सबसे बड़ी परियोजना पैनगंगा और उमरेड से बढ़ेगा कम्पनी का कोयला-उत्पादन
नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) के वणी क्षेत्र की अब सबसे बड़ी परियोजना “पैनगंगा” से कम्पनी के कोयला-उत्पादन में वृद्धि संभव हो गया है. इससे अब कम्पनी अपने उपभोक्ताओं- बिजली कम्पनियों और अन्य उद्योगों की मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति में अधिक सक्षम हो जाएगी.
उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय सुधार
वेकोलि ने बताया कि पिछले दो वित्तीय वर्षों से कम्पनी के उत्पादन में लगातार कमी आ गई थी. इसे देखते हुए वेकोलि की विभिन्न परियोजनाओं की उत्पादन क्षमता में सुधार किया जाता रहा. अब इसके बाद कम्पनी ने दावा किया है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में वह 52.5 मिलियन टन कोयले का उत्पादन कर सकेगी. साथ ही अपने उपभोक्ताओं को कोयला प्रेषण (डिस्पैच) का लक्ष्य भी वेकोलि ने 59.7 मिलियन टन निर्धारित किया है.
उमरेड प्रोजेक्ट को भी मिली उत्पादन बढ़ाने की अनुमति
वेकोलि द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार हाल ही में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त त्वरित अनुमोदन के बाद अब इस प्रोजेक्ट की वार्षिक उत्पादन- क्षमता 4.5 मिलियन टन से बढ़ कर 6.3 मिलियन टन हो गई है. इसी तरह, उमरेड क्षेत्र की उमरेड परियोजना भी 4.9 मिलियन टन उत्पादन करने को तैयार है. 3.5 मिलियन टन क्षमता वाली इस परियोजना को भी वन-पर्यावरण मंत्रालय से 4.9 मिलियन टन उत्पादन की अनुमति मिल गई है.
वेकोलि ने दावा किया है कि इन दोनों परियोजनाओं में कोयला-उत्पादन वृद्धि से वेकोलि न केवल अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकेगी, बल्कि अपनी स्थापना से अब तक की अवधि में पहली बार उससे बड़ा कीर्तिमान भी बनाएगी.
‘मिशन डब्ल्यूसीएल : 2.0’ की सफलता
कम्पनी के अनुसार यह मिशन डब्ल्यूसीएल : 2.0 के तहत टीम वेकोलि के सामूहिक प्रयत्नों से ही संभव हो पाया है. कम्पनी ने स्वीकार किया है कि लगातार पिछले दो वित्तीय वर्ष वेकोलि के लिए असहज रहे. किंतु, इस वर्ष की पहली दो तिमाही में वित्तीय मोर्चे पर प्राप्त सकारात्मक नतीजे मिलने से वेकोलि की टीम और बेहतर कार्य-निष्पादन के लिए प्रेरित और तैयार है.
कम्पनी की ग्रीनफील्ड परियोजना पैनगंगा का शुभारंभ 4.9 मिलियन टन क्षमता के साथ मार्च 2015 में हुआ था. फास्ट ट्रैक मोड में कार्य के कारण महज दो वर्ष की अवधि में इस परियोजना से आगे और विस्तार की संभावना के साथ 80 प्रतिशत उत्पादन की उपलब्धि एक रिकॉर्ड है. आगे और वृद्धि के मद्देनजर, परियोजना की क्षमता वर्तमान वित्तीय वर्ष में 4.5 से बढ़ा कर 6.3 मिलियन टन कर दी गई है.
वणी क्षेत्र के पैनगंगा की टीम इस वर्ष 6.3 मिलियन टन से अधिक उत्पादन के लिए कृत संकल्प है. इस तरह, सर्वाधिक बड़ी परियोजना की मदद से वणी क्षेत्र वेकोलि के उत्पादन में 13.9 मिलियन टन का योगदान करेगा.
उमरेड खदान को मिला नया जीवन
2011 में आम्ब नदी का बांध टूट जाने से हुए भारी जल-प्लावन के कारण पूर्णतः ध्वस्त उमरेड परियोजना को बड़ा झटका लगा था. उमरेड क्षेत्र के कर्मियों के दृढ़ निश्चय और कड़ी मेहनत का सुखद प्रतिफ़ल, सिर्फ़ दो वर्ष के रिकॉर्ड समय में, आम्ब नदी की धारा को सफलतापूर्वक मोड़ने के रूप में सामने आया. इससे उमरेड खदान को नया जीवन मिला और वर्ष 2017-18 के दौरान यहां से3.5 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो सका.
वेकोलि ने दावा किया है कि उत्पादन की और गुंजाइश के आलोक में, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से प्राप्त अनुमति से यह खदान इस वर्ष अब तक का सर्वाधिक उत्पादन 4.9 मिलियन टन करने की पूरी तैयारी कर चुकी है. 2011 के हादसे के बाद उमरेड क्षेत्र की इकलौती खान मकरधोकड़ा-2 से प्रति वर्ष 1 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो पा रहा था. लेकिन, पिछले तीन वर्षों में, तीन ग्रीनफील्ड परियोजनाओं; मकरधोकडा-1, गोकुल और दिनेश के खुलने से इस साल यहां से 12 मिलियन टन कोयला-उत्पादन अपेक्षित है. इस प्रकार, उमरेड को वेकोलि का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है.
चार वर्षों में 20 नई खदानें खोलने का कीर्तिमान
उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्षों के दौरान, 6321 करोड़ रुपए की लागत से वेकोलि ने 20 खदानें खोलने का कीर्तिमान बनाया, जिनसे वर्तमान वित्तीय वर्ष में कम्पनी 32 मिलियन टन कोयला उत्पादन कर सकेगी. अगर पिछले चार साल में ये खदानें नहीं खोली जातीं तो वेकोलि का उत्पादन-स्तर सिमट कर 19-20 मिलियन टन तक ही रह जाता, क्योंकि इन वर्षों में पुरानी खदानों की क्षमता तेजी से घटती जा रही थी.
कोयला-उत्पादन 52.5 एवं प्रेषण का लक्ष्य 59.7 मि.टन
वेकोलि ने बताया है कि चालू वित्तीय वर्ष में कम्पनी का कोयला-उत्पादन एवं प्रेषण का लक्ष्य क्रमशः 52.5 तथा 59.7 मिलियन टन है. ताजा स्थिति के अनुसार, वेकोलि दोनों ही मोर्चों पर आगे चल रही है. मिशन वेकोलि: 2.0 का सकारात्मक असर एवं कम्पनी की बुनियादी आवश्यकताओं की सघन मोनिटरिंग से वेकोलि अपने स्थापना-काल से अब तक के सर्वाधिक उत्पादन एवं प्रेषण के प्रति आश्वस्त है.