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IFFCO ने चाइना से मंगाया यूरिया, लिखा आत्मनिर्भर भारत

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बोरी का फोटो दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी इफको का है

 नई दिल्ली : चाइना से मंगाया यूरिया, बोरी पर लिखा आत्मनिर्भर भारत – यूरिया की एक बोरी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. बोरी का यह फोटो दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी कंपनी IFFCO इफको (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) का है. इस फोटो में IFFCO की यूरिया की बोरी पर एक ओर लिखा है ‘सशक्त किसान-आत्मनिर्भर भारत’ और वही दूसरी ओर इस खाद का उद्गम स्थल चाइना को बताया गया है.

इसी भ्रम को लेकर इस बोरी की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसी बीच  कृषि समाचार पोर्टल “कृषक जगत” ने IFFCO  के एमडी प्रबंध संचालक डॉ. यू.एस. अवस्थी की टिप्पणी के हवाले से इस वायरल फोटो के बारे में बताया है. डॉ. अवस्थी ने इस वायरल की जा रही फोटो को भ्रामक बताया है. उन्होंने कहा है कि ऐसा करने वाले लोगों में समझ की कमी है. “कृषक जगत” के अनुसार आजकल AI के जमाने में तकनीकी तौर पर देखा जाए तो बहुत हद तक डॉ. अवस्थी की बात सही भी है.

उल्लेखनीय है कि भारत में 30 मिलियन टन यूरिया उत्पादन की क्षमता है, जिसमें से 90% उत्पादन क्षमता का उपयोग किया जाता है. यूरिया की बाकि जरूरतों के लिए IFFCO समेत अन्य उर्वरक कंपनियां दूसरे देशों से यूरिया आयात करती हैं. हालांकि, भारत अभी तक आत्मनिर्भर नहीं हैं. लेकिन भारत 2025-26 तक यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की कोशिश कर रहा है.

‘आत्मनिर्भर भारत-सशक्त किसान’ का नारा

आत्मनिर्भर भारत-सशक्त किसान’ का नारा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की आर्थिक विकास योजनाओं के लिए इस नारे का इस्तेमाल किया और इसे लोकप्रिय बनाया. ‘आत्मनिर्भर भारत’ की प्रमुख कड़ी है आत्मनिर्भर किसान. प्रधानमंत्री मोदी ने ‘सशक्त और समृद्ध किसान, आत्मनिर्भर भारत’ की पहचान बताई है.

‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत, देश के कृषि क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं. इन प्रयासों से देश के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और सशक्त भारत के निर्माण में अपना योगदान दे रहे हैं.

उर्वरकों के उत्पादन के मामले में भारत आत्मनिर्भर नहीं

दरअसल, भारत IFFCO के माध्यम से लंबे समय से खेती-किसानी में अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का दूसरे देशों से आयात कर रहा है. जिसमें यूरिया का आयात सबसे अधिक है. भारत आजादी के 75 साल बाद भी हम उर्वरकों के उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो सके हैं. लेकिन, अब उस रास्ते पर चल रहे हैं, जिसमें आयात को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. काफी हद तक इसमें सफलता भी मिली है. सरकार कृषि क्षेत्र की मांग को पूरा करने के लिए साल दर साल मजबूरी में उर्वरकों का आयात कर रही है. जिसे देश की IFFCO जैसी कंपनियां किसानों तक पहुंचा रही है. 

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