अधिक किराया लेने वाले निजी बसों पर दंडात्मक कार्रवाई शुरू

मुंबई के 5 निजी बस संचालकों को नोटिस, पुणे के 8 संचालकों से जुर्माना वसूला मुंबई : निजी बसों द्वारा यात्रा के लिए अधिक किराया वसूलने के आरोप में बस संचालकों पर कार्रवाई शरू कर दी गई है. अपर परिवहन आयुक्त एस.बी. सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि शनिवार को मुंबई और पुणे में अधिक किराया वसूलने की मिली शिकायत पर सम्बंधित 13 बस संचालकों में से 5 को नोटिस भेज कर उनसे 3 दिनों में जवाब मांगा गया है. जवाब नहीं देने अथवा संतोषजनक जवाब नहीं होने पर संबंधित बस की परमिट रद्द कर दी जाएगी अथवा दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. इनके अलावा 8 बस संचालकों से जुर्माना वसूला गया है. यात्रियों से सप्रमाण फोन से शिकायत करने का आग्रह उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र राज्य मार्ग परिवहन महामंडल (एसटी) के प्रति किलोमीटर किराया दर से 50 प्रतिशत से अधिक भाड़ा वसूलने वाले निजी बसों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई के तहत उनके परमिट रद्द करने का आदेश हाल ही में राज्य के परिवहन विभाग ने जारी किया है. यात्रियों से अधिक किराया वसूले जाने पर उनसे फ्री फोन क्रमांक 022-62426666 और 1800220110 (मुंबई) पर शिकायत करने का आग्रह किया गया है. शिकायत पर तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्रमाण के लिए यात्रा विवरण और टिकट इसके लिए यात्रियों से शिकायत के साथ अधिक किराया वसूलने के प्रमाण भी देने को कहा गया है. इसके तहत यात्रियों से निजी बस का नंबर, कहां से कहां तक की यात्रा का किराया, यात्रा की तिथि और समय तथा निजी बस द्वारा जारी किया गया यात्रा किराए का टिकट नंबर और टिकट प्रमाण के तौर पर उपलब्ध कराने को कहा गया है. अपर परिवहन आयुक्त सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि मुंबई शहर के 5 निजी वातानुकूलित शयनयान बस संचालकों को "कारण बताओ, अन्यथा परमिट रद्द" करने का नोटिस दिया गया है. इसके साथ ही पुणे के 8 दोषी निजी वातानुकूलित शयनयान बसों पर दंडात्मक कार्रवाई करते हुए 22 हजार 743 रुपए का जुर्माना वसूल किया गया है.

बार मालिक का अपहरण कर हत्या की कोशिश, 4 गिरफ्तार

कुख्यात अपराधी अपना खौफ फैलाना चाहते थे पांचपावली इलाके में नागपुर : पांचपावली के एक बार मालिक परमानंद तलरेजा का रविवार की रात करीब 11.45 बजे अपहरण कर कुख्यात अपराधियों द्वारा उनकी हत्या का प्रयास करने का मामला सामने आया है. बेहोश तलरेजा को मृत समझ कर अपराधी उन्हें एक मैदान में फेंक कर भाग गए थे. अपहरण की खबर मिलते ही पांचपावली पुलिस रात भर तलरेजा की खोज करती रही. तलरेजा तड़के सुबह ही मैदान में अचेतावस्था में मिले. सीसीटीवी फुटेज के आधार पर पुलिस ने तत्काल उन चार आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफल रही, जो उनके अपहरण में शामिल थे. अन्य अपराधियों में से कुछ के फरार हो जाने का समाचार है. पुलिस ने बताया कि हप्ता वसूलने के लिए अपना खौफ फैलाने के उद्देश्य से ही अपहरण और हत्या करने का दुस्साहस अपराधियों ने किया. गिरफ्तार आरोपियों के नाम आकाश चिंचखेड़े, मोनू समुद्रे, सौरभ तायवाड़े और आकाश नागुलकर बताए गए.

चोरों के लिए स्वर्ग बना कोंढाली का एसटी बस स्थानक

आए दिन लुट रहे हैं बस यात्री, सुरक्षा व्यवस्था है तार-तार ब्रजेश तिवारी कोंढाली (नागपुर) : नागपुर-अमरावती नेशनल हाइवे पर स्थित कोंढाली का एसटी बस स्थानक महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल और शासन की उपेक्षा का शिकार बना हुआ है. चोरी और अन्य आपराधिक वारदातों के कारण यह बस स्थानक अब यात्रियों के लिए खतरनाक बनाता जा रहा है. स्थानीय एसटी बसस्टैड पर यात्रियों के लिए आवश्यक सुरक्षा दीवार, वाहनतल का डामरीकरण आदि आवश्यक बुनियादी सुविधा न होने के कारण यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. सुरक्षा दीवार के अभाव में कोंढाली बस स्थानक कास्वरूप को झोपड़पट्टी सा हो गया है. यात्रियों के लाखों के जेवर तथा पर्स आदी चोरी जाने के बावजूद एसटी के वरिष्ठ अधिकारी ऐसी गंभीर समस्या की ओर ध्यान देने को तैयार नहीं हैं. राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस एसटी महामंडल, पालक मंत्री और स्थानीय विधायक की निष्क्रियता के विरुद्ध जोरदार आंदोलन करने की तैयारी कर रहा है. नागपुर-अमरावती महामार्ग पर कोंढाली का यह बस स्थानक अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां विदर्भ तमाम शहरों जिलों भंडारा, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, अमरावती, अकोला, बुलडाणा सहित औरगाबाद, पुणे से आने और जाने वाली लगभग 800 एसटी बसें रात-दिन ठहरा करती हैं. इन बसों से हजारों यात्री प्रतिदिन सफर करते हैं. लेकिन बस स्थानक बिलकुल लावारिश है. पालक मंत्री और विधायक ने पूरा नहीं किया विकास जल्द से जल्द कराने के जो वादे बस स्थानक की बिल्डिंग चार वर्ष पूर्व वर्षों पहले से बनते हुए पूरा हुआ है. पूर्व मंत्री एवं काटोल के पूर्व विधायक विधायक अनिल देशमुख के प्रयास से 57 लाख रुपए की लागत से इस एसटी बस स्थानक के भवन का निर्माण चार वर्ष पूर्व जब पूरा हुआ तो लोकार्पण नागपुर जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने काटोल के विधायक डॉ. आशिष देशमुख की उपस्थिति में किया था. इस अवसर पर पालक मंत्री और विधायक ने बस स्थानक का सम्पूर्ण विकास जल्द से जल्द कराने का आश्वासन दिया था. इसके अंतर्गत बसस्टैड का डामरीकरण, सुरक्षा दीवार, सुलभ शौचालय, यात्रियों की सुविधा के सभी संसाधन आदि पूरा करने का आश्वासन दिया गया. लेकिन न तो पालक मंत्री और न विधायक डॉ. देशमुख ने वापस मुड़ कर देखने की जुर्रत की है कि उन्होंने कोंढाली बस स्थानक विकास के जो वादे किए थे, वह पूरा भी हो पाया अथवा नहीं. कोंढाली बस स्थानक के सामने सुरक्षा दीवार नहीं होने से बस स्थानक की भूमि का अतिक्रमण कर कई अवैध दुकानें चल पड़ी हैं. एसटी ने कोंढाली की प्रगति महिला बचत गुट को एसटी कैंटीन चलाने के लिए 30 हजार रुपए मासिक भाड़े दिया था. लेकिन अवैध दुकानों के कारण बचत गुट को कैंटीन पिछले 1 अप्रेल 2018 से बंद करनी पड़ी. क्यों कि अवैध दुकानदार फ़ौज वहां जमी रहती है. बसों में घुस कर वे सामन बेचते हैं. कैंटीन तक यात्री पहुंच ही नहीं पाते. अवैध दुकानदार अपने लड़कों के माध्यम से स्थानक पर रुकने वाले बसों में घुस कर सामान बेचते हैं. इन्हीं के साथ बसों में चोर-उच्चके भी घुस कर यात्रियों के कीमती सामन उड़ा ले जाते हैं. सुरक्षा का प्रबंध नहीं होने और अवैध धंधेबाजों पर कोई रोक नहीं होने...

तुवर, उड़द, सफेद बटाना और मूंग के आयात पर अगली सूचना तक पूरी तरह...

दाल-दलहन का आयात कोटा सरकारी खरीद पर लागू नहीं होगा, जो संधियों के अन्तर्गत की जा सकती है प्रताप मोटवानी नागपुर : विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार अरहर, उड़द तथा मूंग के साबूत या फिर दली हुई दालों के आयात पर अगले आदेश तक पूर्ण रोक रहेगी. हालांकि केंद्र ने इस बात को स्पष्ट किया है कि पिछले साल तय सीमा इस साल 2018-19 भी लागू रहेगी. पर जब तक केंद्र द्वारा अगली सूचना नहीं दी जाएगी, तब तक कोई भी व्यापारी, ट्रेडर या आयातक इनका आयात नहीं कर सकेगा. इतना ही है केंद्र सरकार ने अरहर, उड़द और मूंग के साबूत या फिर प्रोसेसिंग की हुई दालों के आयात पर भी रोक लगा दी है. मूंग एवं उड़द के आयात कोटा में साबुत दलहन के साथ केंद्र सरकार ने मूंग एवं उड़द के आयात के लिए 3 लाख टन वार्षिक कोटे की समय सीमा बढ़ाते हुए अब इसमें साबूत दलहन के साथ-साथ इसकी दली (मिलिंग) दालों एवं अन्य सभी स्वरूपों को भी शामिल कर दिया था. मालूम हो कि 21 अगस्त 2017 को जब पहली बार इसका आयात कोटा जारी किया गया था, तब उसमें स्थिति स्पष्ट नहीं की गई थी. विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अब आयातक कुल मिलाकर 3 लाख टन मूंग एवं उड़द का आयात कर सकेंगे, भले ही वह किसी भी रूप में हो. पिछली बार जब अधिसूचना जारी हुई थी और स्थिति स्पष्ट नहीं की गई थी, तब भारतीय व्यापारी दली दालों का आयात निर्बाध ढंग से करते रहे. क्योकि सरकारी अधिसूचना से यह संकेत मिल रहा था कि केवल साबुत मूंग एवं उड़द के लिए ही आयात कोटा जारी किया गया है. सरकारी खरीद पर लागू नहीं अधिसूचना के अनुसार दाल-दलहन के आयात कोटे का यह नियम सरकारी खरीद पर लागू नहीं होगा, जो द्विपक्षीय व क्षेत्रीय संधियों के अन्तर्गत की जा सकती है. उड़द एवं मूंग के साबूत एवं विभक्त रूप में कुल वार्षिक आयात 1.50-1.50 लाख टन से अधिक नहीं होना चाहिए. पहले इस आयात कोटे से बाहत मूंग एवं उड़द दाल का भी आयात हो रहा था. सरकार ने मटर आयात किया बंद : कीमतों में जोरदार उछाल सरकार ने गत सप्ताह के दौरान मटर का आयात पर 30 जून 2018 तक प्रतिबंध लगा दिया है. सरकारी नियमानुसार 1 अप्रैल से 30 जून 2018 तक देश में 1 लाख टन मटर का आयात होगा, जिसमें अब तक के हुए सौदे भी शामिल होंगे. सरकार आयात मात्रा में कोई रियायत नहीं करेगी. चाहे वे एडवांस पेयमेंट हो गई हो. सरकार के इस फैसले ने मटर मिलर्स में खलबली मचा दी है. क्योंकि अब तक देश में 40 हजार मीट्रिक टन मटर का आयात हो चुका है. जबकि 4 जहाज रास्ते में हैं. देसी मटर की आवक भी मंडियों में हो चुकी है. मटर पर सरकार पहले ही 50 फीसदी का भारी भरकम आयात शुल्क लगया चुकी है. मटर में भविष्य में और तेजी के संकेत मिल रहे हैं. मटर में औसतन 100/125 रुपए की तेजी दिखी सरकार द्वारा आयात रोकने से मटर की कीमतों में 100/125 रुपए का उछाल दर्ज किया गया. इस...

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों से अब छिन जाएगी ‘सरकारी बादशाहत’

जीवनभर के लिए सरकारी बंगले के 'सुख' से सुप्रीम कोर्ट ने किया वंचित नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजन्म सरकारी बंगला आवंटित किए जाने के यूपी कानून को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया और कहा, 'यह संविधान के खिलाफ है, यह कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है और मनमाना है.' इसके बाद अब राज्य के 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त के सरकारी आशियाने रुखसत होना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन्हें सरकारी बंगला खाली करना होगा, उनकी फेहरिस्त में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और भाजपा के कई पूर्व मुख्यमंत्री शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कानून को रद्द करते हुए स्पष्ट कहा है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है, समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ है और मनमाना है. इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खाली करने होंगे सरकारी बंगले... 1. अखिलेश यादव : अखिलेश यादव फिलहाल समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पहले अखिलेश ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. यही वजह है कि उनका नाम भी इस फेहरिस्त में दर्ज है, जिनके नाम सरकारी बंगला आवंटित है. अखिलेश यादव साल 2012 से लेकर 2017 तक UP के मुख्यमंत्री रहे. 2. मुलायम सिंह यादव : पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव सपा के संस्थापक हैं और यूपी के 3 बार मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. मुलायम सिंह के नाम भी सरकारी बंगला आवंटित है. साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई. वह तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं. मुलायम सिंह यादव क्रमशः 5 दिसम्बर, 1989 से 24 जनवरी, 1991 तक, 5 दिसम्बर, 1993 से 3 जून, 1996 तक और 29 अगस्त, 2003 से 11 मई, 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे. 3. राजनाथ सिंह : राजनाथ सिंह भाजपा के के कद्दावर नेता और केंद्र सरकार में गृह मंत्री हैं. राजनाथ सिंह के नाम पर भी यूपी में सरकारी बंगला आवंटित है, क्योंकि 28 अक्टूबर, 2000 से 8 मार्च, 2002 तक वह भी यूपी के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. राजनाथ सिंह 19वें मुख्यमंत्री के रूप में राज्य को सेवा दे चुके हैं. 4. कल्याण सिंह : कल्याण सिंह फिलहाल राजस्थान के गवर्नर हैं. वे दो बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे हैं. एक बार वह 24 जून, 1991 से 6 दिसम्बर, 1992 तक मुख्यमंत्री रहे और दूसरी बार वह 21 सितम्बर, 1997 से 12 नवम्बर, 1999 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 5. मायावती : मायावती उत्तर प्रदेश की कद्दावर नेता हैं और बहुजन समाजवादी पार्टी की मुखिया हैं. वे फिलहाल यूपी की सत्ता हासिल करने के लिए काफी सक्रिय भी हैं. मायावती 4 बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. उनका आखिरी कार्यकाल 13 मई, 2007 से 15 मार्च, 2012 रहा है. इनके नाम पर भी पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते सरकारी बंगला आवंटित है. 6. नारायणदत्त तिवारी : नारायणदत्त तिवारी का राजनीति में काफी जाना-पहचाना नाम है. तिवारी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड के भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ये तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इन्हें भी अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकारी बंगला खाली करना होगा.

कठुआ गैंगरेप की सुनवाई पंजाब के पठानकोट कोर्ट में होगी

मुकदमे की सुनवाई बंद कमरे में और फास्ट ट्रैक सुनवाई करने का आदेश दिया उच्चतम न्यायालय ने नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कठुआ गैंगरेप की सुनवाई जम्मू-कश्मीर से बाहर पंजाब के पठानकोट कोर्ट में करने का आदेश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 9 जुलाई को होगी. सुनवाई ऑन कैमरा हो उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कठुआ मुकदमे की सुनवाई अदालत के बंद कमरे में होनी चाहिए. शीर्ष कोर्ट ने कठुआ मामले में किसी देरी से बचने के लिए दैनिक आधार पर फास्ट ट्रैक सुनवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई ऑन कैमरा होनी चाहिए. पीड़ित परिवार, वकील और गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश जम्मू-कश्मीर सरकार को कोर्ट ने कहा है कि वह पीड़ित पक्ष को पठानकोट कोर्ट में सरकारी वकील उपलब्ध कराए. साथ ही पीड़ित परिवार, उनके वकील और गवाहों को सुरक्षा दें.

हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस के इंजन में लगी आग, चालक की मृत्यु, दूसरा जख्मी

धामणगांव स्टेशन के आगे हुआ हादसा, यात्रियों को कोई नुक्सान नहीं अश्विन शाह पुलगांव (वर्धा) : यहां पुलगांव से 4.50 बजे निकली मुंबई-हावड़ा छत्रपति टर्मिनस एक्सप्रेस (ट्रेन क्रमांक 12710 अप) के इंजन में धामणगांव स्टेशन के समीप अचानक लगी आग के बाद ट्रेन को रोकने के क्रम में इंजन का एक चालक गंभीर रूप से जख्मी हो गए, वहीं सहायक चालक एस.के. विश्वकर्मा (43) की पुलगांव सैन्य अस्पताल में मृत्यु हो गई. यह हादसा आज रविवार, 6 मई को अपराह्न 5 बजे के करीब धामणगांव के आगे हिंगणगांव कासारखेड़ के तलनी स्थित पोल क्रमांक 715 के समीप हुई. ट्रेन रुकने के बाद अनेक यात्री इंजन के पास एकत्र हो गए. बाद में पास के गांव के ग्रामीण भी वहां जुट गए और लोगों को मदद पहुंचाई. ट्रेन रोकने में गंभीर जख्मी सहायक चालक की मृत्यु, चालक भी जख्मी प्राप्त जानकारी के अनुसार धामणगांव रेल्वे स्टेशन से गुजरते वक्त ट्रेन क्रमांक 12710 अप हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस के इंजन तकनीकी कारणों से आग लग गई. इंजन से धुंआ निकलता देख सहायक चालक विश्वकर्मा ने ट्रेन को रोकने के लिए एयरब्रेक लगाई, लेकिन वह बुरी तरह जख्मी हो गए. (बाद में पुलगांव के सैन्य अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई.) ट्रेन तो रुक गई, लेकिन बताया गया कि लगभग 10 मिनट तक इंजन जलता रहा. चालक भी एयर कॉम्प्रेसर से आग बुझाने की कोशिश में बुरी तरह जख्मी हो गए. लेकिन इस हादसे में ट्रेन के यात्रियों को किसी प्रकार की चोट आने या नुकसान होने की खबर नहीं है. मालगाड़ी के चालाक ने धामणगांव स्टेशन को खबर दी इसी दौरान धामणगांव रेल्वे होते हुए पुलगांव की ओर जा रही एक मालगाड़ी चालक ने हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस के इंजन में आग देख कर धामणगांव स्टेशन के स्टेशन अधीक्षक जे.डी. क़ुलकर्णी को तुरंत सूचित किया और मालगाड़ी वहीं रोक कर गंभीर रूप से जख्मी सहायक चालक को अपनी इंजन में लेकर तुरंत पुलगांव पहुंचाया. पुलगांव पहुंचते ही सेना के आयुध डिपो के सैन्य अस्पताल में जख्मी चालाक को पहुंचाया गया. हादसे के कारण अन्य ट्रेन दो घंटे लेट हावड़ा-मुंबई एक्सप्रेस के इंजन में लगी आग के कारण यह ट्रेन धामणगांव स्टेशन के समीप दो घंटे रुकी रही. इस कारण पीछे से आने वाली अन्य अप ट्रेन हावड़ा-कुर्ला, वर्धा में और विदर्भ एक्सप्रेस पुलगांव रेल्वे स्टेशन में रुकी रही.

बेटी को हवश का शिकार बनाने वाले बाप को आजन्म कैद की सजा

सेवाग्राम थाना क्षेत्र की घटना, पीड़िता ने शिक्षिका को दी थी लिखित जानकारी रवि लाखे वर्धा : विशेष न्यायाधीश अंजु एस. शेंडे ने यहां 14 वर्षीय बेटी को अपनी हवस का शिकार बनाने के घृणित अपराध में एक नराधम बाप को भादंवि की धारा 376(2)(एफ)(आई) के तहत मृत्युपर्यन्त आजन्म कारावास और 5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. जुर्माना नहीं भरने पर उसे दो महीने की अतिरिक्त कैद की सजा भुगतानी होगी. सेवाग्राम थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक गजानन वासेकर द्वारा दायर आरोप पत्र के साथ पैरवी अधिकारी ने एएसआई मारोती कांबले ने 11 गवाहों को अदालत में पेश किया. सरकारी पक्ष की ओर से जिला शासकीय अभियोक्ता जी.वी. तकवाले ने 11 गवाहों से जिरह किया और मामले की सफल पैरवी की. इसके बाद अदालत ने आरोपी बाप श्रीहरि उर्फ हरि महादेव बावणे (40) को यह सजा सुनाई. प्राप्त जानकारी के अनुसार 14 वर्षीया लड़की अपनी अपनी मां के साथ नानी के घर गई हुई थी. उसके माता-पिता के साथ अनबन हो जाने के कारण वह कभी अपनी मां के साथ नानी के घर पर, कभी पिता के घर पर आती-जाती रहती थी. चार-पांच दिन पूर्व उसके पिता हरि महादेव बावणे ने उसे अपने साथ वर्धा तहसील के अपने गांव करंजी भोगे यह कह कर ले आया कि बेटी का स्कूल खुलने वाला है. इसके बाद उसने 30 जून 2016 की रात करीब 2.30 बजे जबरन बेटी के कपड़े उतार कर उसके साथ बलात्कार किया. दूसरे दिन 1 जुलाई 2016 को लड़की स्कूल नहीं गई. 2 जुलाई को जब लड़की स्कूल पहुंची, तब पहले दिन स्कूल न आने और उसे गुमसुम देख शिक्षिका ने उससे कारण पूछा, लेकिन लड़की ने शिक्षिका से कुछ नहीं कहा. पर जब स्कूल की छुट्टी हुई तो अपनी आपबीती लिख कर वह पत्र अपनी शिक्षिका को दे आई. शिक्षिका ने तुरंत गांव के सरपंच से संपर्क कर उनको इसकी जानकारी दी. इसके बाद शिक्षिका और सरपंच बच्ची को लेकर सेवाग्राम थाने पहुंचे और थाने में पीड़िता बच्ची की शिकायत दर्ज कराई. शिकायत दर्ज होने के बाद सेवाग्राम पुलिस ने आवश्यक जांच कर लड़की के बाप के विरुद्ध अपराध दर्ज कर उस गिरफ्तार किया. इसके बाद मामले की पूरी छानबीन कर सेवाग्राम थाने के सहायक पुलिस निरीक्षक गजानन वासेकर आरोप पत्र विशेष न्यायालय में दाखिल किया. सुनवाई के पश्चात विशेष न्यायाधीश श्रीमती शेंडे ने आरोपी बाप को यह सजा सुनाई.

भुजबल दो वर्ष बाद जमानत पर रिहा

महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाला और आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में जेल में बंद थे मुंबई : महाराष्ट्र सदन निर्माण घोटाला और आय से अधिक संपत्ति जमा करने के आरोप में जेल में बंद एनसीपी नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री छगन भुजबल (71) को दो साल बाद आखिर जमानत मिल गई. भुजबल मुंबई के आर्थर रोड जेल में बंद थे. मुंबई उच्च न्यायालय ने 5 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत मंजूर की है. उन्हें रिहा कर दिया गया है. आज शाम तक वे आर्थर रोड जेल से बाहर आए. छगन भुजबल को 14 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था. तब से वह लगातार जमानत पाने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिल रही थी. इस बीच, उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया था. यह कारण बताकर उन्होंने जमानत के लिए आवेदन किया था. लेकिन यह भी नामंजूर कर दिया गया था. वित्तीय अनियमितता अधिनियम (मनी लांड्रिंग) की धारा 45 के तहत बेहिसाब संपत्ति जमा करने वाले आरोपी को अपराध साबित होने तक जेल में रखने का प्रावधान है. इस प्रावधान को सुप्रीम कोर्ट ने घटनाबाह्य कर दिया था. उनपर 857 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है, लेकिन जांच एजेंसी इंफोर्स्मेंट डिपार्टमेंट ने उनकी केवल 156 करोड़ की संपत्ति ही जब्त कर सकी है. उनकी ओर से अदालत में अधि. सलभ सक्सेना ने पैरवी की.

महराष्ट्र में सड़कों की टूट-फूट और गड्ढों की सरकार ही कर रही अनदेखी

विभाग के आदेश की स्वयं सार्वजनिक बांधकाम विभाग भी नहीं करता परवाह रवि लाखे वर्धा : महाराष्ट्र में सड़कों और पुलों के निर्माण के बाद गड्ढे पड़ने अथवा टूट-फूट के लिए सीधे सार्वजनिक निर्माण (बांधकाम) विभाग के संबंधित पर्यवेक्षकीय अधिकारी और ठेकेदार पर सिविल अथवा क्रिमिनल कार्रवाई करने का निर्देश जारी करने के बावजूद इस पर राज्य में अमल नहीं हो रहा है. इस आशय का परिपत्र राज्य शासन के सार्वजनिक निर्माण (बांधकाम) विभाग, मुंबई ने पिछले वर्ष ही जारी कर राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग के सभी मुख्य अभियंता, अधीक्षक अभियंता और सभी विभागीय एवं जिला परिषदों के भी कार्यकारी अभियंताओं को सूचित कर दिया था. विगत 27 अप्रैल 2017 को विभाग के उप सचिव (रास्ते) प्रकाश इंगोले द्वारा जारी इस परिपत्र का राज्य में अभी तक प्रभावी अनुपालन नहीं होने पर यहां नागरिकों ने आश्चर्य व्यक्त किया है. विभाग द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार राज्य के डांबरी सड़कों के लिए 15 वर्ष, कांक्रीट सड़कों के लिए 30 वर्ष और पुलों के लिए 100 वर्ष की आयु तय बताई गई है. परिपत्र में स्पष्ट कहा गया है कि इन सड़कों और पुलों के निर्माण के बाद निर्धारित आयु के भीतर गड्ढे पड़ने अथवा टूट-फूट के लिए विभाग के संबंधित पर्यवेक्षकीय अधिकारी और ठेकेदार जिम्मेदार होंगे. परिपत्र के अनुसार सड़कों और पुलों की निर्धारित आयु के भीतर गड्ढे पड़ने अथवा टूट-फूट होने पर विभाग के संबंधित पर्यवेक्षकीय अधिकारी और ठेकेदार पर अदालती सिविल अथवा क्रिमिनल कार्रवाई की जाएगी. लेकिन इस आदेश के साल भर पूरे होने के बावजूद वर्धा जिला सहित राज्य के किसी भी जिले में अभी तक कोई प्रभावी कार्रवाई होने की खबर नहीं है. राज्य महामार्गों के साथ ही जिला परिषदों द्वारा निर्मित ग्रामीण सड़कों की दशा बहुत ही खराब है. सडकों पर गड्ढे और टूट-फूट के कारण आए दिन बड़ी-छोटी दुर्घटनाएं हो रही हैं. ऐसी दुर्घटनाओं के बाद कई बार खराब सड़कों को दुरुस्त करा दिया जाता है. लेकिन किसी पर कार्रवाई नहीं होती. शहरी क्षेत्रों में देखा जाता है कि सड़क बनाने के एक माह के भीतर ही तोड़-फोड़ शुरू कर दी जाती है. यह तोड़-फोड़ नगर परिषद, महापालिका, विद्युत् विभाग, बीएसएनएल, जल प्रदाय विभाग द्वारा किए जाते हैं. कई बार तो ये सरकारी विभाग सार्वजनिक निर्माण विभाग से बिना अनुमति लिए भी तोड़-फोड़ करते हैं और सड़क पर बनाए गड्ढे केवल मिट्टी भर कर छोड़ देते हैं. आश्चर्य की बात तो यह है की ऐसी करतूतों को सार्वजनिक विभाग ही नजरंदाज कर देता है. न तो तोड़ी गई सड़क दुरुस्त करता है और न तोड़-फोड़ करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं करता. सरकार भी लगातार विभाग की ऐसी आपराधिक लापरवाही को नजरंदाज कर रही है. जनप्रतिनिधियों की ऐसे मामलों पर चुप्पी भी दुर्भाग्यपूर्ण है.