शिवशाही

शिवशाही एसी बस में लगी आग, बाल- बाल बचे यात्री

यात्रियों के सामान सहित संपूर्ण बस जलकर खाक *ब्रजेश तिवारी-कोंढाली : नागपुर से अमरावती जा रही राज्य परिवहन महामंडल (एसटी) की वातानुकूलित (एसी) शिवशाही बस में अचानक आग लग गई. कोंढाली से 2 कि.मी पर चमेली क्षेत्र में श्री साईबाबा मंदिर के सामने यह भीषण हादसा हुआ. सौभाग्य से बस में सवार 16 यात्री तथा बस के चालक-वाहक (कंडक्टर) बच गए, लेकिन कुछ यात्रियों के सामान सहित संपूर्ण बस जलकर खाक हो गई. बस चालक अब्दुल जहीर (43, कामठी निवासी) ने बताया कि गणेशपेठ एसटी डिपो की यह नागपुर-अमरावती शिवशाही बस (क्रमांक एमएच 06 बी डब्ल्यू 0788) सोमवार, 4 अप्रैल की सुबह 8 बजे नागपुर से अमरावती के लिए रवाना हुई थी. शिवशाही बस की आग बुझाते लोग. (सभी फोटो - ब्रजेश तिवारी) उन्होंने बताया कि नागपुर-कोंढाली के बीच कोंढाली से 2 कि.मी. की दूरी पर चमेली क्षेत्र में श्री साईबाबा मंदिर के सामने उन्हें शिवशाही बस के इंजन में आग नजर आई. उन्होंने तत्काल बस को महामार्ग के किनारे रोक दिया और कंडक्टर उज्जवला देशपांडे (40, नागपुर निवासी) की मदद से सभी यात्रियों को जल्दी-जल्दी बस से उतारा. बस चालक ने बताया कि सौभाग्य से बस में कोंढाली के 2, तलेगांव के 5 तथा अमरावती के 9 मिलाकर सिर्फ 16 यात्री ही सवार थे. देखते-देखते बस धू-धू कर जलने लगी. इस कारण कई यात्रियों के सामान बस से निकालने तक का समय किसी को भी नहीं मिला. बस को आग लगते ही नागपुर से कोंढाली की ओर आ रहे नागपुर के सामाजिक कार्यकर्ता गणपतराव घोटे ने तत्काल घटना की जानकारी नागपुर जिला कांग्रेस की नेता सुनिता गावंडे को दी तथा राहत तथा बचाव के कार्य में वह अपने साथियों के साथ जुट गए. सुनीता गावंडे ने घटना की जानकारी कोंढाली पुलिस को तथा कोंढाली के सामाजिक कार्यकर्ताओं को दी. कोंढाली के थानेदार पंकज वाघोडे और हे.कॉ. भोजराज तांदुलकर पुलिस कर्मचारियों के साथ घटनास्थल पहुंचे. कोंढाली के कई स्थानीय युवकों ने साईं मंदिर से पानी लेकर आग बुझाने का प्रयास किया पर वह सफल नहीं हुआ कोंढाली पुलिस ने सोलर एक्सप्लोसिव, इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव तथा काटोल नगर परिषद की कुल तीन फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से पानी की बौछार कर आग पर काबू पाया, पर तब तक यात्रियों के सामान सहित संपूर्ण शिवशाही बस जलकर खाक हो गई. बस के एक महिला यात्री पद्मा वाकोडे (63, अजनी चौक नागपुर निवासी) ने बताया कि वह बस से नागपुर से अमरावती जा रही थी. वह बस में पीछे बैठी थी, बस रुकते ही आग भड़क गई, किसी तरह वह तो सही सलामत बस से उतर गई, पर बस में रखी बैग निकालने तक का समय न मिलने के कारण उनके तीन तोले सोने के मंगलसूत्र सहित सामान जलकर खाक हो गया. बस के चालक अब्दुल जहीर ने बताया की चमेली में साई मंदिर के सामने का चढ़ाव चढ़ते समय बस के इंजन में आग लगी. यात्रियों से बस खाली कराते ही...
महाकाली

महाकाली यात्रा पर निर्माल्य के लिए कलशों की व्यवस्था

चंद्रपुर मनपा प्रशासन ने जुटाए महाकाली श्रद्धालुओं के सुविधा के समस्त संसाधन  चंद्रपुर : सोमवार 27 मार्च से 6 अप्रैल तक चलने वाली "देवी महाकाली" यात्रा की तैयारी  महानगरपालिका आयुक्त एवं प्रशासक विपिन पालीवाल की देखरेख में पूरी हो चुकी है.  चंद्रपुर महानगर पालिका प्रशासन ने श्रद्धालुओं के सुविधा के समस्त साधन जुटाए हैं. यात्रा के दौरान भक्तों द्वारा बड़ी संख्या में फूलों की माला चढ़ाई जाती है. उक्त निर्माल्य को अन्यत्र कहीं भी फेंकने से पर्यावरण में कूड़ा पैदा होने से रोकने का भी उपाय किया गया है. इसके लिए नगर निगम ने 7 निर्माल्य कलशों का निर्माण किया है. श्रद्धालुओं को नहाने के लिए साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए फुहारों के माध्यम से स्नान की व्यवस्था की जा रही है. महानगर पालिका प्रशासन ने जरपत नदी के तल से एकोरनिया के पौधों को हटाकर नदी तल की सफाई करा दी है. बैल बाजार क्षेत्र में पतंगा की पूरी तरह से सफाई कर दी गई है और महाकाली के श्रद्धालुओं के लिए इस क्षेत्र में मांडव भी रखा गया है. महाकाली यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के पीने के लिए विभिन्न चौराहों पर 1000 लीटर क्षमता की 15 पेयजल टंकियां स्थापित की जा रही हैं तथा भूमिगत पाइप बिछाकर तथा पानी के नल लगाकर पानी के टैंकर भी तैयार रखे जा रहे हैं. महाकाली के श्रद्धालुओं को नहाने के लिए साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए फुहारों के माध्यम से स्नान की व्यवस्था की जा रही है और सुलभ शौचालय, प्री-कास्ट और मोबाइल शौचालयों की व्यवस्था की गई है. श्रद्धालु यात्रा क्षेत्र के साथ-साथ सांड बाजार क्षेत्र, पंजाबी वाडी और पूरे यात्रा क्षेत्र में मंडप बनाया गया है. नि:शुल्क प्राथमिक चिकित्सा सेवा के लिए नगर निगम की स्वास्थ्य टीम पूरे समय मौजूद है और एंबुलेंस 24 घंटे उपलब्ध है. नगर पालिका के 7 विद्यालयों को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में नागरिकों की निकासी के लिए आरक्षित किया गया है. महाकाली यात्रा के दौरान नगर निगम के उपद्रव नियंत्रण दल द्वारा महाकाली मंदिर क्षेत्र में दुकानदारों द्वारा कूड़ा पैदा होने से रोकने के लिए नियमित निरीक्षण किया जा रहा है और इस तरह के निर्देश दुकानदारों को दिए गए हैं.  आने-जाने वाले वाहनों के जाम से बचने के लिए जरपत बांध, कोहिनूर मैदान, बेलबाजार क्षेत्र, गौतम नगर सुलभ शौचालय और राजकीय शिक्षक महाविद्यालय के पास पार्किंग की व्यवस्था की गई है. उक्त महाकाली मंदिर यात्रा 6 अप्रैल तक चलेगी और नगर निगम प्रशासन ने नागरिकों से इस पर्व में प्रशासन का सहयोग करने का अनुरोध किया है. महाकाली महाकाली
असम

असम की जनता से माफी मांगनी पड़ी पूर्व मंत्री बच्चू कड़ु को

नागपुर : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री, अचलपुर (अमरावती) के निर्दलीय विधायक बच्चू कड़ु को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और असम की जनता से बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी है. असम के मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को विधायक बच्चू कड़ु द्वारा उनके राज्य के लोगों पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी के बारे में एक पत्र ट्वीट कर बिना शर्त माफी मांगने के एक दिन बाद बिना शर्त यह माफी मांगी गई. कड़ु ने अपनी माफी पर टिप्पणी करने से इनकार करने के साथ इस विदर्भ आपला को फोन पर बताया, "मैंने पहले ही असम में लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उनसे (असम के सीएम) माफी मांगी ली थी. मैंने अपना बयान भी वापस ले लिया है." सरमा के मुताबिक, अचलपुर से निर्दलीय विधायक और प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता कड़ु ने कहा था कि महाराष्ट्र से आवारा कुत्तों को असम भेजा जाना चाहिए, जहां कुत्ते का मांस खाया जाता है. तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे के तहत महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार में स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री रहे कड़ु ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के बाद आवारा कुत्तों के खतरे पर चर्चा के दौरान 4 मार्च को विधानसभा के पटल पर ऐसा बयान दिया था. विधायक प्रताप सरनाईक, अतुल भातखलकर और अन्य द्वारा राज्य में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे पैदा हो रहे खतरे के बारे में सदन प्रतश्न उठाया गया था. "असम के लोगों के साथ, मैं विधायक (कड़ु) की टिप्पणियों से बेहद निराश और अशांत हूं, जिसने हमारे राज्य की संस्कृति के बारे में उनके पूर्वाग्रहों और अज्ञानता को उजागर किया है. मुझे यकीन है कि आप लोगों की भावनाओं के साथ पूरी तरह से सहानुभूति रखेंगे." इस मामले में असम के मुख्यमंत्री सरमा ने 19 मार्च को शिंदे को लिखे अपने पत्र में यह बातें कहीं थी. असम के सीएम ने शिंदे से आग्रह किया था, "इस पृष्ठभूमि में, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कड़ु को टिप्पणी वापस लेने की सलाह दें और खेद व्यक्त करते हुए एक प्रेस बयान देने के लिए कहें." विधानसभा में कड़ु ने कहा था कि आवारा कुत्तों की असम में मांग है और प्रति पशु 8,000 रुपए की कीमत मिलती है. "महाराष्ट्र में आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए, इन कुत्तों को असम भेजा जाना चाहिए,"  उन्होंने शहरों में आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को नियंत्रित करने के लिए ठोस कार्रवाई की अन्य विधायकों की मांग का समर्थन करते हुए  यह बातें कहीं थी.  
तेली समाज

तेली समाज और ओबीसी समाज का अपमान किया है राहुल ने : बावनकुले

कोर्ट के फैसले के विरुद्ध प्रतिक्रिया व्यक्त करने वाले सभी कांग्रेसी नेताओं पर मुकदमा चलाने की मांग की मुंबई : कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए  भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने राहुल सहित उन "बगलबच्चों" (कांग्रेसी नेताओं) के विरुद्ध अदालत की अवमानना का मुकदमा चलाने की मांग की है, जिन्होंने कोर्ट के इस फैसले के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है.साथ ही उन्होंने मोदी उपनाम के खिलाफ राहुल गांधी की उस टिप्पणी को देश के समस्त तेली समाज और ओबीसी समाज का अपमान बताया है. उन्होंने कहा कि राहुल के इस बयान का हम निषेध करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी राज्यभर में आंदोलन करेगी. यह बात उन्होंने गुरुवार को यहां एक पत्र परिषद में कही. उन्होंने चेतावनी दी कि तेली समाज और ओबीसी समुदाय राहुल गांधी को उनकी जगह दिखाने का काम करेगा.   उन्होंने मुंबई में भाजपा प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने की जगह उनके मोदी उपनाम को लेकर उन पर ऐसी ओछी टिप्पणी करने की कड़ी निंदा की. उन्हें उनकी इस ओछी बातों के लिए दो साल कैद की सजा सुनाए जाने को उचित बताते हुए कहा कि उनकी ऐसी ओछी टिप्पणी से देश के तेली समाज और ओबीसी समाज के प्रति कांग्रेस की मानसिकता जगजाहिर हुई है. इस अवसर पर प्रदेश महासचिव विजय चौधरी, प्रदेश मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये, प्रदेश सह मुख्य प्रवक्ता विश्वास पाठक, प्रदेश मीडिया प्रमुख नवनाथ बन, प्रदेश प्रवक्ता गणेश हाके, प्रदीप पेशकर और श्वेता शालिनी उपस्थित थे. बावनकुले ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा एक सभा में मोदी उपनाम वालों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी अत्यंत अशोभनीय थी. राहुल ने तेली समाज और पूरे ओबीसी वर्ग का अपमान किया है. हम उनका कडा निषेध करते हैं. उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस की जातिवादी मानसिकता जगजाहिर होती है. राहुल गांधी अभी भी निम्न स्तरीय मानसिकता से बाहर नहीं आए हैं. कोई कितना भी बड़ा हो जाए, परंतु देश का कानून व संविधान सर्वश्रेष्ठ है. यह अदालत के फैसले से साफ दिखाई देता है. https://twitter.com/i/status/1638901492093517827
कोश्यारी

कोश्यारी : बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले

*कल्याण कुमार सिन्हा- हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यूँ मेरा क़ातिल, क्या रहेगा उसकी गर्दन पर वो ख़ूँ, जो चश्मे-तर (भीगी आँख) से उम्र यूँ दम-ब-दम (प्राय:, बार-बार) निकले निकलना ख़ुल्द (स्वर्ग) से आदम (पहला मानव) का सुनते आए थे लेकिन, बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले सूबा-ए-महाराष्ट्र के (पूर्ववर्ती) सदर जनाब भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) का दर्दे-दिल इन दिनों मिर्जा ग़ालिब की दीवाने-ग़ालिब में शामिल उनकी मशहूर ग़ज़लों में इस एक ग़ज़ल की शुरुआती बस इन तीन अंतरों में छलक रहा होगा. कोश्यारी महाराष्ट्र से विदा हो रहे हैं. उनकी जगह झारखंड में राज्यपाल रहे (रायपुर) छत्तीसगढ़ के रमेश बैस आसीन होने वाले हैं. कोश्यारी ने राज भवन ही नहीं, अपने साथ विवादों की एक लंबी फेहरिस्त भी छोड़ी है, जाते जाते विपक्ष को जश्न मनाने का मौका भी दे गए, लेकिन महाराष्ट्र भाजपा के नेता भी काफी राहत महसूस कर रहे होंगे. हालांकि, जल्द ही बात आई-गई हो जाए, लेकिन महाराष्ट्र में 31 अगस्त 2019 को राज्यपाल के पद पर आसीन हुए भगत सिंह कोश्यारी अपने बयानों के लिए याद किए जाते रहेंगे. उनके कार्यकाल में आधा दर्जन मौके ऐसे आए, जब सार्वजनिक आयोजनों में उनकी मासूम सी लगने वाली विवादित टिप्पणियों ने राज्य के लोगों को खौलने पर मजबूर कर दिया था. साथ ही राज्य में विपक्ष में रही या अब जब सत्ता में शामिल भाजपा को भी अपना या उनका बचाव करने का रास्ता नहीं सूझता था. विपक्षी दल हर बार केंद्र से उन्हें हटाने की मांग करते रहे थे. उन्हें हटाने के लिए तमाम प्रदर्शन, धरना, सभाएं और रैलियां भी निकाली गईं. महाराष्ट्र सरकार में भी शिंदे गुट क्षुब्ध दिखाई दिया. इन परिस्थितियों ने उन्हें राष्ट्रपति के पास अपना इस्तीफा भेजने पर मजबूर कर दिया था. लगभग एक महीने से पेंडिंग पड़ा उनका इस्तीफा अंततः मंजूर हुआ. महाराष्ट्र में वे तकरीबन तीन साल बतौर राज्यपाल रहे हैं. झेलते रहे अपमान और अपयश महाराष्ट्र में अपने विवादित बयानों के कारण कोश्यारी चर्चा में रहे, अपमान और अपयश झेलते रहे. विपक्षी नेता न केवल केंद्र से उन्हें हटाने की मांग की, बल्कि यह कहने से भी बाज नहीं आए की वे राज्यपाल जैसे पद के काबिल ही नहीं हैं. राज्य के बड़े नेता शरद पवार ने तो राहत की सांस ली है. उन्होंने कहा है, "उनके जाने की खबर राहत लेकर आई है है. राज्य में ऐसा राज्यपाल पहले कभी नहीं रहा." लेकिन, जाते-जाते कोश्यारी जी ने महाराष्ट्र के लोगों के दिलों पर डाले गए जख्मों पर मरहम भी लगाने का भी प्रयास किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि "महाराष्ट्र संतों, समाज सुधारकों और वीर योद्धाओं की जन्मस्थली है. यहां बतौर सेवक या राज्यपाल के रूप में काम करना मेरे लिए गर्व की बात है." थम नहीं रहा था विवादों का सिलसिला विभिन्न सरकारी आयोजनों में अपनी दृष्टि में हलके-फुल्के अंदाज में कोश्यारी कुछ ऐसी बातें कह जाते रहे, जो राज्य के लोगों को अपनी अस्मिता पर छींटाकशी वाला महसूस करा जाता था. यही कारण है कि आगामी 16 फरवरी को ही शिवाजी विश्वविद्यालय कोल्हापुर के 59वें दीक्षांत समारोह के लिए...
वन अधिकार

वन अधिकार ग्राम सभा एवं स्वयंसेवी संगठनों का सम्मेलन सेवाग्राम में

शरद पवार करेंगे मार्गदर्शन, विदर्भ के संस्था प्रतिनिधियों की सभा 11 को सेवाग्राम (वर्धा) / नागपुर : सामूहिक वन अधिकार प्राप्त ग्राम सभा एवं स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधियों की राज्यस्तरीय सम्मेलन का आयोजन रविवार, 12 फरवरी को गांधी आश्रम, सेवाग्राम, वर्धा में सुबह 10 से 4 बजे तक किया गया है. इस सम्मेलन में सामूहिक वन अधिकार एवं आजीविका, वन तथा जल संधारण पर हो रहा कार्य, समस्या तथा समाधान पर चर्चा होगी. इसका मकसद राज्य स्तर पर मिलकर कार्य करने के लिए एक सक्षम मंच का निर्माण करना है. उसके पहले 11 फरवरी को सुबह 10 से शाम 5 बजे के दौरान विदर्भ के सामूहिक वन अधिकार प्राप्त ग्राम सभा महासंघ एवं संस्था प्रतिनिधियों की सभा भी गांधी आश्रम में आयोजित की गई है.   कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता तथा मार्गदर्शक के रूप में वरिष्ठ एनसीपी नेता शरद पवार मौजूद रहेंगे. आयोजन में सामूहिक वन अधिकार एवं आजीविका के विषय के सन्दर्भ में राज्य एवं राष्ट्र स्तर पर कार्यरत वरिष्ठ एवं अनुभवी दिलीप गोड़े, श्रीमती प्रतिभा शिंदे, अधि. पूर्णिमा उपाध्याय, डॉ. किशोर मोघे आदि मान्यवर भी प्रमुखता से उपस्थित रहेंगे. सम्मेलन में विदर्भ, खानदेश, कोकण विभाग के ग्राम सभा प्रतिनिधि तथा उनके साथ कार्यरत खोज, वीएनसीएस, जीएसएमटी, लोक समन्वय प्रतिष्ठान, साकव, ग्राम आरोग्य, रिवॉर्ड, वन निकेतन, इश्यु, संदेश इन संगठनों के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. सेवाग्राम में गढ़चिरोली, गोंदिया, चंद्रपुर, नागपुर, यवतमाल, अमरावती, नंदुरबार, धुले इन जिलों से सामूहिक वन अधिकार प्राप्त ग्राम सभाओं के 700-800 प्रतिनिधि इस सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.   महाराष्ट्र राज्य में वन अधिकार अधिनियम 2006 एवं नियम 2008 के तहत कुल 7000 गावों को 30 लाख एकड़ वन भूमि तथा जल संसाधनों पर स्वामित्व हक्क प्रदान किए गए हैं. करीब 13-14 लाख परिवार एवं 60-70 लाख नागरिकों को वनों पर मालिकाना हक मिले हैं. इसमें से अधिकांश नागरिक आदिवासी एवं गरीब वन निवासी हैं. उनकी आजीविका खेती और जंगलों की उपज पर (तेन्दूपत्ता, बांस, मोह (महुआ) फूल, आंवला, हिरडा/बेहड़ा व अन्य) निर्भर है. जल, जंगल और जमीन का समुचा एवं सामूहिक प्रबंधन करने पर गांव के निवासियों को बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ होगा तथा उन्हें रोजगार भी मिलेगा. विदर्भ आजीविका मंच एवं सभी मित्र संगठन विदर्भ के 1000 से अधिक गावों में, खानदेश आजीविका मंच 100 से अधिक गावों में तथा कोंकण आजीविका मंच 200 से अधिक गावों में कार्यरत है. सामूहिक वन अधिकार सम्मेलन में ग्राम सभाओं द्वारा वन एवं जल संधारण, आजीविका, वनोपज एवं खेती इनमे हुए विकास कार्य, शासकीय योजनाओं का अनुसरण, सामूहिक वन अधिकार एवं आजीविका, ग्राम सभा महासंघ तथा सरकार के साथ सुसंवाद, इस कार्य में आनेवाली समस्याएं एवं उसके समाधान इन विषयों पर चर्चा के बाद निर्णय लिए जायेंगे.               सम्मेलन में चर्चा सत्र के दौरान वन अधिकार, वन एवं जल संधारण इन विषयों पर बेहतर काम करनेवाले गावों के प्रतिनिधि अपने विचार रखेंगे. इसके साथ वीडियो एवं प्रोजेक्टर पर प्रस्तुतीकरण, प्रदर्शनी तथा वरिष्ठ एवं अनुभवी स्वयंसेवक तथा कार्यकर्ता उपस्थित लोगों को मार्गदर्शन करेंगे.
IIM

IIM नागपुर से Management सीखेंगे कोयला अधिकारी

वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL) ने किया MOU पर हस्ताक्षर नागपुर : वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (वेकोलि) ने अपने अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतु IIM (भारतीय प्रबंध संस्थान), नागपुर के साथ MOU (समझौता ज्ञापन) किया है. पिछले मंगलवार, 07 फरवरी को यह समझौता हुआ है. इसके अंतर्गत वेकोलि के विभिन्न स्तर के अधिकारियों को वर्ष 2023-24 में आईआईएम, नागपुर कार्यकारी विकास प्रशिक्षित करेगा. प्रशिक्षण कार्यक्रम, वीएनआईटी नागपुर के परिसर स्थित IIM, नागपुर में आयोजित किया जाएगा. वर्तमान में, भा.प्र.सं. नागपुर वीएनआईटी नागपुर के परिसर में स्थित है. SEZ मिहान, नागपुर में अपने नए परिसर (लगभग 135 एकड़) में स्थानांतरित होने वाला है. यहां वेकोलि के अधिकारियों को अपने प्रबंधकीय कौशल को निखारने के साथ ही कॉलेज-कैंपस जीवन को फिर से जीने का अवसर मिलेगा. वेकोलि के अनुसार, यह प्रशिक्षण वेकोलि के अधिकारियों में नेतृत्व के गुण, निर्णय लेने की क्षमता तथा जटिल कार्यों को समय अनुसार पूर्ण करने जैसी योग्यताओं को अधिक विकसित करने पर केंद्रित होगा. साथ ही इस प्रशिक्षण से उनके समग्र व्यक्तित्व विकास में वृद्धि एवं उनकी कार्यक्षमता में विस्तार होगा. MOU पर वेकोलि की ओर से महाप्रबंधक (मानव संसाधन विकास) पी. नरेन्द्र कुमार एवं IIM, नागपुर के निदेशक भीमराया मैत्री ने हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर वेकोलि के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक मनोज कुमार तथा निदेशक (कार्मिक) डॉ. संजय कुमार की प्रमुख उपस्थिति थी. यह समझौता ज्ञापन वेकोलि के नागपुर स्थित मुख्यालय में किया गया. भारतीय प्रबंध संस्थान नागपुर, एक नई पीढ़ी भा.प्र.सं. होने के नाते, मजबूत वैचारिक नींव और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के साथ मूल्य प्रेरित लीडर्स, वैश्विक प्रबंधक और उद्यमी देने का लक्ष्य रखता है, ताकि वे जो भी क्षेत्र चुनें, उसमें सर्वश्रेष्ठ बन सकें. इसका उद्देश्य आधुनिक भारत की जरूरतों को नवीन रूप से संबोधित करना है और आकांक्षाओं और वास्तविकताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित बेंचमार्क प्राप्ति से जोड़ना है. भा.प्र.सं. नागपुर धीरे-धीरे इन उद्देश्यों को पूरा करने संबंधित गतिविधियों के अपने पोर्टफोलियो में वृद्धि कर रहा है. संस्थान का पाठ्यक्रम प्रबंधन शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा डिजाइन किया गया है. यहां सीखने की प्रक्रिया विद्यार्थियों को उद्योग और अन्य हितधारकों से बहुआयामी तरीके से जुड़ने में मदद करती है. भा.प्र.सं. नागपुर की एक महत्वपूर्ण विशेषता फील्ड इमर्सन मॉड्यूल है जो विद्यार्थियों को वास्तविक जीवन की समस्याओं का अनुभव करने और उनके लिए व्यावहारिक समाधान खोजने में मदद करता है. भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद, के परामर्श के तहत वर्ष 2015 में नागपुर में इस संस्थान की स्थापना हुई है.
जलसंपदा

जलसंपदा : …पण 8-9 हजार कोटी खर्च झालेला नाही  

बजेट आहे पण खर्च होत नाही, जाणून घ्या काय प्रकार आहे- डॉ.प्रवीण महाजन  महाराष्ट्रातील अर्थसंकल्पात जलसंपदा च्या कामाविषयी बजेटमध्ये काय असावे व बजेट करताना जो पैसा दिल्या जाईल तो खर्च करण्यासाठी ज्या अडचणी आहे त्याविषयी जल अभ्यासक डॉ. प्रवीण महाजन यांनी राज्याचे अर्थमंत्री तथा जलसंपदा मंत्री देवेंद्रजी फडणवीस यांच्याकडे पत्राद्वारे मागणी केली. एक जल अभ्यासक म्हणून सन 2022-23 या अर्थसंकल्पीय बजेटमध्ये महाराष्ट्रातील जलसंपदा विभागातील बांधकामाधीन प्रकल्पसाठी 12-13 हजार कोटी, पुनर्वसन व भूसंपादनासाठी 4 ते 5 हजार कोटी, जलविद्युत दुरुस्ती, यांत्रिकी कामे, विशेष दुरुस्ती, जुन्या प्रकल्पांसाठी देखभाल व दुरुस्ती करिता या बजेटमध्ये 1 ते 2 हजार करोड रुपयांची तरतूद केल्यास अनेक प्रकल्पाचे भवितव्य मार्गी लागेल, सोबतच शेतकऱ्यांना पाणी मिळेल. सन 22 - 23 या बजेट वर्षांमध्ये जलसंपदा विभागाला महाराष्ट्रासाठी 13 हजार कोटी मंजूर झाले होते. 30 जानेवारी अखेरीस त्यातील 8-9 हजार कोटी पैसा हा खर्च झालेला नाही असेच दिसेल. हा पैसा खर्च न होण्याची कारणे फारच शुल्लक आहे.  त्यामध्ये...  1) अतिरिक्त दायित्व निर्माण झाल्याने. 2) प्रकल्पाची प्रमा व्यपगत  झाल्याने 3) सुप्रमा 4) भूसंपादन व  पुनर्वसन न झाल्यामुळे. 5) प्रकल्प अवशिष्ट कामाअंतर्गत गेल्याने. 6) वन जमिनी या अडचणीमुळे प्रकल्प पूर्णत्वास जात नाही. 7) मुंबईतील फाईल चा प्रवास जलद गतीने झाल्यास अनेक कामे मार्गी लागतील. जलसंपदा विभागात प्रकल्पावर जे अतिरिक्तदायित्व निर्माण झालेले असते, ते अतिरिक्त दायित्व जोपर्यंत मंजूर होत नाही, तोपर्यंत त्या प्रकल्पावर पैसे या बजेट असूनही कामे केली जात नाही. अशा प्रकल्पांना अतिरिक्त दायित्वातून बाहेर काढून ते प्रकल्प पूर्णत्वाकडे नेण्यासाठी प्रयत्न व्हावेत.  जलसंपदा विभागाचे जे प्रकल्प 80-90 % पूर्ण झालेले आहे, पण सुप्रमा अभावी पूर्ण होत नाही किंवा त्यासाठी बजेटमध्ये तरतूद केल्या जात नाही किंवा उर्वरीत कामासाठी पैसे नसल्याने कामे होत नाही. अवशिष्ठ अंतर्गत असलेल्या प्रकल्पांना जी तरतूद आवश्यक असेल ती करून कामे पूर्ण होण्याच्या दृष्टिकोनातून या अर्थसंकल्पात स्थान द्यावे.  विदर्भातील प्रकल्पासाठी 4550 कोटी मिळाले होते.. मागील बजेटमध्ये विदर्भातील प्रकल्पासाठी जवळपास 4550 कोटी रुपये मिळाले होते परंतु 30 जानेवारी पर्यंत 2000 - 2200 कोटीचाच खर्च झाल्याचे दिसते. फेब्रुवारी-मार्चमध्ये जवळपास 1200-1500 कोटी रुपये खर्च होऊ शकेल. उर्वरित रक्कम ही परत शासनाकडे जाईल ही रक्कम खर्ची न होण्याची कारणे तपासल्यास असे दिसेल की, बजेटचा पैसा वेळेवर न आल्याने. गोसीखुर्दच्या बाबतीत सांगायचे झाल्यास गोसीखुर्दचा फंड कधीच वेळेवर येत नाही. पैसे आहे त्याप्रमाणे कामे होतात. जे प्रकल्प प्रकल्प चालू आहे त्या प्रकल्पावर अतिरिक्त दायित्व झालेले आहे. ते दायित्व मंजूर केल्याशिवाय तो पैसा खर्च होणार नाही. ज्या प्रकल्पाची 90% कामे झालेली आहे पण सुप्रमा अभावी पडून आहेत ती 72-73 प्रकल्प आहे. अवशिष्ट कामाअंतर्गत 73 प्रकल्प गेल्यामुळे पूर्ण होऊ शकले नाही. 5-6 प्रकल्पाची प्रशासकीय मान्यता व्यपगत झाल्याने नव्याने प्रशासकीय मान्यता न झाल्याने हे प्रकल्प रेगाळलेले आहे. विदर्भातील जवळपास 14-15 प्रकल्प हे वन जमिनी या अडचणीमुळे प्रलंबित आहे. अनेक प्रकल्प 60 ते 70 टक्के पूर्ण झाल्यानंतर सुद्धा भूसंपादन पुनर्वसन या अडचणीने ग्रासलेले आहे.  सुधारित प्रशासकीय मान्यता जर त्वरित 1-2 महिन्यात मिळाल्यास यात असलेले अनुशेष अंतर्गत जवळपास  22 प्रकल्प, बी. जे. एस. वाय. (BJSY) अंतर्गत 25 प्रकल्प व इतर 30 प्रकल्पांचा समावेश आहे. एकंदरीत 77 प्रकल्प हे सुधारित प्रशासकीय मान्यतेसाठी अडून आहेत. मा. राज्यपाल यांचे सूचनेनुसार 102 प्रकल्प समावेश असलेला 'अनुशेष निर्मूलन कार्यक्रम ' तयार केलेला होता, परंतु 10 वर्षे उलटूनही 34 प्रकल्प अजून अंधारातच आहे. शासनाच्या गोड भाषेत सांगायचे म्हणजे अंशत: पूर्ण आहे. ज्या - ज्या प्रकल्पावर निविदा काढण्यात आल्या आहे, त्या सर्व निविदा अंतर्गत...
सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लोकसभा 2024 : महाराष्ट्र में भाजपा-शिंदे गुट को बड़ा झटका

अभी लोकसभा चुनाव हुए तो सत्तारूढ़ दल को राज्य में मिल सकती है निराशा मुंबई :  इंडिया टुडे और 'सी-वोटर' द्वारा हाल ही में संयुक्त रूप से 'मूड ऑफ द नेशन' के अंतर्गत किए गए सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है. हालांकि इस सर्वेक्षण में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के फिर से सत्तारूढ़ होने के संकेत तो मिल रहे हैं, लेकिन एनडीए की कार्यप्रणाली के बारे में महाराष्ट्र की जनता का मत चौंकाने वाला है. लोकसभा की 48 सीटों वाले इस राज्य में महाविकास आघाड़ी गठबंधन को भारी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण का परिणाम दर्शाता है कि यदि आज देश में लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा को 284 सीटें, कांग्रेस को 68 और अन्य दलों को 191 सीटें मिल सकती हैं. लेकिन महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे गुट सहित एनडीए के बारे में मतदाताओं का रुख निराशाजनक है. राज्य में लोकसभा के लिए आज चुनाव हुए तो राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से एनडीए को मात्र 14 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. जबकि महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी गठबंधन (उद्धव की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) 48 प्रतिशत मतों के साथ कुल 34 सीटों पर कब्जा कर सकता है. भाजपा-शिंदे नीत एनडीए के लिए की परिस्थिति साल भर पहले से खराब सर्वेक्षण का यह आंकड़ा राज्य के भाजपा-शिंदे गुट को हिला कर रख दिया है. हालांकि राज्य के इन मतदाताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों से सहमत हैं, लेकिन सर्वेक्षण के जनकल्याण, राम मंदिर, धारा 370 जैसे मुद्दों को लेकर उनमें खास उत्साह नहीं दिखा. 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने साथ मिलकर लड़ा था. उन्होंने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 42 सीटों पर जीत हासिल की थी. बता दें कि अगस्त 2022 के इंडिया टुडे और 'सी-वोटर' सर्वे के मुताबिक, उस वक्त के चुनाव से महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से महाविकास आघाड़ी को 30 सीटें जाती दिख रही थीं. वहीं, भाजपा-शिंदे नीत एनडीए को 18 सीटें मिल रही थी. आज की परिस्थिति सत्तारूढ़ गुट के लिए साल भर पहले से खराब ही है. वैसे एनडीए को जिन राज्यों में फायदा होता दिख रहा है, उनमें असम, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. असम में 12 सीटें (2019 में 9 सीटें), तेलंगाना में 6 सीटें (2019 में 4 सीटें), पश्चिम बंगाल में 20 सीटें (2019 में 18 सीटें) और उत्तर प्रदेश में 70 सीटें (2019 में 64 सीटें) अर्थात इन राज्यों में एनडीए को कुल 13 सीटों का फ़ायदा मिलता दिख रहा है. 2019 में इन राज्यों से एनडीए को जहां 95 सीटें हासिल हुई थीं, वहीं आज चुनाव हुए तो उसे 108 सीटें मिल जाएंगी. जनवरी 2023 किए गए इस ताजा सर्वेक्षण में देश के कुल 1 लाख 40 हजार 917 लोग शामिल किए गए. इसमें अनेक ज्वलंत मुद्दों पर इन लोगों ने अपने विचार प्रकट किए. इनमें एनडीए सरकार के काम की 67 प्रतिशत लोगों ने बहुत बढ़िया बताया है, जबकि 11 प्रतिशत लोगों ने इसे ठीक-ठाक कहा, वहीं 18 प्रतिशत लोगों ने कुछ भी कहने से...
मानव बैंक

मानव बैंक : जिसकी जरूरत नहीं, वह दे दो, जो जरूरत है- ले लो

अभिनव प्रयोग महाराष्ट्र के चंद्रपुर महानगर पालिका का चंद्रपुर : अपने दैनिक जीवन में हम अक्सर नई वस्तुएं जैसे कपड़े, घरेलू सामान आदि खरीदते हैं, क्योंकि हमारी दृष्टि में उन पुरानी वस्तुओं की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. तो हम उन पुरानी चीजों का क्या करें? भले ही वे हमारी दृष्टि से वृद्ध हों, समाज में किसी को उन वस्तुओं की आवश्यकता होती है. इसलिए चंद्रपुर महानगर पालिका ने इन पुरानी वस्तुओं को एक जगह एकत्रित कर जरूरतमंदों को देने के लिए "मानव बैंक" शुरू किया है. इस पहल का उद्घाटन 25 जनवरी को आजाद गार्डन के पास असरा बेघर आश्रय केंद्र में महानगर पालिका कमिश्नर विपिन पालीवाल ने रिबन काटकर किया. 'माझी वसुंधरा' एवं स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के तहत उक्त बैंक को 3 आर (रिड्यूस, रिसायकल और रियूज) के सिद्धांत के तहत जरूरतमंद लोगों के लिए शुरू किया गया है और मानव बैंक में 'जिसकी जरूरत नहीं, वह दे दो और जिसकी जरूरत है, ले लो' के सिद्धांत पर करने वाला है. ठंड के मौसम में नगर पालिका रात में बेघरों की तलाश करती है और उन्हें बेघर आश्रय केंद्र में लाती है. अब उसी बेघर आश्रय केंद्र में कपड़े, जूते और किताबें भी उपलब्ध हैं. मानव बैंक के लिए कार्य करने वाले महानगर पालिका के कर्मचारियों के साथ कमिश्नर विपिन पालीवाल. वर्तमान में महानगर पालिका असरा बेघर निवारा सेंटर आजाद गार्डन के पास मानव बैंक बच्चों के कपड़े, बड़ों के कपड़े, महिलाओं की साड़ियां व अन्य कपड़े, रसोई के बर्तन, जूते, जोड़े, स्वेटर व अन्य सर्दी के कपड़े, महिलाओं के जूते, किताबें आदि उपलब्ध हैं. पुरुषों की सामग्री, महिलाओं की सामग्री, बच्चों की सामग्री अलग-अलग अलमारी में रखी जाती है. हालांकि, शहर के नागरिकों को आसरा बेघर आश्रय में पुरुषों, महिलाओं, बच्चों के उपयोग करने योग्य और साफ पुराने कपड़े, साथ ही पुरानी चप्पल, जूते, सैंडल, उपयोगी किताबें, पत्रिकाएं, उपन्यास, रजिस्टर, किताबें आदि लानी चाहिए. आजाद गार्डन के पास केंद्र में महानगर पालिका के इस मानव बैंक में सहभागी बनने की अपील कर रही है. इस मौके पर सहायक आयुक्त विद्या पाटिल व सचिन माकोडे, डॉ. अमोल शेलके, नगर कार्यक्रम प्रबंधक रफीक शेख, रोशनी चेघे, चिंतेश्वर मेश्राम, सामुदायिक संयोजक सुषमा कर्मणकर, खडसे, मून, लोटाने, पाटिल, जावड़े, गायधने, देवताले, सोनू बीरे, काकड़े सहित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के कर्मचारी उपस्थित थे. मानव बैंक के कार्य और उद्देश्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए गोपाल गायधने से फोन नंबर 982245002 पर संपर्क करें.