राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस पर देश में ‘सार्थक चुनाव’ पर मंथन

नागपुर : पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) नागपुर चैप्टर की ओर से 'राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस' का आयोजन यहां दर्डा आर्ट गैलरी, लोकमत भवन में शनिवार, 21 अप्रैल को संपन्न हुआ. इस वर्ष का थीम था- "भारतीय लोकतंत्र : सार्थक चुनाव का मंत्र" (Indian Democracy : Mantra for Effective Elections). पीआरएसआई के नागपुर चैप्टर के इस समारोह की अध्यक्षता नागपुर- अमरावती विभाग के सूचना एवं जनसंपर्क संचालक आर.बी. मुली ने की. आयोजन में सुप्रसिद्ध चिंतक असित सिन्हा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. आरंभ में अतिथियों और आमंत्रितों का स्वागत के साथ ही प्रास्ताविक पीआरएसआई नागपुर चैप्टर के अध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया. कार्यक्रम का संचालन अतुल त्रिवेदी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन सुधीर जाधव ने किया. इस अवसर पर संस्था की गतिविधियों में उत्कृष्ट योगदान के लिए पीआरएसआई के उपाध्यक्ष एम.एम. देशमुख एवं अशोक कोल्हटकर, जनसंपर्क अधिकारी नागपुर महानगर पालिका, नागपुर का बेस्ट पीआरओ के रूप में सत्कार भी किया गया. प्रारंभ में "प्रहार" के संस्थापक स्वर्गीय कर्नल सुनील देशपांडे को दो मिनट मौन रख कर श्रद्धाजंलि अर्पित की गई. नागपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में जिला सूचना अधिकारी अनिल गडेकर, महाजेनको के पीआरओ यशवंत मोहिते, महावितरण के पीआरओ योगेश विटंकर,श्रीमती शोभा धनवटे, अन्य जनसंपर्क कर्मी एवं शुभचिंतक सपरिवार शामिल हुए.

गढ़चिरोली जिले में 14 नक्सलियों का खात्मा

बोरिया जंगल में सी-60 पुलिस दल पर हुए नक्सली हमले के बाद जवाबी कार्रवाई, 38 वर्षों में तीसरी बड़ी सफलता गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) : नक्सलवाद विरोधी अभियान के अंतर्गत पुलिस ने यहां पिछले 34 वर्षों में तीसरी बड़ी सफलता हासिल की है. पुलिस कार्रवाई में आज रविवार, 22 अप्रैल को भामरागढ़-एटापल्ली तहसील के सीमावर्ती बोरिया जंगल में सी-60 पुलिस दल पर हुए नक्सली हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में 14 नक्सली मारे गए. मृतकों में नक्सल कमांडरों के भी होने का अनुमान मृत नक्सलियों में नक्सल जोनल समिति के सदस्य साईनाथ, सिनु और अन्य कई कमांडरों के भी शामिल होने का अनुमान है. इससे पूर्व इसी माह 3 अप्रैल को पुलिस ने 3 नक्सलियों को मार गिराया था. इस वर्ष जनवरी से आज तक की पुलिस कार्रवाई में कुल 21 नक्सली मारे जा चुके हैं. 9.30 बजे शुरू हुई मुठभेड़ दोपहर 2 बजे ख़त्म हुई सुबह करीब 9.30 बजे शुरू हुई यह मुठभेड़ दोपहर 2 बजे ख़त्म हुई. नक्सल विरोधी अभियान के महानिरीक्षक शरद शेलार से प्राप्त जानकारी के अनुसार भागरागढ़ पुलिस स्टेशन की सीमा स्थित बोरिया जंगल में नक्सल विरोधी अभियान के पुलिस दल के जवान गश्त पर थे. इसी बीच सुबह 9.30 बजे पुलिस दल पर नक्सलियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. हमला होते ही जवानों ने मोर्चा संभाला महानिरीक्षक शेलार के अनुसार पुलिस दल को पहले से क्षेत्र में नक्सलियों के होने की जानकारी थी. इसलिए जवान पहले से सतर्क थे. नक्सलियों की ओर से हमला होते ही जवानों ने मोर्चा संभाल लिया और जवाबी कार्रवाई शुरू कर दी. सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1 बजे तक चली कार्रवाई में नक्सली अपने मृत और जख्मी साथियों को ले कर पीछे हटने लगे. इसके बाद पुलिस ने तलाशी शुरू की तो 2 बजे तक वे पुलिस दल पर गोलीबारी करते रहे. बाद में पुलिस ने मुठभेड़ स्थल से नक्सलियों के 14 शव और हथियार एवं अन्य सामग्रियां बरामद की. मृत नक्सलियों में नक्सल जोनल समिति के सदस्य साईनाथ, सिनु और अन्य कई कमांडरों के भी शामिल होने का अनुमान है. मृत नक्सलियों के शवों को हेलिकॉप्टर से गढ़चिरोली लाया गया कार्रवाई की जानकारी मिलते ही पुलिस अधीक्षक डॉ. अभिनव देशमुख हेलिकॉप्टर से भामरागढ़ के लिए रवाना हुए. सभी मृत नक्सलियों के शवों को उसी हेलिकॉप्टर से गढ़चिरोली लाया गया है. उपमहानिरिक्षक अंकुश शिंदे ने बताया कि इस वर्ष जनवरी से आज तक की पुलिस कार्रवाई में कुल 21 नक्सली मारे जा चुके हैं. पिछले 38 वर्षों में नक्सल विरोधी अभियान के सी-60 पुलिस दल की यह तीसरी बड़ी सफलता है. इससे पूर्व 2013 में अहेरी तहसील के गोविंदगांव में पुलिस के साथ मुठभेड़ में 6 नक्सली मारे गए थे. उसके बाद 6 दिसंबर 2017 को सिंरोंचा तहसील के कल्लेड में 7 नक्सलियों को मार गिराया गया था.

रेप के दोषियों को फांसी देने के लिए अध्यादेश, 2 महीने में पूरी करनी...

प्रधानमंत्री आवास पर चली ढाई घंटे की बैठक में केंद्रीय कैबिनेट ने लिया बच्चियों से रेप की बढ़ती घटनाओं पर बड़ा फैसला अध्यादेश के प्रावधान - 12 साल से कम उम्र के बच्चों से रेप के दोषी को मिलेगी मौत की सजा - तेज होगी जांच और सुनवाई, समयसीमा निर्धारित कर दी गई है, जो 2 महीने है - 16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप पर अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं - 12 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप पर ताउम्र जेल या मौत की सजा - महिला से रेप मामले में न्यूनतम सजा 7 साल से बढ़ाकर 10 साल, इसे उम्रकैद में भी बदला जा सकता है नई दिल्‍ली : भारत सरकार ने नाबालिग बच्चियों से रेप के मामलों पर कठोर निर्णय लेते हुए पॉकसो एक्‍ट में बदलाव पर मुहर लगा दी है. प्रधानमंत्री आवास पर शनिवार, 21 अप्रैल को चली ढाई घंटे की बैठक में यह फैसला लिया गया कि रेप के दोषियों को फांसी देने के लिए अध्यादेश लाया जाएगा. इस बैठक में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामलों में दोषियों को मौत की सजा का रास्ता साफ हो गया. इसे मंजूरी के लिए अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. जांच तेजी से 2 महीने में पूरी की जाएगी इसके अलावा इस बैठक में यह निर्णय भी लिया गया है कि ऐसे मामलों में जांच तेजी से 2 महीने में पूरी की जाएगी. आपको बता दें कि रेप की हाल की घटनाओं के बाद देश में काफी गुस्‍सा व्‍याप्‍त है. जनता बार-बार इस तरह के मामलों में कठोर से कठोर सजा दिए जाने की मांग भी लगातार करती रही है. इसी जनभावना का सम्‍मान करते हुए केंद्र ने यह फैसला लिया है. पॉक्सो के मौजूदा प्रावधान पॉक्सो के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार, दुष्कर्म के दोषियों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद है और न्यूनतम सात साल की जेल है. 18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आता है. इसके तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फांसी की सजा पर मुहर गौरतलब है कि देश के कुछ राज्‍य राजस्‍थान, मध्‍य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में केबिनेट ने 12 वर्ष से कम उम्र की बच्‍ची के साथ रेप के मामलों में फांसी की सजा पर मुहर लगा दी है. हालांकि इन्‍हें अभी राष्‍ट्रपति से मंजूरी मिलना बाकी है, लेकिन इससे यह बात साफ हो गई है कि राज्‍य भी इसको लेकर काफी सख्‍त रुख अपना चुके हैं. रेप में कब फांसी इसके अलावा आईपीसी की धारा-376 ए के तहत प्रावधान किया गया कि अगर रेप के कारण महिला मरने जैसी स्थिति में चली जाए तो दोषी को अधिकतम फांसी की सजा हो सकती है. साथ ही गैंग रेप के लिए 376 डी के तहत सजा का प्रावधान किया गया, जिसके तहत कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रभर के लिए जेल का प्रावधान किया गया. साथ ही...

दो घंटे पूजा करने के बदले बेटियों को पुलिस अधिकारी, तहसीलदार बनाने का प्रयास...

'सत्यपाल महाराज की सत्यवाणी' : हजारों श्रद्धालुओं का सत्यपाल महाराज ने किया कोंढाली में समाज प्रबोधन संवाददाता कोंढाली (नागपुर) : रोज दो घंटे पूजा करने बजाय अपनी बेटियों को पुलिस अधिकारी, तहसीलदार बनाने का प्रयास करना जरूरी है, लड़कियों को पढ़ाना जरूरी है. आज दुनिया चाँद पर जा रही है और हम यहां अपने ऊपर देवी आने का स्वांग रचाने में ही अपनी बड़ाई मानने और मनवाने में ही लगे हैं. हम एक ओर संतों की जयंती मनाते हैं और दूसरी ओर हमारे युवा बेटे डीजी बजाकर उसकी कर्कश धुन में नाचकर जश्न मनाते हैं. जबकि संतों की जयंती के अवसर पर नाचने की बजाय उनके बताए मार्ग का चिंतन करना और उस पर आचरण करना जरूरी है. यह सारे विचार आज शनिवार, 21 अप्रैल को यहां महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध समाज सुधारक संत सत्यपाल महाराज ने अपने चिर-प्रचलित विनोदी शैली में व्यक्त करते हुए भक्ति और पूजा-पाठ की जगह ढोंग और दिखावे पर करारा प्रहार किया. वे यहां 'सत्यपाल महाराज की सत्यवाणी' समाज प्रबोधन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. यह कार्यक्रम स्थानीय श्रीसंत गोरबा काका कुंभार बहुउद्देशीय संस्था, कोंढाली तथा दुर्गा उत्सव मंडल, कुंभारपुरा द्वारा गोरबा काका पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया था. कोंढाली के स्थानीय देशमुख वाड़े में रात 9 बजे आरंभ हुए समाज प्रबोधन में भारी संख्या में श्रद्धालु एवं श्रोता उपस्थित थे. कार्यक्रम का शुभारंभ सत्यपाल महाराज के हाथों कोंढाली के पूर्व सरपंच सोमराज पालिवाल तथा कोंढाली के थानेदार पुरुषोत्तम अहेरकर की उपस्थिति में डीप प्रज्वलन कर तथा संत गोरबा काका की प्रतिमा का पूजन कर किया गया. कार्यक्रम की प्रस्तावना सचिन सावरकर ने किया. उन्होंने बताया कि संत गोरबा महाराज ने संत ज्ञानेश्वर की संत परंपरा को कायम रखा तथा समाज को भक्ति का मार्ग दिखाकर समाज प्रबोधन किया. इसीलिये आज समाज प्रबोधन के लिए सत्यपाल महाराज की सत्यवाणी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सत्यपाल महाराज ने लगभग दो घंटे तक लगातार समाज प्रबोधन कर कहा कि संत गोरबा काका जैसे संतों के बताए मार्ग पर चलना और आचरण करना जरूरी है. किसानों की आत्महत्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए सत्यपाल महाराज ने कहा कि किसानों को समस्या का मुकाबला करना चाहिए समस्याओं भागने के लिए जान देने की जरूरत नहीं है. कार्यक्रम की सफलता के लिए संत गोरबा काका बहुउद्देशीय संस्था के सभी पदाधिकारी तथा सदस्यों ने परिश्रम लिया.

नागपुर एजी ऑफिस के दो ऑडिटकर्मी वाशिम में रिश्वत लेते सीबीआई की गिरफ्त में

ग्रामपंचायत की ऑडिट रिपोर्ट अच्छी श्रेणी का देने के लिए की थी रिश्वत की मांग नागपुर : वाशिम जिले के काटा ग्रामपंचायत की ऑडिट रिपोर्ट को बढ़िया श्रेणी देने के लिए 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगने वाले केंद्र सरकार के नागपुर स्थित महालेखाकार कार्यालय (एकाउंटेंट जेनरल, एजी) के दो लेखा अधिकारयों महेंद्र जोगेश्वर शुक्ला (वरिष्ठ लेखाधिकारी) और विजय आनंदराव नंदनवार (लेखाधिकारी) को वाशिम के एक होटल से गुरुवार, 19 अप्रैल को सीबीआई की नागपुर की टीम ने गिफ्तार किया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार काटा की पंचायत समिति और ग्रामपंचायत के एक अधिकारी से दोनों लेखाधिकारियों शुक्ला और नंदनवार ने मनमाफिक ऑडिट रिपोर्ट देने और ऑडिट रिपोर्ट में न्यूनतम आपत्तियां दर्शाने के लिए 10 हजार रुपए रिश्वत की मांग की. ग्रामपंचायत के कार्य ठीकठाक होने और कोई गड़बड़ी नहीं होने के बावजूद अच्छी रिपोर्ट के लिए रिश्वत मांगने की उनकी हमेशा की इस आदत पर उक्त अधिकारी ने सीबीआई की नागपुर यूनिट के अधीक्षक विजयेंद्र बिदारी से शिकायत की. शिकायत की जांच करवाने के बाद सीबीआई अधीक्षक ने अपने स्थानीय अधिकारियों को कार्रवाई का आदेश दिया. सीबीआई टीम की रणनीति के अनुसार पंचायत के काम का ऑडिट करने के बाद रिश्वत की रकम लेने के लिए शिकायतकर्ता ने शुक्ला और नंदनवार को वाशिम के एक होटल में बुलाया. गुरुवार की दोपहर होटल में रिश्वत की रकम स्वीकार करते हुए सीबीआई की टीम ने दोनों को धर-दबोचा. प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों से पूछताछ और आगे की कार्रवाई सीबीआई टीम ने पूरी कर ली है. रिश्वत के लिए एजी आफिस के इन दो ऑडिटरों की गिरफ्तारी यहां यहां महालेखाकार कार्यालय पहुंचते ही कार्यालय में हड़कंप मच गया. सभी अधिकारी एवं ऑडिटरों को मानो सांप सूंघ गया है.

बुटीबोरी को मिला नगर परिषद का दर्जा, जिला परिषद चुनाव फिर बाधित

नागपुर : राज्य शासन ने बुटीबोरी ग्रामपंचायत को नगर परिषद का दर्जा प्रदान कर दिया है. पिछले बुधवार, 18 अप्रैल को शासन ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिया. बुटीबोरी के लिए राज्य शासन की ओर से आपत्तियां मंगाई गई थीं. किन्तु इस संबंध में किसी प्रकार की आपत्ति नहीं आने पर बुटीबोरी को नगर परिषद का दर्जा प्रदान कर दिया गया. लेकिन, इससे नागपुर जिला परिषद के चुनाव की प्रक्रिया में एक बार फिर से बाधा पहुंचने की संभावना पैदा हो गई है. हालांकि आरक्षण संबंधी विवाद को लेकर पहले भी नागपुर जिला परिषद का चुनाव पिछले वर्ष टल चुका है. जि.प. के पूर्व सदस्य बाबा आष्टनकर की आरक्षण संबंधी एक याचिका हाईकोर्ट में लंबित है. इस पर फैसला आगामी मंगलवार, 23 अप्रैल को आने की संभावना है. सर्किल आरक्षण को लेकर उत्पन्न विवाद अब जब दूर होने की कगार पर पहुंच चुका है तो बुटीबोरी नगरपरिषद को लेकर सर्किल संरचना को नए सिरे से अधिसूचित करने का मामला सामने आ गया है. बुटीबोरी को 1958 में ग्रामपंचायत का दर्जा मिला था. 29 हजार की जनसंख्या वाले इस ग्रामपंचायत में बुटीबोरी, रेंगापार, बोरखेड़ी (फाटक) गांवों का समवेश था. अब ग्रामपंचायत से नगर परिषद का दर्जा मिलने से बुटीबोरी के क्षेत्र का और जनसंख्या का भी विस्तार होगा. इसके लिए आसपास के अन्य ग्रामपंचायतों को भी इसमें शामिल किया जाएगा. नागपुर के जिलाधिकारी ने पिछले वर्ष 3 अगस्त को इसके लिए राज्य शासन से सिफारिश किया था. यद्यपि राज्य चुनाव आयोग की ओर से आरक्षण संबंधी विवाद के मद्देनजर फिर से सर्किल के अनुसार पिछले 3 अप्रैल को ही आरक्षण की घोषणा कर दी गई है, तथापि इसके बाद 18 अप्रैल को बुटीबोरी को नगरपरिषद का दर्जा देने की अधिसूचना जारी कर दिए जाने के कारण एक बार फिर से सर्किलों की आरक्षण को अद्यतन करने की जरूरत होगी. इसमें हालांकि अधिक समय नहीं लगेगा, फिर भी चुनाव प्रक्रिया आरम्भ करने में बाधा तो आएगी ही. पिछले वर्ष पूरे राज्य में जिला परिषद और पंचायत समितियों के चुनाव संपन्न हुए. किन्तु नागपुर जिला परिषद और जिले की पंचायत समितियों के चुनाव सर्किल आरक्षण विवाद के अदालत में पहुंच जाने से यह चुनाव टाल दिए गए थे. अब बुटीबोरी को लेकर भी चुनाव प्रक्रिया नए सिरे से आरंभ करनी पड़ेगी.

वर्धा और सेवाग्राम रेल्वे स्टेशनों के अनाधिकृत वेंडरों पर कार्रवाई

ट्रेनों और स्टेशन परिसर में बेच रहे थे खाद्यपदार्थ, उड़ान पुल पर भी चला रहे थे धंधा रवि लाखे वर्धा : स्थानीय रेल्वे सुरक्षा बल के जवान सहित नागपुर से आए विशेष पथक ने गुरुवार को वर्धा और सेवाग्राम रेल्वे स्टेशन परिसर पर अचानक छापा मार कर 12 अनाधिकृत वेंडरों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें स्थानक परिसरों से हटाया. इतना ही नहीं वर्धा रेल्वे सुरक्षा दल के जवानों ने रेल्वे उड़ान पुल पर धंधा करने वाले 6 लोगों पर भी कार्रवाई की. रेल्वे विभाग से बिना अनुमति लिए ट्रेनों में और रेल्वे स्थानक परिसर में खाद्यपदार्थों की बिक्री करने के अपराध में 12 अवैध वेंडरों पर यह कार्रवाई की गई. नागपुर से आए विशेष पथक और वर्धा के रेल्वे सुरक्षा बल के अधिकारी व कर्मचारियों ने अनाधिकृत वेंडरों पर रेल्वे अधिनियम की धारा 144 के तहत कार्रवाई की. उड़ान पल पर रेल्वे के नियमों के ठेंगा दिखाते हुए धंधा करने वाले 6 वेंडरों के विरुद्ध वर्धा रेल्वे सुरक्षा बल के अधिकारियों ने धारा 147 के तहत कार्रवाई करते हुए उन सभी के विरुद्ध भी अपराध दर्ज किए गए. यह कार्रवाई मध्य रेल्वे नागपुर के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ज्योति कुमार सतीजा के मार्गदर्शन में वर्धा रेल्वे सुरक्षा बल के थानेदार सुरेश कांबले, पुलिस उपनिरीक्षक सचिन दलाल, ए.के. बारले सहित नागपुर के विशेष पथक के अधिकारियों औ कर्मचारियों ने किया.

कनेक्टिंग फ्लाइट मिस हुआ तो 20 हजार तक मिल सकता है हर्जाना

नई दिल्ली : विमानन नियामक (एविएशन रेग्युलेटर) डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने यात्रियों को विमान कंपनियों की सेवा में कमी से उत्पन्न होने वाली असुविधाओं के लिए कुछ मुआवजों का प्रस्ताव किया है. इनके तहत जैसे आप अपने फर्स्ट फ्लाइट में देरी या उसके कैंसल होने से कनेक्टिंग फ्लाइट नहीं पकड़ पाते तो हैं, तो एयरलाइन कंपनी को आपको 20,000 रुपए तक हर्जाना देना पड़ सकता है. हालांकि विमानन कंपनियों ने इन प्रस्तावों का विरोध किया है. उल्लेखनीय है कि डीजीसीए ने पहली बार पहली फ्लाइट में देरी के चलते कनेक्टिंग फ्लाइट मिस होने पर पैसेंजर्स को (फ्लाइट में देरी के घंटों के हिसाब से) 20,000 रुपए तक मुआवजा देने का प्रस्ताव किया है. इतना ही मुआवजा उन्हें भी देने का प्रपोजल है, जिनकी पहली फ्लाइट रद्द होने के चलते कनेक्टिंग फ्लाइट छूट जाएगी. डीजीसीए ने यह भी कहा है कि टारमाक पर दो घंटे से ज्यादा की देरी होने पर पैसेंजर्स को प्लेंस से उतारना होगा. टिकट होने पर भी विमान में सवार नहीं किया तो 5 हजार का हर्जाना डीजीसीए ने यात्रियों के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित करने वाले पैसेंजर चार्टर में इसे शामिल करने का प्रस्ताव दिया है. अंग्रेजी दैनिक ‘इकोनामिक टाइम्स’ के मुताबिक अगर किसी पैसेंजर को टिकट होने के बावजूद विमान में सवार होने नहीं दिया जाता है तो एयरलाइन को उसे 5,000 रुपए का मुआवजा देना होगा. विमानन कंपनियों ने किया विरोध इन कदमों का इंडिगो, जेट एयरवेज, स्पाइसजेट और गोएयर जैसे मेंबर्स वाले फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) के अलावा विस्तारा और एयरएशिया इंडिया जैसे गैर एफआईए सदस्यों ने विरोध किया है. उनका कहना है कि कई बार फ्लाइट ओवरबुक होने पर पैसेंजर को बोर्डिंग की इजाजत नहीं दी जाती, लेकिन आमतौर पर ऐसी देरी कोहरे वाले दिनों में होती है, इसलिए एफआईए ने चार्टर के मौजूदा नॉर्म्स बनाए रखने का सुझाव दिया है, जिसमें मुआवजे का कोई प्रावधान नहीं है. वहीं, विस्तारा ने इंटरननेशनल और डोमेस्टिक फ्लाइट्स के लिए हर्जाना अलग-अलग तय करने को कहा है. विस्तारा ने एविएशन मिनिस्ट्री और डीजीसीए को लिखा है, 'इन सूरतों में एयरलाइन की जिम्मेदारी तभी बनती है, जब कनेक्शन एक ही टिकट या पीएनआर पर होता है. इसमें कैश कंपनसेशन तय लिमिट में खाने-पीने और होटल पेमेंट के लिए होना चाहिए, अगर ये सुविधाएं एयरलाइन कंपनी अपनी तरफ से पैसेंजर को नहीं मुहैया कराती हैं.’ एफआईए और दूसरे एयरलाइंस ने उस प्रपोजल पर भी ऐतराज किया है, जिसमें फ्लाइट रद्द होने से 24 घंटे पहले बताने या टिकट का पूरा पैसा वापस देने का प्रपोजल दिया गया है.

जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग उच्चतम न्यायालय ने किया खारिज

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश बी.एच. लोया की कथित रहस्यमय मौत की स्वतंत्र जांच की मांग की याचिका खारिज कर दी है. जज लोया हाई प्रोफाइल सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई रहे थे. राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा था न्यायालय ने कहा कि लोया के साथ 3 जज और थे. उनकी बात पर यकीन न करने की कोई वजह नहीं है. अदालत ने कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिक इस्तेमाल किया जा रहा था. ज्ञातव्य है कि 1 दिसंबर, 2014 को लोया की नागपुर में कार्डियक अरेस्ट से कथित तौर पर मृत्यु हो गई थी. जब वह एक सहयोगी की बेटी की शादी में भाग लेने गए थे. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और डी.वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने 16 मार्च को एक याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया था. जजों पर आरोप अनुचित न्यायालय ने आज कहा कि जिस तरह से बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों पर टिप्पणियां की गईं, जो उन पर आरोप लगाए गए, वे अनुचित हैं. अदालत ने कहा कि यह अवमानना का मामला है, हालांकि हम ऐसी कार्यवाही करेंगे नहीं. उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी आई कि इस मामले में न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की गई है. अदालत ने इस मामले से जुड़ी सभी याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं थी. न्यायापालिका को बदनाम करना चाहते थे याचिकाकर्ता अदालत ने कहा कि इसके साथ ही मौजूदा न्यायाधीशों के बयान पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है, याचिकाकर्ताओं का प्रयास न्यायपालिका को बदनाम करना था. इस मामले में याचिकाकर्ताओं की अगुवाई वकील दुष्यंत दवे, इंदिरा जयसिन्ह और प्रशांत भूषण कर रहे थे. तीन जजों की पीठ में से एक जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया. प्रशांत भूषण ने कहा- फैसला बहुत ही गलत है इस मामले में एक याचिकाकर्ता और वकील प्रशांत भूषण ने आज सुप्रीम कोर्ट के लिए काला दिन बताया है. उन्होंने कहा कि फैसला बहुत ही गलत है. भूषण ने कहा कि जज लोया की मौत को लेकर शक करने के लिए इतनी सारे कारण थे, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने सभी को दरकिनार कर दिया.

पत्थर से कुचल कर हत्या मामले की गुत्थी सुलझी, आरोपी ने कबूला जुर्म

कोंढाली (नागपुर) : पिछले 13 अप्रैल की रात प्रदीप कोलते नामक युवक की पत्थर से कुचल कर की गई हत्या मामले में स्थानीय पुलिस ने एक 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के को गिरफ्तार किया है. पुलिस के अनुसार अवयस्क लड़के ने हत्या का अपराध कबूल भी कर लिया है. नागपुर-अमरावती मार्ग पर चाकडोह फाटे से एक मार्ग शिवा की ओर जाता है, इस मार्ग पर 14 अप्रैल की सुबह 5 बजे लोगों को शिवा निवासी अविवाहित युवक प्रदीप राजाराम कोलते (25) की लाश मिली थी. मृतक के चहेरे तथा सर पर पत्थर से वार कर हत्या की गई थी. मृतक के भाई विनोद कोलते की शिकायत पर कोंढाली के थानेदार पुरुषोत्तम अहेरकरने हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू किया. शिकायत में प्रदीप की हत्या का संदेह उसके शराबी मित्र दिवाकर परतेती (25) तथा मारोती नेहारे (35, मु.शिवा) पर जाहिर की गई थी. कोंढाली पुलिस ने दोनों को हिरासत में लिया और फिर रिमांड पर लेकर जांच आगे बढ़ाई. दोनों हत्या में हाथ होने से इंकार करते रहे. थानेदार पुरुषोत्तम अहेरकर ने अपने मुखबिरों को शिवा गांव में काम से लगाया. उन्होंने इस हत्या में 11वीं कक्षा की परीक्षा देनेवाले एक छात्र का हाथ होने का सुराग दिया. इस आधार पर पुलिस द्वारा पिता के निधन के कारण खेतों में मजदूरी कर जीवन-यापन कर रहे उस 16 वर्ष 10 माह उम्र के छात्र से पूछताछ करने पर उसने हत्या का अपराध कबूल कर लिया. उसने बताया कि उस रात खेत में प्रदीप उसके पास शराब पीने पहुंचा, जहां वह मवेशियों को पानी पिला रहा था. प्रदीप वहीं बैठ कर अपने साथ लाई शराब पीना चाहता था. लड़के ने बताया कि उसने उसे वहां शराब पीने नहीं दिया और प्रदीप को उसने खदेड़ दिया. इसके बाद रात 8.30 से 9 बजे के बीच जब वह खेत से घर वापस जा रहा था, तब उसे चाकडोह-शिवा मार्ग के एक नाले के समीप फिर प्रदीप मिला और उसके साथ झगड़ने लगा. दोनों नीचे गिर गए, प्रदीप उसे कॉलर पकड़ कर मार रहा था. इस दौरान उसने पास से एक पत्थर उठाकर प्रदीप के चहेरे तथा सर पर चार पांच वार किए, जिससे शराब के नशे में धुत प्रदीप गंभीर रूप से घायल हो गया. उसके बाद आरोपी घर वापस आ गया, खून से सने हाथ धोए तथा कपड़े बदले. बाद में प्रदीप की मौत हो गई. आरोपी लड़के का इकबालिया बयान लेकर कोंढाली पुलिसने कम उम्र का होने के कारण उसको बाल सुधारगृह रवाना कर दिया. थानेदार पुरुषोत्तम अहेरकर स्वयं इस मामले की जांच कर रहे हैं.