बिजली संकट पर काबू के आसार, नहीं मचेगा ऑक्सीजन जैसा बवाल

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बिजली संकट

*कल्याण कुमार सिन्हा-
समीक्षा स्थिति की :
देश घोर बिजली संकट के मुहाने पर आ खड़ा दिखाई दे रहा है. थर्मल पावर स्टेशनों के पास कोयले का स्टॉक तेजी से घटकर डेढ़ से चार दिनों तक का रह गया है. महाराष्ट्र में नागपुर स्थित कोराडी थर्मल पावर स्टेशन में शनिवार को मात्र डेढ़ दिन का कोयला बचा था. लेकिन कोयला सेक्टर से मिल रहे संकेतों से जल्द ही इस संकट पर काबू पा लिए जाने की उम्मीद जगी है. पिछले दिनों कोविड की लहर के दौरान देश में ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर मचे बवाल जैसी स्थिति पैदा होने की आशंका कम ही है. अगले एक सप्ताह के भीतर स्थिति में सुधार की संभावना नजर आ रही है.

बिजली संयत्रों को बढ़ाई जा रही है कोयले की सप्लाई
अमूमन सितंबर-अक्टूबर के महीने में बिजली की मांग घटती है, लेकिन एक ओर कोयले की आपूर्ति में कमी आती चली गई है तो दूसरी ओर अचानक बिजली की मांग भी देश में भी बढ़ोत्तरी हुई है. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अक्तूबर के पहले सप्ताह में देश में बिजली की मांग 15,000 मेगावाट बढ़ गई है. पिछले वर्ष इस अवधि में बिजली की मांग 1,70,000 मेगावाट थी. हालांकि इंजीनियर्स फेडरेशन ने बिजली संयत्रों में कोयले के इस संकट को अभूतपूर्व बताया है.

बिजली संयत्रों की अदूरदर्शिता…
लेकिन यह भी सच है कि कोविड काल से कोयले की आपूर्ति में आ रही गिरावट और साथ ही बिजली की मांग में भी आई कमी के मद्देनजर बिजली संयत्रों ने अपने कोयले के स्टॉक के खर्च में या बिजली उत्पादन में कोई संयम बरतना जरूरी नहीं समझा, जबकि उस दौरान उद्योगों में उत्पादन ठप पड़ने या घटने के कारण बिजली की मांग में गिरावट आई थी.

दशहरा के बाद बिजली की मांग घटने की उम्मीद
देश में कुल जरूरतों का लगभग 60% कोयला आपूर्ति करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र की खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) देश के बिजली संयंत्रों को कोयला उपलब्ध कराने वाली एकमात्र देशी कंपनी है. कंपनी के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल ने कहा है कि कोयले की आपूर्ति में दशहरा उत्सव के बाद सुधार होने की उम्मीद है. अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल अपरिहार्य कारणों से कोल इंडिया की सहायक कंपनियों के कोयले के उत्पादन में प्रतिदिन 50,000 टन की कमी आई है. उन्होंने माना कि इस कोयला संकट के कारण देश के बिजली घरों में समुचित मात्रा में कोयले की आपूर्ति प्रभावित हुई है.

मार्च तक ही पूरी तरह से स्थिति सामान्य होना संभव
कोल इंडिया चेयरमैन को उम्मीद है कि दशहरा अर्थात पांच से छह दिनों में आपूर्ति और मांग के बीच सुधार हो जाएगा. अग्रवाल के अनुसार, लेकिन वैसे अगले वर्ष मार्च तक ही पूरी तरह से सामान्य स्थिति हासिल की जा सकेगी. कोल इंडिया की सहायक कंपनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) में एक बैठक में भाग लेने के लिए नागपुर आए अग्रवाल ने पत्रकारों के साथ बातचीत में माना कि देश में फिलहाल कोयला संकट है और बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम का कोयला स्टॉक है. जबकि सामान्य दिनों की तरह उनके पास 14 दिनों का स्टॉक होना चाहिए.

कोयले की कमी का ठीकरा बिजली संयत्रों के सर
लेकिन, उन्होंने बिजली संयत्रों में कोयले की कमी का ठीकरा बिजली संयत्रों के सर पर ही फोड़ते हुए कहा कि संयत्रों को अपनी अग्रिम जरूरतों का आकलन कर लेना चाहिए था और उस अनुरूप कोयले का स्टॉक कर लेना चाहिए था. उन्होंने बताया कि देश के लगभग सभी कोयला क्षेत्रों में इस वर्ष भारी बारिश के कारण कोयला खनन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. साथ ही इससे पूर्व कोविड काल में में भी उत्पादन प्रभावित हुआ था. और अब देश में अचानक बिजली की मांग बढ़ने से यह स्थिति पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को कोल इंडिया की सभी कोयला कंपनियों का कुल उत्पादन 18 लाख टन था. इसमें से 15 लाख टन कोयला देश के बिजली संयत्रों को भेजा गया है.

बढ़ रही है कोयले की आपूर्ति
इधर शनिवार को केंद्र सरकार ने बताया कि केंद्रीय प्रबंधन दल (सीएमटी) ने कल 9 अक्टूबर, 2021 को हुई अपनी बैठक में स्थिति की समीक्षा की. यह देखा गया था कि 7 अक्टूबर, 2021 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) द्वारा कोयले की कुल आपूर्ति 15 लाख टन तक पहुंच गई.. जिससे खपत और वास्तविक आपूर्ति के बीच का अंतर कम हुआ है.

कोयले की आपूर्ति के साथ-साथ बिजली की स्थिति में भी सुधार होने की संभावना
कोयला मंत्रालय और कोल इंडिया लि. ने आश्वासन दिया है कि वे अगले तीन दिनों में बिजली क्षेत्र में कोयले की आपूर्ति को बढ़ाकर 16 लाख टन प्रति दिन करने के लिए सर्वोत्तम प्रयास कर रहे हैं और उसके बाद इसे प्रति दिन 17 लाख टन तक पहुंचाने की कोशिश में हैं. इससे निकट भविष्य में बिजली संयंत्रों में कोयले के स्टॉक में क्रमिक वृद्धि करने में सहायता मिलने की संभावना है, साथ ही कोयले की आपूर्ति के साथ-साथ बिजली की स्थिति में भी सुधार होने की संभावना है. इससे बिजली संकट पर काबू पाया जा सकेगा.

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