सर्वेक्षण

सर्वेक्षण लोकसभा 2024 : महाराष्ट्र में भाजपा-शिंदे गुट को बड़ा झटका

अभी लोकसभा चुनाव हुए तो सत्तारूढ़ दल को राज्य में मिल सकती है निराशा मुंबई :  इंडिया टुडे और 'सी-वोटर' द्वारा हाल ही में संयुक्त रूप से 'मूड ऑफ द नेशन' के अंतर्गत किए गए सर्वेक्षण में महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है. हालांकि इस सर्वेक्षण में केंद्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के फिर से सत्तारूढ़ होने के संकेत तो मिल रहे हैं, लेकिन एनडीए की कार्यप्रणाली के बारे में महाराष्ट्र की जनता का मत चौंकाने वाला है. लोकसभा की 48 सीटों वाले इस राज्य में महाविकास आघाड़ी गठबंधन को भारी बढ़त मिलती दिखाई दे रही है. राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण का परिणाम दर्शाता है कि यदि आज देश में लोकसभा चुनाव हुए तो भाजपा को 284 सीटें, कांग्रेस को 68 और अन्य दलों को 191 सीटें मिल सकती हैं. लेकिन महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिंदे गुट सहित एनडीए के बारे में मतदाताओं का रुख निराशाजनक है. राज्य में लोकसभा के लिए आज चुनाव हुए तो राज्य की 48 लोकसभा सीटों में से एनडीए को मात्र 14 सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. जबकि महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी गठबंधन (उद्धव की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) 48 प्रतिशत मतों के साथ कुल 34 सीटों पर कब्जा कर सकता है. भाजपा-शिंदे नीत एनडीए के लिए की परिस्थिति साल भर पहले से खराब सर्वेक्षण का यह आंकड़ा राज्य के भाजपा-शिंदे गुट को हिला कर रख दिया है. हालांकि राज्य के इन मतदाताओं ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी के कार्यों से सहमत हैं, लेकिन सर्वेक्षण के जनकल्याण, राम मंदिर, धारा 370 जैसे मुद्दों को लेकर उनमें खास उत्साह नहीं दिखा. 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने साथ मिलकर लड़ा था. उन्होंने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 42 सीटों पर जीत हासिल की थी. बता दें कि अगस्त 2022 के इंडिया टुडे और 'सी-वोटर' सर्वे के मुताबिक, उस वक्त के चुनाव से महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से महाविकास आघाड़ी को 30 सीटें जाती दिख रही थीं. वहीं, भाजपा-शिंदे नीत एनडीए को 18 सीटें मिल रही थी. आज की परिस्थिति सत्तारूढ़ गुट के लिए साल भर पहले से खराब ही है. वैसे एनडीए को जिन राज्यों में फायदा होता दिख रहा है, उनमें असम, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश शामिल हैं. असम में 12 सीटें (2019 में 9 सीटें), तेलंगाना में 6 सीटें (2019 में 4 सीटें), पश्चिम बंगाल में 20 सीटें (2019 में 18 सीटें) और उत्तर प्रदेश में 70 सीटें (2019 में 64 सीटें) अर्थात इन राज्यों में एनडीए को कुल 13 सीटों का फ़ायदा मिलता दिख रहा है. 2019 में इन राज्यों से एनडीए को जहां 95 सीटें हासिल हुई थीं, वहीं आज चुनाव हुए तो उसे 108 सीटें मिल जाएंगी. जनवरी 2023 किए गए इस ताजा सर्वेक्षण में देश के कुल 1 लाख 40 हजार 917 लोग शामिल किए गए. इसमें अनेक ज्वलंत मुद्दों पर इन लोगों ने अपने विचार प्रकट किए. इनमें एनडीए सरकार के काम की 67 प्रतिशत लोगों ने बहुत बढ़िया बताया है, जबकि 11 प्रतिशत लोगों ने इसे ठीक-ठाक कहा, वहीं 18 प्रतिशत लोगों ने कुछ भी कहने से...
मानव बैंक

मानव बैंक : जिसकी जरूरत नहीं, वह दे दो, जो जरूरत है- ले लो

अभिनव प्रयोग महाराष्ट्र के चंद्रपुर महानगर पालिका का चंद्रपुर : अपने दैनिक जीवन में हम अक्सर नई वस्तुएं जैसे कपड़े, घरेलू सामान आदि खरीदते हैं, क्योंकि हमारी दृष्टि में उन पुरानी वस्तुओं की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. तो हम उन पुरानी चीजों का क्या करें? भले ही वे हमारी दृष्टि से वृद्ध हों, समाज में किसी को उन वस्तुओं की आवश्यकता होती है. इसलिए चंद्रपुर महानगर पालिका ने इन पुरानी वस्तुओं को एक जगह एकत्रित कर जरूरतमंदों को देने के लिए "मानव बैंक" शुरू किया है. इस पहल का उद्घाटन 25 जनवरी को आजाद गार्डन के पास असरा बेघर आश्रय केंद्र में महानगर पालिका कमिश्नर विपिन पालीवाल ने रिबन काटकर किया. 'माझी वसुंधरा' एवं स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के तहत उक्त बैंक को 3 आर (रिड्यूस, रिसायकल और रियूज) के सिद्धांत के तहत जरूरतमंद लोगों के लिए शुरू किया गया है और मानव बैंक में 'जिसकी जरूरत नहीं, वह दे दो और जिसकी जरूरत है, ले लो' के सिद्धांत पर करने वाला है. ठंड के मौसम में नगर पालिका रात में बेघरों की तलाश करती है और उन्हें बेघर आश्रय केंद्र में लाती है. अब उसी बेघर आश्रय केंद्र में कपड़े, जूते और किताबें भी उपलब्ध हैं. मानव बैंक के लिए कार्य करने वाले महानगर पालिका के कर्मचारियों के साथ कमिश्नर विपिन पालीवाल. वर्तमान में महानगर पालिका असरा बेघर निवारा सेंटर आजाद गार्डन के पास मानव बैंक बच्चों के कपड़े, बड़ों के कपड़े, महिलाओं की साड़ियां व अन्य कपड़े, रसोई के बर्तन, जूते, जोड़े, स्वेटर व अन्य सर्दी के कपड़े, महिलाओं के जूते, किताबें आदि उपलब्ध हैं. पुरुषों की सामग्री, महिलाओं की सामग्री, बच्चों की सामग्री अलग-अलग अलमारी में रखी जाती है. हालांकि, शहर के नागरिकों को आसरा बेघर आश्रय में पुरुषों, महिलाओं, बच्चों के उपयोग करने योग्य और साफ पुराने कपड़े, साथ ही पुरानी चप्पल, जूते, सैंडल, उपयोगी किताबें, पत्रिकाएं, उपन्यास, रजिस्टर, किताबें आदि लानी चाहिए. आजाद गार्डन के पास केंद्र में महानगर पालिका के इस मानव बैंक में सहभागी बनने की अपील कर रही है. इस मौके पर सहायक आयुक्त विद्या पाटिल व सचिन माकोडे, डॉ. अमोल शेलके, नगर कार्यक्रम प्रबंधक रफीक शेख, रोशनी चेघे, चिंतेश्वर मेश्राम, सामुदायिक संयोजक सुषमा कर्मणकर, खडसे, मून, लोटाने, पाटिल, जावड़े, गायधने, देवताले, सोनू बीरे, काकड़े सहित राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के कर्मचारी उपस्थित थे. मानव बैंक के कार्य और उद्देश्यों के बारे में अधिक जानकारी के लिए गोपाल गायधने से फोन नंबर 982245002 पर संपर्क करें.  
वैनगंगा

वैनगंगा नळगंगा नदीजोड प्रकल्पाला बजेट तरतूद करा

जल अभ्यासक प्रवीण महाजनांचे उपमुख्यमंत्री फडणवीस यांना पत्र NAGPUR : विदर्भाचा कायापालट करणारा वैनगंगा -नळगंगा नदीजोड प्रकल्प 426.5 किमी ज्या भागातून जाणार त्या सहाही जिल्ह्यांना सुजलाम सुफलाम करणार, अशा या महत्वाकांक्षी प्रकल्पाला येत्या 2023-24 च्या बजेटमध्ये तरतूद करून प्रकल्प मार्गी लावण्याविषयी या प्रकल्पासाठी सातत्याने प्रयत्न करणारे जल अभ्यासक डॉ.प्रवीण महाजन यांनी उपमुख्यमंत्री, अर्थमंत्री तथा जलसंपदा मंत्री देवेंद्र फडणवीस यांना पत्र लिहून मागणी केलेली आहे. वैनगंगा -नळगंगा नदीजोड प्रकल्पासाठी नवरात्र सण लाभदायी ठरला असून, विदर्भवासियांच्या मनामध्ये विकासाची अखंड ज्योत लावत हा प्रकल्प पुढे पुढे सरकत असल्याची जाणीव दसऱ्याच्या पूर्व संध्येला देऊन गेली. जल अभ्यासक डॉ.प्रवीण महाजन यांच्या मागणीनुसार सुरू झालेला, पश्चिम विदर्भातील जनतेला समृद्ध करणारा वैनगंगा-नळगंगा नदीजोड प्रकल्प आज पाणी उपलब्धता बाबतच्या सर्व अडचणी दूर करीत प्रशासकीय मान्यतेच्या दारापर्यंत पोहचला आहे. विदर्भातील सहाही जिल्ह्यातील शेतकऱ्यांच्या 3 लाख 71 हजार 200 हेक्टर जमिनीला जल सिंचन देणारा हा प्रकल्प महत्वपूर्ण असून जवळपास अनेक गावांचा पिण्याच्या पाण्याचा प्रश्नही या प्रकल्पामुळे संपुष्टात येईल. बुलढाणा, वाशिम, यवतमाळ, अकोला या जिल्ह्यातील जवळपास सर्वच गावांना आठ दिवसातून एक वेळ पिण्याचे पाणी मिळते. काही ठिकाणी तर पंधरा दिवसातून एकच वेळ पाणी येते. आपल्या कामातील अनेक घंटे हे पिण्याचे पाणी भरण्यात खर्च  होतो. जे पाणी येते ते पाणी आरोग्य दृष्ट्या योग्य असेलच याचाही काही नेम नसतो. पश्चिम विदर्भातील अनेक जिल्ह्यात सिंचन सुविधा उपलब्ध नसल्यामुळे, शेतीवरच संसाराचा गाडा अवलंबून असल्याने, शेती पिकत नाही यामुळे परिवाराचे पालनपोषण करणे अत्यंत जिगरीचे होत असल्याने, या सर्व समस्येला कंटाळून अनेक शेतकरी आपल्या स्वतःला संपवून आत्महत्या करीत असतात. त्यामुळे आत्महत्याग्रस्त असलेला हा भाग वैनगंगा–नळगंगा नदीजोड प्रकल्प पूर्ण झाल्यास, त्या आत्महत्या सुद्धा थांबतील. शेतकऱ्यांना सिंचनाद्वारे आर्थिक परिस्थिती सुधारता येईल. गावातील तरुण शहराकडे न जाता गावातच उद्योगधंदे थाटतील.   विदर्भातील शेतकऱ्यांसाठी सिंचनाचा प्रश्न गंभीर आहे अन् या कारणामुळे विदर्भात शेतकरी आत्महत्यांचं प्रमाण अधिक आहे. विदर्भात सिंचनाची व्यवस्था पुरेशी नसल्याने शेतकऱ्यांना नैसर्गिक पाण्यावरच शेती करावी लागते. त्यामुळे अनेक वेळा नैसर्गिक आपत्तींमुळे शेतकऱ्यांना शेतीमालाचे उत्पादन कमी मिळते. विदर्भातील बुलढाणा, यवतमाळ, वाशीम, अकोला, वर्धा जिल्ह्यातील शेतकऱ्यांचे जीवनमान शेतीवर अवलंबून आहे. त्यामुळे निसर्गाच्या ऱ्हासामुळे शेतकरी त्रस्त झाला आहे. विदर्भात 2022 मध्ये झालेल्या हिवाळी अधिवेशनात जलसंपदा मंत्र्यांनी वैनगंगा -नळगंगा नदीजोड प्रकल्प पूर्ण ताकतीने करण्याचे आश्वासन दिलेले आहे, सोबतच केंद्र सरकार आर्थिक मदत करो या न करो, राज्य सरकार हा महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प नेटाने पुढे नेईल असेही आश्वासन दिले होते. त्या आश्वासनाची पूर्तता त्वरित झाल्यास 2014 ला प्रवीण महाजन यांनी मागणी केलेल्या वैनगंगा-नळगंगा नदीजोड प्रकल्पाची सुरुवात होईल. या प्रकल्पाला 2023-24 या आर्थिक वर्षात निधी तरतूद झाल्यास या प्रकल्पाचे आर्थिक व भौतिक नियोजन करणे सोपे होईल, तसेच या प्रकल्पासाठी मनोदित असलेले टप्पा एक, टप्पा दोन व टप्पा तीन याप्रमाणे कार्यवाही करण्यासाठी नागपूर विभाग व अमरावती विभाग यासाठी कमीत कमी दोन - दोन विभागीय कार्यालय, एक अधीक्षक अभियंता कार्यालय स्थापन होणे, किंवा ज्या विभागाकडे कामे नाहीत त्या विभागांना ही जबाबदारी देणे प्रकल्पासाठी महत्त्वाचे ठरणार आहे. नदीजोड प्रकल्पासाठी स्वतंत्र कार्यालय झाल्यास, ज्या वैधानिक मान्यता घ्याव्या लागतात, त्यात एम.डब्ल्यू. आर.आर.ए. मान्यता, पर्यावरण मान्यता, जलविज्ञान यांची कडून सिमुलेशन स्टडी, बांधकाम कार्यक्रम या महत्वपूर्ण गोष्टी या कार्यालयाच्या माध्यमातून जलद गतीने होऊ शकतील, त्याकरता आवश्यकता आहे या स्वतंत्र कार्यालयांची. असे झाल्यास येत्या पावसाळ्यापर्यंत वैधानिक मान्यता मिळवून पावसाळा संपतातच कामास सुरुवात होऊ शकेल.
प्रताप मोटवानी,

प्रताप मोटवानी बने वीएसएसएस के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी सचिव

अंतरराष्ट्रीय सिंधी सम्मेलन में डॉ. विन्की रुघवानी नेशनल प्रेसिडेंट, डॉ. ममतानी इंटरनेशनल आयुष चीफ, पुणे के मंगनानी महाराष्ट्र अध्यक्ष बने नागपुर : विश्व सिंधी सेवा संगम के 5वें अंतर्राष्ट्रीय सिंधी कन्वेंशन में नागपुर के प्रताप मोटवानी (Pratap Motwani) को भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन ने बेस्ट एक्टिविटी और प्रेसिडेंट हेतु स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया. साथ ही वीएसएसएस एक्टिविटी चेयरपर्सन लाइन धनराज मंगनानी ने भी प्रताप मोटवानी को 128 देश और 29 राज्यों में से बेस्ट मीडिया कवरेज का स्पेशल केटेगिरी अवार्ड देकर सम्मानित किया. दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम स्थित होटल हयात रीजेंसी में 13 से 15 जनवरी को यह 5वां अंतर्राष्ट्रीय सिंधी कन्वेंशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. इसमें नागपुर के प्रतिनिधियों को संगठन ने अनेक प्रतिष्ठित पदों के लिए चयन कर वीएसएस की नागपुर और महाराष्ट्र में उनके सक्रिय योगदान को सम्मानित किया है. पिछले 1 वर्ष में मोटवानी द्वारा करीब वीएसएसएस की गतिविधियों की 1250 न्यूज प्रकाशित करवा कर रिकॉर्ड तोड़ा. इसके अलावा मोटवानी ने लगातार सफलता से 3 साल स्टेट प्रेसिडेंट पद को बेहद शानदार ढंग से संभालने का भी रिकॉर्ड बनाया. उनकी ऐसी सफलता के कारण उन्हें प्रमोशन की लंबी छलांग दिला कर इंटरनेशनल एक्जीक्यूट सचिव पद की जवाबदारी सौंपी गई. उसी तरह महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल के उपाध्यक्ष, समाजसेवी डॉ. विन्की रुघवानी को नेशनल प्रेसिडेंट पद की जवाबदारी दी गई. विशेष बात है डॉ विन्की रुघवानी और प्रताप मोटवानी की जोड़ी सिंधी समाज थैलेसीमिया क्षेत्र में 30 साल से साथ कार्य कर रहे हैं. दोनों की अटल जोड़ी ने समाज के लिए ऐतिहासिक कार्य किए हैं. दोनों अपने क्षेत्र में बेहद चर्चित होकर नाम कमाया है. इसी प्रकार नागपुर के प्रसिद्ध आयुर्वेदिक डॉक्टर और कलगीधर सत्संग मंडल के संस्थापक वकील साहेब के पुत्र डॉ. गुरमुख ममतानी को इंटरनेशनल आयुर्वेदिक (आयुष) का चीफ बनाया गया है. डॉ. ममतानी को कोरोना काल में बेहतरीन कार्य में कार्य करने के लिए अवार्ड देकर सम्मानित किया गया.   प्रसिद्ध समाज सेविका एडवोकेट मंजीत कौर मतानी को भी उनके कार्यों के लिए स्मृति चिन्ह भाजपा नेता शेख नवाज हुसैन और इंदौर के सांसद शंकर लालवानी ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. उन्होंने कन्वेंशन में मोटिवेशनल स्पीच देकर सभी को प्रभावित किया उन्हें भी वीएसएसएस में बड़ी जवाबदारी दी गई. सिंधी समाज के आईपीएस अधिकारी लोहित जी मतानी का भी भव्य सत्कार कर स्मृति चिह्न से सम्मानित किया गया. लोहित मतानी ने सिंधी समाज को एकजुट होने और सिंधी छात्रों ज्यादा से ज्यादा आईएएस और आईपीएस बनाने पर ध्यान देने की अपील की. डॉ. भाग्यश्री खेमचंदानी को बेस्ट एक्टिविटी अवार्ड के टॉप 10 अवार्ड से धनराज मंगनानी ने सम्मानित किया. उनका भी प्रमोशन कर उन्हें नेशनल चेयरपर्सन एक्टिविटी की महत्वपूर्ण जवाबदारी दी गई. उनकी जगह पर महिला स्टेट अध्यक्ष जोन 2 की अध्यक्ष हिना मुनियार को बनाया गया है, अधिवक्ता मीरा भंभवानी और वर्धा के भगवानदास आहूजा को भी इंटरनेशनल पद का कार्यभार दिया गया है. इस अवसर पर सभी ने दादा गोपाल दास सजनानी, डॉ. राजू मनवानी, भरत वटवानी, अनूप थारवानी, उषा दीदी सजनानी का और कोर कमिटी का आभार माना.
साजिश

साजिश के तहत EPFO द्वारा जारी सर्कुलर का देशव्यापी विरोध

अनेक शहरों में विरोध प्रदर्शन कर वयोवृद्ध EPS 95 पेंशनरों ने Circular वापस लेने की मांग की नागपुर : सुप्रीम कोर्ट के 4 नवंबर 2022 के फैसले के आदेश को तोड़मरोड़ कर EPFO द्वारा विगत 29 दिसंबर 2022 को EPS-95 पेंशनरों के विरुद्ध साजिश के तहत जारी किए गए सर्कुलर (Circular) का देश भर में वयोवृद्ध पेंशनरों ने विरोध किया है. देश के लगभग सभी राज्यों में पेंशनरों ने प्रदर्शन कर इस सर्कुलर का कड़ा विरोध करते हुए इसे वापस लेने की मांग की है. @PMOIndia @LabourMinistry देश भर में @socialepfo द्धारा 29/12/2022 सर्कुलर के विरुद्ध उठी आवाज़। https://t.co/D4Yw0yerGa— National Agitation Committee (@NationalAgitat2) January 17, 2023   यह विरोध प्रदर्शन देश भर में पिछले 10 जनवरी से लगातार जारी है. इससे पूर्व पेंशनरों के संगठनों की ओर से प्रधान मंत्री, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सहित EPFO एवं CBDT और ट्रस्ट के सभी सदस्यों को विरोध पत्र भेज कर उन्हें EPFO की साजिश से अवगत कराया है एवं 29 दिसंबर 2022 का सर्कुलर निरस्त करने की मांग की है. साथ ही  मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 को जो फैसला सुनाया है, उसे आर.सी. गुप्ता प्रकरण के निर्णय के आधार पर EPFO के 23-03-2017 एवं पूर्व के सर्कुलर के अनुसार क्रियान्वित किया जाए. पेंशनरों का आरोप है कि EPFO जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की न केवल अनदेखी कर रहा है, बल्कि फैसले को तोड़मरोड़ कर लाखों ईपीएस-95 पेंशनरों को उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के अधिकार से वंचित करने की साजिश कर रहा है. सर्कुलर को पूर्णतः अवैध बताते हुए पेंशनरों ने यह मांग दोहराई है कि इस परिपत्र को निरस्त किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि कि जो कर्मचारी 1-09-2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और जो वर्तमान में कार्यरत हैं, उनके न्यायोचित पेंशन देने के लिए शीघ्र परिपत्र जारी किया जाए और पेंशनरों के खिलाफ साजिश बंद की जाए. उल्लेखनीय है कि ईपीएस 1995 पेंशन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 का फैसला सुनाया है. लेकिन EPFO ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए 29-12-2022 को जो सर्कुलर जारी किया है, वह सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों के पूरी तरह खिलाफ है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ईपीएस पेंशन योजना के पेंशनरों को चकित कर दिया है. भविष्य निधि संगठन का उपरोक्त सर्कुलर पेंशनरों के खिलाफ साजिश है. इस विवादास्पद सर्कुलर को निरस्त करने की मांग को लेकर महाराष्ट्र के मुंबई, नागपुर, अकोला, बुलढाणा, औरंगाबाद, नांदेड़, पुणे, नासिक समेत अनेक शहरों में पेंशनरों ने अपने अलग-अलग संगठनों के तहत EPFO के विभिन्न क्षेत्रीय कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन किया और EPFO के संबंधित क्षेत्रीय कमिश्नरों को विरोध पत्र सौंपा. मध्यप्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इंदौर सहित अन्य शहरों में भी पेंशनरों द्वारा विरोध प्रदर्शन के समाचार मिल रहे हैं. इसके साथ ही केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा, झारखंड, बंगाल सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सहित गुजरात के भी अनेक शहरों से प्रदर्शन के समाचार मिले हैं. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट...
उर्वरक

उर्वरक क्षेत्र में गुम है “आत्मनिर्भर भारत” और “स्टार्टअप इंडिया” उपक्रम

देश में निर्मित उर्वरक के उत्पादन में मध्यम और लघु उद्योगों की बाधाएं दूर करने की जरूरत *कल्याण कुमार सिन्हा- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत महात्मा फुले कृषि विश्वविद्यालय (MPKV), राहुरी (नासिक) द्वारा किए गए शोध एवं अनुसंधान और इसके तहत किसानों को दिए गए दिशा निर्देशों के अध्ययन से पता चलता है कि “बिन सब्सिडी वाले SOMS उर्वरक” पहले से ही आंशिक, बहु आंशिक और शत-प्रतिशत सब्सिडी के बोझ को कम करती आ रही है. लेकिन केंद्रीय कृषि मंत्रालय में बैठे विदेशी उर्वरक कंपनी हितैषी और देश के आयात हितैषियों की लॉबी आयातित उर्वरकों के कारण बढ़ती सब्सिडी को और अधिक बढ़ाते जा रहे हैं. उर्वरक मामले में सरकार का "आत्मनिर्भर भारत" और "स्टार्टअप इंडिया" उपक्रम कहीं नजर नहीं आता. जबकि देश में मध्यम और लघु उद्योग क्षेत्र को भी आगे लाकर देश को उर्वरक उत्पादन मामले में भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक दमदार पहल संभव है. खबरों के मुताबिक सरकार आगामी केंद्रीय बजट में "राष्ट्रीय उर्वरक उत्पादन नीति" (National Fertilizer Policy) के अन्तर्गत कार्यरत मध्यम एवं लघु उद्योग (MSME) क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन, कच्चे माल के आयात पर कम इम्पोर्ट ड्यूटी के साथ ही इन्हें उत्पादन में बढ़ावा देने वाले कदम शामिल करने जा रही है. देर से ही सही, लेकिन सरकार को उर्वरक क्षेत्र में मध्यम एवं लघु उद्योग की भूमिका की अहमियत समझ में आई है. देखना है, सरकार के अंतर्गत सक्रीय विरोधी लॉबी इसे कितना कारगर होने देती है. सरकार उर्वरकों पर बढ़ती सब्सिडी की रकम से चिंतित है, जो 2019-20 83 हजार करोड़ से बढ़ कर पिछले वर्ष 2020-21 में 1.62 लाख करोड़ रुपए और अब 2.3 लाख करोड़ रुपए हो चला है. किन्तु देश में सब्सिडी वाले उर्वरकों के आयात पर निर्भरता कम करने के उपाय की ओर केवल एक नैनो यूरिया पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. नैनो यूरिया को पारम्परिक यूरिया से अधिक सक्षम, सस्ता और 45 य 50 किलोग्राम वाली बोरी की यूरिया के मुकाबले 500 मिलीलीटर की बोतल में उपलब्ध्ता सरकार को अधिक आकर्षित कर रही है. लेकिन कुछ कृषि विज्ञानियों का मानना है कि नैनो यूरिया में नाइट्रोजन की मात्रा बोरी वाले यूरिया के मुकाबले काफी कम है, जो चिंता का विषय है. जबकि, मध्यम और लघु उद्योग क्षेत्र में निर्मित पर्यावरण हितैषी SOMS उर्वरकों में घुलनशील उर्वरक (Solubles), जैविक उर्वरक (Organic), माइक्रोन्यूट्रींस (Micronutrients), स्टिमुलैंट्स (Stimulants) पहले से ही देश के बढ़िया प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन संस्थागत समर्थन के अभाव में सरकार में मध्यम और लघु उद्योग क्षेत्र के इस महत्वपूर्ण अवदान की कोई पूछ नहीं है. घुलनशील उर्वरक के बारे में उत्पादकों के साथ ही विशेषज्ञों और इस्तेमाल कर्ता किसानों की नजर में यह नैनो यूरिया से अधिक कारगर, सस्ता और इसकी पहुंच कृषि भूमि के अधिक रकबे तक है. उदाहरण के तौर पर, अंगूर में, पानी में घुलनशील उर्वरक (WSF) से 49% यूरिया सब्सिडी, 90% डीएपी सब्सिडी और 100% एमओपी सब्सिडी की बचत होती है. यह खास प्रकार के उर्वरकों में से है. इसे देश में बहुत कम उत्पादकों द्वारा तैयार किए जाते. क्योंकि...
Conspiracy

Conspiracy : सुप्रीम कोर्ट के ईपीएस-95 फैसले को बदलने की 

EPFO से पिछले 29 दिसंबर के अवैध सर्कुलर को वापस लेने और पेंशनरों के खिलाफ Conspiracy बंद करने की मांग  नागपुर :  ईपीएस-95 सेवानिवृत्त कर्मचारी समन्वय समिति ने केंद्र सरकार और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 को जो फैसला सुनाया है, उसे आर.सी. गुप्ता प्रकरण के निर्णय के आधार पर EPFO के 23-03-2017 एवं पूर्व के सर्कुलर के अनुसार क्रियान्वित किया जाए.  समन्वय समिति के राष्ट्रीय सचिव प्रकाश पाठक ने एक प्रेस विज्ञप्ति में आरोप लगाया है कि EPFO जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की न केवल अनदेखी कर रहा है, बल्कि फैसले को तोड़मरोड़ कर लाखों ईपीएस-95 पेंशनरों को उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के अधिकार से वंचित करने की Conspiracy (साजिश) कर रहा है.  सर्कुलर निरस्त किया जाए EPFO को भेज गए समिति के विधि सलाहकार दादा तुकाराम झोड़े के पत्र के हवाले से EPFO के 29-12-2022 के सर्कुलर को पूर्णतः अवैध बताते हुए यह मांग दोहराई है कि इस परिपत्र को निरस्त किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि कि जो कर्मचारी 1-09-2014 के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं और जो वर्तमान में कार्यरत हैं, उनके न्यायोचित पेंशन देने के लिए शीघ्र परिपत्र जारी किया जाए और पेंशनरों के खिलाफ साजिश बंद की जाए.  उल्लेखनीय है कि ईपीएस 1995 पेंशन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 4-11-2022 का फैसला सुनाया है. लेकिन EPFO ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के लिए 29-12-2022 को जो सर्कुलर जारी किया है, वह सर्कुलर सुप्रीम कोर्ट के सभी फैसलों के पूरी तरह खिलाफ है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ईपीएस पेंशन योजना के पेंशनरों को चकित कर दिया है. भविष्य निधि संगठन का उपरोक्त सर्कुलर पेंशनरों के खिलाफ साजिश (Conspiracy) है. फैसले को ही बदल कर रख दिया प्रकाश पाठक ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के 4-11-2022 के फैसले की धारा 44(9) ने सुप्रीम कोर्ट को आर.सी. गुप्ता मामले में फैसले को कानूनी और उचित ठहराते हुए आठ सप्ताह के भीतर 4-10-2016 के फैसले को लागू करने का निर्देश दिया. लेकिन EPFO ने 4-11-2022 के फैसलों की धाराओं की गलत व्याख्या करने की साजिश की है और आर.सी. गुप्ता के मामले में 4-10-2016 के फैसले को ही अपने 29-12-2022 के सर्कुलर में बदल कर रख दिया है.    इस सर्कुलर के तहत उच्चतम न्यायालय के आर.सी. गुप्ता मामले के निर्णय के अनुसार अधिकांश सेवानिवृत्त कर्मचारी उच्च पेंशन या पूर्ण वेतन पर पेंशन पाने के पात्र नहीं रह पाएंगे और उनमें से अधिकांश को पेंशन का लाभ नहीं मिल पाएगा.  सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना पाठक ने कहा है कि EPFO का यह सर्कुलर आर.सी. गुप्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है. सुप्रीम कोर्ट ने आर.सी. गुप्ता मामले में फैसला सुनाया कि ईपीएस पेंशन योजना के प्रावधान 11(3) के अनुसार, विकल्प के लिए कोई समय सीमा नहीं है और कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद भी विकल्प दे सकता है.  Conspiracy कर रहा उन्होंने बताया है कि सुप्रीम कोर्ट दिनांक 12-07-2016, ऑस्टिन जोसेफ बनाम भारत सरकार (एसएलपी (सी) नं 19954...
पेंशनर्स

पेंशनर्स को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वंचित करने में जुटा EPFO 

परिपत्र जारी कर सितंबर 2014 से पूर्व रिटायर हुए वयोवृद्धों के साथ दिखाई क्रूरता *कल्याण कुमार सिन्हा- नागपुर : भारत की सर्वोच्च अदालत (सुको) के एक बड़े बेंच ने एक रिव्यू पिटीशन पर पिछले 4 नवंबर 2022 घुमा फिरा जो फैसला दिया है, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) एक बार फिर उसका फायदा उठाते हुए, EPS 95 के तहत रिटायर्ड वयोवृद्ध पेंशनर्स (Pensioners) को उच्च पेंशन के लाभ से वंचित करने में जुट गया है. दो दिन पूर्व ही 29 दिसंबर 2022 को जारी एक परिपत्र में उसने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देशित किया है कि 1.9.2014 से पहले सेवानिवृत्त (58 वर्ष) कर्मचारी, जिन्होंने उच्च वेतन पर पेंशन अंशदान के लिए कोई विकल्प नहीं चुना और सदस्यता से बाहर हो गए, उन्हें निर्णय के अनुसार कोई लाभ नहीं दिया जाए. इसके साथ ही इस परिपत्र में 2014 से पहले सेवानिवृत्त जिन कर्मचारियों द्वारा विकल्प दिया गया था, लेकिन EPFO ने अस्वीकार कर दिया गया, उसका प्रमाण प्रस्तुत करने पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया गया है. कर्मचारी पेंशन (1995) समन्वय समिति के विधि सलाहकार दादा तुकाराम झोड़े ने इस परिपत्र को केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुमोदन के प्रतिकूल बताते हुए इसे EPFO से वापस लेने की मांग की है. उन्होंने इस परिपत्र को बहुत ही गलत, अस्पष्ट, अपूर्ण और विरोधाभासी करार दिया है. उल्लेखनीय है कि EPS 95 के पैरा 26.6 के तहत विकल्प पर आरसी गुप्ता मामले का फैसला 1.9.2014 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले पेंशनर्स के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस फैसले में एक वैध विकल्प माना है. लेकिन EPFO का यह परिपत्र इस मामले में मौन है. जबकि 2016 के आरसी गुप्ता मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 23.03.2017 के फैसले का केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन करने के साथ ही EPFO ने भी इसे स्वीकार कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले के पैरा 44(ix) में आरसी गुप्ता केस से संबंधित पेंशनर्स के मामले को आठ सप्ताह के भीतर लागू करने का भी आदेश दे चुका है. दादा झोड़े ने EPFO का ध्यान सुप्रीम कोर्ट के 04.11.2022 के फैसले की ओर दिलाते हुए बताया है कि कोर्ट ने अपने फैसले में न तो आरसी गुप्ता अथवा ऑस्टिन जोसेफ केस में किसी प्रकार का बदलाव सुधार अथवा उसे पलटने जैसी कोइ बात नहीं की है. ऐसे में EPFO प्राधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अपनी मर्जी और इच्छा के अनुसार संशोधित नहीं कर सकते. झोड़े ने EPFO के 29.12.2022 को जारी परिपत्र को सुप्रीम कोर्ट के 04.11.2022 के आदेश के पैरा (ix) के अनुपालन में बहुत ही गलत, अस्पष्ट, अपूर्ण और विरोधाभासी बताया है. उन्होंने EPFO से अपने इस परिपत्र को वापस लेने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने की सलाह दी है. उन्होंने 1.9.2014 से पहले सेवानिवृत्त (58 वर्ष) पेंशनर्स के लिए उच्च पेंशन निर्धारित करने के न्यायोचित दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है.
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डॉ. पंजाबराव देशमुख को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग  

124वीं जयंती पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और विभिन्न ओबीसी संगठनों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण किया नागपुर : शिक्षण महर्षि डॉ. पंजाबराव देशमुख की जयंती मनाई गई. डॉ. पंजाबराव देशमुख ऊर्फ भाऊसाहेब देशमुख की 124वीं जयंती पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भाऊसाहेब के चित्र पर पुष्पहार अर्पण कर उनका अभिवादन किया. यहां मुख्यमंत्री के शासकीय निवासस्थान रामगिरी में आयोजित इस कार्यक्रम में शालेय शिक्षण मंत्री दीपक केसरकर, सांसद सर्वश्री प्रतापराव जाधव, कृपाल तुमाने, भावना गवली, विधायक कृष्णा खोपडे और अन्य मान्यवर उपस्थित थे. इस अवसर पर सभी उपस्थित लोगों ने भी पुष्प अर्पण कर भाऊसाहेब का अभिवादन किया. इस अवसर पर 27 दिसंबर को स्थानीय महाराज बाग चौक पर विभिन्न संस्थाओं और ओबीसी समूह की ओर से डॉ. देशमुख की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. संगठनों ने स्व. डॉ. देशमुख को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की. भाजपा ओबीसी मोर्चा के नागपुर शहर अध्यक्ष रमेश चौपड़ ने डॉ. पंजाबराव देशमुख के चित्र पर और उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस अवसर पर शिक्षा एवं कृषि के क्षेत्र में शिक्षा महर्षि डॉ. पंजाबराव देशमुख के कार्य एवं योगदान को याद किया गया. ओबीसी समाज की ओर से अध्यक्ष रमेश चोपड़े उपाध्यक्ष डॉ. पंजाबराव देशमुख को भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की. रमेश गोरले, सचिव राजेश ढोक, अध्यक्ष उमाशंकर नामदेव, रामदास साबले कोषाध्यक्ष, सुनील कोडे, नरेंद्र गोरले, विनोद बोरकुटे, प्रवीण विघारे एराजीव जगताप, किशोर जिचकर, अंडंजय दोफोडे, गोविंद अखंड, अनंत भारसाकाले, नानाजी सतपुते, रवि महलले, कमलेश वानखेड़े, शरद जिचकर, राजू घोडमारे, ललित आमगे, दत्तू बारस्कर, जग्गू तितरमारे, सुरेश कोंगे, नरेश बर्दे, मनीष महलले, कमलेश चाकोले, सुमित पडोले लाईवाडे, प्रमोद वैद्य, विनायक देहंकर, एराजू मोहोड, महेश अलघरे, ठाकरे गुरुजी, मोरेजी अभय यावलकर आदि बड़ी संख्या में ओबीसी भाई मौजूद थे. अमरावती में डॉ. पंजाबराव देशमुख विदर्भ प्रशासनिक एवं विकास प्रशिक्षण प्रबोधिनी में मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की उपस्थिति में दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों की बैठक आयोजित की गई. जिसमें मध्यप्रदेश के बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, बैतूल, बुरहानपुर, खंडवा एवं महाराष्ट्र के अमरावती, नागपुर, भंडारा, गोंदिया, बुलढाणा जिले के कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक उपस्थित थे. इस अवसर पर डॉ. देशमुख को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. विदर्भ के विभिन्न जिला मुख्यालयों और तालुका में विभिन्न शैक्षिक एवं सामाजिक संस्थाओं की ओर से भी डॉ. देशमुख की जयंती के अवसर पर आयोजन किए गए. अकोला जिले में डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ के अलावा अमरावती जिले में भी उनकी स्मृति में स्थापित सभी शैक्षिक संस्थानों में भी उनकी जयंती मनाई गई. 
म्हेत्रे

म्हेत्रे बने वेकोलि के नए मुख्य सतर्कता अधिकारी

नागपुर : वेकोलि (WCL) मुख्यालय में मुख्य सतर्कता अधिकारी का पदभार अजय मधुकर म्हेत्रे ने 26 दिसंबर को ग्रहण किया. इसके पूर्व वे बिहार एलएसए, पटना में निदेशक (ग्रामीण) के पद पर कार्यरत थे.  वेकोलि में पदभार ग्रहण करने पर म्हेत्रे का सीएमडी मनोज कुमार, निदेशक (कार्मिक) डॉ. संजय कुमार, निदेशक तकनीकी (संचालन) जे.पी. द्विवेदी तथा निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) ए.के. सिंह ने उनका स्वागत किया और उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी. म्हेत्रे ने नागपुर से बेचलर ऑफ इंजीनियरिंग (इलेक्ट्रॉनिक्स) में स्नातक करने के उपरान्त यूपीएससी की 1996 की इंजीनियरिंग सर्विसेज परीक्षा उतीर्ण की एवं 1998 में आईटीएस अधिकारी के तौर पर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग में कार्यभार संभाला. उन्होंने दूरसंचार विभाग, भारत सरकार एवं बीएसएनएल में विभिन्न पदों पर कार्य किया है. इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र के नागपुर एवं अमरावती तथा बिहार के पटना शहर में अपनी सेवाएं दी.   बीएसएनएल में मोबाइल कम्युनिकेशन तथा टेलीकॉम एनफोर्समेंट रिसोर्स एंड मॉनिटरिंग सेल जैसी विभिन्न टेलीकॉम नियामक संस्थानों में उन्हें 24 वर्षों का दीर्घ अनुभव है. म्हेत्रे के इस दीर्घ अनुभव का वेकोलि को निश्चित ही लाभ मिलेगा.  वेकोलि में पदभार ग्रहण करने पर म्हेत्रे का सीएमडी मनोज कुमार, निदेशक (कार्मिक) डॉ. संजय कुमार, निदेशक तकनीकी (संचालन) जे.पी. द्विवेदी तथा निदेशक तकनीकी (योजना एवं परियोजना) ए.के. सिंह ने उनका स्वागत किया और उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर सीएमडी के तकनीकी सचिव तरुण कुमार श्रीवास्तव तथा महाप्रबंधक (सतर्कता) अनूप हंजूरा उपस्थित थे.