नई दिल्ली : आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के नए निदेशक के रूप में अपना कार्यभार संभाला. उनका कार्यकाल दो साल का रहेगा. देश की प्रमुख जांच एजेंसी के शीर्ष पद के लिए उनके नाम को मंजूरी मिलने के एक दिन बाद उन्होंने अपना कार्यभार संभाला.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी के बीच हुईं कई बैठकों के बाद सरकार की ओर से सुबोध कुमार जायसवाल को CBI चीफ के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई.
IPS Subodh Kumar Jaiswal has been appointed as Director of Central Bureau of Investigation (CBI) for a period of 2 years pic.twitter.com/jFGwZbOen4
— ANI (@ANI) May 25, 2021
मंगलवार को, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने एक आदेश में कहा- “मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने समिति द्वारा अनुशंसित पैनल के आधार पर सुबोध कुमार जायसवाल, आईपीएस, (महाराष्ट्र 1985) की सीबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है. CBI को कार्यभार ग्रहण करने की अवधि से वह दो वर्ष की अवधि के लिए निदेशक पद पर रहेंगे.’
कौन हैं सुबोध जायसवाल..?
सुबोध जायसवाल 1985 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं. वह इससे पहले तक CISF के प्रमुख के रूप में कार्यरत थे. इससे पहले, उन्होंने इसी साल की शुरुआत में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए बुलाए जाने से पहले मुंबई पुलिस आयुक्त और महाराष्ट्र DGP के पदों पर कार्य किया था. इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में उनका लंबा कार्यकाल रहा है. हालांकि, उन्हें सीबीआई में सेवा करने का कोई अनुभव नहीं है.
महाराष्ट्र में सुबोध जायसवाल ने तेलगी घोटाले की जांच की थी, जिसे बाद में सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिया था. जायसवाल तब राज्य रिजर्व पुलिस बल का नेतृत्व कर रहे थे. उसके बाद वे महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते में शामिल हो गए और लगभग एक दशक तक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) की सेवा में रहे. जून 2018 में उन्हें मुंबई के पुलिस आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया. बाद में उन्होंने महाराष्ट्र के DGP के रूप में कार्य किया. एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा के मामलों की जांच CBI को दिए जाने से पहले जायसवाल के सुपरविजन में ही की गई थी.
अजित डोभाल के करीबी
जायसवाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल का करीबी माना जाता है. अब तक CISF के मुखिया के तौर पर काम करने वाले जायसवाल के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनने से इनकार कर दिया था. सूत्रों के हवाले से ‘द वीक’ की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनने से इसलिए इनकार कर दिया था, क्योंकि वह दिल्ली सरकार के साथ राजनीति में नहीं उलझना चाहते थे. केंद्र सरकार की प्रतिनियुक्ति पर उनके दिल्ली आने से पहले ही उनके साथी यह मानते थे कि वह किसी बड़े रोल के लिए बने हैं.
महाराष्ट्र की सत्ता में महाविकास अघाड़ी के आने के बाद से ही असहज महसूस कर रहे थे. इसके बाद से ही वह केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक थे. इसी बीच उन्हें दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने सीआईएसएफ का डीजी बनना ज्यादा सही समझा था.