इलेक्ट्रिक कार

इलेक्टिक कार में बदल दिया मारुति को नागपुर के दो युवाओं ने

12 वोल्ट की चार बैटरियों के फुल चार्ज पर पूरी क्षमता के दौड़ लगाती है 180 किमी की नागपुर : यहां दो युवकों ने 'मारुति' पेट्रोल कार को इलेक्ट्रिक कार में बदल दिया है. यह इलेक्ट्रिक कार पेट्रोल कार की तरह ही चलती है. इसका पिकअप भी पेट्रोल कार जैसा ही है. एक चार्जिंग पर यह कार 180 किलीमीटर तक चल रही है. पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से प्रत्येक सामान्य वर्ग का वाहन मालिक परेशान है. पेट्रोल से चलने वाले चाहे दोपहिया वाहन हो या कार, लोगों के लिए हाथी पालने जैसा बोझ बनता जा रहा है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों ने लोगों की उम्मीदें जगाई थीं. लेकिन इलेक्ट्रिक स्कूटी और कारें बनाने वाली कंपनियां जैसे महंगे इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में उतार रही हैं, उससे सामान्य वर्ग के लोगों के हौसले पस्त हैं. इन बड़ी कंपनियों के इलेक्ट्रिक वाहन उनके लिए सपना ही बन चुके हैं. ऐसे में अभिजीत और शुभम की यह सफलता सामान्य वर्ग के लोगों के लिए बड़ी उम्मीद बन कर सामने आया है.   पहले इलेक्ट्रिक बाइक, फिर कार अभिजीत खड़ाखड़ी और शुभम कनिरे नामक इन दोनों युवकों का ऑटोमोबाइल क्षेत्र से कभी कोई लेनादेना नहीं रहा है. अभिजीत कम्प्युटर सायंस के ग्रेजुएट हैं और शुभम एक इंजीनियर हैं. अभिजीत और शुभम ने बताया कि इस दिशा में हमें प्रयास करने का विचार आया और हमने काम शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि पहले हमने एक बाइक को इलेक्ट्रिक बाइक में बदलने का प्रयास किया और हमें इसमें अच्छी सफलता मिली. अभिजीत और शुभम ने बताया कि इसके बाद हमने यह प्रयोग कार के साथ करने की सोची. 'एक सस्ती पुरानी मारुति कार को हमने अपने प्रयोग के लिए चुना. इस कार्य में हमारे एक बिल्डर मित्र अमोल पाटिल ने सहयोग किया. उन्होंने हमें अपनी जगह उपलब्ध कराई. उस जगह को हमने अपने वर्कशॉप बनाया. फिर एक बैंक से कर्ज लेकर काम शुरू कर दिया.' इन दोनों उत्साही युवाओं ने अपने वर्कशॉप में पहले तो कार की पेट्रोल इंजन को कार से निकाल कर अलग किया. फिर इंजन की जगह आवश्यक फेरबदल कर उसमें इलेक्ट्रिक इंजन और उसके सर्किट को बैठाया. उन्होंने बताया कि इसमें बहुत अधिक फेरबदल नहीं करनी पड़ी. शुभम ने कहा, 'जैसा कि माना जाता है, हमें भी लगा कि कार की क्षमता अधिक नहीं होगी. लेकिन जब इसका ट्रायल लिया तो परिणाम अत्यंत उत्साहवर्द्धक रहे. हमारी यह इलेक्ट्रिक कार पहले के पेट्रोल कार से तनिक भी काम नहीं थी. भार वहन क्षमता और स्पीड दोनों ही बढ़ के रहे. 12 वोल्ट की चार बैटरी पर चल रही अभिजीत और शुभम की यह कार एक बार फूल चार्ज होने पर 180 किलोमीटर तक दौड़ रही है.' कार की इलेक्ट्रिक इंजन 3 हजार वॉट की है. लोडिंग कैपेसिटी भी बहुत अधिक है. पूरे 1000 किलोग्राम के वजन के साथ यह कार ऊंचाई पर भी आसानी से चढ़ जाती है. यह कार पेट्रोल कार से क्षमता में ज़रा भी कम नहीं है. इस सफलता से अभिजीत और शुभम के हौसले बुलंद हैं. इस दिशा में वे और काम करना चाहते हैं. अपने बूते उन्होंने जो...
जीवनधारा

‘जीवनधारा’ को मिला झंकार महिला मंडल का सहयोग

नागपुर : झंकार महिला मंडल ने काटोल रोड स्थित 'जीवनधारा' प्रौढ़ मतिमंद निवासी औद्योगिक कर्मशाला व पुनर्वास केंद्र के युवक-युवतियों के लिए आज शनिवार, 25 जनवरी को स्व-रोजगार के उद्देश्य से सिलाई मशीन भेंट की. इस अवसर पर सभी को नए कपड़े, तिल संक्रांति के निमित्त तिल के लड्डू एवं अन्य खाद्य सामग्री भी भेंट की. कार्यक्रम में झंकार महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती अनिता मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. उन्होंने 'जीवनधारा' प्रौढ़ मतिमंद निवासी औद्योगिक कर्मशाला व पुनर्वास केंद्र के युवक-युवतियों को नव वर्ष और गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं और सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की. इस अवसर पर झंकार महिला मंडल की उपाध्यक्षा श्रीमती राधा चौधरी, श्रीमती श्रद्धा श्रीवास्तव एवं अन्य पदाधिकारी सर्वश्रीमती संगीता दास, सुषमा गोखले, मौसमी सरकार और ज्योति रेवतकर प्रमुखता से उपस्थित थीं. कार्यक्रम 'जीवनधारा' के काटोल रोड स्थित परिसर में संपन्न हुआ.   'जीवनधारा' की प्रिंसिपल श्रीमती पुष्पा ने संस्था के बारे में जानकारी दी एवं इस नेक कार्य के लिए झंकार महिला मंडल को धन्यवाद दिया. वहां रह रहे लड़के लड़कियों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया. उन्हीं लोगों द्वारा राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें सभी उपस्थित शरीक हुए. उपयोगी भेंट ग्रहण कर 'जीवनधारा' के सभी निवासी बहुत हर्षित थे.
बुर्का

बुर्का : पटना के जेडी वीमेंस कॉलेज में रोक पर बवाल 

सीमा सिन्हा, पटना (बिहार) : बिहार की राजधानी पटना स्थित जेडी वीमेंस कॉलेज में ड्रेस कोड के तहत बुर्का पहनने पर भी पाबंदी से बवाल की स्थिति बन गई है. कॉलेज प्रशासन के ताजा निर्देश के अनुसार ही सभी छात्राओं को ड्रेस कोड के अनुसार ही ड्रेस में कॉलेज आना है. हालांकि कॉलेज प्रशासन द्वारा जारी नोटिस में बुर्का शब्द हटा दिया गया है. नोटिस में दोहराया गया है कि ड्रेस कोड के उल्लंघन पर 250 रुपए का जुर्माना भरना पडेगा. आंदोलन करने की तैयारी शुरू कॉलेज प्रशासन ने सप्ताह में केवल शनिवार को ही ड्रेस कोड से छूट दिया है. कालेज में ड्रेस कोड का छात्राओं द्वारा विरोध शुरू हो गया है. छात्राओं का कहना है कि कॉलेज में ड्रेस कोड की आड़ में बुर्के पर प्रतिबन्ध लागू करना गलत है. बुर्के पर प्रतिबन्ध को मुद्दा बना कर आंदोलन करने की तैयारी शुरू है. जब ड्रेस कोड लागू है तो बुर्के की छूट का प्रश्न ही नहीं जेडी वीमेंस कॉलेज की एक वरिष्ठ प्राध्यापिका ने 'विदर्भ आपला' से बातचीत में अपनी पहचान गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि यह ड्रेस कोड छात्राओं के हित में है. हमारे कॉलेज सहित ड्रेस कोड बिहार के लगभग सभी कॉलेजों में पहले से लागू है. कॉलेज कैम्पस में बुर्के की कोई जरूरत नहीं रह जाती है. जब ड्रेस कोड लागू है तो बुर्के की छूट का प्रश्न ही नहीं है. उन्होंने कहा कि छात्राएं अपने घरों से कॉलेज कैम्पस से बाहर तक बुर्के में आ सकती हैं. लेकिन कैम्पस के अंदर उन्हें बुर्का उतार कर आना होगा. उन्होंने कहाकि कॉलेजों में ड्रेस कोड लागू करने का उद्देश्य समानता की भावना पैदा करना रहा है. नोटिस से बुर्का शब्द हटाया इस बीच बुर्का को लेकर उठ खड़े हुए विवाद को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने आज शनिवार को ड्रेस कोड संबंधी जारी नोटिस में बुर्का शब्द हटा दिया है. नोटिस में सीधे और साफ़ शब्दों में छात्राओं से ड्रेस कोड का पालन करने को कहा गया है. अन्यथा 250 रुपए जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है.
Shikara

Shikara : 4 लाख बेघर कश्‍मीरी पंडितों की दर्दनाक कहानी बयां करती फिल्‍म

*संवेदना, निर्माता और निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा एक नई फिल्म लेकर आ रहे हैं. फिल्म Shikara 1990 में 4 लाख कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय की कहानी पर आधारित है. विधु विनोद स्वयं कश्मीर की मिट्टी में जन्मे और वहीं पले बढ़े. लेकिन 1990 में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) के साथ उनके माता-पिता को भी कश्मीर छोड़ना पड़ा था. अपनी मां के घर-बार और जमीन छूट जाने के दर्द को आखिरकार 30 वर्षों बाद विधु विनोद चोपड़ा पर्दे पर ले ही आए. "शिकारा (Shikara)". का ट्रेलर (trailer release) रिलीज हो गया है. फिल्म भी अगले माह ही 7 फरवरी को रिलीज होने वाली है. ट्रेलर की शुरुआत एक जोड़े शांति धर और शिव कुमार धर से होती है, जो अपने घर में सुकून से बैठे हैं. तभी शांति की नजर खिड़की से जलते हुए घरों पर पड़ती है. इसी के साथ कश्‍मीर से कश्‍मीरी पंडितों को खदेड़कर निकालने की ये दास्‍तां शुरू हो जाती है. ये ट्रेलर अपने ही देश में शरणार्थी बने लोगों की कहानी पूरी भावनाओं के साथ दर्शकों तक पहुंचाता लग रहा है. आप भी देखें यह ट्रेलर-   https://youtu.be/LoZXboySl2I विधु विनोद चोपड़ा बता चुके हैं कि शिकारा के फिल्मांकन में उन चार सौ बेघर कश्मीरी पंडितों ने भी सहयोग किया है, जो जम्मू की शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं. फिल्म का अधिकतर हिस्सा कश्मीर में ही फिल्माया गया है. इसमें स्थानीय मुस्लिम नागरिकों ने भी फिल्म को अधिक विश्वसनीय बनाने में सहयोग किया है. शिकारा के ट्रेलर की शुरुआत होती है एक शेर से - "कुछ न होने का दुख जरा सा लगे, तेरे होने से घर भरा सा लगे". इससे लगा कि यह भी मात्र एक love story है, जिसमें घर-परिवार खुशियां दिख रही हैं. लेकिन अचानक खुशियों के आशियाने जलते हुए दिखाई दिए. फिल्म का ट्रेलर बोलता कम और दिखाता ज्यादा है, कि किस तरह करीब चार लाख कश्मीरी पंडित अपने ही देश में बेघर कर दिए गए थे. उनपर क्या-क्या बीती. फिल्म Shikara में कोशिश की गई है कि दर्शक 2020 से 30 साल पीछे चले जाएं. फिल्म में 1990 के असल फुटेज का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे सच्चाई के और भी करीब ले आता है. अब तक खबरों के माध्यम से कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के बारे में जो भी कुछ सुना उसे पहली बार पर्दे पर देखना अंदर तक चोट करता है. विधु विनोद की जड़ें कश्मीर से जुड़ी हैं. इसीलिए उनके साथ और उनके परिवार पर जो गुजरी, उसे उनसे बेहतर और कौन महसूस कर सकता था. उनके लिए इस दर्दनाक वाकये को रुपहले पर्दे के माध्यम से देश के सामने लाना लाजिमी ही था. कश्मीरी पंडित, जो 30 साल बाद भी अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, उनकी सच्चाई को पर्दे पर दिखाने की हिम्मत किसी भी बड़े निर्माता या निर्देशक ने इतने वर्षों में नहीं की थी. कश्मीर के आतंक को फिल्मों में जितना दिखाया गया, उसका लेस मात्र भी कभी कश्मीरी पंडितों के दर्द को नहीं दिखाया. कश्मीर को लेकर विधु विनोद चोपड़ा ने 20 साल पहले ऋतिक रोशन को लेकर 'मिशन कश्मीर' (2000) बनाई थी,...
MNS

MNS : नया झंडा, और पुत्र अमित को लॉन्च किया राज ने

मुंबई : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने गुरुवार, 23 जनवरी को पार्टी के पहले महाधिवेशन में न केवल पार्टी का नया भगवा झंडा, बल्कि अपने पुत्र अमित ठाकरे को भी लॉन्च किया. वीर सावरकर और हिंदुत्व जैसे मुद्दों को लेकर बैकफुट पर गई शिवसेना को कड़ी टक्कर देने की राज ठाकरे ने मंशा भी जता दी. शिवसेना के संस्थापक स्व. बालासाहेब ठाकरे की जयंती के मौके पर MNS के पूरे दिन चलने वाले इस महाधिवेशन में ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित ठाकरे के साथ पहुंचे. महाधिवेशन मुंबई के गोरेगांव में चल रहा है. राज ने अपने बेटे अमित को भी अधिवेशन में लॉन्च कर महाराष्ट्र की भावी राजनीति में अपनी पार्टी की भूमिका भी स्पष्ट कर दिया है. संकेत साफ है कि शिवसेना पमुख एवं मुख्यमंत्री उद्धव के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को टक्कर देने की उन्होंने पूरी तैयारी कर ली है. Mumbai: Maharashtra Navnirman Sena (MNS) chief Raj Thackeray's son Amit Thackeray has been inducted into the party today. pic.twitter.com/79QQjCuull— ANI (@ANI) January 23, 2020 मंच पर लगी सावरकर, आंबेडकर की फोटो पिछले ही वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में लगभग साफ हो चुकी MNS ने अपने महाधिवेशन में मंच पर विनायक दामोदर सावरकर की फोटो लगाई है. राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि जिन मुद्दों को लेकर पहले शिवसेना की पहचान थी, कांग्रेस से गठबंधन के बाद जिन मामलों पर वह कमजोर पड़ती दिख रही है, उन्हीं मुद्दों को उठाकर MNS फिर से खुद को खड़ा करने की कोशिश में लगी है. जानकारों का कहना है कि MNS की कोशिश है कि शिवसेना से जुड़े कोर कार्यकर्ताओं को इन मुद्दों के सहारे अपने साथ लाया जाए. सावरकर के अलावा MNS के मंच पर शिवाजी की मूर्ति, भीमराव आंबेडकर की तस्वीर के अलावा सावित्री बाई फुले की तस्वीर भी लगाई गई है. MNS का नया झंडा भी है खास महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का नया झंडा पूरी तरह से न सिर्फ भगवा रंग का है, बल्कि इस झंडे पर छत्रपति शिवाजी के समय की राजमुद्रा भी प्रदर्शित की गई है. उल्लेखनीय है कि 6 जून 1674 का राजगढ़ में राज्याभिषेक के बाद शिवाजी ने खुद यह राजमुद्रा तैयार की थी. इस राजमुद्रा पर संस्कृत में लिखा था, "प्रतिपच्चंद्रलेखेव वर्धिष्णुर्विश्ववंदिता शाहसुनोः शिवस्यैषा मुद्रा भद्राय राजते".  इसका अर्थ है- 'शाहजी के पुत्र शिवाजी की इस मुद्रा की महिमा उसी तरह से बढ़ेगी, जैसे पहले दिन (शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के बाद) से चांद बढ़ता है. यह दुनिया द्वारा पूजी जाएगी और यह केवल लोगों की भलाई के लिए चमकेगी.' गौरतलब है कि इससे पहले MNS का झंडा नीला, सफेद, केसरिया और हरे रंग का होता था. भाजपा के साथ गठबंधन की चर्चा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस से मुलाकात कर राज ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन की चर्चा को भी हवा दे दी है. इसके साथ ही राज ठाकरे ने संकेत दे दिया था कि उनकी पार्टी एक नई पहचान और एक नई विचारधारा के साथ खुद को मजबूत करेगी. MNS के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि हमारी पार्टी...
घुड़सवार

मुंबई की हिफाजत के लिए अब नया इंतजाम

घुड़सवार दस्ते 88 वर्षों बाद आर्थिक राजधानी में फिर लगाएंगे गश्त मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी की हिफाजत अब एक बार फिर करेंगे घुड़सवार दस्ते. महाराष्ट्र पुलिस को शीघ्र ही घुड़सवार यूनिट (mounted unit) मिलने जा रही है. मुंबई में ट्रैफिक कंट्रोल करने से लेकर अपराध पर लगाम लगाने में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. आजादी के बाद ऐसा पहली बार होने जा रहा है, जब मुंबई की गलियां और सड़कें घुड़सवार पुलिस के हवाले होंगी. 88 साल पूर्व मुंबई की गलियों में घुड़सवार दस्ते पेट्रोलिंग (गश्त) किया करते थे. 26 जनवरी से लग जाएंगे ड्यूटी पर शिवाजी पार्क में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड के बाद घोड़ों को ड्यूटी पर तैनात कर दिया जाएगा. घुड़सवार पुलिस प्रणाली व्यवस्था का कई मौकों पर इस्तेमाल किया जाएगा. भीड़ नियंत्रित करने, त्यौहारों में शांति बनाए रखने, विरोध प्रदर्शनों के दौरान, समुद्र के किनारों पर घोड़े पर सवार पुलिसकर्मी नजर आएंगे. नागपुर और पुणे में भी होंगे तैनात  महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि इसके बाद नागपुर और पुणे जैसे शहरों में सुरक्षा के लिए घुड़सवार पुलिस प्रणाली की व्यवस्था को दोहराया जाएगा. इन शहरों में भी सुरक्षा के लिए घुड़सवार पुलिस की तैनाती की जाएगी. उन्होंने कहा कि पुलिस के पास आधुनिक जीप और मोटरगाड़ी होते हुए भी इसकी जरुरत महसूस की जा रही थी. 1932 में हटा लिया गया था जी हां, आजादी से पहले मुंबई की गलियों की पेट्रोलिंग घुड़सवार टीम ही किया करती थी. मगर 1932 में वाहनों की भीड़ के चलते घोड़े पर सवार होकर पेट्रोलिंग की व्यवस्था को हटा दिया गया. अब आजादी के बाद पहली बार मुंबई की पुलिस घोड़ों पर निगरानी करती नजर आएगी. हो चुकी है 13 घोड़ों की खरीदारी गृहमंत्री देशमुख ने बताया कि वर्तमान में 13 घोड़ों की खरीदारी हो चुकी है. बाकी बचे घोड़ों को अगले छह महीने में खरीद कर यूनिट में शामिल कर लिया जाएगा. 30 घोड़े, एक सब इंस्पेक्टर, एक असिस्टेंट इंस्पेक्टर और चार हवालदार के अलावा 32 कांस्टेबल यूनिट में शामिल होंगे. अंधेरी में बनेगा अस्तबल देशमुख ने बताया कि घोड़ों को रखने के लिए अंधेरी इलाके में ढाई एकड़ पर अस्तबल का निर्माण कराया जाएगा. जिसमें स्वीमिंग पूल, राइडिंग क्लब, ट्रेनर रूम होंगे. दस्ते के पुलिस अधिकारियों और घुड़सवारों के आवास भी वहीं बनेंगे. 
झुंड

महानायक के ‘झुंड’ के वीडियो टीजर के साथ रिलीज डेट का भी ऐलान

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'झुंड (Jhund)' का वीडियो टीजर आज मंगलवार को जारी किया. 1 मिनट 12 सेकेंड का यह वीडियो काफी मजेदार है. वीडियो की शुरुआत ही अमिताभ बच्चन की आवाज से होती है. बैकग्राउंड से अमिताभ बच्चन की अवाज आती है कि 'झुंड नहीं कहिए सर, टीम कहिए...' इसके बाद सामने आता है (नागपुर के महात्मा ज्योतिबा फुले मार्केट के भीतर) एक बच्चों का झुंड, जिनके हाथों में होता है बल्ला, चेन और डंडा. फिल्म के इस वीडियो टीजर को देखने के बाद आपको पूरी फिल्म देखने की इच्छा होने लगेगी. https://youtu.be/45lj-bGVOHE रिलीज डेट का भी ऐलान   'झुंड' के इस वीडियो टीजर के साथ फिल्म की रिलीज डेट का भी ऐलान कर दिया गया है. यह फिल्म इसी साल 8 मई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी. मराठी सिनेमा के मशहूर डायरेक्टर नागराज मंजुले द्वारा निर्देशत इस फिल्म में बिग बी एक आदिवासी शिक्षक बने हैं. इसके पहले भी अमिताभ बच्चन फिल्म 'मोहब्बतें', 'आरक्षण' और 'ब्लैक' में टीचर का रोल अदा कर चुके हैं. उम्मीद हैं कि बिग बी और नागराज की ये जोड़ी पहली बार लोगों को पैसा वसूल एंटरटेनमेंट परोसेगी.   T 3415 - JHUND ... झुंड !! ... JHUND ... झुंड !!#Jhund@Nagrajmanjule @itsBhushanKumar #KrishanKumar #RaajHiremath #SavitaRajHiremath #GargeeKulkarni #MeenuAroraa @AjayAtulOnline @tandavfilms @aatpaat @TSeries pic.twitter.com/4iTXi6mkc1— Amitabh Bachchan (@SrBachchan) January 20, 2020 सोमवार को जारी हुआ पोस्टर  सोमवार को फिल्म का फर्स्ट लुक जारी किया गया था, जिसमें अमिताभ बच्चन को पीछे से दिखाया गया है. पोस्टर में वह किसी मैदन के पास खड़े हैं और उनके ठीक सामने एक बाउंड्री है, उनके बाएं साइड नीचे एक फुटबॉल रखा है और दाहिने तरफ एक टूटी फूटी गाड़ी नजर आ रही है. कहानी, नागपुर के फुटबॉल कोच की इस फिल्म के कुछ महत्व के दृश्य की शूटिंग नागपुर में हुई है. फिल्म की कहानी भी नागपुर के रहने वाले फुटबॉल कोच विजय बरसे के जीवन पर आधारित है. जिन्होंने झुग्गी में रहने वाले बच्चों को प्रेरित करते हुए फुटबॉल की ट्रेनिंग दी और 'स्लम सॉकर' नाम की टीम बनाकर उनके सपनों को पूरा किया. इस फिल्म के प्रोड्यूसर नागराज पोपटराव मंजुले, गार्गी कुलकर्णी, मीनू अरोरा, सविता राज हिरेमथ, राज हिरेमथ, भूषण कुमार और कृष्ण कुमार हैं.
मधुरिमा

मेगा शो ‘बिग बॉस’ में हद से ज्यादा हो रहा हंगामा

मधुरिमा ने विशाल पर लगाया शो के पहले पीटने का आरोप *जीवंत के. शरण, इंटरटेनमेंट चैनल 'कलर्स' के मेगा शो 'बिग बॉस' में मधुरिमा तुली ने पहले चप्पल से और कुछ अंतराल के बाद किचेन में फ्राई पैन से विशाल आदित्य सिंह की पिटाई न सिर्फ बिग बॉस की नजरों के सामने कर दी, बल्कि लगातार उनके मना करने के बाद भी अशोभनीय हंगामा किया. दंड स्वरूप मधुरिमा को शो से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.   बिग बॉस में यह कोई पहली घटना नहीं थी. इससे पहले भी घर में तकरीबन सभी कंटेस्टेंट गाली-गलौज के साथ धक्का-मुक्की भी कर चुके हैं. इस तेरहवें सीजन में एक बात तो स्पष्ट हो गया है कि किसी को भी बिग बॉस का खौफ नहीं है. उनके बारम्बार शांत रहने और घर के सामानों को नुकसान नहीं पहुंचाने के अनुरोध को बेखौफ नजरअंदाज करते हुए अभी भी देखा जा सकता है. बिग बॉस के घर में एक कंटेस्टेंट सेर है, तो दूसरा सवा सेर. सिद्धार्थ शुक्ला और आसिम रियाज को बेहद गंदगी के साथ रायता फैलाते हुए देखा जा सकता है, जब कि सलमान खान इन दोनों को अपने तरीके से समझा चुके हैं. कुछ समय तक शांत रहने के बाद दोनों फिर असभ्य तरीके से झगड़ने लगे हैं. आसिम तो पर्दे का नया खिलाड़ी है, लेकिन सिद्धार्थ शुक्ला न अपनी वरिष्ठता का ख्याल रखते हैं और न ही इमेज का. शुक्ला तो बहुत गंदे तरीके से रश्मि देसाई के साथ भी उलझ चुके हैं. शो की मर्यादा बची है सिर्फ सलमान खान के कारण. सप्ताह के अंत में वे आएंगे और खिंचाई करेंगे, बस इतना सा ही डर बल्कि लिहाज करने का प्रयास होता है. फिलहाल यह शो रेटिंग में एक नंबर पर चल रहा है. इसका श्रेय काफी हद तक सलमान खान को ही जाता है, वर्ना इस बार प्रतिभागियों की हरकतें ऐसी हैं कि शायद अति हिंसा और अश्लीलता के कारण बीच में ही बंद कर देना पड़ता.  मधुरिमा और विशाल इससे पहले भी 'नच बलिए' में अपने नृत्य के साथ गाली-गलौज के लिए चर्चित हो चुके हैं. दोनों एक-दूजे के प्यार में भी रह चुके हैं, बल्कि दोनों ने अलग-अलग कैमरे के सामने अपने प्यार को कबूल भी किया है. बावजूद इसके बिग बॉस की नजरों के सामने अनेक बार गाली-गलौज के साथ रोमांस करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं.  अब मधुरिमा ने बाहर आने के बाद बताया है, "विशाल भी शो के पहले मुझे कई बार मार चुका है, लेकिन मैं उसे नजरअंदाज करती रही. घर के अंदर विशाल किसी-न-किसी बात को लेकर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करता था. वह लगातार उकसाता था. कोई हर बार इग्नोर नहीं कर सकता है और अंत बुरा हुआ. मैं बाहर आ गई." अब इस आरोप-प्रत्यारोप से दोनों का सार्वजनिक रूप से तमाशा बन चुका है. वैसे अब भी देर नहीं हुई है, क्योंकि दोनों के दिल में प्यार का अंकुर शेष है. बेहतर होगा एक-दूसरे का सम्मान भी करना शुरू कर दें या हमेशा के लिए अलग हो जाएं. क्योंकि जिंदगी मिलेगी न दोबारा.  मधुरिमा कन्नड़, तेलगु और हिंदी की फिल्मों में काम कर चुकी है. धारावाहिक 'कुमकुम भाग्य'...
सिंधी सेवा

सिंधी सेवा संगम में आयुर्वेद आयुष के राष्ट्रीय प्रमुख बने डॉ. ममतानी

नागपुर : नागपुर के सुप्रसिद्ध आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. गुरमुख ममतानी सिंधी समाज के सर्वोच्च संगठन विश्व सिंधी सेवा संगम के राष्ट्रीय आयुष (आयुर्वेद, योगा, नेचरोपैथी, यूनानी और होमियोपैथी) के प्रमुख नियुक्त किए गए हैं. विश्व सिंधी सेवा संगम, महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने डॉ. गुरमुख ममतानी की नियुक्ति की घोषणा कर उन्हें नियुक्ति पत्र प्रदान किया. इस अवसर पर कलगीधर सत्संग मंडल जरीफटका में रविवार को वकील साहब और मोटवानी ने डॉ. ममतानी को उनकी पत्नी डॉ. अंजू ममतानी के साथ स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया. डॉ. गुरुमुख ममतानी ने कहा कि वे विश्व सिंधी सेवा संघटन के माध्यम से पूरे देश में आयुर्वेदिक शिविरों का आयोजन कर आयुष का देश में प्रचार कर पूरी तरह सहयोग प्रदान करेंगे. इस अवसर पर मोटवानी ने बताया कि विश्व सिंधी सेवा संगम की विदेशों में करीब 28 स्थानों और देश के 26 राज्यो में शाखाएं है. संस्थापक दादा गोपाल सजनानी और अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष लायन डॉ. राजू मनवानी के कुशल मार्गदर्शन में सिंधी समाज का यह संगठन पूरे विश्व का सबसे बड़ा संग़ठन है. उन्होंने बताया कि विश्व सिंधी सेवा संगम का प्रमुख उद्देश्य देश-विदेश के सिंधी समाज को एकजुट करना, सिन्धियत को बढ़ावा देना, सिंधी परिवारों में सिंधी भाषा में बातचीत को बढ़ावा देना, सिंधियों को राजनीतिक अधिकारों दिलाने के लिए प्रयास करना और सिंधी समाज से जुडी सभी समस्याओ का निवारण करना है. इसके साथ सिंधी छात्रों को छात्रवृत्ति दिलवाना, सिंधी सांस्कृतिक आयोजन करना, सिंधी समाज के सभी पर्व धूमधाम से मनाना, सिंधी संस्कृति का प्रचार करना, जैसे अनेको समाज के हित में यह संस्था कार्य कर रही है. उल्लेखनीय है कि विश्व सिंधी सेवा संगम का तीसरा अंतरराष्ट्रीय सिंधी समाज का महासम्मेलन 3 से 5 जनवरी को पुणे में हुआ. यह सम्मेलन ऐतिहासिक और यादगार रहा. सिंधी समाज के हित में अनेक प्रस्ताव पारित हुए.
गुहा

विध्वंसक : राहुल और कांग्रेस की बखिया उधेड़ी रामचंद्र गुहा ने

सोनिया गांधी और वामपंथी दलों पर भी साधा निशाना कोझिकोड (केरल) : प्रसिद्ध इतिहासकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कट्टर आलोचक रामचंद्र गुहा ने एक ओर जहां कांग्रेस और राहुल गांधी पर अत्यंत विध्वंसक टिप्पणियां की हैं, वहीं पीएम मोदी से राहुल की तुलना कर उन्होंने कहा, "राहुल के पास कड़ी मेहनत करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कोई मौका नहीं है. केरल ने भारत के लिए कई शानदार चीजें की हैं, लेकिन राहुल को चुनकर विनाशकारी काम किया." केरल लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शुक्रवार को उन्होंने एक कार्यक्रम में राहुल को पांचवीं पीढ़ी का राजवंशी बताया. आज शनिवार, 18 जनवरी के देश के तमाम अखबारों ने गुहा की इस कांग्रेस और रहल विध्वंसक आलोचना को प्रमुख रूप से प्रकाशित किया है.     राहुल ने 2019 में दो सीटों से लोकसभा चुनाव लड़ा. इनमें से एक सीट (अमेठी) पर उन्हें हार मिली. हालांकि, वायनाड में वे बड़े अंतर से जीतकर संसद पहुंचे. केरल से राहुल के चुनाव जीतने पर भी गुहा ने केरल के लोगों से पूछा कि उन्होंने राहुल गांधी को क्यों जिताया? वामपंथियों के कारण इस्लामिक कट्टरपंथ व हिंदुत्व को बढ़ावा मिला इतिहासकार गुहा वामपंथियों की भी बखिया उधेड़ी, उन्होंने तीखे अंदाज में कहा, "भारतीय वामपंथियों के पाखंड के कारण आज देश में राष्ट्रवाद की बयार है. लेफ्ट पार्टियों ने हमेशा भारत से ज्यादा दूसरे देशों को प्यार किया. दुनियाभर में राष्ट्रवाद और पड़ोसी देशों में इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलने की वजह से ही भारत में हिंदुत्व को हालिया समय में बढ़ावा मिला है."   'महान राजनीतिक दल' से 'दयनीय फैमिली फर्म' बनी कांग्रेस गुहा ने गांधी परिवार की वंशवाद की परंपरा की ओर इशारा कर कहा कि पांचवीं पीढ़ी के राहुल गांधी का 'कठोर परिश्रमी' और 'सेल्फ मेड' नरेंद्र मोदी के सामने कोई मुकाबला नहीं है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को चुनकर केरल के लोगों ने भयानक गलती की है. उन्होंने कहा कि कहा कि कांग्रेस का एक 'महान राजनीतिक दल' से 'दयनीय फैमिली फर्म' बन जाना, भारत में हिन्दुत्व के उभार का एक प्रमुख कारण है.   बेकार पारिवारिक कंपनी बन चुकी है कांग्रेस   गुहा ने कहा, "कांग्रेस का पतन हो चुका है. जो आजादी के दौर की महान पार्टी थी, अब एक बेकार पारिवारिक कंपनी बन चुकी है. इसी पार्टी की वजह से देश में हिंदुत्व और अंधराष्ट्रभक्ति का माहौल बना है.” उन्होंने आगे कहा, “मेरी राहुल गांधी से कोई निजी दुश्मनी नहीं है. वे एक शिष्ट और सभ्य व्यक्ति हैं, लेकिन युवा भारत एक पांचवीं पीढ़ी के राजवंशी को नहीं चाहता. अगर मलयाली लोग 2024 में भी राहुल गांधी को चुनने का काम करते हैं, तो आप सिर्फ नरेंद्र मोदी को फायदा पहुंचा रहे हैं." मोदी ने खुद को खड़ा किया, राहुल कभी ऐसा नहीं कर पाए गुहा के मुताबिक, "नरेंद्र मोदी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे राहुल गांधी नहीं हैं। मोदी ने खुद को बनाया है. उन्होंने एक राज्य 15 सालों तक चलाया, उनके पास अच्छा प्रशासनिक अनुभव है. वे कड़ी मेहनत करते हैं और कभी छुट्टी मनाने यूरोप नहीं जाते. विश्वास कीजिए, मैं यह सब गंभीरता से कह रहा हूं....