लोकसभा चुनाव 2019 : राहुल का ‘गरीबी मिटाओ’, कितना जुमला, कितनी हकीकत

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विश्लेषण : कल्याण कुमार सिन्हा
चुनावी जुमलेबाजी
से उड़ी खिल्लियां झेल चुकी भारतीय जनता पार्टी तो लगता है कुछ सबक सीख चुकी है, लेकिन कांग्रेस काठ की हांडी एक बार फिर चुनावी अलाव पर सेंकने का लोभ संवरन करती नहीं दिख रही. पिछले विधानसभा चुनावों में छतीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में ऐसे ही वादे की बदौलत फिर से सत्ता हथियाने में मिली सफलता से वह कुछ अधिक ही उत्साहित नजर आ रही है. अब देखें – बढ़ती महंगाई के दौर में 12 हजार रुपए मासिक में एक परिवार की गरीबी मिटा डालने की यह स्कीम हकीकत है या जुमला!

गरीबी दूर करेंगे राहुल
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार आने पर 25 करोड़ गरीब लोगों को 12 हजार रुपए न्यूनतम आय की गारंटी देने का एलान कर दिया है. राहुल गांधी के वादे के मुताबिक इस योजना से कम से कम 72 हजार रुपए सालाना उन्हें मदद दी जाएगी. इस योजना के अनुसार 5 करोड़ गरीब की आमदनी कम से कम 12 हजार रुपए मासिक तक पहुंचा दी जाएगी. अर्थात उनका एलान है कि सत्ता में आने पर वे लोगों की गरीबी दूर कर देंगे. राफेल-राफेल और चोर-चोर का शोर बेअसर होने के बाद राहुल के इस जुमले का दम, असर तो दिखा सकता है.

वक्त का पहिया और वादों का इतिहास
लेकिन नई पीढ़ी को चुनावी वादों का इतिहास जानना जरूरी है. वक्त का पहिया घूम कर जैसे इस बार भी लौट आया है. या यूं कहें- “राहुल गांधी ने 48 साल पहले के अपनी दादी के प्रयोग की सफलता को दुहराने के लिए वक्त का पहिया घुमा लिया है.” 1971 के चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने चुनावी अभियान का नारा दिया था ‘गरीबी हटाओ’. इंदिरा गांधी उस समय चुनावी सभा के दौरान कहा करती थीं कि ‘वो कहते हैं इंदिरा हटाओ, मैं कहती हूं गरीबी हटाओ’.
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इंदिरा सरकार ने हटाने के बजाय बढ़ाई थी गरीबी
1970 के दशक में जब इंदिरा गांधी सत्ता में आईं थीं तो देश में 51.5 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और इसी दौरान यानी 1970 में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 29.15 करोड़ थी. 1977-78 में जब इंदिरा गांधी सत्ता से बाहर गईं तो उस समय देश के 48.3 फीसदी लोग गरीबों की श्रेणी में थे और 30.68 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे बने हुए थे. ये आंकड़े योजना आयोग के हैं. उनके गरीबी हटाओ नारे से गरीबी तो हटी नहीं, बल्कि और बढ़ी. लेकिन सच यही है कि इंदिरा गांधी ‘गरीबी हटाओ’ के अपने नारे की बूते ही मझधार में डोलते अपने तत्कालीन कांग्रेस(आई) गुट को सत्ता में लाने के साथ ही असली कांग्रेस के रूप में भी स्थापित करने में सफल हो गई थीं.

विधानसभा चुनावों की सफलता दुहराने की कवायद
पिछले साल ही 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 दिन के भीतर किसानों के कर्ज माफ करने और युवाओं को 3,500 रुपए बेरोजगारी भत्ता देने के वादे की तरह अपने इस “गरीबी दूर करने के वादे” से राहुल गांधी केंद्र के सत्ता पाने की राह बनाने में जुट गए हैं. वे अपनी इस स्कीम को दो चरणों में लागू करने की बात करते हैं. पहले चरण में ढाई करोड़ और दूसरे चरण में ढाई करोड़ लोगों को 12 हजार रुपए मासिक या 72 हजार रुपए सालाना आमदनी दिलाएंगे. और इस पर खर्च होगा 3.6 लाख करोड़ रुपए. साथ ही वे सब्सिडी भी जारी रखने की बात करते हैं.

सैद्धांतिक रूप से दमदार तो है, लेकिन…
अर्थशास्त्रियों ने राहुल गांधी के इस लोक-लुभावन स्कीम को सैद्धांतिक रूप से अच्छा और कर्जमाफी से बेहतर तो माना है, लेकिन इन परिवारों की आय से जुड़े आंकड़े जुटा लेने के उनके दावे पर उन्हें यकीन नहीं है. क्योंकि ऐसा कोई आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है. ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों की आमदनी का निर्धारण किस आधार पर होगा, यह बताया नहीं गया है. साथ ही ऐसे 5 करोड़ परिवारों को सालाना 72 हजार करोड़ रुपए देने के लिए 3.6 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी. यह पैसा कहां से आएगा, इस पर कांग्रेस अध्यक्ष की दलील यह है कि “सरकार अमीरों के कर्ज माफ कर सकती है तो हम गरीबों को पैसा क्यों नहीं दे सकते?”

साथ ही बढ़ जाएगा राजकोषीय घाटा
कुछ सरकारी आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष के इस चुनावी स्कीम की पड़ताल जरूरी है. साल 2013 में जारी की गई तेंदुलकर कमिटी रिपोर्ट के मुताबिक देश में गरीबी की स्थिति को देखा जाए तो 22 फीसदी भारतीय गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और इनकी संख्या 27 करोड़ है. अभी देश की जीडीपी 207 लाख करोड़ है और राजकोषीय घाटा 7 लाख करोड़ का है. ऐसे में राजकोषीय घाटा कुल जीडीपी का 3.4 फीसदी है. राहुल की नई योजना से 3.6 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान लगाया गया है. इससे राजकोषीय घाटे पर 1.7 फीसदी अतिरिक्त भार बढ़ सकता है. योजना लागू हुई तो राजकोषीय घाटा बढ़कर 10.6 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा.

सब्सिडी भी जारी रखेंगे राहुल
यह घाटा यहीं रुकने वाला नहीं है. क्योंकि राहुल गांधी सब्सिडी में कटौती करने के मोदी सरकार की योजना का अनुसरण नहीं करना चाहते. उनकी स्पष्ट घोषणा है कि वर्तमान सब्सिडी भी जारी रहेगी. जीएसटी दरों पर कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर रही है. ऐसे में इसके दरों में और कटौती ही उसका अभीष्ट होना चाहिए.

मोदी सरकार ने कृतिमान भी किए हैं स्थापित
जीएसटी से प्रत्यक्ष सकल राष्ट्रीय आय और अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में आयकर का दायरा बढ़ाने के साथ ही सेल कंपनियों एवं बेनामी संपत्ति के विरुद्ध कदम उठाकर मोदी सरकार ने सराहनीय काम किए हैं. इससे सरकार के राजस्व में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा विकास कार्यों को तेजी से लागू करने और इनमें होने वाले भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के मामले में भी मोदी सरकार ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इसके अलावा शिक्षा, व्यापार, विदेशी मामले, रक्षा, सुरक्षा, तकनीक आदि अनेक क्षेत्र हैं, जिनमें गतिशीलता दिखने लगी है.
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रोजगार के आंकड़े देते हैं गवाही
रोजगार सृजन मामले में कांग्रेस की आलोचनाएं भी सतही साबित हुई हैं. नौकरियों के अलावा मोदी सरकार ने व्यवसाय और स्टार्टअप के माध्यम से उद्योग क्षेत्र में भी रोजगार सृजन में भारी सफलता हासिल की है. ईपीएफओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले चार सालों में जहां 80 लाख के आस-पास नई नौकरियां युवाओं को मिली हैं, वहीं मुद्रा योजना के माध्यम से 16 करोड़ से अधिक लोगों ने व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रखा है. करोड़ों की संख्या में अफोर्डेबल मकान और शौचालय बने, हजारों किमी महामार्गों का निर्माण हुआ. इनके निर्माण में भी करोड़ों लोगों को रोजगार मिले.

किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण विकास की दिशा में मोदी सरकार ने प्रशंसनीय कदम उठाए हैं. किसानों की कर्जमाफी को लेकर कांग्रेस ने तीन राज्यों में जो कदम उठाए हैं, उनसे किसानों को कितना लाभ हुआ है, यह अभी साफ नहीं है. लेकिन भाजपा शासित राज्यों में गरीब और सीमान्त किसानों के लिए कर्जमाफी की योजना की सराहना ही हुई है. कृषि और ग्रामीण क्षेत्र विकास के कार्य भी सराहनीय हैं.

आय बढ़ी है : जीवन स्तर में भी हुआ है सुधार
शहरी और नौकरी पेश आबादी की आय और उनका जीवन स्तर मोदी सरकार के शासन में बढ़ा है. इसका प्रमाण कुछ मामूली उदाहरणों से मिल जाता है. ट्रेनों में गई आरक्षित बोगियों में सफर करने वाले अब बड़ी संख्या में आरक्षित श्रेणी में और यहां तक कि वातानुकूलित श्रेणियों में भी सफर करने में सक्षम हुए हैं. इस श्रेणी के लोग अब हवाई सफर का आनंद भी उठा रहे हैं. जबकि 2014 से पहले इनमें से अनेक कभी एयरपोर्ट की लॉबी का दर्शन भी नहीं कर पाए थे. आज सामान्य लोगों के घरों में भी ‘एसी’ नजर आते हैं. जबकि यह कल तक सामान्य लोगों के लिए सपना ही था.

शब्जबाग तो दिखाया है राहुल गांधी ने…
राहुल गांधी ने अपनी दादी की तर्ज पर ‘गरीबी हटाओ’ की तरह ‘गरीबी मिटाओ’ का आगाज तो कर दिया है, मोदी सरकार के कार्यों के मुकाबले इस चुनावी शब्जबाग को मतदाता कितनी तरजीह देते हैं, यह तो चुनाव परिणामों से ही पता चलेगा. लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के इस चुनावी वादे की घोषणा के साथ ही भारतीय जनता पार्टी नेताओं और समर्थकों को यह सोचने पर विवश जरूर कर दिया है कि यह “जुमला” मोदी के दिमाग में क्यों नहीं आया…! अब इन्तजार है – मोदी कौन सा जवाबी जुमला सामने लाते हैं.

विश्लेषण : कल्याण कुमार सिन्हा
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