महाराष्ट्र शासन

महाराष्ट्र शासन : मंत्रियों का थम नहीं रहा असंतोष

कांग्रेस के पूर्व सांसद यशवंतराव गड़ाख ने कहा कि अगर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री ऐसे ही लड़ते रहेंगे तो सीएम ठाकरे को इस्तीफा न सौंपना पड़ जाए मुंबई : महा विकास आघाड़ी के महाराष्ट्र शासन में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) के मंत्रियों में बंगले और विभागों को लेकर असंतोष अब सरकार के कामकाज में व्यावधान पहुंचाने लगे हैं. इससे परेशान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अत्यधिक परेशान हो गए हैं. उन्होंने इस्तीफा तक तैयारी दिखा दी है. इसकी पुष्टि आज कांग्रेस के पूर्व सांसद यशवंत राव गड़ाख ने भी की है.   गड़ाख ने ट्विट कर महाराष्ट्र शासन पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि अगर कांग्रेस और NCP के मंत्री बंगलों और विभागों के आवंटन जैसे मुद्दों पर ऐसे ही सरकार के कार्यों में बाधा डालते रहे तो, मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. ज्ञातव्य है कि शिवसेना खुद इस बात को स्‍वीकार कर चुकी है कि मंत्री पद को लेकर इस गठबंधन की सरकार में खींचतान चल रही है, जिससे सीएम ठाकरे परेशान हो गए हैं. पिछले 30 दिसंबर को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के विस्तार में 36 मंत्रियों को शामिल किया गया था. हालांकि, मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या अब 43 हो गई है जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात के बाद मंत्रियों के विभागों के आवंटन को अंतिम रूप दिया था और सभी मुद्दों को सुलझा भी लिया गया था. कांग्रेस कृषि और सहकारिता जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित कोई भी विभाग न मिलने के कारण नाराज है. मंत्रिमंडल में विभागों और बंगलों के बंटवारे को लेकर मंत्री खुश नहीं हैं. सरकार के करीब दर्जनभर शिवसेना विधायक भी मंत्रिमंडल पद न मिलने से नाराज चल रहे हैं, तो वहीं कई विधायक अपने कम ओहदे के कारण भी असंतोष जाता रहे हैं. शिवसेना के कुल 14 मंत्री बनाए गए हैं. जिनमें पूर्व सरकार में मंत्री रहे रामदास कदम, रवींद्र वायकर, शिवसेना नेता दिवाकर रावते, दीपक केसरकर मंत्रिमडल में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाया है. महाराष्ट्र शासन में विपक्षी भाजपा एक माह से अधिक समय से सत्ता में होने के बावजूद विभागों के आवंटन में देरी के लिए महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार पर निशाना साध चुकी है. शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के दो-दो सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 28 नवम्बर को शपथ ग्रहण की थी. इसके पश्चात 30 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था. ज्ञातव्य है कि तीनों दलों के प्रमुख नेताओं में एनसीपी के अनिल देशमुख को गृह मंत्रालय, शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को शहरी विकास मंत्रालय, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात को राजस्व विभाग, अशोक चव्हाण को पीडब्ल्यूडी मंत्री इसके अलावा शिवसेना नेता और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे को पर्यटन और पर्यावरण मंत्रालय सौंपा गया है. साथ ही एनसीपी नेता अजित पवार को वित्त मंत्रालय सौंपा गया है.
CAA/NRC

CAA/NRC विरोध : कांग्रेस की विपक्षी एकता बैठक को लगी वाट

वामपंथी दलों के अलावा क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियां होंगी शामिल नई दिल्ली : विपक्षी दलों की नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) और NRC के विरुद्ध एक संयुक्त रणनीति बनाने के लिए आयोजित बैठक कांग्रेस के आमंत्रण के साथ ही विपक्षी एकता को वाट लगती नजर आ रही है. कांग्रेस ने इस बैठक के माध्यम से CAA/NRC विरोध के मुद्दे पर देश को विपक्षी एकता का सन्देश देना बताया है. बैठक से पहले ही पड़ी फूट लेकिन बैठक से पहले ही कांग्रेस का यह प्रयास विफल होता दिखाई देने लगा है. महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ सत्तारूढ़ शिवसेना सहित अनेक प्रमुख विपक्षी दलों ने बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है. यह बैठक आज सोमवार को संसद भवन में दोपहर 2 बजे  शुरू होने वाली है. बैठक में वामपंथी दलों के अलावा शरद पवार की एनसीपी और कुछ क्षेत्रीय विपक्षी पार्टियां सम्मिलित हो सकती हैं. विपक्षी एकता में फूट पहले ही दिखने लगी है. तृणमूल कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. आज होने वाली विपक्षी दलों की मीटिंग में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा सुप्रीमो मायावती शामिल नहीं होंगी. ममता बनर्जी ने जहां पहले ही इस बैठक में शामिल नहीं होने की बात कह दी थी, वहीं मायावती ने आज स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी, इस बैठक में शामिल नहीं होगी. शिवसेना भी नहीं होगी शामिल कांग्रेस द्वारा आयोजित इस बैठक में क्षेत्रीय विपक्षी दल- शिवसेना भी शामिल नहीं होगी. सूत्रों ने बताया कि CAA/NRC के मुद्दे पर बुलाए गई इस बैठक से शिवसेना किनारा कर सकती है. गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस और शिवसेना साथ में मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रहे हैं, ऐसे में साथी पार्टी का ही बैठक में नहीं आना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका हो सकता है. बसपा का इंकार और कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने ट्विट करते हुए बताया कि बसपा आज कांग्रेस द्वारा बुलाए गए विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं होगी. उन्होंने कहा है कि "वैसे भी बसपा CAA/NRC के विरोध में है. केंद्र सरकार से पुनः अपील है कि वह इस विनाशकारी और असंवैधानिक क़ानून को वापस ले. साथ ही, JNU और अन्य शिक्षण संस्थाओं में भी छात्रों का राजनीतिकरण करना, यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है." दूसरे ट्विट में मायावती ने कहा है- "ऐसे में कांग्रेस के नेतृत्व में आज विपक्ष की बुलाई गई बैठक में शामिल होना, यह राजस्थान में पार्टी के लोगों का मनोबल गिराने जैसा होगा. इसलिए बीएसपी इनकी इस बैठक में शामिल नहीं होगी. अपने तीसरे ट्विट में बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया है कि "जैसाकि सर्वविदित है की राजस्थान कांग्रेसी सरकार को बीएसपी का बाहर से समर्थन दिए जाने पर भी, इन्होंने दूसरी बार वहां बीएसपी के विधायकों को तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है जो यह पूर्णताः विश्वासघाती है." AAP ने बैठक में शामिल होने से किया इंकार साथ ही आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने से मना कर दिया है. एक समाचार एजेंसी ने बताया है कि देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर...
ZP

ZP Election : नागपुर जिले में कांग्रेस का कब्जा, भाजपा को झटका

जिला परिषद, पंचायत समिति चुनावों में अनपेक्षित परिणाम नागपुर : राज्य में सत्ता से हाथ धोने के साथ ही जिले में हुए स्थानीय निकाय चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को जोर का झटका लगा है. इस चुनाव में कांग्रेस 31 जिला परिषद (ZP) सर्किल में जीत हासिल कर सिंगल लार्जेस्ट पार्टी के रूप में उभरी है. जबकि सहयोगी एनसीपी को 10 और शिवसेना को 1 सीट पर जीत मिली. भाजपा को मात्र 15 सीटों पर संतोष करना पड़ा है. पिछले मंगलवार, 7 जनवरी को जिला परिषद (ZP) के 58 सर्किल के लिए और पंचायत समिति की 116 सीटों के लिए मतदान हुए थे. जिला परिषद (ZP) के लिए 270 और पंचायत समिति के लिए 497 उम्मीद्वार मैदान में थे. केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के गृह जिले में भाजपा को अनपेक्षित पराजय का मुंह देखना पड़ा है. भाजपा के इन दोनों दिग्गज नेताओं का गृह जिला होने के कारण जिला परिषद् और पंचायत समिति के ये चुनाव विशेष महत्त्व के हो गए थे. इन चुनावों में भाजपा सभी सीटों पर चुनाव लड़रही थी. वहीं कांग्रेस और एनसीपी का गठनबंधन हुआ था. शिवसेना स्वतन्त्र रूप से मैदान में थी. राज्य की महा विकास आघाडी सरकार में जिले से कांग्रेस और एनसीपी को तीन महत्त्व के मंत्रिपद मिले हैं. इसलिए उनके लिए भी जिले के ये चुनाव प्रतिष्ठा के चुनाव बन गए थे. प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा द्वारा जिला परिषद (ZP) और पंचायत समिति दोनों के उम्मीद्वारों के चयन में मुंह की खा गई. उसने अपने अनेक प्रभावी उम्मीद्वारों की उपेक्षा की और उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम जीत हासिल कर कांग्रेस का पक्ष मजबूत कर दिया. इसके साथ ही एक बार फिर जिले के पूर्व पालक मंत्री भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले की विधानसभा चुनावों में उपेक्षा का परिणाम सामने आया है. भाजपा ने कामठी क्षेत्र से उन्हें उम्मीदवारी नहीं देकर पहले ही कामठी विधानसभा सीट गवां चुकी थी. इस चुनाव में काटोल विधानसभा क्षेत्र से विजयी एनसीपी नेता और राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख के पुत्र मटपांजरा ZP सर्किल से एनसीपी के सलील देशमुख विजयी हुए हैं. वही हिंगणा तहसील के रायपुर ZP सर्किल से पूर्व मंत्री एनसीपी नेता रामह बंग के पुत्र दिनेश बंग विजयी हुए.
झारखंड

झारखंड की इज्‍जत नीलाम हो रही है दिल्‍ली के बाजार में

हर दिन यहां 30 बेटियों की लगाई जाती है बोली रांची : गरीबी और बेरोजगारी की मार झेल रहे झारखंड से प्रति वर्ष करीब 10 हजार लड़कियां व महिलाएं आज भी बिक रही है. पता चला है कि इनमें से अधिकतर मानव तस्करी की शिकार होती हैं. इन्हें बहला-फुसलाकर अच्छे वेतन पर काम दिलाने का झांसा देकर बड़े शहरों में दलाल बेच देते हैं. बताया जाता है कि दिल्ली, झारखंड की इन महिलाओं की खरीद-बिक्री की सबसे बड़ी मंडी बनी हुई है. साथ ही मुंबई, यूपी, पंजाब, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों में भी झारखंड की बेटियों की बोली लग रही है. देश के अलावा नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका तथा पाकिस्तान स्थित अपने कार्यालयों से 47 सहयोगी संस्थाओं के साथ कार्यरत गैर सरकारी संगठन एक्शन अगेंस्ट ट्रैफिकिंग एंड सेक्सुअल एक्सप्लायटेशन (AATSA) ने पिछले कुछ वर्षों से यह तथ्य जुटा रहा है.   आदिवासी इलाकों पर दलालों की खास नजर AATSA के अनुसार झारखंड के सुदूर आदिवासी बहुल इलाकों में मानव तस्कर कहीं अधिक सक्रिय हैं. सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, रांची, पाकुड़, साहेबगंज, दुमका, गोड्डा तथा गिरिडीह जैसे आदिवासी बहुल इलाकों से यह धंधा अन्य क्षेत्रों से कहीं अधिक होता है.   बहकावे, दबाव व झांसे में आकर फंस रहीं हैं महिलाएं AATSA के आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे दलालों के जाल में फंसने वाली झारखंड की लड़कियों और महिलाएं बिचौलियों के बहकावे में, पारिवारिक दबाव में, सहेलियों के साथ और अधिकांश परिवार के अन्य सदस्यों के साथ चली जाती हैं. इनमें कुछ 20 वर्ष से कम आयु वर्ग की होती हैैं, जबकि कुछ 20 से 25 आयु वर्ग की तथा कुछ 25 से अधिक आयु वर्ग की होती हैं.   10 फीसद महिलाएं लौटकर नहीं आतीं  AATSA  के आंकड़ों के अनुसार विभिन्न माध्यमों से दूसरे प्रदेशों के लिए पलायन करने वाली तकरीबन 10 फीसद महिलाएं लौट कर आ भी नहीं पातीं. उनका कुछ अता-पता भी नहीं चलता. शेष महिलाएं किसी न किसी रूप में शारीरिक व मानसिक शोषण की शिकार होती हैं. नौकरी की तलाश में जाने वाली हजारों महिलाएं इज्जत लुटा कर ही लौट पाती हैं. सरकार और राजनीतिक दल बने हुए हैं अनजान यह सिलसिला काफी पुराना है. राज्य की सभी पिछली सरकारों और राजनीतिक दलों को भी इस बात की जानकारी रही है. लेकिन इसे रोकने अथवा जागरूक करने के लिए गंभीरता से किसी ने विशेष कुछ नहीं किया. राज्य की नई हेमंत सोरेन सरकार इस दिशा में क्या कदम उठाती है, यह देखना है. राजनीतिक दल भी आवाज उठाते हैं या नहीं, यह भी आने वाला समय बताएगा. सरकार के लिए सबसे जरूरी है कि वह जल्द से जल्द राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करे, ताकि आजीविका के लिए महिलाएं और लड़कियों को ऐसे झांसे में आने से बच सके.
VSSS

VSSS : सिंधी महासम्मेलन में नागपुर के मोटवानी बने महाराष्ट्र अध्यक्ष

वाधवानी और जेसाभाऊ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त पुणे : सिंधी समाज का विश्व सिंधी सेवा संगम (VSSS) का तीसरा इंटरनेशनल कन्वेंशन यहां होटल ऑर्चिड में 3 से 5 जनवरी तक यादगार बन गया. कन्वेंशन में पूरे देश के 28 जिलों और विभिन्न देशों के प्रतिनिधि भारी संख्या में सम्मिलित हुए.           नागपुर की अनेक व्यापारिक, सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं और रेलवे कमेटी से जुड़े प्रताप ए. मोटवानी को VSSS के संस्थापक दादा गोपालजी सजनानी और अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजू मनवानी ने रविवार को महासम्मेलन के तीसरे दिन शील्ड देकर पूरे महाराष्ट्र के अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर पूरे महाराष्ट्र के सिंधी समाज की जिम्मेदारी सौंप दी. महासम्मेलन में भाजपा व्यापारी आघाड़ी के अध्यक्ष संजय वाधवानी को VSSS का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. वडसा के जेसाभाऊ मोटवानी को भी VSSS  का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया. अकोला के डॉ. संतोष बजाज को पुनः महाराष्ट्र के यूथ विंग का अध्यक्ष घोषित किया गया. अगला महासम्मेलन लोनावाला के ऐम्बी वैली में इस अवसर पर महाराष्ट्र के नवनियुक्त अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने घोषणा की कि VSSS  का अगला चौथा अंतराष्ट्रीय सिंधी महासम्मेलन 8 से 10 जनवरी 2020 को लोनावाला के ऐम्बी वैली सहारा सिटी में आयोजित होगा.   फेडरेशन गठन सहित अनेक प्रस्ताव पारित सिंधी महासम्मेलन में तीन दिन में अनेक प्रस्ताव पारित हुए. जिसमें सबसे प्रमुख इंदौर के सांसद शंकर जी लालवानी के नेतृत्व में पूरे देश के सिंधी समाज को एकजुट कर एक फेडरेशन के गठन किया जाना है. लालवानी ने अपील की कि राष्ट्रीय नागरिकता अधिनियम के तहत जब देश में मतगणना शुरू होगी तो सिंधी परिवार अपनी भाषा में सिंधी दर्ज करवाए. जिससे देश में सिंधियों की सही संख्या पता चलेगी. उन्होंने बताया की लोकसभा की सदस्यता के लिए सिंधी भाषा में शपथ ली है और सिंधियों के अधिकार के लिए वे लोकसभा में हमेशा तत्पर रहेंगे. सिन्धियत का प्रचार और देश में 2500 सेंटर खोले जाएंगे   अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजू मनवानी ने सिंधी भाषा के विकास, सिंधी संस्कृति को बढ़ावा देने, समाज में सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने, सिंधी परिवारों में बच्चों को सिंधी बोली में बात करने, सिन्धियत का प्रचार और देश में 2500 सेंटर खोलने का संकल्प, सिंधी समाज को राजनीतिक अधिकार दिलवाने, भारतीय करेंसी में सिंधी में भी राशि का उल्लेख करवाने, सिंधी शादियों में कुरीतियों को खत्म करने संबंधी अनेक प्रस्तावों पर चर्चा कर उन्हें पारित किया गया.   सिंधी पूर्व व वर्तमान जनप्रतिनिधियों, नेताओं का सम्मान हिंदुजा परिवार के प्रकाश हिंदुजा पूरे देश से आए विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, नगरसेवकों, सिंधी समाज के प्रभावी नेताओं, फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े दिग्गजों, उद्योगपतियों, सभी ने विचार प्रकट कर VSSS के कार्यो को सराहा और पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया. संस्थापक अध्यक्ष गोपालजी सजनानी द्वारा महासम्मेलन की अध्यक्षता की. अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजू मनवानी ने तीनों दिन बेहद कुशलता से संचालन कर सभी उपस्तिथजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया. राष्ट्रीय अध्यक्ष अनूप थारवानी और पूरी कोर कमेटी ने तीन दिवसीय आयोजन को यादगार सफल और एतिहासिक बना दिया. तीनों दिन अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन महासम्मेलन के तीनों दिन तक सांस्कृतिक सिंधी प्रोग्राम आयोजित हुए, जिससे...
BJS

BJS का राष्ट्रीय बिजनेस कॉन्क्लेव 11 व 12 को नागपुर में

• देशभर से 200 विशेषज्ञ, व्यवसायी व उद्यमी होंगे शामिल संजय आचलिया, अमरावती : भारतीय जैन संगठन (BJS) की ओर से नागपुर में आगामी 11 और 12 जनवरी को राष्ट्रीय व्यापार सम्मेलन (National Business Conclave) का आयोजन किया गया है. इसकी जानकारी नागपुर से आए रजनीश जैन ने आज रविवार, 5 जनवरी को अमरावती के ओसवाल भवन, जनार्धन पेठ में आयोजित एक सभा में BJS दी. उन्होंने अमरावती के सभी व्यवसायियों से इस व्यापार सम्मलेन में शामिल होकर उससे लाभ उठाने का निवेदन किया. पंजीकरण की अंतिम तारीख 7 जनवरी   नागपुर में भारतीय जैन संगठन (BJS) के इस कॉन्क्लेव का आयोजन नैवेद्यम नॉर्थस्टार में आगामी शनिवार, 11 और रविवार, 12 जनवरी को होगा. इसमें शामिल होने वाले बंधुओं को मंगलवार, 7 जनवरी तक अपना पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) कर अपना स्थान सुनिश्चित कर लेने का आह्वान किया गया है. पंजीकरण की अंतिम तारीख 7 जनवरी है. परिवर्तनों के लिए तैयार करना ही आयोजन का उद्देश्य   उन्होंने बताया कि युवाओं के लिए तेजी से बदल रहे इस समय में उद्यमिता व व्यवसाय के नए आयाम स्थापित करने के लिए नई जानकारियों की बहुत अधिक जरूरत है. इसमें यह कार्यक्रम मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि पारंपरिक व्यवसायों के अब दिन लद गए हैं. अगर समय रहते हम नहीं चेते तो बहुत जल्द हमारा अस्तित्व ही समाप्त होने को है. इसलिए समय रहते आने वाली परिस्थियों का आकलन कर अपने में परिवर्तन लाना जरूरी है. ऐसे परिवर्तनों के लिए व्यवसायियों और उद्यमियों को तैयार करना ही इस आयोजन का उद्देश्य है. नागपुर में आयोजित भारतीय जैन संगठन (BJS) के इस राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में देशभर से विभिन्न क्षेत्रों से 200 से ज्यादा विशेषज्ञ और व्यवसायी व्यवसाय के विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी देंगे. साथ ही उनके साथ सभी को बातचीत करने का अवसर भी मिलेगा, भारतीय जैन संगठन (BJS) के नेशनल कॉन्क्लेव में पैनल डिस्कशन, व्यावसायिक बारीकियों में अंतर्दृष्टि, उभरती हुई प्रौद्योगिकी के लाभ जैसी जानकारियां मिलेंगी. स्टार्टअप के परिप्रेक्ष्य, पूंजी बाजार पर दृष्टिकोण और व्यापार गुरुओं से ज्ञान साझा सत्र होंगे, जिसमें प्रममुखता से वल्लभ भंसाली मुंबई, अनुज जैन, ज्ञान पांडे हैदराबाद, प्रो परिमल मर्चेंट दुबई, प्रदीप लोखंडे पुणे, शशिकांत चौधरी नागपुर, सुश्री  रुजान खंबाटा अहमदाबाद आदि देश के जाने माने मान्यवर कॉन्क्लेव में मार्गदर्शन करेंगे. भारतीय जैन संगठन (BJS) की ओर से समस्त व्यवसाइयों और उद्यमियों से निवेदन किया गया है कि वे अपने मित्रों सहित इसमें सहभागिता के लिए समन्वयक रजनीश जैन नागपुर 9373104897, वरुण पारेख नागपुर 9890920892, विदर्भ अध्यक्ष संजय आचलिया अमरावती 9422157298, विदर्भ सचिव धर्मेन्द्र मुणोत 9226126228 से संपर्क कर अपना पंजीकरण करा सकते हैं. पंजीकरण के लिए आवेदन ऑनलाइन भी करा सकते हैं, साथ ही रजिस्ट्रेशन फॉर्म भी उपलब्ध है. उपरोक्त कार्यक्रम के लिए अमरावती में आयोजित सभा में सुरेंद्र जैन, बिपिन जैन कोठारी, आदित्य कोठारी, अक्षय सामरा हुक्मीचंद, सामरा शरद सामरा, यश महावीर सामरा, सारडा, अरविंद लुंकड़, गौरव लुणावत, अशोक धोका, अनिल मुणोत, हरीश गान्धी, हरीश खींवसरा, प्रफुल्ल बोथरा, सचिन बोथरा, माणक ओस्तवाल, पन्ना ओस्तवाल, नीलेश कांठलिया, आनंद ओस्तवाल, बोकरिया राजेश, संदीप सुराणा, बोकरिया राजेश चोरडिया आदि उपस्थित थे.
कुर्सी

महाराष्ट्र में कुर्सी की लड़ाई खत्म होने के आसार, ऐलान संभव

मुंबई :  महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी नेताओं की कुर्सी की लड़ाई खत्म होने की आसार हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ आघाड़ी के तीनों दलों के नेताओं की अनेक बैठकों के बाद गुरुवार को मंत्रियों के विभागों (पोर्टफोलिओ) का बंटवारा संभव होने के समाचार हैं. अजित पवार समेत सभी मंत्रियों के विभाग तय हो गए हैं. समझा जाता है कि अगर इस पर सहमति बनी तो आज शुक्रवार, 3 जनवरी को घोषणा कर दी जाएगी. सूत्रों के अनुसार उप मुख्यमंत्री एनसीपी नेता अजित पवार को वित्त मंत्रालय सौंपा जाने वाला है. 30 दिसंबर को 36 नए मंत्रियों के शपथ के साथ महाराष्ट्र (Maharashtra) में मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या मुख्यमंत्री के साथ 43 हो गई है. पूर्व के नौ मंत्रियों के विभागों में भी फेर-बदल किए जाने की खबर है. इससे अब राज्य की नई सरकार में कुर्सी की लड़ाई खत्म हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है. कांग्रेस खेमें से खबर आ रही थी कि पार्टी में इस बात से नाराजगी है कि उसे कृषि और सहकारिता जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित कोई भी विभाग नहीं मिला है. समझा जाता है कि कांग्रेस की नाराजगी भी दूर करने की कोशिश की गई है. कुर्सी को लेकर कोई नाराजगी नहीं : शरद पवार इधर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में मंत्रालयों के बंटवारे से नाराजगी की खबरों को खारिज करते हुए कहा कि कुर्सी को लेकर कोई नाराज नहीं है और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे गुरुवार या शुक्रवार को मंत्रियों को मंत्रालय आवंटित कर देंगे. शिवसेना ने दिन की शुरुआत में यह माना था कि गठबंधन के वरिष्ठ नेताओं में अहम मंत्रालयों को लेकर खींचतान है. शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार 28 दिसंबर को सत्ता में आई थी. पवार ने कहा, 'मंत्रालय आवंटित करने पर निर्णय ले लिया गया है. किसको क्या मिलेगा यह तय हो चुका है. मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री आज गुरुवार की शाम या कल शुक्रवार को इसकी घोषणा कर देंगे.'
सरकार

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल : विभागों के बंटवारे पर माथापच्ची जारी

32 दिनों बाद आज मंत्रियों के विभागों की घोषणा का संभावना मुंबई : महाराष्ट्र में मंत्री पद की शपथ ग्रहण के तीन दिन बाद भी उद्धव ठाकरे सरकार में विभागों का बंटवारा समस्या बनी हुई है. पिछले सोमवार, 30 दिसंबर को मंत्री पद की शपथ के बाद महाराष्ट्र में विभागों के बंटवारे को लेकर महाविकास आघाड़ी गठबंधन यानी शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच माथापच्ची ही चल रहा है. चल रहीं मैराथन बैठकें   इधर मंत्री पद को लेकर नाराजगी के बीच तीनों दलों के नेताओं की विभागों के बंटवारे को लेकर कल बुधवार को भी मैराथन बैठकें हुईं. कांग्रेस की मंत्री पद को लेकर आज गुरुवार को भी आंतरिक बैठक विधान भवन में चल रही है. सूत्रों ने बताया कि बुधवार को महाविकास आघाड़ी गठबंधन के घटकदलों के नेताओं की विभागों के बंटवारे को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ कई दौर की वार्ता हुई. आशा है कि सरकार गठन के करीब 32 दिनों बाद आज विभागों के बंटवारे को लेकर घोषणा हो सकती है. ज्ञातव्य है कि सोमवार को उद्धव मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था और 36 मंत्रियों को शामिल किया गया. मंत्रिपरिषद के सदस्यों की संख्या बढ़कर अब 43 हो गई है. इनमें मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित विभाग चाहिए कांग्रेस की ओर से अशोक चव्हाण, बालासाहेब थोरात, विजय वडेट्टीवार और नितिन राउत, जबकि राकांपा की ओर से जयंत पाटिल और अजीत पवार तथा एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओर से ठाकरे से गुफ्तगू हुई. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पार्टी इस बात से नाराज है कि उसे कृषि और सहकारिता जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से संबंधित कोई भी विभाग नहीं मिला है. कांग्रेस सूत्रों ने बताया, ''हम अन्य दो दलों के साथ विभागों की अदला-बदली कर सकते हैं. हम विभागों की संख्या में वृद्धि की मांग नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी को कृषि, सहकारिता, आवास और ग्रामीण विकास विभाग नहीं मिले हैं जो राज्य के ग्रामीण जीवन से संबंधित हैं. विधायकों की नाराजगी भी... हालांकि, इस बीच तीनों दलों को ऐसे नेताओं के नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे विधायकों में कांग्रेस के संग्राम थोपटे शामिल हैं, जिनके समर्थकों ने मंगलवार को पुणे कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ भी की थी. असंतुष्ट नेताओं में राकांपा के प्रकाश सोलंकी भी शामिल हैं. दोनों दलों का कहना है कि दोनों को मना लिया गया है.
सेवानिवृत्त

Felicitation : वेकोलि में 6 सेवानिवृत्त कर्मियों का सम्मान

नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) मुख्यालय में सेवानिवृत्त कर्मियों का सम्मान (Felicitation) एक समारोह पिछले मंगलवार, 31 दिसंबर को किया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध निदेशक राजीव रंजन मिश्र, निदेशक (कर्मिक) डॉ. संजय कुमार, निदेशक (तकनीकी/संचालन) मनोज कुमार, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) अजित कुमार चौधरी मुख्य रूप से उपस्थित थे. उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सम्मान (Felicitation) किया और हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. वेकोलि के सेवानिवृत होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों में जसवंत सिंह महाप्रबंधक (ईएण्डएम), ए. के. सिंह मुख्य प्रबंधक (ईएण्डएम), सरवन सिंह एस.ओ.ई. (ईएण्डएम), वि/यां विभाग, एम. कायल उप प्रबंधक (वित्त), वित्त विभाग, विजय एम सोनेकर कार्यालय अधीक्षक, माइन रेस्क्यु स्टेशन और बबन उपासराव पारवे कार्यालय अधीक्षक, एस एण्ड एम विभाग शामिल थे. सम्मान (Felicitation) कार्यक्रम का संचालन समीर बारला, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) ने किया. इस समारोह में संबंधित विभागों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे. वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) मुख्यालय में सेवानिवृत्त कर्मियों का सम्मान (Felicitation) एक समारोह पिछले मंगलवार, 31 दिसंबर को किया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध निदेशक राजीव रंजन मिश्र, निदेशक (कर्मिक) डॉ. संजय कुमार, निदेशक (तकनीकी/संचालन) मनोज कुमार, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) अजित कुमार चौधरी मुख्य रूप से उपस्थित थे. उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सम्मान (Felicitation) किया और हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. वेकोलि के सेवानिवृत होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों में जसवंत सिंह महाप्रबंधक (ईएण्डएम), ए. के. सिंह मुख्य प्रबंधक (ईएण्डएम), सरवन सिंह एस.ओ.ई. (ईएण्डएम), वि/यां विभाग, एम. कायल उप प्रबंधक (वित्त), वित्त विभाग, विजय एम सोनेकर कार्यालय अधीक्षक, माइन रेस्क्यु स्टेशन और बबन उपासराव पारवे कार्यालय अधीक्षक, एस एण्ड एम विभाग शामिल थे. सम्मान (Felicitation) कार्यक्रम का संचालन समीर बारला, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) ने किया. इस समारोह में संबंधित विभागों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे. वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) मुख्यालय में सेवानिवृत्त कर्मियों का सम्मान (Felicitation) एक समारोह पिछले मंगलवार, 31 दिसंबर को किया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष-सह-प्रबन्ध निदेशक राजीव रंजन मिश्र, निदेशक (कर्मिक) डॉ. संजय कुमार, निदेशक (तकनीकी/संचालन) मनोज कुमार, निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) अजित कुमार चौधरी मुख्य रूप से उपस्थित थे. उन्होंने सेवानिवृत्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का सम्मान (Felicitation) किया और हार्दिक शुभकामनाएं दीं और उज्ज्वल भविष्य की कामना की. वेकोलि के सेवानिवृत होने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों में जसवंत सिंह महाप्रबंधक (ईएण्डएम), ए. के. सिंह मुख्य प्रबंधक (ईएण्डएम), सरवन सिंह एस.ओ.ई. (ईएण्डएम), वि/यां विभाग, एम. कायल उप प्रबंधक (वित्त), वित्त विभाग, विजय एम सोनेकर कार्यालय अधीक्षक, माइन रेस्क्यु स्टेशन और बबन उपासराव पारवे कार्यालय अधीक्षक, एस एण्ड एम विभाग शामिल थे. सम्मान (Felicitation) कार्यक्रम का संचालन समीर बारला, वरिष्ठ प्रबंधक (कार्मिक) ने किया. इस समारोह में संबंधित विभागों के अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारीगण उपस्थित थे.
बटाना

आश्चर्यजनक : सफेद बटाना पर आयात शुल्क 20 हजार प्रति क्विंटल

प्रताप ए. मोटवानी, नागपुर : आजादी के बाद देश के इतिहास में आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि किसी जिंस की मूल राशि से उसके चार गुना आयात शुल्क सरकार ने लगाया हो. यह आश्चर्यजनक पर सत्य है. सरकार ने बटाना आयात के नियम सख्त कर दिए हैं. सरकार ने 50% ड्यूटी के साथ 20,000 रुपए प्रति क्विंटल का न्यूनतम आयात शुल्क कर दिया है. इससे सारे खर्चे मिलने पर बटाने का आयात पड़ताल पोर्ट पर 30 रुपए क्विंटल पड़ेगा. ग्राहक तक पहुंचने पर यह 35 से 40 हजार रुपए क्विंटल पड़ेगा. यानि इसे विश्व का 8वां अजूबा कहें तो अतिश्योक्ति नही होगी. इसके पूर्व सफेद बटाना (मटर) सबसे सस्ता कनाडा से आयात होता था, जो कि 2,500 और 3,000 रुपए तक बिकता था. उसकी दाल 3,500 से 3,800 रुपए तक बिकती थी. तीन वर्ष पूर्व सभी दालें 100 रुपए किलो से ऊपर पहुंच गई, तब भी बटाना दाल के दाम 35-40 रुपए किलो थे. चना दाल के भाव ज्यादा होने पर बटाना दाल का बेसन लोकप्रिय और सस्ता रहता था. चना दाल के बेसन में बटाना दाल का मिश्रण किया जाता था. चना दाल से भाव कम होने पर ग्रामीण क्षेत्रो में बटाना दाल का बेसन सस्ता और लोकप्रिय था. बटाने (मटर) का आयात असंभव   अब देश में बटाने (मटर) का आयात असंभव हो गया है. इसका फायदा देश के किसानों को मिलेगा. अब देश की जनता को अपना स्वदेशी बटाने पर निर्भर रहना होगा. इस वर्ष देशमें बटाने की बिजाई मामूली बढ़कर 9 लाख हेक्टेयर के पार पहुंची है. सरकार द्वारा अधिसूचना के एक दिन बाद बटाने की कीमतें 20 फीसदी बढ़ गईं. वर्तमान में भाव 6,200 से 6,500 प्रति क्विंटल हो गए हैं और नागपुर में बटाना दाल के भाव 7,000 के आसपास हो गए हैं. आश्चर्य लेकिन सत्य है, जो बटाना चने से 500 से 700 रुपए कम पर बिकता था. आज चने का भाव नागपुर में होलसेल 4,500-4,600 रुपए तक है. यानि बटाने से 1,500-1,700 रुपए क्विंटल कम है. यहां तक कि दालों की रानी और गावरानी तुअर के दाम 5,500 से 5,700 के दाम से 500-600 रुपए ज्यादा है. मसूर के भाव बटाने से कम मसूर के भाव भी 4,800 से 5,000 है. यानि बटाने से 1,000-1,500 कम है. बटाने  के भाव बढ़ने से हरे बटाना के भाव बढ़कर 11,000-11,500 रुपए मुम्बई पोर्ट पर हो गए हैं. वर्तमान में सभी सब्जी मंडियों में हरे बटाने की फल्ली 25 से 35 रुपए किलो बिक रही है. यह 1 माह और उपलब्ध रहेगी. उसके बाद हरे बटाने की मांग बढ़ेगी. देश मे हरे बटाने का उत्पादन नहीं होता. देश के कुछ प्रान्तों में चिपटा हरा बटाने का उत्पादन होता है. उसका उपयोग हरे बटाने से भाव कम होने पर होता है. किन्तु हरा बटाना महंगा होने से चिपटा हरा बटाना के भी भाव उच्च रहेंगे. उड़द के फसल में आई है गिरावट इस वर्ष उड़द की फसल देश में 50% कम होने पर भाव बढ़ रहे थे. सरकार ने आयात कोटा 1.5  लाख टन से बढ़ाकर 4 लाख टन किया, जिससे भावों को ब्रेक लगा....