ईपीएफ

पेंशनर्स विरोधी हैं ईपीएफओ के नियम, नहीं मिल रहा न्याय

ईपीएफ सेवानिवृत्तों को भी न्याय देना होगा नई मोदी सरकार को आलेख : कल्याण कुमार सिन्हा कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के अंतर्गत इससे संबद्ध निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के स्थापनाओं के सेवानिवृत्त कर्मचारियों का पेंशन कोई सरकारी सामाजिक सुरक्षा योजना नहीं है, यह कर्मचारियों का अधिकार है. पेंशन का मुख्य उद्देश्य सेवानिवृत्ति के बाद व्यक्ति को अपना जीवन ससम्मान जीने के लायक आर्थिक आधार उपलब्ध कराना. लेकिन ईपीएफओ के गठन के साथ ही कर्मचारी भविष्य निधि और पेंशन के नियम कर्मचारी विरोधी और अन्यायपूर्ण बनाए गए. बीच-बीच में नियमों में संशोधन भी यदि किए गए तो उनमें से अधिकांश सदस्य कर्मचारियों के हितों के खिलाफ ही थे. कर्मचारियों के हित ठेंगे पर आज भी देखा जाए तो सरकार द्वारा स्थापित कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) जैसा संगठन स्वयं तो सारी सुविधाएं केंद्र सरकार की स्थापनाओं की तरह लेता है, लेकिन जिन सदस्य कर्मचारियों के वेतन से यह रकम जुटाता है, उन्हें ही यह ठेंगे पर रखता है. उसे ईपीएफ के करीब 15 लाख करोड़ रुपए के प्रबंध की जिममेदारी मिली हुई है. जिसे वह देश के करोड़ों निजी क्षेत्र के कर्मचारियों और नियोक्ताओं से वसूलता रहा है. आश्चर्य का विषय तो यह है कि आजादी के बाद की सभी सरकारें भी ईपीएफओ की इन कर्मचारी विरोधी हथकंडों का समर्थन ही करती आई हैं. यहां तक कि पिछली एनडीए की नरेंद्र मोदी सरकार का रवैया भी पिछली कांग्रेस सरकारों अलग नहीं रहा. ईपीएफओ का हथकंडा नरेंद्र मोदी की पिछली सरकार के समय में ही ईपीएफओ की अन्यायपूर्ण पेंशन नीति को पहली बार सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाने पर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों के वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन देने का आदेश दिया. लेकिन इसके बावजूद ईपीएफओ तरह-तरह के हथकंडे अपना कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को धता बताने की कोशिश करता रहा. जब फिर सुप्रीम कोर्ट ने ईपीएफओ को फटकार लगाई तो गतिशील हुआ और इसे लागू करने की दिशा में कदम भी उठाए. लेकिन इसके बावजूद इसके हथकंडे कायम हैं और इन हथकंडों के कारण अधिसंख्य कर्मचारी आज भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार सुधारित पेंशन पाने से वंचित हैं. ईपीएफओ का हथकंडा भी खूब है. सुधारित पेंशन की मांग करने वाले सेवानिवृत्तों से वह अपने पूर्व नियोक्ता (एम्प्लॉयर) से 1995 से रिटायरमेंट अवधि तक का मासिक कंट्रीब्यूशन का संपूर्ण ब्यौरा लाने को कहता है. स्वयं नियोक्ता से नहीं मांगता. उधर नियोक्ता सेवानिवृत्तों को बताता है कि उसने तो पहले ही नियमित रूप से ईपीएफओ को प्रत्येक माह के कंट्रीब्यूशन का ब्यौरा भेज चुका है. अब उसके पास पुराने ब्यौरे नहीं हैं. इधर ईपीएफओ तर्क देता है कि पुरानी परंपरा के अनुसार वह पुराने कागजात नष्ट कर चुका है. केवल उसके पास वही ब्यौरे हैं, जब से ईपीएफओ का डिजिटिलाइजेशन हुआ अर्थात 2009 से ही ब्यौरे उपलब्ध हैं. उसका तर्क है कि बिना सम्पूर्ण ब्यौरे के वह पेंशन निर्धारित नहीं कर सकता. क्योंकि उसे पेंशन के लिए कटौती की अतिरिक्त रकम भी संबंधित सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूलनी है. ईपीएफओ के इस हथकंडे से सेवानिवृत्त कर्मचारी अधर में हैं. वह ईपीएफओ और अपने पूर्व नियोक्ता के आगे नाक रगड़ने को बाध्य हो रहे हैं....
अमित शाह

अमित शाह क्या पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ नए गृह मंत्री बनेंगे?

नए मंत्रिमंडल के संभावित चेहरों पर चल निकली अटकलें नई दिल्ली : एनडीए की आगामी नई केंद्र सरकार में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह क्या देश के नए गृह मंत्री होंगे? राजनाथ सिंह क्या फिर पार्टी अध्यक्ष बनाए जाएंगे अथवा मंत्रिमंडल में कोई और बड़ी जिम्मेदारी संभालेंगे? वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज नए मंत्रिमंडल में बने रहेंगे? नए मंत्रिमंडल का स्वरूप कैसा होगा? किन-किन राज्यों से नए चहरे नए मंत्रिमंडल का हिस्सा बनेंगे? इन प्रश्नों के साथ अब लोगों की नजरें सरकार गठन की ओर टिक गई हैं. केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति को सौंपा इस्तीफा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया. राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री सहित मंत्री परिषद का इस्तीफा स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री से नई सरकार बनने तक पद पर बने रहने का आग्रह किया है. इस बीच इधर नए मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले नए-पुराने चेहरों को लेकर अटकलें भी शुरू हो गई हैं. सरकार गठन को लेकर जारी गहमागहमी के बीच पार्टी के कई नेताओं का ऐसा विचार है कि शाह, मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होंगे और उन्हें गृह, वित्त, विदेश या रक्षा में से कोई एक मंत्रालय दिया जा सकता है. लेकिन इससे पूर्व अभी 17वीं लोकसभा का गठन किया जाना है. इसके बाद ही एनडीए नेता नरेंद्र मोदी को राष्ट्रपति सरकार गठन और शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित करेंगे. जेटली और सुषमा स्वराज को लेकर आशंकाएं वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समक्ष स्वाथ्य संबंधी समस्याएं हैं. इसी कारण इस बार उन्होंने चुनाव भी नहीं लड़ा. ऐसे में उनके नई सरकार में शामिल होने को लेकर शंकाएं प्रकट की जा रही हैं. जेटली राज्यसभा के सदस्य हैं और वह 2014 के चुनाव में अमृतसर सीट पर हार गए थे. सुषमा स्वराज ने पिछला चुनाव मध्य प्रदेश के विदिशा से जीता था. इन दोनों नेताओं ने नई सरकार में शामिल होने या नहीं होने पर कोई टिप्पणी नहीं की है. चुनाव प्रचार के दौरान शाह ने भी इस बारे में पूछे गए सवालों को टाल दिया और कहा कि यह पार्टी और प्रधानमंत्री के अधिकार क्षेत्र का विषय है. सीतारमण, ईरानी को बड़ी जिम्मेदारी उम्मीद है कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण नई सरकार में मुख्य भूमिका में रह सकती हैं. स्मृति ईरानी ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी से पराजित किया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि पार्टी उन्हें भी कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है . जदयू, शिवसेना को अधिक मंत्री पद समझा जाता है कि राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल, नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर को नए मंत्रिमंडल में बनाए रखे जाने की संभावना है. जेडीयू और शिवसेना को भी नए कैबिनेट में स्थान दिया जा सकता है, क्योंकि दोनों दलों ने क्रमश: 16 और 18 सीट दर्ज करके शानदार प्रदर्शन किया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना से नए चेहरों को स्थान दिया जा सकता है. दूसरी कतार के लिए युवा चहरे भी भाजपा के एक वरिष्ठ...
भाजपा

मोदी ने दिया इस्तीफा, एनडीए संसदीय दल के नेता चुने जाएंगे

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद भाजपा ने सरकार गठन की तैयारी तेज कर दी है. भाजपा ने लोकसभा चुनाव में विजयी अपने और सहयोगी दलों के सभी सांसदों को आज दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में बुलाया है. बैठक के दौरान नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना जाना तय हुआ है. इस बैठक के बाद नरेंद्र मोदी अपने घटक दलों के साथ भी बातचीत करेंगे. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, लोजपा के रामविलास पासवान समेत एनडीए के तमाम नेता आज दिल्ली पहुंच रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के बाद शुक्रवार की शाम नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके साथ ही सभी मंत्री परिषद सदस्यों ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा सौंपा. राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार करते हुए सभी से नई सरकार के गठन तक कामकाज संभालने का आग्रह किया, जिसे पीएम ने स्वीकार कर लिया. अब वह शपथ लेने तक कार्यवाहक पीएम के तौर पर जिम्मेदारियां संभालेंगे. भाजपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इस बात की जानकारी देते हुए कहा है कि एनडीए के सभी घटक दलों की बैठक 25 मई को शाम 5 बजे सेंट्रल हॉल में बुलाई गई है. इसी के साथ आज ही मंत्रिमंडल और विभागों को लेकर भी एक बैठक की जाएगी. इस बैठक को अमित शाह देखेंगे और एनडीए के सभी नेताओं से इस पर मुलाकात करेंगे. एनडीए को 350 सीटें अब तक के नतीजों में भाजपा की अगुआई वाले एनडीए ने 350 सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की है. वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस 52 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. सहयोगियों को मिलाकर यूपीए के हिस्से में 92 सीटें आई हैं, जबकि अन्य दलों के खाते में 97 सीटें आईं. उत्तर प्रदेश, बिहार में महागठबंधन को किया विफल भाजपा ने उत्तर प्रदेश में मायावती-अखिलेश यादव और बिहार में लालू यादव के राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन को विफल कर दिया. उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 80 में 62 सीटें और बिहार में सहयोगी दल जदयू और लोजपा के साथ 40 में से 39 सीटें जीत लीं. बिहार में राजद महागठबंधन एक सीट भी हासिल नहीं कर पाया. उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी अमेठी सीट भी नहीं बचा पाए. कांग्रेस को राज्य में मात्र एक सीट मिली. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए प्रमुख सोनिया गांधी को रायबरेली में जीत मिल सकी. बिहार में कांग्रेस एक सीट हासिल करने में सफल रही.
आग

भीषण आग लगने से सूरत में 20 लोगों की मौत

सूरत (गुजरात) : यहां मुंबई-अहमदाबाद हाइवे के पास एक कॉम्पलेक्स में शुक्रवार को भीषण आग लगने से 20 लोगों की मौत हो गई है. यह एक व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स है, जिसका नाम तक्षशिला है. इसमें कई दुकानें और कोचिंग सेंटर्स हैं. मृतकों में अधिकतर छात्र हैं, जो कॉम्पलेक्स में स्थित एक कोचिंग सेंटर्स में थे. अधिकतर छात्रों की मौत छलांग लगा देने की वजह से प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भीषण आग की वजह से बच्चों ने इमारत के ऊपर से छलांग लगानी शुरू कर दी. हालांकि इस दौरान स्‍थानीय लोगों ने सीढ़ी लगाकर बच्चों को बचाने का भी प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए. एक स्थानीय व्यावसायी के अनुसार अधिकतर छात्रों की मौत घबराहट के कारण छलांग लगाने की वजह से हुई. फायर ब्रिगेड सूत्रों के हवाले से बताया गया कि करीब एक घंटे बाद आग पर आखिरकार काबू पा‌ लिया गया और इमारत में किसी और के फंस होने की फायर ब्रिगेड के कर्मचारी और पुलिस द्वारा मौके पर सघन जांच जांच भी कर ली गई. फिलहाल आग के कारणों का पता नहीं चल सका है. कोचिंग सेंटर में 30 से ज्यादा बच्चे मौजूद थे. एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिल्डिंग में अचानक लग जाने से बच्चे इमारत की तीसरी मंजिल पर फंस गए. आग इतनी तेजी से फैली की बच्चों को बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं मिला और इस दौरान कई बच्चे धुंए के कारण वहीं बेहोश हो गए. राज्य के दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "करीब 10 छात्र आग से बचने के लिए तीसरी और चौथी मंजिल से कूद गए. कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है." गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा, "हमने मामले में विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं और दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा." मृतकों को 4 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस हादसे पर दुःख व्यक्त करते हुए हादसे में मारे गए लोगों को चार लाख रुपए देने की घोषणा की है. स्टेट अरबन डेवलपमेंट विभाग को भी इमारत की जांच के आदेश दिए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर दुख जताया है और गुजरात सरकार को फौरन राहत पहुंचाने के आदेश दिए हैं.
एनडीए

महाराष्ट्र में एनडीए गठबंधन के 41 विजयी

मुंबई : महाराष्ट्र में अपने प्रमुख प्रतिद्वंदी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकपा) के दिग्गजों को पराजित कर एनडीए (भाजपा-शिवसेना-रिपब्लिकन गठबंधन) ने अपना 2014 का प्रदर्शन दोहराते हुए प्रचंड जीत दर्ज की है. राज्य की कुल 48 सीटों में से भाजपा 23, शिवसेना 18, राष्ट्रवादी कांग्रेस 4, कांग्रेस 1, एआयएमआयएम 1 और निर्दलीय 1 पर विजयी हुए है. विदर्भ के 10 में से 8 पर एनडीए विजयी विदर्भ की प्रमुख सीटों एनडीए ने अमरावती और चंद्रपुर की दो सीटें खोई है. जब की आठ सीटों पर विजय हासिल की है. इनमें नागपुर जिले के नागपुर से भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी और रामटेक से शिवसेना के कृपाल तुमने चुनाव जीत गए हैं. गढ़चिरोली से भाजपा के अशोक नेते ने कांग्रेस को पराजित किया. अकोला में भाजपा सांसद संजय धोत्रे ने रिपब्लिकन नेता प्रकाश आंबेडकर को पराजित किया. अमरावती में शिवसेना के आनंदराव अडसूल को निर्दलीय नवनीत राणा ने पराजित किया. भंडारा-गोंदिया क्षेत्र से भाजपा के अशोक मेंढे विजयी रहे. वाशिम से शिवसेना सांसद भावना गवली फिर विजयी हुईं. वर्धा से भी भाजपा सांसद रामदास तड़स दुबारा चुनाव जीत गए हैं. बुलढाणा से प्रतापराव जाधव चुनाव जीत गए हैं. एनडीए ने विदर्भ में चंद्रपुर और अमरावती गंवाई वहीं चंद्रपुर में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री हंसराज अहीर तथा अमरावती में शिवसेना सांसद आनंदराव अडसूल चुनाव हार गए हैं. चंद्रपुर संसदीय क्षेत्र से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर को पराजित कर कांग्रेस के उम्मीदवार बालू ऊर्फ सुरेश धानोरकर 44763 मतों से विजयी हुए हैं. वे महाराष्ट्र में अब एक मात्र कांग्रेस लोकसभा सदस्य होंगे. अमरावती में शिवसेना सांसद आनंदराव अडसूल युवा स्वाभिमान नेता श्रीमती नवनीत राणा से पराजित हो गए हैं. नगर भाजपा को उल्लेखनीय सफलता भाजपा को एक उल्लेखनीय सफलता नगर लोकसभा क्षेत्र में मिली है. वहां से कांग्रेस से भाजपा में आए डॉ. सुजय विखे चुनाव जीत गए हैं. विधानसभा में कांग्रेस के विरोधी पक्ष के नेता रामकृष्ण विखेपाटिल के पुत्र डॉ. विखे को भाजपा में लाने का श्रेय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को है. हालांकि डॉ. विखे की जीत से सर्वाधिक चोट राकांपा प्रमुख शरद पवार को पहुंची है, लेकिन इससे भारी नुक्सान कांग्रेस को हुआ है. जानकारों के मुताबिक अब रामकृष्ण विखे पाटिल का भाजपा प्रवेश का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है. कांग्रेस एक पर सिमटी इस चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद रहे अशोक चव्हाण और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे चुनाव हार गए हैं. कांग्रेस को राज्य में केवल एक चंद्रपुर की सीट पर ही जीत हासिल हुई है. वह अपनी पिछली बार की दो सीटों की जगह अब मात्र एक सेट पर ही सिमट गई. राकांपा को चार, पवार को झटका राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले और प्रदेशाध्यक्ष सुनील तटकरे सहित चार राकांपा उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे. मावल से राकांपा नेता शरद पवार के पोते पार्थ पवार को भी हार का मुंह देखना पद गया है. शरद पवार इस बार चुनाव में नहीं उतरे. उन्हें कांग्रेस-राकांपा गठबंधन की इस असफलता से भारी निराशा हुई है. महाराष्ट्र के आज के सबसे बड़े...
व्यापारी

व्यापारी, किसान और आम जनता हर्ष से झूम रहे – मोटवानी

नागपुर : गुरुवार को शाम होते-होते लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की सुनामी से पूरे देश की आम जनता, किसान और व्यापारी सभी हर्ष से झूमने लगे हैं. पुणे, मुम्बई और नागपुर की अनेक व्यापारिक संगठनों से जुड़े प्रताप मोटवानी ने आगामी लोकसभा में पुनः मोदी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारी जीत पर आशा व्यक्त की कि आगामी 5 वर्षों में देश का किसान बेहद खुशहाल होगा. व्यापार और उद्योगों में भी नई दिशा, विकास की पहल और देश मे रोजगार बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव पूर्व दिल्ली में 'कैट' की राष्ट्रीय सभा में देश के सभी व्यापारियों को आश्वस्त किया था कि सरकार व्यापारियों के हितों में कार्य करेगी. व्यापारियों को सम्मान और उन्हें साथ लेकर ही व्यापार को बढ़ाने और व्यापारियों और सरकार के बीच सामंजस्य बना कर रखेगी. मोटवानी ने कहा कि मोदी सरकार आगामी 5 वर्षो तक आम जनता के साथ किसानों और देश के करोड़ों व्यापारियों के हित में सराहनीय कार्य करेगी. चुनाव में व्यापारी वर्ग भी मोदी का मान रखा. व्यापारियों ने खुल कर समर्थन किया मोटवानी ने नागपुर से विकास-पुरुष, लोकप्रिय सांसद नीतिन गडकरी की जीत पर खुशी प्रकट की है. उन्होंने विशवास व्यक्त किया कि नागपुर में अब विकास कार्य जोर-शोर से जारी रहेंगे. गडकरी पूरे नागपुर की जनता के दिल में बसे हैं. मोटवानी ने बताया कि नागपुर के लगभग सभी व्यापारियों ने खुल कर गडकरीजी का समर्थन किया. पूरे सिंधी समाज ने गडकरी के पक्ष में मतदान किए मोटवानी ने कहा कि नागपुर सेंट्रल सिंधी पंचायत के अध्यक्ष होने के नाते मैं ने नागपुर सिंधी समाज का पूरा समर्थन पत्र गडकरीजी को दियाथा. शहर के पूरे सिंधी समाज ने गडकरीजी को भारी मतों से विजयी बनाने के लिए मतदान किए. उन्होंने देश में फिर से मोदीजी की सरकार आने और नागपुर से गडकरी जी की जीत से देश के साथ नागपुर का कायापलट होने की उम्मीद जताई.
अमित शाह

अमित शाह गांधीनगर से 5 लाख 54 हजार वोटों से जीते

नई दिल्ली : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह गुजरात के गांधीनगर से लोकसभा चुनाव जीत गए हैं. यहां उन्होंने 5 लाख 54 हजार मतों से जीत दर्ज कर ली है. अमित शाह ने आगे कहा, 'जन-जन के विश्वास और अभूतपूर्व विकास की प्रतीक ‘मोदी सरकार’ बनाने के लिए भारत की जनता को कोटि-कोटि नमन. सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई. अपने अथक परिश्रम से देश के हर बूथ पर भाजपा को मजबूत कर मोदी सरकार बनाने वाले भाजपा के करोड़ों कर्मठ कार्यकर्ताओं को इस ऐतिहासिक विजय की हार्दिक बधाई.' अमित शाह ट्विट कर बोले, 'यह परिणाम विपक्ष द्वारा किये गये दुष्प्रचार, झूठ, व्यक्तिगत आक्षेप और आधारहीन राजनीति के विरुद्ध भारत का जनादेश है. आज का जनादेश यह भी दिखाता है कि भारत की जनता ने देश से जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण को पूरी तरह से उखाड़ फेंककर विकासवाद और राष्ट्रवाद को चुना है. भारत को नमन.' आडवाणी ने दी मोदी को बधाई भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई दी है. उन्होंने कहा है कि नरेंद्रभाई मोदी को बीजेपी को चुनाव में इस अभूतपूर्व विजय की ओर ले जाने के लिए हार्दिक बधाई. भाजपा अध्यक्ष के तौर पर अमित भाई शाह और पार्टी के सभी समर्पित कार्यकर्ताओं ने बीजेपी का संदेश हरेक वोटर तक पहुंचाने के लिए विशाल प्रयास किए. अमेठी से इस समय का ताजा रुझान आया है और भाजपा की स्मृति ईरानी करीब 19,000 वोटों से आगे चल रही हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से पीछे चल रहे हैं. उन्नाव में साक्षी महाराज रिकॉर्ड मतों से जीत गए हैं और भाजपा प्रत्याशी साक्षी महाराज 4 लाख एक सौ 78 मतों से चुनाव जीत गए हैं. गठबंधन प्रत्याशी अरुण शंकर शुक्ला दूसरे नंबर पर रहे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भाजपा मुख्यालय पहुंच चुके हैं और उनके अलावा भी बीजेपी के कई बड़े नेता भाजपा मुख्यालय में मौजूद हैं. उनकी गाड़ी पर फूलों की वर्षा हो रही है. बीजेपी मुख्यालय के बाहर भारी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ मौजूद है. अमित शाह हाथ हिलाकर कार्यकर्ताओं का अभिवादन स्वीकार कर रहे हैं. भाजपा दफ्तर के बाहर कार्यकर्ता हाथों में झंडे लेकर विजय उद्घोष कर रहे हैं.
कमोडिटी

कमोडिटी बाजार : नई सरकार की नीतियों को होना होगा और पॉजिटिव

बाजार की अपेक्षाओं पर एक नजर कमल शर्मा जयपुर : शेयर बाजार और कमोडिटी बाजार में नई सरकार को लेकर भारी उत्सुकता बनी हुई थी. चूंकि अब लोकसभा चुनाव-2019 के नतीजे अब कुछ ही घंटों में सामने आ जाएंगे और नतीजे देश की आम जनता की इच्‍छा के अनुूरूप ही होने वाले हैं. रुझानों से साफ है कि जनता कमजोर विपक्ष के आरोपों से प्रभावित हुए बिना उन्हें नकारते हुए शासन की बागडोर फिर एनडीए को ही सौंपने जा रही है. उसे नरेंद्र मोदी के ही हाथों देश ज्‍यादा सुरक्षित दिखाई दे रहा है. एग्जिट पोल से ही उफना बाजार पर कमोडिटी रहा ढीला चुनाव के नतीजों से पहले एक्जिट पोल भी वैसे ही थे. उसका सीधा और गहरा असर शेयर बाजार पर देखने को मिला. बीता सोमवार 20 मई शेयर बाजार के लिए दस साल की सबसे बड़ी बढ़त वाला दिन रहा, लेकिन कमोडिटी बाजार को खासी निराशा झेलनी पड़ी. आज जब वोटों की गिनती के दौरान भी तब भी शेयर बाजार ने फिर नई ऊंचाई को छूआ और निफ्टी 12 हजार अंक एवं सेंसेक्‍स 40 हजार अंक के आंकड़ों को पार कर गया. लेकिन फिर इसके विपरीत कमोडिटी बाजार ही उदास रहा. बेलगाम नहीं होने दिया कमोडिटी बाजार को कमोडिटी बाजार के उदास रहने की अनेक वजहें हैं. भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने जब 2014 में दिल्‍ली की कमान संभाली, तभी से कमोडिटी बाजार में तेज उथल पुथल देखने को मिली. नरेन्‍द्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍य मंत्री थे तो उन्‍होंने कई बार कमोडिटी वायदा एक्‍सचेंजों को बंद करने की हिमायत की थी. पांच साल के शासन में ये एक्‍सचेंज बंद नहीं हुए, लेकिन सट्टे की बड़ी तेजी भी इनमें देखने को नहीं मिली. सरकार ने महंगाई दर को नियंत्रण में रखने के लिए कमोडिटी बाजारों को बेलगाम नहीं होने दिया. जबकि, दूसरी ओर, शेयर बाजार में तेजी का जो दौर शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं. अर्थव्‍यवस्‍था का बैरोमीटर शेयर बाजार को माना जाता है. कमोडिटी बाजार का साइज कितना भी बड़ा हो जाए, लेकिन अभी यह बैरोमीटर बनता दिखाई नहीं दे रहा. कड़वी दवा बनी नोटबंदी और जीएसटी मोदी सरकार ने महंगाई दर को काबू में रखने के साथ अर्थव्‍यस्‍था में अनेक सुधारों की शुरुआत की जो जल्‍दी से पचने वाले नहीं थे. नोटबंदी और जीएसटी को लागू करना सबसे कड़वी दवा साबित हुई, लेकिन जब हम बात करते हैं कि हम दुनिया में आर्थिक सुपर पावर बनना चाहते हैं तो हमें अपनी अर्थव्‍यस्‍था को पूरी तरह दो नंबर की व्‍यवस्‍था से निकालना होगा. सरकार के इन दो कदमों को खूब विरोध भी हुआ, लेकिन ताजा चुनाव नतीजे यह साफ बताते हैं कि पांच साल में अर्थव्‍यवस्‍था से जिन दीमकों को साफ करने के कदम उठाए, जनता ने उनका भरपूर स्‍वागत किया है. कृषि नीति एवं निर्यात-आयात नीति पर रहेगी नजर अब कमोडिटी बाजार में मुख्‍य भूमिका इस बात की होगी कि एनडीए सरकार की कृषि नीति एवं निर्यात-आयात नीति कैसी रहती है. इस सरकार के पिछले कार्यकाल के पहले चार साल में नीतियां उतनी स्‍पष्‍ट नहीं थी, जिसकी वजह से न...
जनादेश

जनादेश को लेकर यूं ही उत्साहित नहीं है विपक्ष..!

हालात 2004 की तरह के ही हैं, जब ध्वस्त हुआ था 'इंडिया शायनिंग' और 'फील गुड़ फैक्टर' परिणाम पूर्व विश्लेषण : कल्याण कुमार सिन्हा लोकसभा चुनाव-2019 के जनादेश आने में अब बस अधिक से अधिक 48 घंटों का वक्त है. तमाम एग्जिट पोल एजेंसियां भाजपा को दुबारा सत्तारूढ़ होने का अनुमान व्यक्त कर चुकी हैं. इससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और ख़ास कर भारतीय जनता पार्टी में जहां भारी उत्साह है. वहीं विपक्ष भी कम उत्साहित नहीं है. आशंका और संदेह पैदा करने में जुटा विपक्ष एग्जिट पोल को एक बार फिर विपक्ष के नेता कोरी गपबाजी बता रहे हैं. साथ ही इन्हें सच होने की आशंका में वे एवीएम और वीवीपैट मशीनों के साथ छेड़छाड़ और उन्हें बदले जाने की आशंका भी प्रचारित करने में जुटे हुए हैं. चुनाव आयोग को भी निशाना बना कर वे पूरी चुनाव प्रक्रिया को भी संदेह के घेरे में लाने से बाज नहीं आ रहे. ...लेकिन कुछ संभावनाएं भी हैं हालांकि यह कोई नई बात नहीं है. हार की आशंका जब पैदा होती है तब राजनीतिक दल इसी तरह की प्रतिक्रिया देते रहे हैं. लेकिन इस बार विपक्ष हार की आशंकाओं के साथ अपनी कामयाबी के प्रति भी जैसा जोश दिखा रहा है, उसके पीछे कुछ भूतकाल के तथ्य भी हैं. जिस कारण विपक्ष को संभावनाएं भी दिखाई दे रही हैं. परिस्थितियां 2004 जैसी रही हैं 2019 में भी एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान 2004 के लोकसभा चुनाव के परिणाम विपक्ष के उत्साह का ठोस आधार है. 2019 का यह लोकसभा चुनाव लगभग उसी 2004 की तरह है, जिसमें विपक्ष आज की तरह बिखरा हुआ था और सत्तारूढ़ एनडीए "इंडिया शायनिंग" और "फील गुड फैक्टर" के अनुरूप अपने सफल शासनकाल से जीत के लिए आश्वस्त था. तमाम एग्जिट पोल कुछ 2019 की तरह ही एनडीए की जीत का संकेत दे रहे थे. लेकिन परिणामों ने सब कुछ ध्वस्त कर दिया और विपक्ष में पड़ी कांग्रेस फिर से अपने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के सहयोगियों के साथ वापस सत्ता पर काबिज होने में सफल रही थी. तो यह 2019 का आम चुनाव, 2004 के आम चुनाव से बहुत मिलता-जुलता है, जब एनडीए सरकार का चमक-दमक भरा "इंडिया शाइनिंग" अभियान और बहुप्रचारित "फील गुड फैक्टर' धराशायी हो गया था. ...जनादेश एनडीए की बेदकशाली का था विश्लेषकों ने आश्चर्य के साथ देखा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करिश्माई नेतृत्व की कलई भी कैसे उतर गई थी. जनादेश एनडीए की सत्ता से बेदखली का आ गया था. पक्ष-विपक्ष की सीटों ने लोकसभा को त्रिशंकु बना दिया था. लेकिन सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस ने पहली बार केंद्र में गठबंधन सरकार बनाई थी. 2004 और 2019 में हैं कई समानताएं... तब मुख्यधारा की मीडिया से जुड़े विश्लेषकों जरा भी अंदेशा नहीं था कि वाजपेयी सरकार जाने वाली है और एक ऐसी महिला के नेतृत्व में कांग्रेस सामने आने वाली है, जिसे ठीक से हिंदी बोलना भी नहीं आता और वही महिला कांग्रेस को गठबंधन सरकार बनाने लायक हालत में ले आएगी. इस बार भी विश्लेषकों मानना...
काला धन

काला धन कानून लागू करने पर ‘रोक के आदेश पर रोक’

नई दिल्ली : अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले के आरोपी गौतम के खिलाफ 2016 में बने काला धन कानून को अप्रैल, 2015 से लागू करने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के रोक के आदेश पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट ने आय कर विभाग द्वारा इस कानून के तहत आरोपी गौतम के खिलाफ कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने केन्द्र की याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के 16 मई के आदेश पर रोक लगा दी और गौतम खेतान को नोटिस जारी किया. गौतम खेतान को छह सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है. केन्द्र ने हाईकोर्ट के इस अंतरिम आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी. इस मामले का सोमवार को अवकाशकालीन पीठ के समक्ष उल्लेख करते हुए सालिसीटर जनरल ने कहा था कि इस कानून के आधार पर ही केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने कई जांच शुरू की है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि काला धन (अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति) और कर का अधिरोपण कानून, जो अप्रैल, 2016 में बना है, को जुलाई, 2015 से लागू करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. गौतम खेतान 3,600 करोड़ रुपए के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकाप्टर घोटाला मामले के आरोपियों में से एक हैं और उसने काला धन कानून के विभिन्न प्रावधानों की वैधता को हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी थी. खेतान ने आय कर विभाग के 22 जनवरी के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसके तहत आय कर विभाग ने खेतान के खिलाफ इस कानून की धारा 51 के तहत आपराधिक शिकायत दर्ज करने की अनुमति प्रदान की थी. इस कानून के तहत जानबूझ कर टैक्स चोरी करने का दोषी पाए जाने की स्थिति में दोषी को तीन से दस साल तक की सजा हो सकती है. इससे पहले, हाईकोर्ट ने केन्द्र से जानना चाहा था कि अघोषित विदेशी आमदनी और संपत्ति के मामलों से निबटने के लिए अप्रैल, 2016 में बनाए गए काला धन कानून को जुलाई 2015 से किस तरह लागू किया जा सकता है.