रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंची
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती कर दी है. अर्थात अब आवास और वाहनों पर कर्ज की ईएमआई की ब्याज दर भी घट सकती है.
चुनाव के इस मौके पर दी गई गई इस राहत पर हालांकि राजनीतिक दलों की प्रतिक्रया अभी सामने नहीं आई है, लेकिन एसोचैम-ईग्रो फाउंडेशन द्वारा आरबीआई की मौद्रिक नीति पर आयोजित एक परिचर्चा में कहा गया है, “मौद्रिक नीति में ढील का यह बहुत उपयुक्त समय है.”
मौद्रिक नीति समीक्षा के आखिरी दिन नीतिगत दरों में 25 आधार अंक कटौती से अब रेपो रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्ति कांत दास कर रहे थे. विशेषज्ञों के अनुसार रेपो रेट घटने से आवास और वाहन पर चल रही ईएमआई पर ब्याज दर कम हो सकती है. इसके अलावा दिसंबर की पॉलिसी में आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए विकास दर 7.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था. पहले यह 7.2 रखी गई थी.
अनेक अर्थशास्त्रियों ने रिजर्व बैंक से रेपो रेट में कटौती का आह्वान किया था. अर्थशास्त्री अरविंद विरमानी समेत अर्थशास्त्रियों के एक समूह ने रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में कम-से-कम 0.25 प्रतिशत की कटौती की बात कही थी.
विरमानी ने कहा कि यह आरबीआई को समझना है कि देश में फिलहाल वास्तविक ब्याज दर काफी ऊंची है. एसोचैम-ईग्रो फाउंडेशन द्वारा आरबीआई की मौद्रिक नीति पर आयोजित एक परिचर्चा में उन्होंने कहा, “मौद्रिक नीति में ढील का यह बहुत उपयुक्त समय है.”
ज्ञातव्य है कि आरबीआई द्वारा बैंकों से वसूले जाने वाले ब्याज दर को रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट घटने का फायदा बैंकों को होता है. इसलिए बैंक भी अपने ग्राहकों को राहत दे कर उनके लिए ब्याज दरों में कटौती कर देते हैं.