केवल गोमुख नहीं है पवित्र नदी गंगा का उद्गम

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गंगा
देवप्रयाग, जहां भागीरथी और अलकनंदा सहित सभी सात धराओं का मिलान होता है और तब कहलाती है गंगा.

गंगा

देवप्रयाग में सप्तधाराएं मिलकर कहलाती है गंगा

विवेक राय,
प्रयागराज :
देश की सबसे बड़ी और पवित्र नदी गंगा का उद्गम केवल गोमुख नहीं है. यह जानकारी पत्रकार अमरेन्द्र कुमार राय की नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘गंगा तीरे’ में सामने आई है. पुस्तक में विस्तृत हवाले से बताया गया है कि जब ये सारी धाराएं देवप्रयाग के पास मिलती हैं, तब उनका नाम गंगा पड़ता है.

गंगा तीरे’ में विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और खोजों के हवाले से भी बताया गया है कि गंगा सात धाराओं या सात जगह से निकलती है. जब सातों जगह से निकलने वाली धारा देवप्रयाग में एक साथ मिलती है तो यह गंगा कहलाती है, जबकि इससे पूर्व की धाराओं के अलग-अलग नाम हैं.
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गंगा सात धाराओं में पृथ्वी पर उतरी
गोमुख से निकलने वाली धारा का नाम गंगा नहीं, भागीरथी है. पौराणिक मान्यता है कि शिव की जटा से मुक्त होकर गंगा सात धाराओं में पृथ्वी पर उतरी, जिसमें से तीन धाराएं पूर्व और तीन धाराएं पश्चिम की ओर प्रवाहित हुईं. सातवीं धारा भागीरथी पीछे आई. इसीलिए लोगों में आम धारणा है कि गंगा का उदगम स्थल गोमुख है. राय के अनुसार, ‘गोमुख से निकलने वाली धारा 200 किलोमीटर चलने के बाद देवप्रयाग पहुंचती है.’

बद्रीनाथ और केदार नाथ से भी निकली धाराएं
दूसरी तरफ बद्रीनाथ के पास से निकलकर अलकनंदा नदी भी करीब इतनी ही दूरी तय करने के बाद देवप्रयाग पहुंचती है. अलकनंदा अपने साथ केदारनाथ के पास से निकलने वाली मंदाकिनी, पिंडर, नंदाकिनी आदि नदियों का जल लेकर आती है.
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बंगाल में गंगा का नाम गंगा नहीं रह जाता
इस बात का भी उल्लेख पुस्तक में है कि ठीक इसी तरह गंगा सागर (बंगाल की खाड़ी) में मिलने से पहले भी गंगा का नाम गंगा नहीं रह जाता. पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद जिले के गिरिया के पास गंगा नदी दो भागों में बंट जाती है जिसका एक हिस्सा प.बंगाल में जबकि दूसरा हिस्सा बांग्लादेश की ओर चला जाता है.

प. बंगाल में नाम है भागीरथी, बांग्लादेश में पद्मा
गिरिया से आगे प. बंगाल में जो धारा आगे बढ़ती है, उसे भागीरथी बोला जाता है और जो धारा बांग्लादेश में चली जाती है, उसे पद्मा कहते हैं. भागीरथी नदी गिरिया से दक्षिण की ओर बहती है जबकि पद्मा दक्षिण पूर्व की ओर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है.

कोलकाता में कहलाती है हुगली
मुर्शिदाबाद शहर से हुगली शहर तक गंगा एक बार फिर भागीरथी के नाम से जानी जाती है (जैसा कि गोमुख से देवप्रयाग तक है). हुगली शहर से समुद्र के मुहाने तक गंगा का नाम हुगली ही है. कोलकाता में भी यह हुगली ही कहलाती है.

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