गठबंधन

कांग्रेस और विपक्षी दलों का गठबंधन महज सिद्धांतहीन महामिलावट- अमित शाह

नागपुर की चुनाव रैली में कांग्रेस और विपक्ष पर किया करारा प्रहार विपेन्द्र कुमार सिंह, नागपुर : कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का चुनावी गठबंधन महज सिद्धांतहीन महामिलावट है. इस गठबंधन के नेताओं में शरद पवार और ममता बैनर्जी तो राहुल गांधी को नेता मानने को भी तैयार नहीं हैं. कांग्रेस और गठबंधन का न तो कोई नेता है, न कोई नीति है और न कोई सिद्धांत है. यह तीखा आक्षेप आज मंगलवार को यहां भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी चुनाव सभा में कांग्रेस और विपक्षी दलों पर किया. वे यहां नागपुर संसदीय क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी और रामटेक संसदीय क्षेत्र के शिवसेना उम्मीदवार कृपाल तुमाने के लिए चुनाव प्रचार करने आए थे. पूर्व नागपुर के कच्छी विसा मैदान में आयोजित सभा में गड़करी, तुमाने सहित केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले, सांसद विकास महात्मे, पूर्व सांसद अजय संचेती, दत्ता मेघे, पूर्व मंत्री सुलेखा कुंभारे, भाजपा के शहराध्यक्ष विधायक सुधाकर कोहले, विधायक सुधाकर देशमुख, विधायक कृष्णा खोपडे, विधायक विकास कुंभारे, शिवसेना के जिला प्रमुख प्रकाश जाधव, महापौर नंदा जिचकार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे. सभा स्थल पर भारी संख्या में लोग उपस्थित थे. कांग्रेस के मंसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे : शाह अमित शाह ने पिपक्षी दलों पर मात्र सत्ता के लिए एकजुट होने का नाटक करने का आरोप लगाया. उन्होंने राहुल गांधी सहित अन्य विपक्षी दलों के नेताओं की राष्ट्र विरोधी भूमिका की कड़े शब्दों में निंदा की. उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष की इस बात के लिए निंदा की कि वह कश्मीर में एक ओर पत्थरबाजों, आतंकवादियों, पाकिस्तान परस्तों और अलगाववादियों का समर्थन कर रही है, दूसरी ओर देश की सेना को नीचा दिखाने का काम कर रही है. उन्होंने भाजपा का यह संकल्प दुहराया कि अगली बार सत्ता में आने पर भाजपा कश्मीर में धारा 370 हटा कर पूरे कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करेगी. उन्होंने कहा कि कश्मीर को देश से अलग करने की नापाक कोशोष्य को भाजपा कभी कामयाब नहीं होने देगी. कांग्रेस से भाजपा ने ज्यादा काम किया : गड़करी इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री और नागपुर से भाजपा उम्मीदवार नितिन गडकरी ने कहा कि देश भर में केंद्र की मोदी सरकार और राज्यों की भाजपा सरकारों मात्र पिछले 5 वर्षों में कांग्रेस के 50 वर्षो के कार्यकाल से कहीं ज्यादा कार्य किया है. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा देश में महामार्ग और सड़क विकास, कृषि विकास, किसानों के लिए कार्य, स्वास्थ्य सेवा, युवा विकास, रोजगार, उद्योग एवं व्यवसाय के क्षेत्र में किए गए कार्यों का ब्यौरा दिया. उन्होंने कहा कि देश भर में भाजपा सरकार ने गरीबों के उत्थान की अनेक योजनाएं लागू कर करोड़ों की संख्या में गरीबों को लाभ पहुंचाया है. भाजपा-शिवसेना जातिवादी नहीं : आठवले केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने अपने भाषण में भाजपा और शिवसेना पर जातिवादी होने के विपक्षी दलों के आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर के स्मारक का काम हो अथवा दीक्षाभूमि विकास का कार्य, भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं. उन्होंने आरोप...
सिंधी समाज

आडवाणी के प्रति राहुल गांधी की अशोभनीय टिप्पणी के विरोध में सिंधी समाज का...

नागपुर : पिछले दिनों चुनाव सभाओं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के प्रति अशोभनीय टिप्पणियों से आहत सम्पूर्ण सिंधी समाज ने आज मंगलवार को यहां धरना देकर अपना रोष व्यक्त किया. नागपुर सेंट्रल सिंधी पंचायत के अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने बताया कि आडवाणी जी हमारे सिंधी समाज के गौरव हैं. कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा उनके बारे में की गई अभद्र एवं अशोभनीय टिप्पणी से पूरे सिंधी समाज में रोष व्याप्त है. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि कांग्रेस अध्यक्ष अपनी इस ओछी टिप्पणी के लिए आडवाणी जी और सिंधी समाज से माफी मांगें. राहुल गांधी से माफी की मांग को लेकर सिंधी समाज ने आज 9 अप्रैल, मंगलवार को शाम 4 बजे से आधे घंटे 4.30 तक का धरना प्रोफेसर विजय केवलरमानी की अध्यक्षता में तथा दादा घनश्यामदास कुकरेजा की प्रमुख उपस्तिथि में दिया. यह धरना राजकुमार केवलरमानी हाईस्कूल, जरीफटका संपन्न हुआ. धरना के दौरान दादा विजय केवलरमानी ने कहा कि देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी के प्रमुख द्वारा चुनावी आमसभाओं में बुजुर्ग नेता लालकृष्ण अडवाणीजी के खिलाफ इस प्रकार का निचले स्तर की भाषा शैली का उपयोग करना अशोभनीय है. उनके वक्तव्य से पूरे सिंधी समाज में भारी रोष में है. दादा घनश्यामदास कुकरेजा ने कहा कि उन्हें तुरंत अपने इस अशोभनीय भाषा के लिए खेद प्रकट करना चाहिए. पंचायत के अध्यक्ष प्रताप मोटवानी ने समाज के भीष्म पितामह बुजुर्ग नेता के बारे में ऐसे शब्दों का उपयोग करना बेहद दुखदायी है. पूरे देश-विदेश में इसका तीव्र विरोध हो रहा है. धरना प्रदर्शन में पंचायत के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप पंजवानी, उपाध्यक्ष कैलाश केवल रमानी, महेश बठेजा, महासचिव विनोद जेठानी, कार्यकारी सचिव महेश ग्वालानी, प्रचार सचिव राजेश धनवानी, सचिव भारत पारवानी तथा सदस्यगण मनीष दासवानी, ठाकुर आनन्दानी, श्रीचंद चावला, राजेश बटवानी, राजू ढोलवानी, संतोष डेम्बला, कमल हरियाणी, सुरेश बुधवानी, विशाल कुमार, सुरेश खिलवानी, महेश मेघानी, घनश्याम लालवानी आदि धरने में शामिल हुए. नागपुर सेंट्रल सिंधी पंचायत के सभी पदाधिकारी और सदस्य सदस्य धरने में शामिल थे.
लोकसभा

लोकसभा चुनाव 2019 : प्रथम चरण में विदर्भ की 7 सीटों पर आसान नहीं...

चुनाव विश्लेषण, नागपुर : विदर्भ के दस लोकसभा क्षेत्रों में से सात क्षेत्रों में आज मंगलवार, 9 अप्रैल की शाम 6 बजे से चुनाव प्रचार बंद हो जाएंगे. इन सात लोकसभा क्षेत्रों में वर्धा, रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरोली-चिमूर, चंद्रपुर-आर्णी और यवतमाल-वाशिम शामिल हैं. इन लोकसभा क्षेत्रों में आगामी गुरुवार, 11 अप्रैल को प्रथम चरण में मतदान होगा. महाराष्ट्र के इन सात चुनाव क्षेत्रों में पिछले 2014 के चुनावों में भाजपा-शिवसेना युति का ही भगवा परचम लहराया था. दो सीटों पर शिवसेना और पांच पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. इस बार भी भाजपा-शिवसेना सभी सात सीटों पर मजबूत तो नजर आ रही है, लेकिन मौजूदा एण्टी इन्कम्बन्सी फैक्टर का असर कुछ सीटों पर दिखाई दे रहा है. इसलिए इस बार भी सभी सात सीटें भाजपा-शिवसेना की झोली में ही जाएंगी, यह थोड़ी मुश्किल सी जान पड़ रही है. प्रस्तुत है राज्य के प्रथम चरण में विदर्भ की इन सात सीटों के लिए आगामी 11 अप्रैल के मतदान के पूर्व का एक आकलन- 1. वर्धा लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद रामदास तड़स का मुकाबला कांग्रेस की वरिष्ठ नेता स्व. प्रभा राव की पुत्री और प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अधि. चारूलता टोकस से है. यहां बहुजन समाज पार्टी ने शैलेश अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वर्धा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से तीन भाजपा और तीन कांग्रेस के कब्जे में है. यहां के जातीय समीकरण में कुणबी, तेली, सावजी समाज के आलावा तेली, मराठा, दलित आणि और मुस्लिम समुदाय का वर्चस्व है. यहां मतविभाजन किस आधार पर होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता. हाल ही में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनाव सभा में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. 2. रामटेक लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के वर्तमान सांसद कृपाल तुमने का मुकाबला कांग्रेस के नए उम्मीदवार किशोर गजभिए से है. रामटेक क्षेत्र में कांग्रेस संगठन के मुकाबले शिवसेना का संगठन कहीं अधिक मजबूत है. साथ ही सहयोगी दल भाजपा का पूर्ण समर्थन होने के कारण यहां कृपाल तुमने मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं. पिछले 2014 के चुनाव में वे पौने दो लाख से अधिक मतों से विजयी हुए थे. फिलहाल कांग्रेस समेत सभी उम्मीदवार लोकसभा क्षेत्र के कुणबी, तेली, कोष्टी, मुस्लिम, मराठा आदि बहुसंख्यकों के जातीय समीकरण को अपने पक्ष में साधने के प्रयास में लगे नजर आए हैं. 3. नागपुर संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री वर्तमान सांसद और भाजपा के दिग्गज नेता नितिन गड़करी के मुकाबले कांग्रेस ने भंडारा-गोंदिया के पूर्व भाजपा सांसद नाना पटोले को अपना प्रत्याशी बनाया है. पूरे देश में गड़करी की उज्जवल छवि और खास कर पूरे विदर्भ में विकास पुरुष की उनकी पहचान रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार को पौने तीन लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. पिछले चार वर्षों के दौरान नागपुर समेत पूरे विदर्भ में गडकरी ने महामार्ग निर्माण से लेकर कृषि, स्वास्थ्य, युवा कल्याण, खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर अपनी स्थित अत्यंत सुदृढ़ बना ली है. नागपुर के सभी 6 विधान सभा...
पराजय

लोकसभा चुनाव 2019 : तो क्या भाजपा का पराजय अटल है…?

विश्लेषण : हमारी लोकसभा का गठन देश के 36 राज्यों की की कुल 544 क्षेत्रों से इन क्षेत्रों के वयस्क मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष मतदान से 544 चुने गए सदस्यों से होता है. आगामी लोकसभा के लिए इन राज्यों में सात चरणों में यह चुनाव होने हैं. इस चुनाव में केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस सहित अलग-अलग राज्यों में विभिन्न क्षेत्रीय दलों के गठबंधन से है. राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवारों के संख्यात्मक आंकड़े चौंकाने वाले हैं. आश्चर्य का विषय है कि इस पर निर्भर भाजपा किस आधार पर आगामी लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीत का दावा कर रही है. इन आंकड़ों से तो साफ है कि भाजपा की या तो भारी पराजय होने वाली है, अथवा यदि सत्ता में आने पर सफल रही भी तो वह सहयोगी दलों के हाथों की कठपुतली बन कर रह जाएगी. देश के कुल 36 राज्यों में से 13 राज्य ऐसे हैं, जो केंद्र में किसी राजनीतिक दल अथवा इनके गठबंधन, सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन 13 राज्यों से लोकसभा के 440 अर्थात 81% सदस्य चुने जाते हैं. केंद्र में सरकार बनाने के लिए लोकसभा में बहुमत के लिए 50% का जादुई आंकड़ा 272 है, जो इन्हीं 13 राज्यों से चुने गए सदस्यों के समर्थन पर निर्भर होता है. अब यह भी जान लें कि ये राज्य कौन-कौन से हैं और इनमें लोकसभा की कुल कितनी सीटें हैं. ये राज्य हैं- 1. उत्तर प्रदेश-80 सीटें, 2. महाराष्ट्र-48 सीटें, 3. बंगाल-42, 4. बिहार-40, 5. तमिलनाडु-39, 6. मध्य प्रदेश-29, 7. कर्नाटक-28, 8. गुजरात-26, 9. राजस्थान-25, 10. आंध्र प्रदेश-25, 11. ओड़िशा-21, 12. केरल-20 सीटें और 13. तेलंगना-17 सीटें. अब इन 13 राज्यों में भाजपा की स्थिति पर नजर डालें- इन 13 राज्यों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के तहत भाजपा 2014 में केरल और तमिलनाडु में भाजपा 1-1 सीटों पर जीती थी. पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में 2-2, इसी तरह तेलंगना और ओड़िसा में भी 2-2 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. अब बाकी के सात राज्यों में भाजपा बिहार में 22 और कर्नाटक में 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार इन राज्यों में भाजपा 50% सीटें अपने सहयोगी दलों के लिए छोड़ चुकी है. इसी तरह महाराष्ट्र की 48 सीटों में से आधी सीटें शिवसेना सहित सहयोगी दलों की भेंट चढ़ी हुई हैं. इस तरह उत्तर प्रदेश की 80 में से 68 सीटें, मध्य प्रदेश की 26, गुजरात की 26 और राजस्थान की 25 सीटों को मिला कर भाजपा 13 में से 11 राज्यों में मात्र 233 सीटों पर ही कब्जा कर सकी थी. बाकी की सीटें सहयोगी दलों को मिली थीं. उत्तर प्रदेश में फिलहाल अखिलेश-मायावती (सपा-बसपा) के मजबूत गठबंधन से भाजपा का कठिन मुकाबला है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा मध्यप्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ़ राज्यों में अपनी सत्ता गवां चुकी है. कर्नाटक और बिहार में भी भाजपा की राह आसान नहीं रही है. साथ ही सीटों के बंटवारे में भी सहयोगी सत्तारूढ़ नितीश कुमार की...
5-जी सेवा

इंटरनेट की स्पीड अचानक 20 गुना बढ़ कैसे गई?

पर भारत में भी अब 'दिल्ली दूर नहीं है' 5-जी सेवा : संचार और तकनीक की दुनिया, दुनिया भर में धूम मचा रही है. कल तक जो बात काल्पनिक, पौराणिक और अविश्वसनीय सी थी, आज वह रातों-रात कैसे मूर्त हो रही है? मौजूदा समय में यह भले ही आश्चर्य की बात नहीं हो, लेकिन कौतूहल तो पैदा कर रहा है, और वह भी जबरदस्त..! हालांकि हम आम भारतीयों को संचार और तकनीक के क्षेत्र की ऐसी तूफानी प्रगति की प्रतीक्षा करने की आदत सी हो गई है तो,..! लेकिन अब ऐसी बात नहीं रही. इसी वर्ष 2019 में भारत के स्मार्टफोन यूजर्स के हाथों में देखे जा सकेंगे- 5-जी स्मार्टफोन..! तो अब यह जान लेने में कोई हर्ज नहीं है कि यह तेजी आई कहां..? अब जान ही लें...इंटनेट स्पीड आखिर 20 गुना बड़ी कैसे? एशिआई देश दक्षिण कोरिया में मोबाइल सेवा देने वाली तीन कंपनियों ने 5-जी सेवा की शुरुआत कर दी है. इसके साथ ही अमेरिका के शिकागो समेत दो शहरों के कुछ हिस्सों में 5-जी सेवा की सेवा शुरूहो गई है. अब इन दोनों देशों में इससे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वालों की क्षमताओं में खासा इजाफा होगा. दक्षिण कोरियाई कंपनी सैमसंग का कहना है कि गैलेक्सी एस10 5जी स्मार्टफोन अभी के फोन के मुकाबले 20 गुना स्पीड वाला होगा, जिसकी बिक्री शुक्रवार से वहां शुरू कर दी गई है. 1-जी नेटवर्क ने आवाज को सक्षम बनाया, 2-जी ने टेक्स्ट को, 3-जी ने तस्वीरों को और 4-जी ने वीडियो प्रसार को समर्थ बनाया है. अब 5-जी ने इन सभी की तेजी को इतना जबरदस्त बनाया है कि मानो आपने चाहा, पालक झपकते- बंदा हाजिर हुआ..! फिलहाल कई देश 5जी नेटवर्क बनाने के लिए होड़ कर रहे हैं, जो भविष्य की तकनीक के लिए बहुत महत्वपूर्ण होगा. मसलन चालक विहीन कार तैयार करने में भी यह उपयोगी साबित होगी. ये देश नेटवर्क से जुड़ी सुरक्षा चिंताओं को भी हल करने पर काम कर रहे हैं. 5-जी, मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी तकनीक की पांचवीं पीढ़ी है. इससे यूजर्स को अच्छी डाटा स्पीड मिलेगी और समय कम लगेगा. ये व्यापक कवरेज और स्थिर नेटवर्क का वादा भी वादा करता है. ओवम में टेलीविज़न और एंटरटेनमेंट विश्लेषक ने कहा कि आज के 4-जी से 5-जी की ओर जाना महत्वपूर्ण साबित होगा. शुरू में 5-जी उच्च गुणवत्ता के प्रसारण को सक्षम बनाएगा और लाईव स्पोर्ट्स और क्लाउड गेमिंग में रुचि रखने वाले दर्शकों के लिए एक बेहतरीन अनुभव साबित होगा. ओवम के बार्टन कहते हैं कि 5-जी से मैपिंग ऐप्स और शॉपिंग अनुभव और बेहतर होंगे. ये बिना ड्राईवर वाली कारों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा. इसके अलावा दूर से सर्जरी और होलोग्राफ़िक वीडियो कॉल्स को भी और बेहतर बनाने में ये भूमिका निभाएगा. बार्टन कहते हैं, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि 4-जी से 5-जी एक ऐसी छलांग होगी, जो पहले कभी नहीं हुई थी." और इस छलांग का पहला फायदा होगा पूरे नेटवर्क में विशाल डाटा को ट्रांसफर करना. 5-जी का मतलब होगा- अधिक से अधिक उपकरण बेहतर स्पीड के साथ नेटवर्क में जोड़े जा सकते हैं. टेक्नोलॉजी कंसल्टेंसी आईडीसी एशिया पेसिफिक में वरिष्ठ...
प्रचार पत्रिका

वर्धा लोकसभा चुनाव 2019 : गड़करी की सभा की प्रचार पत्रिका से मोदी का...

अश्विन शाह, पुलगांव (वर्धा) : लोकसभा चुनाव के लिए वर्धा क्षेत्र के उम्मीदवार सांसद रामदास तड़स के चुनाव प्रचार के लिए आज शुक्रवार, 5 अप्रैल को पुलगांव के सर्कस मैदान में केंद्रीय मंत्री और विदर्भ में भाजपा के कद्दावर नेता नितिन गड़करी की चुनावी सभा होने वाली है. इस सभा के लिए शहर और आस-पास के क्षेत्रों में गड़करी के आगमन के प्रचार के लिए वितरित की गई रंगीन प्रचार पत्रिका से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो का नदारद होना यहां चर्चा का विषय बना हुआ है. हालांकि चुनाव सभा मंच पर लगाए गए बैनर में प्रधानमंत्री मोदी का छोटा चित्र भाजपाध्यक्ष अमित शाह के चित्र के पहले लगा कर भूल सुधार करने की कोशिश की गई है. शहर में वितरित इस प्रचार पत्रिका में गड़करी और उम्मीदवार रामदास तड़स के बड़े चित्र के साथ स्व. अटलबिहारी वाजपेयी और स्व. बाला साहब ठाकरे के चित्र के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, प्रदेशाध्यक्ष राव साहब दानवे, राज्य के वित्त मंत्री और जिले के पालक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, रिपा (आठवले) नेता और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले सहित अनेक नेताओं के चित्र हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इससे ब्लैकआउट कर दिया जाना भाजपा सहित अन्य राजनीतिक दलों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए भी आश्चर्य और चर्चा का विषय बन गया है. केंद्रीय मंत्री गड़करी की चुनाव सभा आज 5 अप्रैल को दोपहर 2 बजे पुलगांव के सर्कस ग्राउंड में वर्तमान सांसद रामदास तड़स के लिए शुरू होने वाली है. पुलगांव शहर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस प्रचार सभा के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी के आगमन की सूचना आम नागरिकों को देने के लिए पुलगांव शहर में 5000 यह पत्रिका वितरित की गई है. इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया देने से स्थानीय भाजपा नेता बचते रहे. प्रचार मंच पर लगे बैनर में पीएम मोदी का छोटा चित्र लगा कर भूल सुधारने का प्रयास भी चर्चा में बना हुआ है.
मासिक रिटर्न

बेहतर मासिक रिटर्न के लिए कहां लगाएं अपनी गाढ़ी कमाई की बचत?

अल्प आय वाले और सेवानिवृत वरिष्ठ नागरिकों की बड़ी जरूरत निवेश विकल्प : कम आय वाले सेवानिवृत वरिष्ठ नागरिकों और नौकरीपेशा लोगों के पास अपनी बचत को और अधिक बढ़ाने के माध्यम बहुत सीमित हैं. जबकि इन दोनों वर्गों के लोगों के लिए अपने भविष्य को सुधारने की चिंता सर्वाधिक होती है. यह वर्ग अपने बच्चों, बुजुर्गों और अपने लिए अपनी मेहनत की कमाई से बचाए गए पैसे को सुरक्षित रखने और उसमें निरंतर वृद्धि करने के मार्ग ढूढता रहता है. सरकारी नौकरी वाले व्यक्ति के लिए सरकारी पीएफ और पेंशन एक बड़ी राहत है. लेकिन निजी क्षेत्र में काम करने वाला और निजी क्षेत्र से सेवानिवृत हुए व्यक्ति के लिए तो एकमात्र भरोसा उसका बचत ही होता है. खासकर निजी क्षेत्र में काम करने वाले या सेवानिवृत अल्पआय वाले उन लोगों के लिए, जिन्हें अपनी बचत से आजीविका चलाने में मदद वाली मासिक आय की जरूरत है, कहां से मिले इन्हें अधिक मासिक रिटर्न? अमूमन यह देखा जा रहा है कि आज बैंकों में चाहे एफडी हो या फिर बचत खाता उसमें ब्याज काफी कम हो गया है. सलाह यह दी जाती है कि म्यूच्युअल फंड में एसआईपी के माध्यम से निवेश करें. इसमें एक ख़ास अवधि में बड़ा रिटर्न मिलता है, लेकिन यहां पर पैसे पर कुछ रिस्क भी रहता है और यह रिस्क बाजार के उतार-चढ़ाव के साथ बना रहता है. साथ ही इसमें लम्बी अवधि तक निवेश जरूरी है. कम अवधि का निवेश तो बिलकुल ही नुकसानदायक है. लेकिन यदि अपनी बचत की रकम से यदि अच्छी मासिक रिटर्न की आपको जरूरत हो तो? तो आप कहां जाएं? सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हों या निजी क्षेत्र के, उनके एफडी (सावधि जमा) पर भी ब्याज दर बहुत कम हैं. नेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार निजी क्षेत्र की ऐसी मात्र दो विश्वसनीय वित्तीय संस्थाएं हैं, जो इन बैंकों और अन्य निजी क्षेत्र की वित्तीय संस्ताओं से एफडी पर अधिक ब्याज दे रही हैं. इनमें से एक है- ईएसएएफ स्माल फाइनेंस बैंक (ESAF Small Finance Bank), जहां एफडी पर 8.75% सालाना ब्याज है और वरिष्ठ नागरिकों के लिए 9.25% की दर से मिलता है. लेकिन यदि मासिक ब्याज चाहिए तो यह दर लगभग .40% कम हो जाता है. फिर भी यह अन्य से अधिक मासिक ब्याज देता है. इसी तरह दूसरी अन्य निजी क्षेत्र की विश्वसनीय वित्तीय संस्था है- बजाज फायनांस. हाल ही में इसने सावधि जमा योजना शुरू की है. यह वरिष्ठ नागरिकों को तीन साल की जमा पर 9.10 प्रतिशत ब्याज दे रहा है और एफडी पर मासिक ब्याज 8.70 प्रतिशत देता है. बजाज फायनांस एफडी का पूरा चार्ट यहां देखें- ऐसे में मेहनत की कमाई को बचाए रखने और उसे भविष्य के हिसाब से बढ़ाने के लिए सबसे बेहतर ऑपशन एफडी दिखाई देने लगा है. 1. नेट पर उपबल्ध जानकारी के अनुसार ईएसएएफ स्माल फाइनेंस बैंक (ESAF Small Finance Bank) में सामान्य नागरिक को एफडी पर 8.75% सालाना ब्याज मिलेगा. जबकि इसी बैंक में वरिष्ठ नागरिकों को यह 9.25% की दर से मिलता है. 2. बजाज फायनांस ने हाल ही में...
वेकोलि

तो ऐसे 7 मि. टन अधिक कोयले का उत्पादन कर सकी वेकोलि

अब तक का सर्वाधिक उत्पादन कर लक्ष्य से आगे रही कंपनी नागपुर : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) की अनुषंगी कम्पनी वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) पिछले वर्ष की तुलना में 7 मिलियन टन अधिक कोयले का उत्पादन करने में सफल रही है. बताया गया कि इसी वर्ष के आरंभ में 'मिशन : डब्ल्यूसीएल 2.0' लागू कर वेकोलि अच्छे नतीजे तक पहुंचने में सफल रही. कंपनी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार अभी-अभी समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 के दौरान, कम्पनी के स्थापना-काल से अब तक का सर्वाधिक कोयला-उत्पादन और डिस्पैच कर नया रिकार्ड बनाया. एमोयू लक्ष्य 49.70 मिलियन टन लक्ष्य की तुलना में वेकोलि ने 53.18 मिलियन टन कोयला उत्पादन किया. यह पिछले वर्ष के उत्पादन से 7 मिलियन टन अधिक है. केंद्र की संप्रग सरकार के कार्यकाल के अंतिम वर्ष में कम्पनी 8 वर्षों के बाद अपना उत्पादन-लक्ष्य प्राप्त कर सकी है. वेकोलि ने बताया है कि कोयला-उत्पादन में स्थापना-काल से अब तक की सर्वाधिक 15 प्रतिशत वृद्धि उसने दर्ज की है. इसी तरह, कोयला-प्रेषण में भी वेकोलि ने 14% से अधिक की उपलब्धि हासिल की है. आलोच्य वित्तीय वर्ष के दौरान, वेकोलि ने 55.56 मिलियन टन कोयला डिस्पैच किया, जबकि इसी अवधि में पिछले वर्ष यह 48.75 मिलियन टन था. बढ़िया रहा 'मिशन : डब्ल्यूसीएल 2.0' का नतीजा कंपनी ने दावा किया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान, उत्पादन एव प्रेषण में बढ़ोत्तरी से कम्पनी की वित्तीय स्थिति वर्ष 2017-18 की तुलना में सुदृढ़ होगी. 2018-19 के पूर्वार्द्ध में प्रारम्भ 'मिशन : डब्ल्यूसीएल 2.0' से टीम वेकोलि अपनी विभिन्न मूलभूत आवश्यकताओं को ठीक करने में सफल रही. नतीजतन, 31 मार्च के दस दिन पूर्व ही कम्पनी 49.70 मिलियन टन लक्ष्य को पार कर चुकी थी. कम्पनी के खाते में एक उपलब्धि यह भी रही कि 22 मार्च 2019 को ही वह 50 मिलियन टन से अधिक कोयला-उत्पादन कर चुकी थी. 'मिशन : वेकोलि 2.0' के प्रभावी क्रियान्वयन से हर स्तर पर नई कार्य-संस्कृति स्थापित हुई. टीम वेकोलि के हरेक सदस्य ने इसमें भाग लिया और इस उपलब्धि को हासिल करने में एक-दूसरे का साथ दिया. वेकोलि की उपरोक्त सफलता में, पिछले चार वर्षों में खोली गई 20 नयी खदानों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा. 2018-19 में इन खदानों से कम्पनी 35.82 मिलियन टन कोयला-उत्पादन कर सकी. विविध मोर्चो पर समुचित योजना और समेकित प्रयासों के चलते इन नई खदानों से उत्पादन में गत वर्ष की तुलना में 30% की वृद्धि दर्ज की गई. वेकोलि के अनुसार इस वर्ष कम्पनी के उत्पादन में वणी क्षेत्र की प्रतिष्ठित पेनगंगा ओपन कास्ट माइन का सबसे ज्यादा 6.30 मिलियन टन कोयले का योगदान रहा, जबकि उमरेड ओपन कास्ट ने 4.9 मिलियन टन और मकरधोकड़ा-3 ने 3.26 मिलियन टन कोयला-उत्पादन किया. गत चार वर्षों में 20 नई खदानें खोलने के अलावा पुरानी खदानों की क्षमता में वृद्धि और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से त्वरित अनुमति के कारण वेकोलि अधिक कोयला-उत्पादन कर सकी. खदानों से निकली रेत भी बेच रही कंपनी उल्लेखनीय है कि कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कम्पनियों में, वेकोलि लीक से हट कर (आउट ऑफ बॉक्स) कार्य भी कर रही है. इस क्रम...
रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक ने की कृपा : आवास और वाहनों पर कर्ज की ईएमआई की...

रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंची मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती कर दी है. अर्थात अब आवास और वाहनों पर कर्ज की ईएमआई की ब्याज दर भी घट सकती है. चुनाव के इस मौके पर दी गई गई इस राहत पर हालांकि राजनीतिक दलों की प्रतिक्रया अभी सामने नहीं आई है, लेकिन एसोचैम-ईग्रो फाउंडेशन द्वारा आरबीआई की मौद्रिक नीति पर आयोजित एक परिचर्चा में कहा गया है, "मौद्रिक नीति में ढील का यह बहुत उपयुक्त समय है." मौद्रिक नीति समीक्षा के आखिरी दिन नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती से अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास कर रहे थे. विशेषज्ञों के अनुसार रेपो रेट घटने से आवास और वाहन पर चल रही ईएमआई पर ब्याज दर कम हो सकती है. इसके अलावा दिसंबर की पॉलिसी में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. पहले यह 7.2 रखी गई थी. अनेक अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक से रेपो रेट में कटौती का आह्वान किया था. अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी समेत अर्थशास्त्रियों के एक समूह ने रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कम-से-कम 0.25 प्रतिशत की कटौती की बात कही थी. विरमानी ने कहा कि यह आरबीआई को समझना है कि देश में फिलहाल वास्तविक ब्याज दर काफी ऊंची है. एसोचैम-ईग्रो फाउंडेशन द्वारा आरबीआई की मौद्रिक नीति पर आयोजित एक परिचर्चा में उन्होंने कहा, "मौद्रिक नीति में ढील का यह बहुत उपयुक्त समय है." ज्ञातव्य है कि आरबीआई द्वारा बैंकों से वसूले जाने वाले ब्याज दर को रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट घटने का फायदा बैंकों को होता है. इसलिए बैंक भी अपने ग्राहकों को राहत दे कर उनके लिए ब्याज दरों में कटौती कर देते हैं.
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लोकसभा चुनाव 2019 : राहुल का ‘गरीबी मिटाओ’, कितना जुमला, कितनी हकीकत

विश्लेषण : कल्याण कुमार सिन्हा चुनावी जुमलेबाजी से उड़ी खिल्लियां झेल चुकी भारतीय जनता पार्टी तो लगता है कुछ सबक सीख चुकी है, लेकिन कांग्रेस काठ की हांडी एक बार फिर चुनावी अलाव पर सेंकने का लोभ संवरन करती नहीं दिख रही. पिछले विधानसभा चुनावों में छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में ऐसे ही वादे की बदौलत फिर से सत्ता हथियाने में मिली सफलता से वह कुछ अधिक ही उत्साहित नजर आ रही है. अब देखें - बढ़ती महंगाई के दौर में 12 हजार रुपए मासिक में एक परिवार की गरीबी मिटा डालने की यह स्कीम हकीकत है या जुमला! गरीबी दूर करेंगे राहुल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर 25 करोड़ गरीब लोगों को 12 हजार रुपए न्यूनतम आय की गारंटी देने का एलान कर दिया है. राहुल गांधी के वादे के मुताबिक इस योजना से कम से कम 72 हजार रुपए सालाना उन्हें मदद दी जाएगी. इस योजना के अनुसार 5 करोड़ गरीब की आमदनी कम से कम 12 हजार रुपए मासिक तक पहुंचा दी जाएगी. अर्थात उनका एलान है कि सत्ता में आने पर वे लोगों की गरीबी दूर कर देंगे. राफेल-राफेल और चोर-चोर का शोर बेअसर होने के बाद राहुल के इस जुमले का दम, असर तो दिखा सकता है. वक्त का पहिया और वादों का इतिहास लेकिन नई पीढ़ी को चुनावी वादों का इतिहास जानना जरूरी है. वक्त का पहिया घूम कर जैसे इस बार भी लौट आया है. या यूं कहें- "राहुल गांधी ने 48 साल पहले के अपनी दादी के प्रयोग की सफलता को दुहराने के लिए वक्त का पहिया घुमा लिया है." 1971 के चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने चुनावी अभियान का नारा दिया था 'गरीबी हटाओ'. इंदिरा गांधी उस समय चुनावी सभा के दौरान कहा करती थीं कि 'वो कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ'. इंदिरा सरकार ने हटाने के बजाय बढ़ाई थी गरीबी 1970 के दशक में जब इंदिरा गांधी सत्ता में आईं थीं तो देश में 51.5 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और इसी दौरान यानी 1970 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 29.15 करोड़ थी. 1977-78 में जब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर गईं तो उस समय देश के 48.3 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और 30.68 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे बने हुए थे. ये आंकड़े योजना आयोग के हैं. उनके गरीबी हटाओ नारे से गरीबी तो हटी नहीं, बल्कि और बढ़ी. लेकिन सच यही है कि इंदिरा गांधी 'गरीबी हटाओ' के अपने नारे की बूते ही मझधार में डोलते अपने तत्कालीन कांग्रेस(आई) गुट को सत्ता में लाने के साथ ही असली कांग्रेस के रूप में भी स्थापित करने में सफल हो गई थीं. विधानसभा चुनावों की सफलता दुहराने की कवायद पिछले साल ही 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ करने और युवाओं को 3,500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने के वादे की तरह अपने इस "गरीबी दूर करने के वादे" से राहुल गांधी केंद्र के सत्ता पाने की राह बनाने में...