आयुध डिपो

सेना के आउटडेटेड 400 बमों की तलाश कर किया नष्ट

सेना के पुलगांव आयुध डिपो ने इस जोखिम भरे कार्य को सफलता पूर्वक पूरा किया आश्विन शाह, पुलगांव (वर्धा) : सेना के स्थानीय आयुध डिपो (सीएडी) के अधिकारियों की देखरेख में डिपो के जवानों ने जोखिम भरी तलाशी के इस कार्य को अंजाम देकर उन कालवाह्य 400 बमों को एकत्र किया और उनमें विस्फोट कर उन्हें नष्ट कर दिया, जो पिछले महीने बमों की पेटी के गिर जाने से हुए विस्फोट में सोनेगांव के डीमोलिशन ग्राउंड में यहां-वहां बिखर गए थे. 20 नवंबर को हुआ था हादसा, 6 की जान गई थी ज्ञातव्य है कि जबलपुर के आयुध निर्माणी (आर्डनेंस फैक्ट्री) खमरिया के कालवाह्य बमों के विस्फोट से यहां सोनेगांव स्थित डीमोलिशन ग्राउंड में पिछले महीने 20 नवंबर को खमरिया के एक जवान सहित 6 लोगों की मौत हो गई थी और 10 अन्य ठेका मजदूर घायल हो गए थे. उस दौरान उन बमों में से 400 बम वहीं डीमोलिशन ग्राउंड में बिखर गए थे. यह विस्फोट उस समय हुआ था, जब उन बमों की पेटियों को ले जाते वक्त एक पेटी मजदूरों के हाथ छूटकर जमीन पर गिर पड़ी थी. सुरक्षा की दृष्टि से डीमोलिशन ग्राउंड में बिखरे बमों की तलाश कर उन्हें नष्ट करना अत्यंत आवश्यक था. क्योंकि इन बमों के फटने से फिर से जान-माल की क्षति की आशंका बनी हुई थी. आयुध निर्माणी, खमरिया ने इन बमों की तलाश की अपनी जिम्मेदारी से हाथ झटक लिया था. इसके बाद बमों की तलाश करने की जिम्मेदारी भी सेना ने पुलगांव आयुध (गोला-बारूद) डिपो को ही सौंप दिया. आयुध डिपो ने इस जोखिम भरे काम को हाल ही में पूरी जिम्मेदारी से निभाते हुए सभी 21 टन 400 बिखरे बमों की तलाश करने में सफलता पाई और साथ ही अन्य कालवाह्य 8 टन बारूद के साथ वहीं सोनेगांव के डीमोलिशन ग्राउंड में विस्फोट कर सभी को नष्ट कर दिया. यह कार्य पुलगांव डिपो के समादेशक की देखरेख में सेना के दो अधिकारियों, 6 जेसीओ, 14 सैनिक और 20 स्थानीय मजदूरों ने 10 दिसंबर से 14 दिसंबर के बीच बखूबी पूरा किया.
उपेंद्र कुशवाहा-उर्जित पटेल

केंद्रीय मंत्री कुशवाहा, रिजर्व बैंक गवर्नर पटेल ने छोड़ा मोदी का साथ

5 राज्यों के चुनाव परिणाम से आने से एक दिन पहले भाजपा सरकार को दो बड़े झटके नई दिल्ली : संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत और पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के ठीक एक दिन पूर्व केंद्र की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार को एक साथ दो बड़े झटके झेलने पड़ रहे हैं. आज सोमवार, 10 दिसंबर को जहां केंद्रीय मंत्री और आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस्तीफा दे दिया है, वहीं रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने भी अपने पद त्याग दिया है. कुशवाहा ने भाजपानीत गठबंधन राजग से भी इस्तीफा दे दिया है. वे बिहार में 2019 की लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर असंतुष्ट चल रहे थे. उन्होंने इस्तीफे के लिए केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर ठीकरा फोड़ा है. लेकिन पटेल ने इस्तीफा देने की वजह निजी कारणों को बताया है. हालांकि मोदी सरकार और रिजर्व बैंक गवर्नर के संबंधों की खटास पहले से ही दिखाई देने लगे थे. भाजपा के लिए नहीं हैं अच्छे संकेत मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के परिणाम कल मंगलवार, 11 दिसंबर को आने वाले हैं. इन विधानसभा चुनावों को आम चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है. इन चुनावों को लेकर एग्जिट पोल के जो आकड़े आए हैं, वह भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं. एग्जिट पोल के अनुमान अगर नतीजों में तब्दील होते हैं तो क्या भाजपा के लिए आम चुनावों की राह मुश्किल हो जाएगी. साथ ही केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिष्ठा के लिए इन दोनों इस्तीफों की चोट भी बहुत गहरी हो सकती है. संसद में भी हमलावर विपक्ष को झेलना हो सकता है कठिन विपक्षी दलों ने अभी से इसे केंद्र की मोदी सरकार के लिए उल्टी गिनती की शुरुआत बताने लगे हैं. इसके साथ ही सत्तारूढ़ भाजपा पर चौतरफा हमले भी तेज हो गए हैं. विभिन्न विवादों में घिर चुकी मोदी सरकार के लिए मंगलवार से ही शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इस बार विपक्ष के बढ़े मनोबल के कारण उनके तीखे हमलों का सामना करना पड़ सकता है. ज्ञातव्य है कि उर्जित पटेल के इस कदम से रिजर्व बैंक की स्वायत्ता पर भी असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है. पिछले कुछ दिनों से उर्जित पटेल और मोदी सरकार के बीच काफी मतभेद गहराते जा रहे थे. उर्जित पटेल के कार्यकाल में ही पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी. इसके बाद ही यह संकेत मिलाने लगे थे कि रिजर्व बैंक गवर्नर पटेल और मोदी सरकार के बीच सबकुछ सही नहीं है.
मालिकी

सिंधी समाज को मिले उनके लीज भूखंडों के मालिकी पट्टे

नागपुर सेंट्रल सिंधी पंचायत ने किया मुख्यमंत्री का सत्कार नागपुर : महाराष्ट्र के सिंधी समाज के लोगों को लीज भूखंडों के मालिकी पट्टे का वितरण की शुरुआत मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने नागपुर में की. इसके साथ ही अब पूरे राज्य के सिंधी समाज की यह मांग पूरी करने की दिशा में राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. इससे पूरे महाराष्ट्र के सिंधी समाज में बेहद खुशी की लहर रही. नागपुर के 300 लोगों को मिले पट्टे मुख्यमंत्री ने मालिकी पट्टों का वितरण यहां सोमवार को जरीपटका के सिंधुनगर में आयोजित भव्य समारोह किया. नागपुर के सिंधी समाज के लगभग तीन सौ लोगों को भूकंडों के मालिकी पट्टे दिए गए. बताया गया कि नागपुर में ऐसे तीन दो हजार से अधिक लोगों को पट्टे देने हैं. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 5-7 वर्षों में पाकिस्तान से आए सिंधी और अन्य लोगों की देश की नागरिकता के आवेदन का निष्पादन भी केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय करता जा रहा है. इस दौरान अनेक लोगों को नागरिकता भी प्रदान की गई. भूखंडों का मिला स्वामित्व लीज भूखंडों का वितरण देश के विभाजन के बाद सिंध प्रांत से आए सिंधी समाज के लोगों को राज्य सरकार की ओर से किया गया था. लेकिन उन्हें भूखंडों की मालिकी नहीं दी गई थी. अब वे एक तरह से किराए पर मिले भूखंड के मालिक हो गए हैं. अर्थात उन भूखंडों का स्वामित्व उन्हें प्राप्त हो गया है. सिंधी समाज पिछले अनेक वर्षों से इसकी मांग कर रहा था. मोटवानी ने सिंधी समाज की ओर से मुख्यमंत्री का किया सत्कार जरीफटका में सोमवार की शाम आयोजित कार्यक्रम में नागपुर सेंट्रल सिंधी पंचायतसिंधी समाज के अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने मुख्यमंत्री फड़णवीस का स्वागत बुके देकर किया. उन्होंने नागपुर के सिंधी समाज की तरफ से मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया और आभार माना. ऐतिहासिक और यादगार दिन मोटवानी ने कहा कि सिंधी समाज के लिए यह दिन एक ऐतिहासिक और यादगार दिन बन गया है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सिंधी समाज को मिले लीज पर मिले भूखंडों की मालिकी देने की हमारी मांग बहुत पुराणी है. लेकिन यह मांग भाजपा शासन और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के द्वारा ही संभव हुआ है. उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री का यह स्वागत पूरे महाराष्ट्र के सिंधी समाज की तरफ से कर रहे हैं. दादा घनश्यामदास कुकरेजा, डॉ. विन्की रुघवानी, प्रो. विजय केवलरामनी ने भी सिंधी समाज की तरफ से मुख्यमंत्री का सत्कार किया. सिंधी समाज को भूखंडों के मालिकी पट्टे मुख्यमंत्री के हाथों वितरित कराने के कार्यक्रम को साकार करने के लिए युवा नेता विकीभाई कुकरेजा का प्रमुख योगदान रहा. उनकी मेहनत से यह कार्यक्रम साकार हुआ. सिंधी समाज की ओर से उनका भी सत्कार किया गया.
आयुध डिपो

पुलगांव विस्फोट के लिए जिम्मेदार फरार ठेकेदार गिरफ्तार

सेना के आयुध डिपो के खराब बमों के निष्क्रीयकरण में 6 की हुई थी मौत रवि लाखे/आश्विन शाह, वर्धा : भारतीय सेना के पुलगांव स्थित मध्यवर्ती आयुध डिपो (CAD) के फरार ठेकेदार शंकर चांडक को देवली पुलिस ने गिरफ्तार कर अपने हिरासत में ले लिया है. चांडक की गिरफ्तारी शनिवार को वर्धा जिला न्यायायलय परिसर से हुई. यह गिरफ्तारी पिछले 20 नवंबर के उस हादसे के सिलसिले में हुई, जिसमें उनके 5 मजदूर समेत 6 लोगों की जान चली गई थी और 10 अन्य जख्मी हुए थे. पुलिस सूत्रों के अनुसार शंकर चांडक अपनी जमानत के लिए जिला न्यायालय परिसर में अपने वकील से मिलने आए थे. उन्हें भा.दं.स. की दफा 304 और 308 के तहत गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने चांडक के विरुद्ध पिछले 25 नवंबर को खराब बमों में विस्फोट और 6 लोगों की मौत के लिए अपराध दर्ज किया था. उसके बाद से ही चांडक अपने परिवार के साथ फरार थे. देवली पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि ठेकेदार शंकर चांडक ने खराब बमों को नष्ट करने के लिए बमों को निष्क्रीयकरण स्थल तक ले जाने के लिए अप्रशिक्षित मजदूरों को तैनात किया था. साथ ही उन मजदूरों को कोई सुरक्षा उपकरण अथवा प्रशिक्षण भी नहीं दिया था. पुलिस ने रविवार को ही अदालत के समक्ष पेश कर ठेकेदार को अपने हिरासत (पीसीआर) में ले लिया. इससे पूर्व चांडक की जमानत अर्जी वर्धा जिला न्यायायलय ने और बाद में हाईकोर्ट ने भी खारिज कर दिया था. उसके बावजूद चांडक जमानत पाने के लिए प्रयासरत थे.
मराठा आरक्षण कानून

मराठा आरक्षण कानून को हाईकोर्ट में चुनौती

इसी आशंका से महाराष्ट्र सरकार ने भी दाखिल किया सुप्रीम कोर्ट में कैविएट मुंबई : मराठा समाज को दिए गए आरक्षण को आखिरकार अधि. जयश्री पाटिल ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दे दी है. उन्होंने मराठा आरक्षण के विरोध में आज, सोमवार को ही एक जनहित याचिका (PIL) बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल की है. संभावना है कि जल्द ही इस पर सुनवाई होगी. कानून बन चुका है मराठा आरक्षण विधेयक सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए राज्य सरकार ने मराठा समाज को 16 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा पर अमल कर दिया है. महाराष्ट्र विधानसभा के दोनों सदनों में इसे मंजूरी मिल गई. उसके बाद राज्यपाल ने भी मंजूर बिल पर हस्ताक्षर कर दिया और मराठा आरक्षण का कानून राज्य में लागू भी हो गया है. अब जबकि अधि. जयश्री पाटिल ने इसके विरुद्ध जनहित याचिका दाखिल कर दी है, तो यह प्रश्न खड़ा हो गया है कि क्या यह कानून अदालत में टिका रह पाएगा? अथवा अधि. जयश्री पाटिल की चुनौती निरस्त हो जाएगी? राज्य सरकार ने दाखिल किया कैविएट ज्ञातव्य है कि पहले से यह आशंका व्यक्त की जाती रही थी कि यह आरक्षण कानूनी रूप से न्यायालय में टिक नहीं पाएगा. इसी कारण मराठा आरक्षण कानून के विरुद्ध ऐसी ही चुनौती की आशंका से राज्य सरकार की ओर से भी आज, सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दिया गया है. राज्य सरकार की ओर से दाखिल कैविएट से मराठा आरक्षण कानून को एक प्रकार का संरक्षण मिला तो मिला है. इससे अब मराठा आरक्षण कानून के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर अब न्यायालय को सरकार का पक्ष भी सुनना पड़ेगा. तभी वह कोई फैसाला सुना सकेगा.
ग्राहकों

सावधान : डिस्काउंट के नाम पर चल रहा है हाई प्रोफाइल लूटमार

ग्राहकों जागो ग्राहक, जागो : आपकी लापरवाही और अनदेखी का फायदा उठा रही हैं कंपनियां और मॉल हरीश गणेशानी, नागपुर : आम ग्राहकों की यही धारणा है कि किसी भी डिब्बा बंद उपभोक्ता उत्पाद को अधिक बड़ी पैकिंग में खरीदना सस्ता पड़ता है. उसमें बचत होती है. इसी धारणा के कारण अधिसंख्य लोग साबुन, डिटर्जंट, टूथपेस्ट, चाय, कॉफी, सौंदर्य प्रसाधन आदि सामग्रियों की बड़ी पैकिंग खरीदते हैं. लोगों की इसी सोच का फायदा उठाते हुए मॉल वाले और ऑनलाइन वाले M.R.P. पर डिस्काउंट और अन्य छूट देने के विज्ञापन के माध्यम से ग्राहकों को लुभाते हैं. दूसरी ओर ग्राहक भी बिना उनके विज्ञापनों के पीछे की चालाकी पर ध्यान दिए केवल यही देखते हैं कि उन्हें M.R.P. कितना डिस्काउंट मिल रहा है, कितनी छूट मिल रही है. परंतु सावधान, थोड़ा ठहरें, और तुलनात्मक रूप से भी विचार करें. साथ ही निम्नलिखित उदाहरण को समझने का प्रयाश करें. किसी एक उपभोक्ता डिब्बाबंद उत्पाद पर छपे M.R.P. की तुलना उसी उत्पाद के सबसे छोटी पैकिंग पर छपे M.R.P. से करें तो निम्नलिखित परिणाम आपको देखने को मिलेंगे. ग्राहकों ग्राहकों ग्राहकों उदाहरणार्थ : 1). कोलगेट मैक्स फ्रेश "50 ग्राम की कीमत ₹ 20/-" है. यदि आप ऐसे तीन मैक्स फ्रेश 150 ग्राम खरीदें तो इसकी कीमत ₹60/- होती है. लेकिन यही कोलगेट मैक्स फ्रेश यदि आप 150 ग्राम की पैकिंग खरीदते हैं तो आप को उसका M.R.P. ₹92/- देना पड़ता है. इसी तरह कोलगेट और अन्य कंपनियों के पेस्ट जैसे- मिसवाक, क्लोज अप, पेप्सोडेंट, डाबर लाल पेस्ट की कीमतों की तुलना कर लें. 2). नेस कैफे के 6.5 ग्राम* का पाउच ₹10/- रुपए में मिलता है. इस हिसाब से 7 पाउच की कीमत ₹ 70/- रुपए होती है और वजन 52.5 ग्राम* का होता है. परंतु इसी नेस कैफे के 50 ग्राम के पैकिंग की कीमत M.R.P. पर ₹130/-* है. सोचें...ऐसा क्यों? 3). रेड लेबल चाय का 100 ग्राम का पैक ₹30/- और 1 किलो के पैक की M.R.P. ₹410/- कैसे जाती है? यही बात सोसाइटी, वाघ बकरी इत्यादि ब्रांड के चाय के साथ भी है. 4). गुडडे केश्यू के 60 ग्राम का पैक ₹10/- होने के नाते 200 ग्राम की कीमत ₹33/- होनी चाहिए. लेकिन सोचें कि 200 ग्राम के पैक का M.R.P. ₹37/- क्यों हो जाता है. 5). एरियल वाशिंग पावडर ₹10/- में 85 ग्राम मिलता है. इस तरह 1.5 किलोग्राम के पैक की कीमत ₹176/- होनी चाहिए. फिर इसकी M.R.P. ₹249/- क्यों है? अन्य ब्रांड सर्फ, रिन, निरमा व अन्य डिटर्जंट पावडर की कीमत भी तरह की है. 6). डेटॉल साबुन ₹10/- में 45 ग्राम मिलता है. इस तरह 75 ग्राम की कीमत ₹16.66/- होनी चाहिए. लेकिन 75 ग्राम की M.R.P. ₹31/- है. लक्स साबुन के 54 ग्राम की टिकिया ₹10/- है तो 100 ग्राम की कीमत ₹18.5/- होनी चाहिए. लेकिन 100 ग्राम साबुन का M.R.P. ₹27/- क्यों है. इसी तरह पियर्स, डव आदि ब्रांड की भी तुलना लें. 7). वैसलिन जेली 7 ग्राम का पैक ₹ 5/- में आता है. इस तरह 42 ग्राम की कीमत ₹30/- होती है. लेकिन 42 ग्राम के पैक का M.R.P. ₹67/- है. अन्य...
मनोज कुमार

मनोज कुमार बने वेकोलि के नए निदेशक तकनीकी

नागपुर : वेकोलि, एसईसीएल तथा ईसीएल में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके मनोज कुमार ने आज गुरुवार, 29 नवंबर को वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के निदेशक (तकनीकी) का पदभार ग्रहण किया. कुमार को निदेशक मंडल तथा टीम डब्ल्यूसीएल के सदस्यों ने बधाई और शुभकामनाएं दीं. उल्लेखनीय है कि मनोज कुमार यह नया दायित्व सम्भालने के पूर्व 1985 ई. से वेकोलि, एसईसीएल तथा ईसीएल में विभिन्न पदों पर कार्य किया है. 1985 में उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइंस, धनबाद से प्रथम श्रेणी में डिस्टिंक्शन के साथ बी.टेक किया. 1989 में श्री कुमार ने फर्स्ट क्लास माइन मैनेजर्स सर्टिफिकेट ऑफ कम्पिटेंसी प्राप्त की. 1993-94 में आपने स्वर्ण पदक के साथ आईएसएम, धनबाद से एम.टेक इन रॉक एक्सकैवेशन इंजीनियरिंग की. मनोज कुमार ने 1985 में हसदेव क्षेत्र की राजनगर कालरी में जॉइन करने के बाद करीब 17 वर्षों तक वेकोलि और एसईसीएल की विविध खदानों में कार्य करने के पश्चात 2002 में ईसीएल के बन्कोला, सोनपुर बज़ारी और पांडेश्वर क्षेत्र में महाप्रबंधक का दायित्व सम्भाला, जहां सर्वश्रेष्ठ क्षेत्र के रूप में, उत्पादन में 2012-13 में 38% की वृद्धि दर्ज हुई. उन्होंने ईसीएल मुख्यालय में कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट सेल के प्रमुख का दायित्व भी बखूबी निभाया. अनुभवी मनोज कुमार डिफिकल्ट अंडरग्राउंड माइनिंग मेथड के विशेषज्ञ हैं. मनोज कुमारमनोज कुमारमनोज कुमारमनोज कुमार उन्होंने अमेरिका के जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के सहयोग से इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोजेक्ट्स एंड प्रोग्राम मैनेजमेंट के एक्सीक्यूटिव डिप्लोमा प्रोग्राम (12पी 2 एम) में शिरकत की और ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका का दौरा कर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सफलता पूर्वक भाग भी लिया है.
श्री काशीनाथ विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ मंदिर की प्रतिकृति को तीन मंजिली इमारत में चुन, शिखर पर बना दिया...

श्री काशीनाथ विश्वनाथ मंदिर मंदिर के पहुंच मार्ग और गंगा नदी के मणिकर्णिका घाट मार्ग को प्रशस्त करने के दूसरे चरण का काम शुरू सुमन मिश्रा, वाराणसी : सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पहुंच मार्ग और गंगा नदी के मणिकर्णिका घाट मार्ग को प्रशस्त करने के दूसरे चरण का काम शुरू हो चुका है. इसके साथ ही यहां एक से बढ़ कर एक प्राचीन और दुर्लभ मंदिर सामने आ रहे हैं. अधिगृहीत भवनों, रिहायशी घरों को ध्वस्त करने का काम जोरों पर इस मार्ग पर अवरोध बने अधिगृहीत भवनों और रिहायशी घरों को ध्वस्त करने का काम जोर-शोर से चल रहा है. इसी वर्ष अप्रैल में शुरू किए गए इस कार्य का पहला चरण पूरा हो चुका है. दूसरे चरण का काम इसी नवंबर महीने से शुरू कर दिया गया है. 43 छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर और देवालयों को मुक्त कराया ध्वस्तीकरण के साथ ही इन भवनों और घरों के मलबों से अब तक 43 छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर और देवालयों को मुक्त कराया जा चुका है. मंदिर प्रशासन के अनुसार अभी ऐसे और महत्व के मंदिर और विग्रह (वास्तु) मिलने की संभावना है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की एक प्रतिकृति का बरामद ध्वस्तीकरण के दौरान आकार-प्रकार में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की एक प्रतिकृति का बरामद होना फिलहाल यहां चर्चा का विषय बना हुआ है. काशी विश्वनाथ मंदिर से मर्णिकर्णिका घाट तक बन रहे कॉरिडोर क्षेत्र में मकान नंबर सीके 34बाई27 में यह मंदिर मिला है. इसकी पूरी प्रतिकृति तो विश्वनाथ मंदिर की है, लेकिन शिव लिंग और नंदी का आकार बड़ा है. श्री काशीनाथ विश्वनाथ मंदिर श्री काशीनाथ विश्वनाथ मंदिर श्री काशीनाथ विश्वनाथ मंदिर शिखर पर टॉयलेट बना रखा था जिसके कब्जे में यह पुरातात्विक महत्व का मंदिर था, उसने अत्यंत घृणित मानसिकता का परिचय दिया है. इस मंदिर को दुनिया की नजरों से छिपाने की उसने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी. उसने इस मंदिर को तीन मजिली इमारत में चुन दिया था और उसके शिखर पर टॉयलेट तक बना रखा था. यह मंदिर समुद्रगुप्त काल का बताया जाता है. तीर्थ मार्ग की शोभा बनेंगे बरामद मंदिर यहां मिल रहे ये मंदिर 17-18वीं शताब्दी के माने जा रहे हैं. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की देखरेख में हालांकि इन मंदिरों और वास्तुओं का संरक्षण किया जा रहा है, इनकी सुरक्षा की व्यवस्था लचर होने से इन्हें नुकसान भी पहुंचाने कोशिशें होने के समाचार हैं. एएसआई इन्हें श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के तीर्थ मार्ग की शोभा बनाने की तैयारी भी कर रहा है. संग्रहालय बनेगा, जीर्णोद्धार भी होगा एएसआई के स्थानीय प्रभारी अधिकारी नीरज सिन्हा ने बताया कि हमारी टीम इन प्राचीन वस्तुओं के पुरातात्विक महत्व के साथ उनका विवरण के साथ ही उनके संरक्षण की योजना भी तैयार कर रही है. उन्होंने कहाकि इनका संग्रहालय बनाया जाएगा साथ ही मंदिरों का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा. रथ पर बना मंदिर मिला इसके साथ ही मणिकर्णिका घाट के किनारे दक्षिण भारतीय शैली में रथ पर बना एक मंदिर मिला है, जिसमें समुद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं. अब जांच के बाद ही पता चलेगा कि यह मंदिर...
गंगा

केवल गोमुख नहीं है पवित्र नदी गंगा का उद्गम

गंगादेवप्रयाग में सप्तधाराएं मिलकर कहलाती है गंगा विवेक राय, प्रयागराज : देश की सबसे बड़ी और पवित्र नदी गंगा का उद्गम केवल गोमुख नहीं है. यह जानकारी पत्रकार अमरेन्द्र कुमार राय की नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘गंगा तीरे’ में सामने आई है. पुस्तक में विस्तृत हवाले से बताया गया है कि जब ये सारी धाराएं देवप्रयाग के पास मिलती हैं, तब उनका नाम गंगा पड़ता है. ‘गंगा तीरे’ में विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और खोजों के हवाले से भी बताया गया है कि गंगा सात धाराओं या सात जगह से निकलती है. जब सातों जगह से निकलने वाली धारा देवप्रयाग में एक साथ मिलती है तो यह गंगा कहलाती है, जबकि इससे पूर्व की धाराओं के अलग-अलग नाम हैं. गंगा सात धाराओं में पृथ्वी पर उतरी गोमुख से निकलने वाली धारा का नाम गंगा नहीं, भागीरथी है. पौराणिक मान्यता है कि शिव की जटा से मुक्त होकर गंगा सात धाराओं में पृथ्वी पर उतरी, जिसमें से तीन धाराएं पूर्व और तीन धाराएं पश्चिम की ओर प्रवाहित हुईं. सातवीं धारा भागीरथी पीछे आई. इसीलिए लोगों में आम धारणा है कि गंगा का उदगम स्थल गोमुख है. राय के अनुसार, ‘गोमुख से निकलने वाली धारा 200 किलोमीटर चलने के बाद देवप्रयाग पहुंचती है.’ बद्रीनाथ और केदार नाथ से भी निकली धाराएं दूसरी तरफ बद्रीनाथ के पास से निकलकर अलकनंदा नदी भी करीब इतनी ही दूरी तय करने के बाद देवप्रयाग पहुंचती है. अलकनंदा अपने साथ केदारनाथ के पास से निकलने वाली मंदाकिनी, पिंडर, नंदाकिनी आदि नदियों का जल लेकर आती है. गंगागंगागंगा बंगाल में गंगा का नाम गंगा नहीं रह जाता इस बात का भी उल्लेख पुस्तक में है कि ठीक इसी तरह गंगा सागर (बंगाल की खाड़ी) में मिलने से पहले भी गंगा का नाम गंगा नहीं रह जाता. पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के गिरिया के पास गंगा नदी दो भागों में बंट जाती है जिसका एक हिस्सा प.बंगाल में जबकि दूसरा हिस्सा बांग्लादेश की ओर चला जाता है. प. बंगाल में नाम है भागीरथी, बांग्लादेश में पद्मा गिरिया से आगे प. बंगाल में जो धारा आगे बढ़ती है, उसे भागीरथी बोला जाता है और जो धारा बांग्लादेश में चली जाती है, उसे पद्मा कहते हैं. भागीरथी नदी गिरिया से दक्षिण की ओर बहती है जबकि पद्मा दक्षिण पूर्व की ओर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है. कोलकाता में कहलाती है हुगली मुर्शिदाबाद शहर से हुगली शहर तक गंगा एक बार फिर भागीरथी के नाम से जानी जाती है (जैसा कि गोमुख से देवप्रयाग तक है). हुगली शहर से समुद्र के मुहाने तक गंगा का नाम हुगली ही है. कोलकाता में भी यह हुगली ही कहलाती है.
कृषि

कृषि उत्पाद एपीएमसी के बाहर बेचने के मामले में सरकार झुकी

अध्यादेश वापस लिया, मुंबई बाजार में घोषित अनिश्चितकाल हड़ताल भी वापस नागपुर : राज्य सरकार ने व्यापारियों के कड़े विरोध को देखते हुए आखिरकार एपीएमसी में मंडी सेस के लिए 25 अक्टूबर के अध्यादेश को आज बुधवार, 28 नवंबर की शाम वापस ले लिया. नागपुर के दी होलसेल ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव प्रताप मोटवानी ने बताया कि सरकार ने आगामी दिनों में संशोधित आदेश (जीआर) निकलने का फैसला किया है. इसके लिए एक कमेटी का गठन भी सरकार करेगी, जिसमें व्यापारी प्रतिनिधि भी सम्मिलित होंगे. मोटवानी ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने नागपुर के पिछले विधानसभा सत्र में ही आश्वस्त किया था कि मंडी सेस को जीएसटी में मर्ज (समिलित) कर मंडी सेस राज्य से समाप्त किया जाएगा. मोटवानी ने मुख्यमंत्री और पणन मंत्री का आभार मानते हुए कहा कि उन्होंने ठीक समय सही निर्णय लेते हुए व्यापारियों के हितों का ध्यान रखा है. उल्लेखनीय है कि राज्य में किसानों को कृषि उत्पाद एपीएमसी के बाहर बेचने देने के सरकार के आदेश से व्यापारीवर्ग अत्यधिक नाराज हो गया था. वे अनिश्चित कालीन हड़ताल की तैयारी करने लगे थे. एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार अग्रवाल ने कल मंगलवार को एक दिन के सांकेतिक हड़ताल को जबरदस्त रूप से सफल बनाने के लिए सभी व्यापारियों का आभार माना. उन्होंने भी सरकार से व्यापारियों के हित में संशोधित आदेश निकलने का आग्रह किया. कृषिकृषिकृषिकृषि