लोकसभा चुनाव 2019 : प्रथम चरण में विदर्भ की 7 सीटों पर आसान नहीं है भाजपा-सेना की राह

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चुनाव विश्लेषण,
नागपुर :
विदर्भ के दस लोकसभा क्षेत्रों में से सात क्षेत्रों में आज मंगलवार, 9 अप्रैल की शाम 6 बजे से चुनाव प्रचार बंद हो जाएंगे. इन सात लोकसभा क्षेत्रों में वर्धा, रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरोली-चिमूर, चंद्रपुर-आर्णी और यवतमाल-वाशिम शामिल हैं. इन लोकसभा क्षेत्रों में आगामी गुरुवार, 11 अप्रैल को प्रथम चरण में मतदान होगा.

महाराष्ट्र के इन सात चुनाव क्षेत्रों में पिछले 2014 के चुनावों में भाजपा-शिवसेना युति का ही भगवा परचम लहराया था. दो सीटों पर शिवसेना और पांच पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. इस बार भी भाजपा-शिवसेना सभी सात सीटों पर मजबूत तो नजर आ रही है, लेकिन मौजूदा एण्टी इन्कम्बन्सी फैक्टर का असर कुछ सीटों पर दिखाई दे रहा है. इसलिए इस बार भी सभी सात सीटें भाजपा-शिवसेना की झोली में ही जाएंगी, यह थोड़ी मुश्किल सी जान पड़ रही है.

प्रस्तुत है राज्य के प्रथम चरण में विदर्भ की इन सात सीटों के लिए आगामी 11 अप्रैल के मतदान के पूर्व का एक आकलन-

1. वर्धा लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद रामदास तड़स का मुकाबला कांग्रेस की वरिष्ठ नेता स्व. प्रभा राव की पुत्री और प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अधि. चारूलता टोकस से है. यहां बहुजन समाज पार्टी ने शैलेश अग्रवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है. वर्धा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में से तीन भाजपा और तीन कांग्रेस के कब्जे में है. यहां के जातीय समीकरण में कुणबी, तेली, सावजी समाज के आलावा तेली, मराठा, दलित आणि और मुस्लिम समुदाय का वर्चस्व है. यहां मतविभाजन किस आधार पर होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता. हाल ही में यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनाव सभा में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी.

2. रामटेक लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के वर्तमान सांसद कृपाल तुमने का मुकाबला कांग्रेस के नए उम्मीदवार किशोर गजभिए से है. रामटेक क्षेत्र में कांग्रेस संगठन के मुकाबले शिवसेना का संगठन कहीं अधिक मजबूत है. साथ ही सहयोगी दल भाजपा का पूर्ण समर्थन होने के कारण यहां कृपाल तुमने मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं. पिछले 2014 के चुनाव में वे पौने दो लाख से अधिक मतों से विजयी हुए थे. फिलहाल कांग्रेस समेत सभी उम्मीदवार लोकसभा क्षेत्र के कुणबी, तेली, कोष्टी, मुस्लिम, मराठा आदि बहुसंख्यकों के जातीय समीकरण को अपने पक्ष में साधने के प्रयास में लगे नजर आए हैं.

3. नागपुर संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री वर्तमान सांसद और भाजपा के दिग्गज नेता नितिन गड़करी के मुकाबले कांग्रेस ने भंडारा-गोंदिया के पूर्व भाजपा सांसद नाना पटोले को अपना प्रत्याशी बनाया है. पूरे देश में गड़करी की उज्जवल छवि और खास कर पूरे विदर्भ में विकास पुरुष की उनकी पहचान रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार को पौने तीन लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. पिछले चार वर्षों के दौरान नागपुर समेत पूरे विदर्भ में गडकरी ने महामार्ग निर्माण से लेकर कृषि, स्वास्थ्य, युवा कल्याण, खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर अपनी स्थित अत्यंत सुदृढ़ बना ली है. नागपुर के सभी 6 विधान सभा क्षेत्रों पर भाजपा का ही कब्जा है.

पटोले समर्थकों की बौखलालाहट : यही कारण है कि जब कांग्रेस ने भाजपा की पूर्व बागी सांसद नाना पटोले को अपना उम्मीदवार बनाया तो किसी स्थानीय कांग्रेस नेता ने विरोध करने की कोशिश तक नहीं की थी. अब अपनी नाजुक स्थित देख पटोले समर्थकों की बौखलालाहट इस कदर बढ़ गई है कि वे स्थानीय पत्रकारों को सोशल मीडिया के माध्यम से खुली धमकी देने पर उतर आए हैं. उनकी इस धमकी का नागपुर श्रमिक पत्रकार संघ, महाराष्ट्र श्रमिक पत्रकार संघ, टिलक पत्रकार भवन ट्रस्ट और नागपुर प्रेस क्लब ने संयुक्त रूप से कड़ा विरोध किया है और जिलाधिकारी एवं पुलिस आयुक्त को इसके विरुद्ध निवेदन भी दिया है.

4. चंद्रपुर-आर्णी संसदीय क्षेत्र में केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता हंसराज अहीर का मुकाबला शिवसेना से कांग्रेस में शामिल हुए बाळू ऊर्फ सुरेश धानोरकर से है. धानोरकर की उम्मीदवारी के कारण कांग्रेस में भारी असंतोष देखा जा रहा है. अपने शिवसेना समर्थकों के बल पर धानोरकर ने आरंभ में पूरा दमखम दिखाया, लेकिन कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष के कारण अब उनके तेवर फीके पड़ते नजर आरहे हैं. चंद्रपुर-आर्णी भाजपा नेता और राज्य के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार का कार्यक्षेत्र होने के कारण भी यहां भाजपा उम्मीदवार अहीर की स्थित काफी सुदृढ़ नजर आती है. इस चुनाव क्षेत्र में कुणबी और तैलिक समाज का अधिक जोर है. जातीय समीकरण कितना काम करता है, यह चुनाव परिणाम ही बताएगा.

5. यवतमाल-वाशिम संसदीय क्षेत्र पिछले 20 से अधिक वर्षों से शिवसेना की नेता भावना गवली के कब्जे में है. इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष माणिकराव ठाकरे से है. इनके अलावा भाजपा के बागी प्रत्याशी बी.पी. आड़े भी गवली के लिए चुनौती बन गए हैं. लगातार चार बार की सांसद रही भावना गवली इस बार माणिकराव ठाकरे जैसे जिले के कद्दावर कांग्रेसी नेता को कैसे पटकनी देती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे शिवसेना के मंत्री संजय राठोड़ गवली के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं. राज्य के हरित क्रांति के जनक स्व. वसंतराव नाईक और स्व. सुधाकरराव नाईक या जैसे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों की कर्मभूमि होने बावजूद कांग्रेस की कमजोर स्थिति का पूरा फ़ायदा यहाँ भावना गवली को अभी तक मिलता रहा है.

6. भंडारा-गोंदिया लोकसभा क्षेत्र पर पूर्व केंद्रीय मंत्री राजयसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल का प्रभाव क्षेत्र रहा है. लेकिन 2014 में वे भाजपा की नाना पटोले के हाथों यह क्षेत्र गवां बैठे थे. लेकिन पटोले भाजपा से क्षुब्ध होकर लोकसभा की सदस्यता त्याग दी और कांग्रेसी बन नागपुर से चुनाव लड़ रहे हैं. पटेल के कारण यह क्षेत्र एनसीपी का होने से अब यहां एनसीपी के नाना पंचबुद्धे और भंडारा के नगराध्यक्ष भाजपा के सुनील मेंढे के बीच मुकाबला हो रहा है. यहां बेरोजगारी, कृषि और मत्स्य व्यवसाय जैसे मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है. पोवार, कुणबी, नवबौद्ध, माली, तेली, लोधी, मराठा आदि समाज के मतविभाजन का लाभ उठाने का भी प्रयास यहां दोनों पक्षों की ओर से किया जा रहा है. अब मतदाताओं के असली रुझान का पता तो मतदान के बाद ही चल सकेगा.

7. गढ़चिरोली-चिमूर संसदीय क्षेत्र में इस बार एण्टी इन्कम्बन्सी फैक्टर का फायदा विपक्षी दल उठाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. भाजपा के वर्तमान सांसद अशोक नेते को यहां कांग्रेस के डॉ. नामदेवराव उसेंडी और वंचित बहुजन आघाड़ी के डॉ. रमेश गजबे से चुनौती मिल रही है. आदिवासी बहुल क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र में वन अधिकार कानून, तेंदूपत्ते की नीलामी, विभिन्न खनन उद्योगों को लेकर लोगों में असंतोष जैसे मुद्दे विपक्षी दलों के हथियार बने हुए हैं. भाजपा को इन चुनौतियों से ही अपनी राह बनानी है. वैसे भाजपा सांसद अशोक नेते के लिए उनका दूसरा टर्म आसान नहीं नजर आता है.

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