर्याप्त कोयला उपलब्ध है.
 

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