अयोध्या में राम मंदिर निर्माण : संघ और साधु-संतों का धैर्य छूटा

सुप्रीम कोर्ट ने किया अयोध्या टाइटल सूट मामले की सुनवाई जनवरी तक स्थगित नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या टाइटल सूट मामले की सुनवाई जनवरी तक स्थगित करने पर निराशा जाहिर करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस संघ) और उत्तर प्रदेश के साधु-संतों ने सोमवार को राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए सरकार पर इसके लिए विधेयक लाने का दवाब बनाना शुरू कर दिया है. उल्लेखनीय है की दशहरे के मौके पर संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में वार्षिक शस्त्र पूजन समारोह में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने यह मांग उठाने की पहल की थी. आरएसएस की ओर से आज सोमवार को फिर कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में जल्द फैसला करने में यदि कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर करे तथा श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे. संघ : हाईकोर्ट मान चुका है कि उस स्थान पर राम लला का मंदिर था संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने आज नई दिल्ली में अपने बयान में कहा कि हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलाल का जन्म स्थान है. उन्होंने दावा किया कि तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहां कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहां मंदिर ही था. साधु-संतों में लंबी प्रतीक्षा करने का धैर्य नहीं उधर लखनऊ में महंत परमहंस दास ने कहा कि हिंदू समुदाय और साधु-संतों में लंबी प्रतीक्षा करने का धैर्य नहीं है. दास हाल ही में अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण शीघ्र कराने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से राम मंदिर का निर्माण आरंभ करने की घोषणा जल्द करने को कहा. उन्होंने कहा कि इस कार्य में विफल होने पर भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) को हिंदुओं के कोप का भाजन बनना पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने भूमि मालिकाना हक विवाद की सुनवाई टाली उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि मालिकाना हक विवाद मामले में दायर दीवानी अपीलों को अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते में एक उचित पीठ के सामने सूचीबद्ध किया है, जो सुनवाई की तारीख तय करेगी. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि उचित पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई की आगे की तारीख तय करेगी.

वेकोलि कर्मी सदाचार बरतें : सतर्कता जागरूकता सप्ताह पर सीएमडी का सन्देश

सत्यनिष्ठा की शपथ का दिलाने के साथ वेकोलि में सप्ताह-2018 का शुभारंभ नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड में सत्यनिष्ठा की शपथ के साथ आज "सतर्कता जागरूकता सप्ताह" 2018 का शुभारंभ हुआ. अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) राजीव रंजन मिश्र ने मुख्यालय में कर्मियों को जीवन के हर क्षेत्र में सदाचरण की शपथ दिलाई. ततपश्चात अपने संबोधन में उन्होंने टीम डब्ल्यूसीएल के सदस्यों से व्यक्तिगत, पारिवारिक, कार्यालयीन और सामाजिक कार्यक्षेत्र में सदाचार बरतने का आह्वान किया. इस अवसर पर निदेशक (कार्मिक) डॉ. संजय कुमार एवं सीवीओ ए.पी. लभाने प्रमुखता से उपस्थित थे. कार्यक्रम में प्रिवेंटिव विजिलेंस पर बुकलेट का विमोचन किया गया. स्वागत भाषण सीवीओ लभाने ने किया. अवसर विशेष के लिए प्राप्त राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, गृह मंत्री, विधि मंत्री, ऊर्जा मंत्री, राज्यमंत्री (पीएमओ) एवं केंद्रीय सतर्कता आयोग के संदेश का वाचन निदेशक (कार्मिक) डॉ. संजय कुमार एवं महाप्रबंधकगण अनुराग अरोड़ा, एन प्रसाद, आई डी झंकयानी, कौशिक चक्रवर्ती, ए.एन. सरकार एवं एस.डी. शेंडे ने किया. कार्यक्रम का संचालन, सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत भारती कृष्ण विद्या विहार के विद्यार्थियों सुश्री सरंजना कन्झरकर, नीतिशा यादव,पलक ठाकरे, वैष्णवी तिवारी, वैदेही चौरागड़े, जानवी सिन्हा, ऐश्वर्या नागराजन, तानिया जायसवाल, तेजस तीर्थगिरिकर एवं श्रीमती अंजलि कुलकर्णी, श्रीमती आरती सुले एवं शैलेश देवघरे ने किया. धन्यवाद ज्ञापन महाप्रबंधक (सतर्कता) संजीव शेंडे ने किया. समारोह में बड़ी संख्या में विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ अधिकारी एवं महिला-पुरूष कर्मीगण उपस्थित थे.

आयातित दालें जहरीली, तुरंत रोक लगाएं : मोटवानी

केंद्र सरकार की चुप्पी आश्चर्यजनक, जुलाई में ही लोकसभा में उठाया गया था यह मामला नागपुर : देश में आयातित दालें जहरीली होने की खबर पिछले चार महीनों से लोगों को आतंकित कर रही है. सरकार को इसकी जानकारी होने और जांच के आदेश देने के बावजूद अभी तक सरकार ने अपनी जांच का खुलासा नहीं किया है. अभी तक हवा में यही बात तैर रही है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसआई) ने अपने अधिकारियों से देश में आयातित दालों की जांच पड़ताल करने का निदेश दिया है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अभी तक यह बात सामने नहीं आई है कि जांच-पड़ताल में सामने क्या आया और अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई एडवाइजरी क्यों नहीं जारी की जा रही है. आयातित दालों का आयात और बिक्री रोकने की मांग इसी खबर के हवाले से दी होलसेल ग्रेन एन्ड सीड्स मर्चेंट्स असोसिएशन के महासचिव प्रताप मोटवानी ने सरकार से आयातित दालों का आयात तुरंत रोकने और देश में पहुंच चुकी आयातित दालों की बिक्री पर भी रोक लगाने की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री, केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान, वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश व्यापार मंत्री सुरेश प्रभु ध्यान इस गंभीर मामले की ओर दिलाया है. साथ ही उन्होंने दलहन की पैदावार बढ़ाकर देश को आत्मनिर्भर बनाने की भी मांग की है. उन्होंने अमेरिका की एक खबर के हवाले से बताया है कि अमेरिकी दालों की फसलों पर जहरीले रसायन के छिड़काव के कारण इसके सेवन से लोगों को कैंसर जैसी भयंकर बीमारी हो रही है. खबर में बताया गया है कि एक अमेरिकी स्कूल के कर्मचारी की यह शिकायत कि रसायन युक्त दाल खाने से कैंसर हो गया है, अमेरिकी अदालत ने उसकी यह शिकायत सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है. 30 जुलाई को ही लोकसभा में उठाया गया था यह मामला उल्लेखनीय है कि पिछले 30 जुलाई को ही केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा था कि वह ऐसी आयातित दालों के विषय को देखेंगे जिन पर ग्लाइफोसेट नामक केमिकल का उपयोग हुआ हो. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बीजेडी के भतृहरि महताब ने इस विषय को उठाया था. उन्होंने कहा था कि देश में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, म्यांमार समेत कुछ अफ्रीकी देशों से दालों का आयात हो रहा है. इनमें से कुछ दाल ऐसी है, जिसे उगाते समय ग्लाइफोसेट नाम के खरपतवारनाशक का इस्तेमाल किया गया है. आयात नीति सख्त बनाने की उठी थी मांग ग्लाइफोसेट को मनुष्यों के लिए हानिकारक माना जाता है. बीजेडी नेता ने मांग की थी कि देश की आयात नीति को सख्त बनाया जाना चाहिए ताकि जनता के स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. इस पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने आश्वासन दिया था, कि हम इस विषय को देखेंगे, किसी भी स्थिति में लोगों का स्वास्थ्य खतरे में नहीं आना चाहिए. ग्लाइफोसेट की वजह से मॉन्सेंटो पर चल रहा है मुकदमा गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लाइफोसेट को कैंसर के संभावित कारणों में शामिल किया है. इस समय अमेरिका की मशहूर एग्रो केमिकल कंपनी मॉन्सेंटो पर ग्लाइफोसेट आधारित...

काटोल, कलमेश्वर, नरखेड़ तहसीलों में 80 प्रतिशत फसल नष्ट

पालक मंत्री ने लिया स्थिति का जायजा, किसानों, कृषि मजदूरों को मदद का दिया आश्वासन ब्रजेश तिवारी, काटोल (नागपुर) : राज्य के ऊर्जा मंत्री एवं जिले के पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने यहां स्वीकार किया कि काटोल कृषि उपविभाग के अंतर्गत काटोल, कलमेश्वर तथा नरखेड़ इन तीनों तहसीलों में भीषण आकाल की स्थिति है. उन्होंने बताया कि इन तहसीलों में कपास, सोयाबीन, तुअर, मूंगफली की 80 प्रतिशत फसल नष्ट हुई है. काटोल, कलमेश्वर तथा नरखेड़ तहसीलों के खेतों का प्रत्यक्ष निरीक्षण कर शनिवार, 27 अक्टूबर की शाम 5 बजे काटोल पंचायत समिति के सभागृह में आयोजित पत्रकार परिषद में पालक मंत्री ने यह जानकारी दी और कहा कि तीनों तहसीलों के किसानों को हर संभव सहायता दी जाएगी. उन्होंने आश्वस्त किया कि संकट की इस स्थिति में सरकार किसानों के साथ है. उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. किसान, कृषि मजदूर, मवेशी संकट में काटोल कृषि उपविभाग में इस वर्ष कम बारिश के कारण खरीफ की फसलों में कपास, सोयाबीन, तुअर, मूंगफली जैसी फसलें बरबाद हो गई हैं. इन तहसीलों में पानी की भी भीषण किल्लत है. किसानों और कृषि मजदूरों के समक्ष अत्यंत कठिन परिस्थिति पैदा गई है. मवेशियों के लिए चारा संकट भी पैदा हो गया है. पालक मंत्री बावनकुले ने शनिवार को पूरे दिन कृषि विभाग वरिष्ठ अधिकारियों और जिला परिषद एवं काटोल पंचायत समिति के जनप्रतिनिधियों के साथ कलमेश्वर, काटोल तथा नरखेड़ तहसील के 25 से अधिक गांवों का दौरा कर खेत-खेत जाकर फसलों की स्थिति का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया. चिखली मैना गांव में किसान से की चर्चा काटोल तहसील के चिखली मैना गांव में बलवंता मुलताईकर नामक किसान के खेत में पहुंच कर पालक मंत्री ने निरीक्षण किया तथा किसान से चर्चा की. किसान ने बताया कि उसने साढ़े तीन एकड़ खेत में 7 थैली कपास की बोआई की है, लेकिन जहां हरवर्ष लगभग 35 क्विंटल कपास का उत्पादन होता था, वहां इस वर्ष बारिश नहीं होने के कारण 2 क्विंटल कपास के उत्पादन की भी संभावना नहीं है. पालक मंत्री तथा कृषि अधिकारियों ने अन्य गांवों में भी कपास की फसल का निरिक्षण किया और बताया कि लगभग 80 प्रतिशत कपास की फसल का नुकसान हुआ है. काटोल कृषि उपविभाग के अंतर्गत काटोल, कलमेश्वर तथा नरखेड़ के लगभग अधिकतर खेतों में ऐसी ही स्थिति है. सत्यमापन समिति ने फसलों का किया निरीक्षण पत्रकार परिषद में पहले नागपुर विभाग के कृषि अधीक्षक मिलिंद शेंडे ने बताया कि आकाल की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए पालक मंत्री के नेतृत्व में सरकार की इस सत्यमापन समिति ने काटोल, नरखेड़ तथा कलमेश्वर तहसील के 10 प्रतिशत गांवों का चयन किया. जिसमें कपास, सोयाबीन तथा तुअरकी फसलों का हर तहसील के पांच पांच खेतों का निरिक्षण किया गया. कुल लगभग 25 खेतों का आज निरीक्षण किया गया. उन्होंने बताया कि काटोल तहसील में कुल 49,915 हेक्टयर में खरीफ की फसलों की बुआई हुई है, जिसमें 24,520 हेक्टेयर में कपास, 14,616 में सोयाबीन तथा 6,639 में तुअर तथा अन्य फसल है. आज फसलों का निरीक्षण करने पर यह स्पष्ट हो गया कि तीनों तहसीलों में भीषण अकाल की...

जिस घर को सीएम के हेलीकॉप्टर ने किया बर्बाद, उसे बच्चू कड़ू ने कर...

निलंगा के उस हादसे से भारत कांबले के घर को हुए नुकसान को सरकारी अमले ने भी भुला दिया लातुर (महाराष्ट्र) : अमरावती जिले के अचलपुर क्षेत्र के निर्दलीय विधायक और "प्रहार जनशक्ति" संगठन के प्रमुख बच्चू कड़ू इस बार फिर अपने संगठन के सद्कार्य से लोगों की प्रशंसा के पात्र बन गए हैं. गरीबों, अपंगों और जरूरतमंदों के लिए संघर्ष करने वाले नेता की छवि, उन्हें यूं ही नहीं मिल गई है. आम आदमी की कठिनाइयों के विरुद्ध किसी भी नेता, मंत्री अथवा अधिकारी से भिड़ जाने वाले बच्चू कड़ू अपने समर्थकों के लिए आदर्श हैं. उनके समर्थक भी उनके नक़्शे कदम पर चल पड़े हैं. डेढ़ वर्ष पूर्व 26 मई 2017 को जिले के निलंगा निवासी भारत कांबले के घर पर मुख्यमंत्री का हेलीकॉप्टर खराब मौसम के कारण गिर पड़ा था. परिणाम स्वरूप कांबले के घर को भारी छति पहुंची थी. मुख्यमंत्री इस दुर्घटना में बाल-बाल बचे थे. वे मराठवाड़ा दौरे के क्रम में निलंगा आए थे. सभास्थल से उड़ान भरने के बाद थोड़ी ही दूरी पर स्थित भारत कांबले के मकान पर उनका हेलीकॉप्टर गिरा था. इस घटना को सरकारी अमले और स्वयं मुख्यमंत्री ने भी भुला दिया था. लेकिन बच्चू कड़ू के संगठन "प्रहार जनशक्ति" ने पीड़ित भारत कांबले के ध्वस्त घर के लिए निधि एकत्र किया और कांबले के घर का निर्माण कर उन्हें सौंपा. इस अवसर पर विधायक बच्चू कड़ू स्वयं उपस्थित थे. अभी हाल ही में बच्चू कड़ू ने भंडारा जिले के गोसीखुर्द सिंचाई प्रकल्प पीड़ितों को लेकर नागपुर के विधायक निवास की छत पर चढ़ कर वीरूगिरी आंदोलन किया और उन्हें न्याय दिला कर प्रशंसा पाई थी.

भीमा-कोरेगांव हिंसा : नजरबंद बुद्धिजीवियों को नहीं मिली जमानत

पुणे : राज्य के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में नजरबंद बुद्धिजीवियों में पहले मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वरनॉन गोंजाल्विस की जमानत याचिका पुणे सेशन कोर्ट ने आज शुक्रवार को रद्द कर दी. जबकि आज ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने अरुण फरेरा को अंतरिम जमानत देने और नंजरबंदी खत्म करने की याचिका भी खारिज कर दी. आज उनके नजरबंदी की तारीख खत्म हो रही थी. लेकिन फिलहाल वे नजरबंद ही रहेंगे. इसके साथ शुक्रवार को हाईकोर्ट ने भी मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और दलित बुद्धिजीवी आनंत तेलतुंबड़े के खिलाफ दायर एफआईआर को रफा-दफा करने के मामले की सुनवाई को 1 नवंबर तक के लिए आगे बढ़ा दिया है. अभी उन पर यह मामला चलता रहेगा. उल्लेखनीय है‌ कि पुणे पुलिस ने इस साल 1 जनवरी को पुणे के भीमा कोरेगांव युद्ध की वर्षगांठ के बाद हुई हिंसा में कई बुद्धिजीवियों को हिरासत में लिया है. इसी मामले में कवि वरवर राव, वकील सुधा भारद्वाज, मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा, वरवर राव और अरुण फरेरा को पुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव मामले में अलग-अलग शहरों छापा मारकर हिरासत में लिया था. सुप्रीम कोर्ट सभी आरोपियों को मामले पर अंतिम फैसले तक उनके घरों में नजरबंद रखने का आदेश दिया था. अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट गौतम नवलखा की नजरबंदी खत्म करने का आदेश दिया था. क्या है भीमा-कोरेगांव मामला? महाराष्ट्र पुलिस ने पिछले साल 31 दिसंबर को हुए एलगार परिषद सम्मेलन के बाद दर्ज की गई एक प्राथमिकी के सिलसिले में 28 अगस्त को इन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था. इस सम्मेलन के बाद राज्य के कोरेगांव - भीमा में हिंसा भड़की थी. पुणे पुलिस ने दावा किया कि माओवादियों ने पीएम नरेंद्र मोदी की आत्मघाती हमलावर से हत्या करवाने की योजना पर भी विचार किया था. पुलिस ने इस मामले में तेलुगू कवि वरवर राव, मानवाधिकार कार्यकर्ता अरुण फरेरा और वरनन गोंजाल्विस, मजदूर संघ कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को आोरपी बनाया. सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस द्वारा पीएम मोदी की हत्या की साजिश के दावे को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है.

ग्राहक कल्याण परिषद की पहल पर ग्राहक को मिला न्याय

टाइल्स, स्टोन विक्रेता ने मानी अपनी गलती, ग्राहक को लौटाए 10 हजार नागपुर : एक टाइल्स और स्टोन विक्रेता को ठेकेदार और मिस्त्री के साथ दोगुने दाम पर टाइल्स और स्टोन बेचना महंगा पड़ा. ग्राहक को अखिल भारतीय ग्राहक कल्याण परिषद की पहल पर दुकानदार अथर्व टाइल्स, मानेवाड़ा के मालिक ने आखिरकार अपनी गलती मानते हुए परिषद के कार्यालय में आकर 10 हजार रुपए जमा किए. इस मामले में हुआ यह था कि नागपुर के न्यू सुभेदार ले-आऊट निवासी दिलीप देव ने 67 हजार रुपए के टाइल्स और स्टोन की खरीदी अपने ठेकेदार और मिस्त्री की सलाह पर मानेवाड़ा रिंगरोड स्थित अथर्व टाइल्स नामक दूकान से पिछले 3 अगस्त को की थी. एक महीने बाद उन्हें पता चला कि दूकानदार ने उन्हें दोगुने दाम पर टाइल्स और स्टोन बेचे हैं. उन्होंने इसकी शिकायत अ.भा. ग्राहक कल्याण परिषद के कार्यालय में आकर महासचिव देवेंद्र तिवारी से की. शिकायत की पुष्टि होने पर परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश मेहाडिया ने 23 अक्टूबर को परिषद की बैठक बुलाई. इस बैठक में शिकायतकर्ता दिलीप देव और अथर्व टाइल्स के मालिक को आमने-सामने बैठा कर चर्चा हुई. चर्चा में विक्रेता ने अपनी गलती स्वीकार की और परिषद के फैसले के आधार पर 10 हजार रुपए लाकर परिषद कार्यालय में जमा किया. यह राशि शिकायतकर्ता दिलीप देव को दे दिया गया. इस शिकायत बैठक में परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश मेहाडिया, राष्ट्रीय महासचिव देवेंद्र तिवारी, नागपुर जिला अध्यक्ष अश्विन मेहाडिया, जिला सचिव प्रताप मोटवानी, महिला सचिव रंजिता नवघरे, सुनीता पांडेय और उपाध्यक्ष सुभाष अग्रवाल ने शिकायतकर्ता को न्याय दिलाने में मदद की.

समता बैंक घोटाला : महाराष्ट्र सरकार को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार

26 नवंबर तक जवाब देने अथवा 110 करोड़ रुपए भरने का दिया आदेश नागपुर : 12 वर्ष पूर्व 145 करोड़ रुपए के घोटाले में लिप्त नागपुर के प्रतिष्ठित समता सहकारी बैंक के तत्कालीन संचालक मंडल के विरुद्ध दायर मामले अभी तक महाराष्ट्र सरकार के सहकार विभाग की "आरोपियों पर कृपा" के कारण हाईकोर्ट में फैसले के लिए लंबित पड़ा है. गुरुवार, 25 अक्टूबर को मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने इसके लिए महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. हाईकोर्ट के समक्ष 'समता सहकारी बैंक ठेवीदार कृति समिति' (जमाकर्ता संघर्ष समिति) की ओर से अधि. श्रीरंग भांडारकर वे याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार के सहकार विभाग द्वारा नियुक्त दूसरे लिक्विडेटर पंकज वानखेड़े की बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा करने में विफलता और उनकी अक्षमता की ओर ध्यान दिलाते हुए उनकी नियुक्ति रद्द करने और उनकी जगह किसी दूसरे सक्षम व्यक्ति को लिक्विडेटर नियुक्त करने की मांग की थी. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ के न्यायाधीशद्वय न्यायमूर्ति भूषण धर्माधिकारी और श्रीराम मोडक ने महाराष्ट्र सरकार को समता बैंक के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने में विफल रहने पर कड़ी फटकार लगाई है और चेतावनी दी है कि आगामी माह 26 नवंबर तक यदि वह सारी औपचारिकताएं पूरी करने के आदेश का पालन नहीं करती है तो सरकार 110 करोड़ रुपए रजिस्ट्री की रकम के साथ जमा करे. उल्लेखनीय है कि बैंक के संचालक मंडल के प्रमुख मिलिंद चिमुरकर के कार्यकाल में बैंक में करोड़ों के घोटाले सामने आने के बाद रिजर्व बैक ऑफ इंडिया ने 3 और 4 अगस्त 2006 को अपने सारे लेनदेन के आर्थिक व्यवहार बंद करने का आदेश दिया था. इसके बाद सहकारी समितियों के आयुक्त और रजिस्ट्रार ने पूर्व सहायक रजिस्ट्रार चैतन्य नासरे को समता बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था. इसके बाद नासरे ने प्राथमिक ऑडिट कर 145 करोड़ रुपए के घोटाले का पता लगाया. इस पर रिजर्व बैंक ने 22 दिसंबर 2006 को समता बैंक का लायसेंस कैंसिल कर दिया. तत्पश्चात सहकारी समितियों के आयुक्त और रजिस्ट्रार ने लिक्विडेशन की प्रक्रिया पूरी करने नासरे के अधीन एक बोर्ड ऑफ लिक्विडेटर्स का गठन कर दिया. इसके बाद मामले की जांच क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट मो सौंपा गया. इस बीच मिलिंद चिमुरकर सहित फरार संचालकों के विरुद्ध आरोप पत्र (चार्जशीट) दाखिल कर दिया गया. प्रवर्तन संचालनालय (इंफोर्समेंट डायरेक्टोरेट- ई.डी.) ने भी बीच जांच शुरू कर दी थी. नासरे ने इस बीच बैंक के 15 हजार जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि डिपॉजिट इन्सुरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कार्पोरेशन (डीआईसीजीसी) द्वारा प्राप्त 38 करोड़ रुपए सेटलमेंट के आधार पर भुगतान कर दिया और डीआईसीजीसी को भी 5.5 करोड़ रुपए का भुगतान किया. इसके बाद नासरे को हटा कर उनके स्थान पर 16 अक्टूबर, 2016 को पंकज वानखेड़े को मुख्य प्रशासक नियुक्त किया गया. वानखेड़े ने एक साल तक तो पहले चार्ज ही नहीं लिया. साल भर तक समता बैंक प्रशासक विहीन रहा. सहकार विभाग को भी साल भर तक इसकी कोई 'चिंता' ही नहीं रही. 2017 में प्रभार ग्रहण करने के बाद भी वानखेड़े निष्क्रीय रहे और जैसा कि याचिकाकर्ताओं का आरोप है वानखेड़े ने...

वेकोलि में सतर्कता जागरूकता सप्ताह 29 से 3 नवंबर तक

नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) में 29 अक्टूबर से 03 नवंबर, 2018 तक सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है. कम्पनी मुख्यालय एवं क्षेत्रों में इसका औपचारिक शुभारंभ सोमवार, 29 अक्टूबर को सतर्कता जागरूकता शपथ के साथ होगा. उसी दिन महिला कर्मियों के लिए लेख एवं वाद विवाद प्रतियोगिता, 30 अक्टूबर की सुबह सतर्कता जागरूकता रैली एवं कर्मियों के लिए लेख तथा वाद विवाद प्रतियोगिता, 31 को क्षेत्रीय आयुक्त, कोयला खान भविष्य निधि के साथ इंटरएक्टिव सेशन, 1 नवंबर को मुख्य तकनीकी परीक्षक, केंद्रीय सतर्कता आयोग के साथ इंटर एक्टिव सेशन तथा 2 नवंबर को कन्हान क्षेत्र में पुलिस अधीक्षक सीबीआई, जबलपुर के साथ इंटर एक्टिव सेशन एवं 3 नवंबर को समापन एवं पुरस्कार वितरण समारोह अयोजित किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व आज शुक्रवार, 26 अक्टूबर को कम्पनी मुख्यालय के सामने मैदान पर सीमित ओवर के क्रिकेट मैच के बाद विभिन्न स्कूलों के छात्रों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई गई. शनिवार, 27 अक्टूबर को अपराह्न 4 बजे स्थानीय लॉ कॉलेज चौराहा से फुटाला तालाब तक नागपुर क्षेत्र के कर्मियों द्वारा रोड शो के बाद नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की जाएगी.

…पीएमओ ने ‘सीबीआई की सफाई’ को दिखा दी हरी झंडी, वर्मा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

अंतरिम चीफ बनाते ही नागेश्वर राव ने तीसरे नं. को भी भेजा छुट्टी पर, 13 का सुबह ही कर दिया तबादला नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई की बिगड़ती छवि को बचाने के लिए आखिरकार पीएमओ ने कड़े फैसले लिए और सीबीआई निदेशक समेत तीन बड़े अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया. और 1984 बैच के ओड़िसा काडर के आईपीएस नागेश्वर राव को सीबीआई के अंतरिम निदेशक के तौर पर नियुक्त कर दिया है. पीएमओ ने ये फैसला केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) की सिफारिश के आधार पर किया. वर्मा पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सीवीसी के कदम को गैरकानूनी बताया इधर सीबीआई के छुट्टी पर बजे गए निदेशक आलोक कुमार वर्मा ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उन्होंने याचिका दायर कर कोर्ट से कहा कि 'रातोंरात उन्हें उनके अधिकारों से वंचित करने का केन्द्र का निर्णय जांच एजेन्सी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने जैसा है जिसकी उच्च अधिकारियों के खिलाफ जांच हो सकता है। कि सरकार की अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो.' आलोक वर्मा ने कोर्ट में कहा कि केन्द्र और केन्द्रीय सतर्कता आयोग का कदम पूरी तरह से गैरकानूनी है और ऐसे हस्तक्षेप से इस प्रमुख जांच संस्था की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता का क्षरण होता है. केबिनेट की ब्रीफिंग के दौरान पूरी कार्रवाई की जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, "सीबीआई की इंटिग्रिटी बनी रहे ये जरूरी है. हम ये भी सहन नहीं कर सकते कि देश के बाहर जिन पर आरोप लगते है वो सीबीआई पर सवाल उठा पाए." दोनों बड़ों ने लगा दिया सीबीआई की प्रतिष्ठा पर बट्टा ज्ञातव्य है कि सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा और संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना की आपसी लड़ाई ने देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित जांच एजेंसी पर बट्टा लगा दिया. एक दूसरे के खिलाफ घूसखोरी के आरोपों और एफआईआर ने सरकार के भी कान खड़े कर दिए. आखिरकार पीएमओ ने रविवार की शाम सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को बुलाकर पूरे विवाद पर रिपोर्ट ली. इसके साथ ही सरकार ने सीबीआई की साख को बचाने के लिए बड़ी कार्रवाई अंतर्गत मंगलवार की शाम से लेकर पूरी रात सीबीआई में अब तक के सबसे बड़े सफाई अभियान की शुरुआत कर दी. ऐसे हुई कार्रवाई की शुरुआत हुआ यूं कि मंगलवार की देर रात केंद्रीय सर्तकता आयुक्त ने एक अहम बैठक बुलाई. बैठक में स्वयं केंद्रीय सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) और सीवीसी के सभी अफसर मौजूद थे. बैठक में सीबीआई में चल रही उठा पटक को लेकर बातचीत शुरू हुई. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना एक दूसरे पर जो इल्जाम लगा रहे थे, उनकी फेहरिस्त सबके सामने थी. सबसे बड़ा मामला था जांच को निष्पक्ष कराने का. तय हुआ कि दोनों को हटाकर निष्पक्ष जांच कराई जाए लिहाजा, इस लंबी बैठक के बाद तय हुआ कि दोनों विवादित अधिकारियों को एजेंसी से दूर किया जाए. लिहाजा, रात के 11 बजे आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज देने का फैसला लिया गया. ताकि मामले की जांच सही और निष्पक्ष तरीके से की जा सके. साथ ही दोनों अधिकारियों के दफ्तर और दस्तावेज...