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Eps-95 पेंशन प्रकरणों पर जल्द इन्साफ करे सुप्रीम कोर्ट

देश सुप्रीम कोर्ट
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केंद्र सरकार, EPFO के साथ असिस्टेंट रजिस्ट्रार के पेंच पर दादा झोड़े का असिस्टेंट रजिस्ट्रार को भी पत्र

नागपुर : केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा दायर “Eps-95 पेंशनर्स विरोधी प्रकरणों” की सुनवाई में विलंब पर मुख्य न्यायाधीश (CJI) को भेजे गए पत्र के जवाब में सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने भी एक पेंच मारा है. वयोवृद्ध पेंशनर्स योद्धा (एक्टिविस्ट) दादा झोड़े ने एक पत्र के माध्यम से CJI से शीघ्र इन्साफ का दिलाने का निवेदन किया था. जवाब में असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने नियमों का हवाला देकर दादा झोड़े को स्वयं उपस्थित होकर पत्र रजिस्ट्री के समक्ष रखने का निर्देश दिया है.

दादा झोड़े ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार को जवाब में बताया है कि Eps-95 प्रकरणों की सुनवाई में हो रहे विलंब को लेकर यह उनकी ‘फरियाद’ है, शिकायत है और अनुरोध है कि शीघ्र इन्साफ दिलाई जाए. ऐसी शिकायती पत्र के लिए ऐसे नियम लागू नहीं हो सकता. उन्होंने अनुरोध किया है कि वे उनका पत्र CJI के समक्ष प्रस्तुत करें. अन्यथा उनके ऐसे अड़ंगे के खिलाफ अब पेंशनरों को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा.

सुनवाई में लगातार हो रहा विलंब
दादा झोड़े ने CJI को पत्र में बताया है कि Eps-95 से संबंधित लगभग दे वर्षों से सुनवाई के लिए लंबित प्रकरणों को पहले 18-01-2021 फिर 29-01-2021, 25-02-2021, 23-03-2021 और 25-03-2021, को सूचीबद्ध किया गया था. इसके बाद फिर 13-04-2021, 15-04-2021 और अंत में 22-04-2021 को माननीय न्यायमूर्ति यू.यू. ललित की अध्यक्षता में न्यायालय संख्या 4/3 के समक्ष सुनवाई की तिथियां तय हुईं, हालांकि, दुर्भाग्य से सुनवाई नहीं हुई. इसके बाद “अवकाश” का कारण बता कर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई आगे बढ़ा दिया है. जाहिर है, सुप्रीम कोर्ट इस प्रकरण पर 27 जून 2021 तक काम नहीं करेगा. इसलिए, इन मामलों में न्याय मिलने में देरी हो रही है. यह वृद्ध पेंशनरों के लिए अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.’

लेकिन दुर्भाग्य से सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने यह जवाब भेज दिया है. झोड़े ने इससे पहले भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को Eps-95 पेंशनर्स को न्याय से वंचित करने के लिए केंद्र और EPFO द्वारा दायर इन प्रकरणों में शीघ्र न्याय देने के लिए अनेक पत्र भेजा है.      

उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ नागरिकों के मामलों में ‘शीघ्र अदालती निपटान’ के दिशा-निर्देश हैं. ये प्रकरण देश के सेवानिवृत्त EPS-95 पेंशनरों के मामले देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट में पिछले 3 से 4 वर्षों से लंबित हैं. लेकिन सुनवाई में गति लाने के बजाय दुर्भाग्य से अब ऐसे अड़ंगे सामने लाए जा रहे हैं. दादा झोड़े ने असिस्टेंट रजिस्ट्रार के जवाब पर दुःख व्यक्त किया है.

इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के नियमों से अनजान देश के दूर-दराज इलाकों के लोग अपनी फरियाद, पत्र के माध्यम से CJI से करें तो उनके पत्र को CJI तक पहुंचने में रजिस्ट्री की तरफ से अड़ंगा लगा दिया जाएगा.

दो लाख से अधिक ऐसे पेंशनरों की मृत्यु
दादा झोड़े ने पत्र में CJI को बताने का प्रयास किया है कि इस बीच देश में पिछले तीन वर्षों में लगभग दो लाख से अधिक ऐसे पेंशनरों की मृत्यु भी हो चुकी है. इनमें से वे भी थे, जो कोरोना महामारी और अन्य बीमारियों के इलाज में अपने कमजोर आर्थिक स्थिति और चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण मौत के शिकार हो गए. न्याय मिलने में विलंब के कारण उन्हें अपने जीवनकाल में सही पेंशन लाभ नहीं मिल सका.

बुजुर्ग गरीब पेंशनर अभाव का जीवन जी रहे
उन्होंने बताया है कि देश में ऐसे Eps-95 पेंशनरों की एक बड़ी संख्या है, जिन्हें आज भी मात्र 700-800 रुपए की मासिक अल्प पेंशन है. अन्य ऐसे भी हैं, जिन्हें 1,000 से 3,000 रुपए तक के मासिक पेंशन मिलते हैं, जिसमें उनके दवा-पानी का खर्च भी नहीं चलता. जीवन के अंतिम पहर में ये बुजुर्ग गरीब पेंशनर अभाव का जीवन जी रहे हैं. लेकिन इनकी सुध नहीं ली जा रही है. इसके लिए वैसे तो केंद्र सरकार जिम्मेदार है, जिसके कारण उन्हें उनकी उचित पेंशन से वंचित कर दिया गया है. और अब उनके उचित पेंशन मामले में व्यवधान डालने के लिए केंद्र सरकार और EPFO ने अनावश्यक मामला दायर कर रखा है तो सुप्रीम कोर्ट भी इस व्यवधान को कायम रखने में सहयोग करता नजर आ रहा है.

दादा झोड़े ने CJI को अपने पत्र में ध्यान दिलाया है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 4-10-2016 को आर.सी. गुप्ता के मामले में Eps-95 पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया था. EPFO ने 23-3-2017 को एक सर्कुलर जारी कर इस फैसले को लागू करने का फैसला भी किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लंबित इन मामलों पर फैसले के अभाव में इसे लागू नहीं किया गया है. इसलिए बुजुर्ग गरीब पेंशनरों को न्याय का इंतजार है.

बढ़ी हुई पेंशन बिना वजह और बिना किसी नोटिस के रोक दी गई
CJI को झोड़े ने बताया है कि- वैसे तो 2017-18 में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का फायदा कुछ लोगों को दिया भी गया. लेकिन उनकी बढ़ी हुई पेंशन बिना वजह और बिना किसी नोटिस के रोक दी गई. कुछ लोगों को एक्जम्पटेड प्रतिष्ठान के नाम पर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के लाभ से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित कर दिया गया. देश के उच्च न्यायालय में 1,000 से अधिक और सर्वोच्च न्यायालय में लगभग 49 मामले लंबित हैं.

EPFO और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने में बाधक
इसके साथ ही उन्होंने 12-10-2018 को केरल हाईकोर्ट के पेंशनरों के पक्ष में सुनाए गए फैसले और सुप्रीम कोर्ट द्वारा केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने और 1-04-2019 को EPFO की अपील याचिका को खारिज करने के मामले की भी जानकारी फिर से CJI को दी है. साथ ही बताया है कि किस प्रकार EPFO और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने में बाधक बनी हुई है. परिणामस्वरूप देश में लाखों बुजुर्ग पेंशनर न्याय के इंतजार में प्राण गवां रहे हैं. दादा झोड़े ने खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि सरकार ही नहीं देश की न्याय व्यवस्था भी ध्यान नहीं दे रही.

शीघ्र न्याय में सरकार द्वारा बाधा
झोड़े ने इस बात पर भी खेद जताई है कि सुप्रीम कोर्ट में Eps-95 के लगभग 60 मामले लंबे समय से लंबित हैं, लेकिन शीघ्र न्याय में सरकार द्वारा इसमें बाधा डाली जा रही है. साथ ही सरकार के पक्ष से भारत के सर्वश्रेष्ठ वकील सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं, देश के लाखों वरिष्ठ पेंशनभोगियों को न्याय से वंचित कर रहे हैं.

‘समय लेने’ वाली नीति का सहारा
CJI को दादा झोड़े ने बताया है कि EPFO और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में केवल ‘समय लेने’ वाली नीति का सहारा लिया है. क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार इन पेंशनरों को उचित पेंशन भुगतान नहीं करना चाहते हैं. ऐसे में केवल सुप्रीम कोर्ट ही इन पेंशनरों को इन लंबित मामलों का शीघ्र निपटान करके न्याय दे सकता है.

दादा झोड़े ने अपने 10-06-2021 को भेजे अपने पत्र में CJI से विनम्र अनुरोध किया है कि सेवानिवृत्त Eps-95 पेंशनरों के मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई करने का निर्देश दिया जाए.

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