"विशेष दर्जा"

बिहार : सुशासन बाबू को फिर याद आई “विशेष दर्जा” की मांग

विशेष रिपोर्ट : सीमा सिन्हा, पटना : लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद भी मतदान का पांचवां चरण पूरा होने तक भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार को "विशेष दर्जा" दिलाने की अपनी मांग याद नहीं आई. लेकिन छठवां चरण बीतते ही इस मांग के लिए वे मुखर हो रहे हैं. जानकारों का मानना है कि अब लोकसभा चुनाव में पार्टी की डगमगाती नैया को संभालने के लिए नीतीश ने फिर पैंतरा बदला है. विरोधी कहते हैं, "नीतीश बिहार में अपना रुतबा खो चुके हैं. अब उनकी वह दबंग छवि भी नहीं बची, जो बिहार की राजनीति में बहुत मायने रखती है." सत्ता के लिए साझीदार बदलते-बदलते नीतीश कुमार निरीह बनते जा रहे हैं. लगातार अपने ही पांवों पर कुल्हाड़ी मारते-मारते अपना कद अपने हाथों छोटा करते जा रहे हैं. एक समय था, जब नीतीश विपक्ष से प्रधानमंत्री पद के दावेदार हुआ करते थे. उन्हें तो लोग मोदी के विकल्प के रूप में भी देखने लगे थे. लेकिन आज स्थिति ऐसी बदली है कि अब वे अजूबा बन गए हैं. अब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के उनके मुद्दे पर ही नजर डालें, नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का स्टैंड पिछले पांच सालों में कुछ इस तरह बदला है- मार्च 2014 : "हमारा अभियान स्पष्ट है, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए." अगस्त 2015 : "बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देना मोदी सरकार का धोखा." अगस्त 2016 : "जब तक बिहार जैसे पिछड़े राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया जाएगा, राज्य का सही विकास संभव नहीं है." अगस्त 2017 : "पीएम मोदी के मुकाबले कोई नहीं", पार्टी ने इस दौरान विशेष दर्जा के मुद्दे पर अघोषित चुप्पी साधी! मई 2019 : "ओडिशा के साथ-साथ बिहार और आंध्र प्रदेश को भी मिले विशेष राज्य का दर्जा." जदयू के महासचिव और प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने इस बार बिहार के साथ-साथ ओडिशा और आंध्र प्रदेश को भी विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. पिछले सोमवार को उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "साल 2000 में बिहार के विभाजन के बाद राज्य से प्राकृतिक संसाधनों के भंडार और उद्योग छिन गए. राज्य का विकास जैसे होना चाहिए था, नहीं हुआ. अब समय आ गया है कि केंद्रीय वित्त आयोग इस मुद्दे पर फिर से विचार करे." फिलहाल केंद्र और राज्य में समान गठबंधन की सरकार है और लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. ऐसे में जदयू के इस बयान से राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं. 19 मई को अंतिम चरण में बिहार की आठ सीटों पर मतदान होने हैं. और नीतीश कुमार के विरोधियों का कहना है कि वो एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं. नवंबर 2015 में बिहार में जदयू ने राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य में तीसरी बार सरकार बनाई थी. जुलाई 2017 में जदयू ने आरजेडी का साथ छोड़ एनडीए में फिर से आने का फैसला किया था, तब से इस मांग को लेकर वह चुप रही. चुनाव के आखिरी चरण में जदयू की इस मांग को नीतीश कुमार की दबाव बनाने...
खिलवाड़

YCMOU खिलवाड़ कर रहा बीसीए छात्रों के भविष्‍य से

मुंबई : यशंवतराव चव्‍हाण महाराष्‍ट्र मुक्‍त विद्यापीठ (YCMOU) बीसीए के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ पर उतर आया है. विद्यापीठ ने बैचलर ऑफ कंप्‍यूटर एप्‍लीकेशन (बीसीए) की अगली परीक्षा (एक्‍जाम) 25 मई से लेने की घोषणा की है. जबकि, बेचलर ऑफ कंप्‍यूटर एप्‍लीकेशन की पिछली परीक्षा का नतीजा 8 अप्रैल को ही आया है. दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि विद्यापीठ के अधिकारियों और रजिस्ट्रार को विद्यार्थियों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है. यह परीक्षा जुलाई में होती आई है. लेकिन वे अब 25 मई से ही परीक्षा लेने पर उतारू हैं. रजिस्ट्रार डॉ. दिनेश भोंडे को इस बात का कोई मलाल नहीं है कि पिछली परीक्षा लेने में एक माह का विलंब विद्यापीठ की ओर से क्यों हुआ. वे बस यही जानते हैं कि इस बार परीक्षा 25 मई से लेनी है तो लेनी है. विद्यापीठ में परीक्षा सैमेस्‍टर पद्धति से ली जाती है. यानि हर अगली परीक्षा छह महीने के अंतराल पर होती है, जबकि इस बार डेढ़ महीने से भी कम समय के अंतराल पर अगली परीक्षा ली जा रही है. इस असंबन्ध में विद्यापीठ के संबंधित अधिकारियों ने परीक्षा के इस टाइम टेबल पर कुछ कहने से पल्ला झाड़ लिया. रजिस्ट्रार डॉ. भोडे का उलटवार लेकिन जब विद्यापीठ के रजिस्‍ट्रार डॉ. दिनेश भोंडे से ही जब इस बाबत हमने जानना चाहा तो डॉ. भोंडे का कहना था कि परीक्षा का नतीजा कब आया और अगली परीक्षा के समय का आपस में कोई संबंध नहीं है. उन्‍होंने कहा कि किसी कारणवश पिछले सैमेस्‍टर की परीक्षा जनवरी के बजाय फरवरी में हुई थी, लेकिन बच्‍चों को इस परीक्षा के बाद ही आगे की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए थी. उनका छात्रों पर ही उलटवार था कि उन्‍होंने नतीजा आने तक इंतजार क्‍यों किया? जुलाई में ली जाती है परीक्षा विद्यापीठ के बीसीए के स्‍टडी सेंटर पर ऐकेडमिक एवं प्रैक्टिकल पढ़ाई पूरी नहीं हो पाई है. जिससे हजारों छात्र एवं उनके अभिभावक इस बात से चिंतित हैं कि कैसे परीक्षा दी जाए. छात्रों का कहना है कि अभी तक स्‍टेडी सेंटर्स पर उनका कोर्स ही पूरा नहीं हो पाया है. जो परीक्षाएं हर साल जुलाई में आयोजित होती है, वह मई में शुरू हो रही है. छात्रों का कहना है कि परीक्षाएं जुलाई में ही लेनी चाहिए, ताकि उन्‍हें तैयारी करने का पूरा समय मिल सके एवं स्‍टेडी सेंटर्स पर कोर्स भी पूरा हो सके. यशंवतराव चव्‍हाण महाराष्‍ट्र मुक्‍त विद्यापीठ (YCMOU) की बीसीए परीक्षा का टाइम टेबल छात्रों को पढाई के लिए पर्याप्‍त समय देना चाहिए : अभिभावक छात्रों ने बताया कि इस तरह विद्यापीठ परीक्षा लेने लगी तो उनका भविष्‍य अंधकारमय हो जाएगा एवं वे परीक्षा में कैसे अच्‍छे नंबर ला पाएंगे. विद्यापीठ को पहले की तरह छात्रों को पढाई के लिए पर्याप्‍त समय देना चाहिए एवं परीक्षा जुलाई में लेने पर विचार करना चाहिए. चिंतित अभिभावक यूनिवर्सिटी के इस निर्णय को उनके बच्‍चों के साथ खिलवाड़ मानते हैं. यशंवतराव चव्‍हाण महाराष्‍ट्र मुक्‍त विद्यापीठ की कोर्स देखरेख करने वाली श्रीमती मोनाली बोराडे ने बताया कि वे केवल बीसीए स्‍टडी मटीरियल के मामले देखती हैं. छात्रों और अभिभावकों की...
टक्कर

ट्रैवल्स-ट्रक के बीच भीषण टक्कर में 15 गंभीर जख्मी

नागपुर (भिवापुर) : नागपुर-भिवापुर राष्ट्रीय महामार्ग पर सोमवार की देर रात एक ट्रैवल्स और ट्रक की आमने सामने की टक्कर में 15 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए. मारूफाटा के निकट हुई इस दुर्घटना में जख्मियों के प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें नागपुर के शासकीय मेडिकल अस्पताल में ले जाकर भर्ती करा दिया गया है. ट्रैवल्स क्रमांक एम.एच.-40/बी.जी.-0500/ बारातियों को लेकर वापस लौट रहा था. यह ट्रैवल्स लाखांदूर से बारातियों को लेकर नागपुर गया था. वहां 13 मई को शादी के बाद रात्रि में लाखांदूर वापस आ रहा था. घायल बारातियों में प्रमोद‌ सीताराम तारणकर (42) सोनी, लाखांदूर, नानेश्वर हरि ठाकरे (35), राम हरि ठेंगड़ी (19), नीलकंठ बालाजी राऊत (54), अक्षय सारंगधर ठाकरे (37), जयश्वर नथ्थु देशमुख (32), देवदास‌ झिंगर राऊत (60), राजेश्वर रामचंद्र मांडवकर (37), विलास मनोहर दिघोरे (25) सभी सोनी, लाखांदूर जि.- भंडारा निवासी, अस्मिता‌ प्रभु बुराडे (22), युग प्रभु बुराडे (2), प्रभु शामराव बुराडे (27), सिर्सी, वडसा जि.- गढ़चिरोली निवासी, प्रशांत‌ आनंदराव दरोडे (29) सोनी, लाखांदूर, जिला- भंडारा निवासी का समावेश है. प्राप्त जानकारी के अनुसार लाखांदूर के सोनी‌ ग्राम के एक परिवार के युवक की शादी नागपुर में सोमवार, 13 अप्रैल में थी. शादी के बाद नवविवाहित जोड़े को लेकर ट्रैवल्स बारातियों के साथ वापस लाखांदूर के सोनी गांव वापस लौट रहा था. नागपुर-भिवापुर राष्ट्रीय महामार्ग पर मरूपार फाटा‌ के निकट विपरीत दिशा से तेज गति से आ रहे ट्रक क्र. सी.जी. 08/वाय. 2991 की बारातियों से भरे ट्रैवल्स से टकरा गया. टक्कर इतना भयावह था कि टैवल्स के सामने से आधा भाग बुरी तरह नष्ट हो गया. घायलों को तुरंत वहीं प्राथमिक उपचार कर नागपुर के शासकीय मेडिकल अस्पताल भेज दिया गया.
वृद्धाश्रम

स्वामी विवेकानंद वृद्धाश्रम को छह सिलिंग फैन भेंट किए झंकार ने

नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के झंकार महिला मण्डल ने सोमवार, 13 मई को सावनेर में कलमेश्वर रोड स्थित स्वामी विवेकानंद वृद्धाश्रम को छह सिलिंग फैन, फल और शीतल पेय भेंट किया. इस अवसर पर झंकार महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती अनीता मिश्र मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा सबसे बड़ी सेवा है, आपके बीच आकर मुझे असीम खुशी का अनुभव हो रहा है. श्रीमती मिश्र ने सभी बुजर्गों के सुखी एवं स्वस्थ जीवन की कमाना की और कहा कि झंकार महिला मण्डल आपकी सेवा के लिये सदैव तत्पर है. श्रीमती मिश्र ने आश्रम द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली गतिविधियों की सराहना की. इस अवसर पर झंकार महिला मण्डल की उपाध्यक्ष श्रीमती अनिता अग्रवाल, श्रीमती राधा चौधरी एवं सदस्याएँ सर्वश्रीमती सुषमा गोखले, लिपिका श्रीवास्तव, नीरजा श्रीवास्तव, सिम्मी सिंह, मौसमी सरकार, अनिता सिंह आदि विशेष रूप से उपस्थित थीं. स्वामी विवेकानंद वृद्धाश्रम आश्रम के पदाधिकारी पंकज दवने ने उक्त सहयोग के लिए झंकार महिला मण्डल एवं वेकोलि को धन्यवाद दिया.
दरार

दरार : विपक्षी गठबंधन के बीच प्रधानमंत्री पद बना सवाल

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव-2019 राजनीतिक गठबंधन और राजनीतिक संबंधों के तरह-तरह के मुकाम का साक्षी बना है. अब तक इस चुनाव के सात में से 6वें चरण के लिए 7 राज्यों की 59 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. अब आखिरी चरण के लिए 19 मई को मतदान होंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने से पहले विपक्ष के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए दरार के दृश्य सामने आ रहे हैं, जो चौंकाने वाले हैं. ममता, मायावती, राहुल : तीन-तीन दावेदार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के तीन प्रबल दावेदार हैं. हालांकि दो-तीन दिन पूर्व तक तीनों प्रधानमंत्री पद के लिए दरियादिली दिखा रहे थे, अब 6 वें चरण के मतदान संपन्न होते ही अपने तेवर बदलते नजर आने लगे हैं. ममता बनर्जी, जो चुनाव की घोषणा से पहले से ही विपक्षी एकता की ध्वजधारक बनी हुई थीं. लेकिन आज स्थिति यह है कि वे बसपा अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी की प्रमुख अखिलेश यादव को देखना नहीं चाहतीं. महागठबंधन की मीटिंग पर छाया धुंध मायावती के तेवर भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है. इस कारण महागठबंधन की मतदान खत्म होने से पहले दिल्ली में होने वाली मीटिंग पर धुंध छा गया है. इस मीटिंग का नेतृत्व कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी द्वारा किया जाने वाला है. ममता और मायावती के तेवर बदले सूत्रों ने बताया, ‘आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू बीते हफ्ते बंगाल गए थे और उन्होंने ममता बनर्जी से मिली थी. लेकिन जब उन्होंने मीटिंग के बारे में चर्चा की तो ममता ने उनसे कहा, ‘जब तक 23 मई को नतीजे नहीं आ जाते, तब तक मीटिंग की कोई जरूरत नहीं है. इधर मायावती की तरफ से भी वैसा ही नकारात्मक जवाब ही मिला है.' विपक्ष में पद बनेगा सवाल सूत्रों का कहना है, ‘अगर विपक्ष के हक में फैसला आया तो प्रधानमंत्री पद के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाएगा. अभी तक विपक्ष के हर नेता ने सतर्कता के साथ इस सवाल को टाला है. लेकिन प्रधानमंत्री बनने की इच्छा मायावती और ममता दोनों के मन में है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम कई नेता पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए सुझा चुके हैं. जिनमें डीएमके प्रमुख स्टालिन भी शामिल हैं. कांग्रेस अधर में मायावती और ममता बनर्जी, कांग्रेस के साथ बहुत नजदीकी संबंधों को नजरअंदाज कर रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर दोनों कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं. मायावती ने तो कांग्रेस के प्रति अपने पक्ष को छुपाया भी नहीं और यूपी में उनसे गठबंधन से अलग हो गईं और उन्होंने कई बार मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार से हाथ खींचने की भी धमकी दी.
सट्टेबाज

चुनाव परिणामों के संकेत देने लगे हैं सट्टेबाज, जानिए क्या है?

मुंबई : लोकसभा चुनाव को लेकर सट्टा बाजार में इन दिनों गहमा-गहमी तेजी से बढ़ती जा रही है. खास कर मुंबई की सीटों पर सट्टेबाज जम कर सट्टा लगा रहे हैं. पिछले 23 अप्रैल को महाराष्ट्र के सभी 48 सीटों पर मतदान संपन्न हो चुके हैं. इसके साथ ही मुंबई महानगर की 6 सीटों के लिए भी सट्टेबाज सक्रीय हो गए हैं. मुंबई की 6 में से 5 सीटों पर सट्टेबाज भाजपा पर बाजी लगा रहे हैं, वहीं एक सीट पर कांग्रेस सट्टेबाजों की पसंद बनी है. सट्टेबाज सीटों पर दांव लगाकर एक तरह से यह संकेत दे देते हैं कि किस-किस पार्टी का और कौन-कौन से उम्मीदवार का पलड़ा भारी है. मुंबई के सट्टेबाजों के अनुसार दक्षिण मुंबई की सीट पर कांटे की टक्कर है. सट्टा खेलाने वालों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के इतिहास में सर्वाधिक रकम का सट्टा 2019 के इस लोकसभा चुनाव में ही लगाया गया है. लोकसभा चुनाव को लेकर सट्टा बाजार में आई तेजी में देखा जा रहा है कि भाजपा सहित विभिन्न दलों पर भी करोड़ों रुपए का सट्टा लग चुका है. आज की स्थिति को देखते हुए सट्टा बाजार में भाजपा ही सट्टेबाजों की पहली पसंद बनी हुई है. देश भर और महाराष्ट्र में विभिन्न चरणों में हुए मतदान के साथ-साथ स्थिति में उतार-चढ़ाव भी देखा गया है. चौथे चरण का मतदान संपन्न होने पर भाजपा को मुंबई की 6 में से 5 सीटों पर विजयी होने के संकेत सट्टेबाजों ने दे दिए हैं. लेकिन दक्षिण मुंबई में शिवसेना के उम्मीदवार अरविंद सावंत और कांग्रेस के मिलिंद देवरा के बीच कड़ी टक्कर के संकेत मिल रहे हैं. समझा जा रहा है कि यहां से जीत सेना की हो या कांग्रेस की, जीत के मतों का अंतर बहुत ही काम होगा. सट्टा बाजार में जीतने वाले दल पर सट्टा लगाने वाले को 1000 रुपए के पीछे 500 रुपए का लाभ मिलेगा. वहीं हारने वाले पक्ष पर दांव लगाने वाले को 1000 पर 2000 रुपए का लाभ मिलेगा. इसमें जिस पक्ष पर कम रकम लगाया जा रहा है, उसकी जीत सुनिश्चित मानी जाती है. इसके अनुसार उत्तर मुंबई के उम्मीदवार गोपाल शेट्टी पर सट्टा बाजार में 27 पैसे का सट्टा लगाया गया है. दूसरी ओर विरोधी पक्ष की कांग्रेस की उम्मीदवार अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर पर 3 रुपए का भाव लगाया गया है. इसी तरह गजानन किर्तीकर 65 पैसे व संजय निरुपम 1 रुपया 10 पैसे, राहुल शेवाले 45 पैसे व एकनाथ गायकवाड़ 1 रुपए 60 पैसे, संजय दिना पाटिल 1 रुपए 17 पैसे व मनोज कोटक 70 पैसे, पूनम महाजन 55 पैसे व प्रिया दत्त 1 रुपया और अरविंद सावंत 54 पैसे व मिलिंद देवरा पर 52 पैसे का भाव लगने की जानकारी मिली है. चुनावों के दौरान राजनीतिक स्थिति का सर्वाधिक अचूक अंदाज सट्टेबाज ही लगाते रहे हैं. मतदाता के मूड के साथ ही सट्टेबाजों का झुकाव भी बदलता है. डेढ़ वर्ष पूर्व गुजरात में भाजपा के सत्ता में लौटने का अचूक संकेत सट्टा बाजार ने पहले ही दे दिया था. इसी प्रकार छह महीने...
थैलेसीमिया

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए नेट टेस्टेड रक्त की जरूरत

नागपुर : विश्व थैलेसीमिया दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सरकार से मांग की गई कि इस अनुवांशिक रक्त दोष से पीड़ित बच्चों के लिए सरकार नेट टेस्टेड ब्लड (रक्त) की उपलब्धता सुनिश्चित करे. थैलेसीमिया सोसायटी ऑफ सेन्ट्रल इंडिया द्वारा संचालित थैलेसीमिया ऐंड सिकलसेल सेंटर ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था. थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ितों को दिव्यांगों का दर्जा इस अवसर पर सोसायटी के संचालक डॉ. विंकी रुघवानी बताया की सरकार ने थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ितों को दिव्यांगों का दर्जा प्रदान किया है, उन्हें अब वह सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो दिव्यांगों के लिए सरकार ने सुनिश्चित किया हुआ है. साथ ही उनकी तरह का प्रमाण पत्र भी उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने पीड़ितों को मिलने वाली तमाम शासकीय सुविधाओं और उन दवाओं की भी जानकारी दी, जो इन रोगों से पीड़ितों के लिए जरूरी है. हिपेटाइटिस और एचआईवी जैसे रोगों के संक्रमण से बचाना जरूरी डॉ. रुघवानी ने बताया कि थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को सरकार की ओर से सभी ब्लड बैंकों से नियमित रूप से निःशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि पीड़ितों को हिपेटाइटिस और एचआईवी जैसे रोगों के संक्रमण से बचाने के लिए नेट टेस्टेड ब्लड (रक्त) की जरूरत है. डॉ. रुघवानी ने सरकार से मांग की कि पीड़ितों को नेट टेस्टेड ब्लड उपलब्ध कराया जाए. शादी के पूर्व वर-वधु को रक्त जांच कराना चाहिए कार्यक्रम में सोसायटी के उपाध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने कहा कि यह अनुवांशिक रक्त दोष से उत्पन्न रोग है, जो बच्चों में माता-पिता से मिलता है. इसलिए यह जरूरी है कि विवाह से पूर्व वर और वधु को अपने-अपने रक्त की जांच करा लेनी चाहिए. उन्होंने स्कूलों में भी थैलेसीमिया और सिकलसेल से संबंधित रक्त-जांच कराने की व्यवस्था हो नई चाहिए. इस अवसर पर सीआरसी, नागपुर के जे. इसाक ने पीड़ितों को थैलेसीमिया और सिकलसेल पीड़ित बच्चों को सरकार की ओर से दिए जाने वाले प्रमाण पत्र की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी. कार्यक्रम के दौरान थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों द्वारा हाल की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त होने पर उनका स्वागत किया गया. कार्यक्रम में पीड़ित बच्चों ने अनेक एक से बढ़ कर एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया. उपस्थित लोगों ने उनकी प्रस्तुति का खुलकर आनंद लिया. कार्यक्रम में भाग लेने वाले बच्चों में कु. अलिश अतारी, मोईद खान, जस्टिन एक्का, तेजस्विनी उमाले, कृष्णा सूचक, उदय बत्रा, आदित्य जगनाडे और किमिया ढेंगे शामिल थे. कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. जयप्रकाश, डॉ. उषा इसादास, डॉ. आशा रामतानी, विक्की दात्रे, राहुल गजभिये आदि ने अथक परिश्रम किया.
नरकंकाल

सकास नरकंकाल : सभ्यता-यात्रा, अंडमान से सिंधु वाया सोनघाटी

विशेष रिपोर्ट पटना/डेहरी-आन-सोन (बिहार)-सोनमाटी टीम बिंध्य पर्वतश्रृंखला की कड़ी कैमूर की तलहटी में स्थित बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत सकास गांव में मिले नरकंकाल मानव इतिहास के इसी नए कथ्य को पुष्ट कर रहे हैं कि अफ्रीका के जंगल से निकलने के बाद आधुनिक आदमी (होमो सैपियन) की सभ्यता-यात्रा अंडमान से शुरू हुई और सोनघाटी होते हुए सिंधु घाटी तक पहुंची. सकास टीले की खुदाई में प्राप्त हुए छह नरकंकालों की डीएनए रिपोर्ट आने के बाद मानव सभ्यता के विकास की एक नई कहानी सामने होगी. सभ्यता का आदि-स्थल सोनघाटी मानवीय गतिविधियों का तब केंद्र बन चुकी थी, जब विश्वप्रसिद्ध गंगाघाटी आबाद नहीं थी और सोन नद अंचल के इस भारतीय भूभाग पर वैदिक लोगों के आगमन में हजारों साल का समय शेष था. जाहिर है, विश्वविश्रुत सोनघाटी, मानव सभ्यता का यह आदि-स्थल दुनियाभर के इतिहासकारों और जीव, नृ, पुरा, पर्यावरण, भूगोल, समाज, भाषा विज्ञान के वैज्ञानिकों के लिए शोध का नया तीर्थस्थल बनने जा रहा है. सेन्दुआर और कबरा के बाद सकास के प्रमाण महत्वपूर्ण सोन नद के पूरब में कबरा (झारखंड) और पश्चिम में बिहार के सेन्दुआर के बाद अब सकास से प्राप्त साक्ष्य इस बात के प्रमाणिक गवाह हैं कि सोन नद की ऊपरवर्ती घाटी सिन्धु घाटी के आबाद होने के पहले से गुलजार रही है. सकास में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरा-इतिहास विभाग के डॉ. विकासकुमार सिंह के निर्देशन में जारी खुदाई से सामने आए साक्ष्य भारतीय इतिहास में एक मीलस्तंभ खोज साबित हुई है. प्राप्त छह नरकंकाल मृत्यु होने पर शव-दाह के बजाय शव-दफन करने वाले अति प्राचीन जनसमुदाय से संबंधित हैं, जिससे जाहिर होता है कि तब अति आरंभिक संस्कृति वाला मानव-समूह यहां आबाद था, जो शवदाह से अलग हड़प्पा-मुइनजोदड़ो की तरह कब्र वाले संस्कृति-समूह से अलग और वैदिक काल से पहले का है. आदमी ने गुफाओं से बाहर निकलने के बाद सभ्यता की पहली तमीज सोनघाटी में सीखी कैमूर पर्वत की गुफाओं में खोजे गए 20 हजार साल से भी अधिक पुराने गुहाचित्र यह बता रहे हैं कि आदमी (होमो सैपियन) ने हिमयुग के खत्म होने पर इन गुफाओं से नंग-धड़ंग बाहर निकलने के बाद सभ्यता की पहली तमीज सोनघाटी और कैमूर पर्वत की तलहटी में ही सीखी होगी. अपनी वाणी को भाषा के किसी प्राकृत रूप में विस्तार दिया होगा और झोंपड़ी बनाने, पशुपालन, वानिकी, बागवानी की नींव रखी होगी. कैमूर की बांधा और गुप्ताधाम की गुफाओं के भीतर बैठने और मंच जैसा स्थान होने से इस अनुमान को मजबूती मिलती है कि आदि मानव समूह ने अपने मनोरंजन के लिए इन गुफाओं में आदिम तरीके से नाटक (नृत्य, गान) भी करता होगा. हजारों सालों से प्राचीन भारत की सांस्कृतिक धमनियों में भस्मासुर वध की कहानी का धार्मिक कथ्य के रूप में प्रवाहनमान होना इसकी गवाही देता है. भस्मासुर वध को भरत मुनि के नाट्यशास्त्र पर आधिकारिक कार्य करने वाले डॉ. ब्रजवल्लभ मिश्र ने भारतीय भूभाग का प्रथम नाटक माना है. कैमूर की गुफाओं में गुहाचित्र की खोज दो दशक पहले लेफ्टिनेंट कर्नल उमेश प्रसाद के नेतृत्व में सेना के पर्वतारोही दल ने की थी. उस दल में बिहार के पुरातत्व निदेशक डॉ. प्रकाशचंद्र प्रसाद शामिल थे और शांति...
भेंडवलाल

अगले प्रधानमंत्री को लेकर भेंडवलाल में हुई भविष्यवाणी

नागपुर/बुलढाणा : लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे तो 23 मई को आएंगे. लेकिन महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के भेंडवलाल इलाके की 300 साल पुरानी भविष्यवाणी की परंपरा के आधार पर यह घोषणा की गई है नरेंद्र मोदी अगली बार फिर प्रधानमंत्री बनेंगे. ऐसी भविष्यवाणी इलाके के सारंग धरबाघ महाराज के परिवार के लोग करते हैं. ऐसी भविष्यवाणी मौसम और फसलों के बारे में हर साल की जाती है. पिछले साल की गई भविष्यवाणी के अनुसार फसल और बारिश के साथ-साथ अर्थव्यवस्था और आतंकवादी हमलों के लेकर भी बात कही गई थी, जो 60-75 प्रतिशत तक सही पाई गई. ऐसे की गई प्रधानमंत्री की भविष्यवाणी इस पुरानी परंपरा के अनुसार पानी से भरे एक मटके को जमीन के अंदर दबा दिया जाता हैं. इस मटके पर एक पान और उस पर एक रुपए का सिक्का और फिर उस पर एक सुपारी रखी जाती है. अगर सुपारी इधर-उधर होती हो तो देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर दूसरा शख्स बैठेगा. लेकिन अगर सुपारी अपनी जगह पर बनी हुई है, तो वही शख्स फिर से प्रधानमंत्री होगा जो वर्तमान में हैं. बताया जा रहा है कि इस बार सुपारी अपनी जगह पर बनी रही. ऐसे में मोदी के एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने की घोषणा की गई हैं. मौसम और फसलों के बारे में बुलढाणा के भेंडवलाल में इस परंपरा के आधार पर इलाके मे होने वाली बारिश और फसल का भी अनुमान लगाया जाता है. यहां पर मटके के आस-पास दाल,चावल, गेंहू,आलू के पापड जैसी चीजों को एक से 2 फुट के दायरे में फैला दिया जाता है. अगर दाने अपनी जगह पर बने रहे तो बारिश अच्छी और फसल भी अच्छी होगी. अगर दाने इधर-उधर हुए तो दोनों खराब और अगर किसी दाने में अंकुर फूटा तो माना जाता है कि फसल और बारिश दोनों ठीक-ठाक होगी. भविष्य अनुमान की ऐसी मान्यता करीब-करीब सच ही निकलती है. इस पर केवल बुलढाणा जिले में ही नहीं, महाराष्ट्र के विदर्भ और आस-पास के क्षेत्रों में किसान भरोसा करते हैं.
तत्काल टिकट

बदला रेलवे के तत्काल टिकट की बुकिंग का समय

नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने तत्काल टिकट की बुकिंग के समय में कुछ बदलाव किया है. 7 मई (मंगलवार) से 19 स्टेशनों पर सुबह 11 की जगह 11.30 बजे से टिकट मिल रही है. बता दें कि आईआरसीटीसी के टिकट एजेंट या वेब एजेंट सुबह 10 से 12.00 बजे के बीच तत्काल टिकट बुक नहीं कर सकते है, ऐसा करने के लिए उनपर प्रतिबंध लगाया हुआ है. विभिन्न श्रेणियों के लिए तत्काल शुल्क आईआरसीटीसी के जरिए टिकट बुकिंग पर दूसरी श्रेणी के लिए न्यूनतम तत्काल शुल्क 10 रुपए और अधिकतम तत्काल शुल्क 15 रुपए है. स्लीपर क्लास के लिए न्यूनतम शुल्क 90 रुपए और अधिकतम शुल्क 175 रुपए है. ऐसे ही एसी चेयर क्लास के लिए 100 रुपये और अधिकतम 200 रुपए . AC 3 Tier के लिए 250 रुपए और अधिकतम 350 रुपए तत्काल शुल्क है. AC 2 Tier के लिए न्यूनतम 300 और अधिकतम 400.00 रुपए है. एक्जीक्यूटिव के लिए न्यूनतम शुल्क 300 और अधिकतम शुल्क 400 है. दूरी और न्यूनतम किराया ऐसे ही रेलवे रिजर्वेशन सेंटर बुकिंग के जरिए 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए न्यूनतम किराया 10 रुपए अधिकतम किराया 15 रुपए है. स्लीपर क्लास के लिए 500 किलोमीटर तक की दूरी के लिए न्यूनतम किराया 100 रुपए और अधिकतम 200 रुपए है. एसी चेयर क्लास के लिए 250 किलोमीटर तक की दूरी पर न्यूनतम किराया 125 और अधिकतम किराया 225 रुपए है. 500 किलोमीटर तक की दूरी के लिए AC 3 Tier क्लास के लिए 500 किमी. कर की दूरी पर न्यूनतम 300 और अधिकतम किराया 400 रुपए है. AC 2 Tier के लिए 500 किमी के अंतर्गत न्यूनतम 400 रुपए और अधिकतम 500 रुपए है. एक्जीक्यूटिव क्लास में 500 किमी. की दूरी पर न्यूनतम 400 रुपए और अधिकतम किराया 250 रुपए है. यह जान लेना भी जरूरी है - कि तत्काल टिकट बुक करते समय व्यक्ति को पहचान प्रमाण की जानकारी भरने की अवश्यकता होती है और इसी पहतान प्रमाण पत्र को यात्रा के दौरान अपने पास रखना होगा. ज्ञातव्य है कि तत्काल टिकटों के तहत, केवल चार यात्रियों को एक पीएनआर (यात्री नाम रिकॉर्ड) नंबर पर बुक किया जा सकता है. भारतीय रेलवे के अनुसार, तत्काल के तहत बुक किए गए कन्फर्म टिकट रद्द नहीं किए जा सकते हैं.