#MeToo कैंपेन : तो ऐसे चलता किए गए एम.जे. अकबर सरकार से

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नई दिल्ली : 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की चुनौतियों में फंसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और केंद्र सरकार तो दूसरी ओर विदेश राज्यमंत्री एम.जे. अकबर पर #MeToo कैंपेन के तहत एक के बाद एक लगते आरोप पार्टी और सरकार दोनों के लिए भारी पड़ने लगा था.

सूत्रों के अनुसार एम.जे. अकबर पर #MeToo के बढ़ते आरोपों की फौरी तौर प्राथमिक जांच के लिए सरकार ने अपने स्तर पर जांच की. शुरुआती जांच में कुछ तथ्य अकबर के खिलाफ आए. प्राथमिक जांच के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने अकबर से मुलाकात कर उन्हें जांच के बारे में तथ्यों की जानकारी दी.

उसके बाद अजित डोभाल ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर एम.जे. अकबर पर लगे आरोपों की जांच में पाए गए तथ्यों की जानकारी दी.

मंत्रियों की राय भी ली भाजपा महामंत्री रामलाल ने
सूत्रों ने बताया कि बुधवार को एम.जे. अकबर ने राजनाथ सिंह से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा. उसके बाद पार्टी के संगठन महामंत्री रामलाल ने भाजपा नेतृत्व और सरकार के बड़े मंत्रियों से बात कर पूरे मामले में उनकी राय ली. रामलाल ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सभी नेताओं से बातचीत का ब्यौरा दिया.

पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अकबर पर लगे आरोपों के बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की राय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवगत कराया और उसके बाद ही पीएम मोदी और अमित शाह ने फैसला लिया कि अकबर को इस्तीफा देना होगा. पीएम मोदी और अमित शाह के फैसले की जानकारी रामलाल ने एम.जे. अकबर को दी और उनसे कहा वो मंत्री पद से इस्तीफा सौंप दें.

संघ ने भी जताई थी नाराजगी
केंद्रीय मंत्री अकबर पर लेंगे आरोपों से राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) भी नाराज था. संघ नेताओं ने अकबर को लेकर अपनी नाराजगी पीएम मोदी और पार्टी नेतृत्व को बता दी थी. संघ की चिंता थी कि जिस तरह से अकबर पर आरोप लगाने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती जा रही है. उससे उनका मोदी सरकार में मंत्री बने रहना सरकार और पार्टी के खिलाफ जनता में एक संदेश जा रहा हैं, इसलिए अकबर को बिना देरी किए उनसे इस्तीफा लेना चाहिए.

मामले को बढ़ता देख संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने एम.जे. अकबर के खिलाफ के सोशल मीडिया पर एक लेख समर्थन करते हुए ट्वीट किया था, ‘जो आपने लिखा वो उनकी भी भावना हैं.’

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