दरार : विपक्षी गठबंधन के बीच प्रधानमंत्री पद बना सवाल

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नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव-2019 राजनीतिक गठबंधन और राजनीतिक संबंधों के तरह-तरह के मुकाम का साक्षी बना है. अब तक इस चुनाव के सात में से 6वें चरण के लिए 7 राज्यों की 59 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है. अब आखिरी चरण के लिए 19 मई को मतदान होंगे. लेकिन चुनाव खत्म होने से पहले विपक्ष के बीच प्रधानमंत्री पद के लिए दरार के दृश्य सामने आ रहे हैं, जो चौंकाने वाले हैं.

ममता, मायावती, राहुल : तीन-तीन दावेदार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के तीन प्रबल दावेदार हैं. हालांकि दो-तीन दिन पूर्व तक तीनों प्रधानमंत्री पद के लिए दरियादिली दिखा रहे थे, अब 6 वें चरण के मतदान संपन्न होते ही अपने तेवर बदलते नजर आने लगे हैं. ममता बनर्जी, जो चुनाव की घोषणा से पहले से ही विपक्षी एकता की ध्वजधारक बनी हुई थीं. लेकिन आज स्थिति यह है कि वे बसपा अध्यक्ष मायावती और समाजवादी पार्टी की प्रमुख अखिलेश यादव को देखना नहीं चाहतीं.

महागठबंधन की मीटिंग पर छाया धुंध
मायावती के तेवर भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है. इस कारण महागठबंधन की मतदान खत्म होने से पहले दिल्ली में होने वाली मीटिंग पर धुंध छा गया है. इस मीटिंग का नेतृत्व कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी द्वारा किया जाने वाला है.

ममता और मायावती के तेवर बदले
सूत्रों ने बताया, ‘आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्राबाबू नायडू बीते हफ्ते बंगाल गए थे और उन्होंने ममता बनर्जी से मिली थी. लेकिन जब उन्होंने मीटिंग के बारे में चर्चा की तो ममता ने उनसे कहा, ‘जब तक 23 मई को नतीजे नहीं आ जाते, तब तक मीटिंग की कोई जरूरत नहीं है. इधर मायावती की तरफ से भी वैसा ही नकारात्मक जवाब ही मिला है.’

विपक्ष में पद बनेगा सवाल
सूत्रों का कहना है, ‘अगर विपक्ष के हक में फैसला आया तो प्रधानमंत्री पद के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा हो जाएगा. अभी तक विपक्ष के हर नेता ने सतर्कता के साथ इस सवाल को टाला है. लेकिन प्रधानमंत्री बनने की इच्छा मायावती और ममता दोनों के मन में है. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम कई नेता पहले ही प्रधानमंत्री पद के लिए सुझा चुके हैं. जिनमें डीएमके प्रमुख स्टालिन भी शामिल हैं.

कांग्रेस अधर में
मायावती और ममता बनर्जी, कांग्रेस के साथ बहुत नजदीकी संबंधों को नजरअंदाज कर रहे हैं. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर दोनों कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं. मायावती ने तो कांग्रेस के प्रति अपने पक्ष को छुपाया भी नहीं और यूपी में उनसे गठबंधन से अलग हो गईं और उन्होंने कई बार मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार से हाथ खींचने की भी धमकी दी.

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