किसी भी रास्ते से हो राम मंदिर का निर्माण

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संघ प्रमुख ने सरकार पर बनाया बड़ा अप्रत्याशित दवाब, सबरीमाला मामले में फैसले से भी जताई असहमति

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी उत्सव के मौके पर संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण को लेकर बड़ा और अप्रत्याशित सा बयान दे डाला. उन्होंने कहा कि “किसी भी रास्ते से राम मंदिर का निर्माण जरूर होना चाहिए, इसके लिए सरकार को कानून लाना चाहिए.”

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद से जुड़ी विवादित जमीन के मालिकाना हक को लेकर चल रहे मामले की सुप्रीम कोर्ट में 29 अक्टूबर से नियमित सुनवाई शुरू हो रही है. इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सुनवाई से 10 दिन पहले राममंदिर निर्माण को लेकर कड़े तेवर दिखाते हुए ऐसा अप्रत्याशित बयान देकर सरकार पर बड़ा दवाब बनाने का काम कर दिया.

संघ प्रमुख ने कहा कि राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं हैं, बल्कि पूरे देश के हैं. हिंदू-मुस्लिम दोनों के लिए आदर्श हैं. संविधान की प्रति में भगवान राम का चित्र है. उन्होंने कहा कि किसी भी मार्ग से बने लेकिन उनका मंदिर बनना चाहिए. सरकार को इसके लिए कानून लाना चाहिए.

भागवत ने कहा कि अगर राम मंदिर बनता है तो देश में सद्भावना का माहौल बनेगा. उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि इनकी सत्ता है फिर भी मंदिर क्यों नहीं बना, वोटर सिर्फ एक ही दिन का राजा रहता है.

आज गुरुवार, 18 अक्टूबर को संघ मुख्यालय नागपुर में आरएसएस की ओर से पारंपरिक विजयादशमी उत्सव मनाया गया. साथ ही संघ प्रमुख ने पहले शस्त्र-पूजन भी किया. इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख के राममंदिर को लेकर दिए गए बयान से साफ है कि संघ अब और लंबा इंतजार नहीं करना चाहता.

सभी विषयों पर खुल कर बोले भागवत
इससे पूर्व स्वयंसेवकों ने पथ संचलन किया. नोबोल पुरस्कार से सम्मानित और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी संघ के वार्षिक विजयदशमी समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल उपस्थित थे. इस अवसर पर अपने वार्षिक भाषण में संघ प्रमुख ने राम मंदिर, सबरीमला, अर्बन नक्सली से लेकर पाकिस्तान और चीन को भी निशाने पर लिया. साथ ही अपने संबोधन में इशारों-इशारों में राफेल का भी जिक्र किया. भागवत ने कहा कि भारत को अपनी सुरक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. हमें जिस किसी चीज की भी जरूरत है उसका उत्पादन खुद ही करना चाहिए.

संघ प्रमुख ने सरकार और देश के लोगों को साफ संकेत दिए हैं कि राममंदिर किसी भी कीमत पर चाहिए. ऐसे में अगर सरकार राममंदिर के लिए कानून नहीं लाती है तो सबरीमाला मामले पर भागवत का ये कहना कि धर्म से जुड़े मामले पर धर्माचार्यों की राय के बाद ही कोई फैसला लिया जाना चाहिए, वो बदलाव की बात को समझते हैं.

सबरीमाला मामले में कोर्ट के फैसले से असहमति…
संघ प्रमुख ने कहा कि सबरीमाला में जिन्होंने याचिका डाली वो कभी मंदिर नहीं गए, जो महिलाएं कोर्ट के फैसले से असहमत होकर आंदोलन कर रही हैं, वो आस्था को मानती हैं. कोर्ट के फैसले से वहां पर असंतोष पैदा हो गया है. महिलाएं ही इस परंपरा को मानती हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई. इसी का नतीजा है कि महिलाएं भी विरोध कर रही हैं.

सबरीमाला मामले में कोर्ट के फैसले के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों के साथ संघ प्रमुख के खड़े होने के पीछे भी बड़ा संकेत माना जा रहा है. अयोध्या मामले में कोर्ट अगर किसी कारणवश राममंदिर के खिलाफ फैसला देता है तो हिंदू समाज उसके खिलाफ सड़क पर उतरकर आंदोलन कर सकता है.

इसके साथ ही जब राम मंदिर मामले को लेकर साधु-संत पहले से ही सरकार पर दबाव बना रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई से महज 10 दिन पहले संघ प्रमुख ने राममंदिर के लिए कानून बनाने की बात कहकर और भी बड़ा दबाव सरकार पर बना दिया है.

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