कोरोना संक्रमण की दहशत से रिश्ते भी पड़ने लगे धुंधले
वाराणसी (उ.प्र.) : कोरोना संक्रमण का भय गांव-गांव तक लोगों में फैल गया है. संक्रमण के इस भय से अब नजदीकी रिश्ते भी धुंधले पड़ने लगे हैं. 16 सौ किलोमीटर की दूरी तय कर बदहवास सा बेटा जब अपने घर पहुंचा तो उसके लिए घर के किवाड़ बंद हो गए. वह सेन्ट्रल मुंबई के नागपाड़ा के एक होटल में काम करता था. कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन में होटल भी बंद हो गया. वह अपने छह अन्य मित्रों के साथ मुंबई से पैदल ही निकल पड़ा था वाराणसी के लिए.
इतनी लम्बी दूरी तय कर जब थका-हारा मां-भाई-बहन के पास अपने घर पहुंचा तो तो घर की किवाड़ न मां ने खोली और न भाई-बहनों ने. उसका नाम अशोक केसरी है. रेलवे लाइन पर चलते हुए वह अपने मित्रों के साथ वाराणसी पहुंचा है. घर पहुंचने से पहले उसने अपने आने की सूचना घर वालों को दे दी थी. अशोक ने बता दिया था कि उसके साथ उसके छह मित्र भी हैं, जो पं.दीनदयाल नगर और रामनगर के हैं. लेकिन पहुंचने पर घर बंद मिला. मिन्नतों के बाद भी जब किसी ने न सुनी तो रात में पुलिस उसे अस्पताल पहुंचाई. जांच में वह स्वस्थ पाया गया, लेकिन उसे क्वारंटाइन में रहने को कहा गया.
क्वारंटाइन में 14 दिन रहने के बाद भी जब अशोक आया तो घर वालों ने उसे साथ में रखने से मना कर दिया. घर में सबसे अलग भी रहने की सहमति किसी ने नहीं दी. सभी को डर था कि मुंबई से वह कोरोना संक्रमण लेकर लौटा है.
यहां तक कि थानेदार महेश पांडेय ने भी घर वालों को समझाया कि उसकी अस्पताल में जांच हो गई है. वह बिलकुल स्वस्थ है. इसके बाद उसे एक निजी अस्पताल में भी भर्ती कर पुलिस ने उसकी जांच करा दी. वहां भी रिपोर्ट नेगिटिव आया. इसके बाद भी अशोक को उसके घर वालों ने स्वीकार नहीं किया है.