14वें उपराष्ट्रपति

14वें उपराष्ट्रपति का चुनाव : प्रक्रिया, वेतन, सुविधाएं और दायित्व

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14वें उपराष्ट्रपति : देश के 14वें उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया पिछले 5 जुलाई से शुरू हो गई है. केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को प्रत्याशी बनाया है. वहीं विपक्ष की उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं चार बार राज्यपाल रहीं श्रीमती मारग्रेट अल्वा हैं.

राष्ट्रपति चुनाव से अलग होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव. उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए निर्वाचक मंडल में केवल संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य शामिल होते हैं. संसद में सदस्यों की मौजूदा संख्या 780 है, जिनमें से केवल भाजपा के 303 और सहयोगी दलों के 91 सदस्य हैं. इस प्रकार सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के कुल 394 सांसद हैं. जीत के लिए 390 से अधिक मतों की जरूरत होती है.
14वें उपराष्ट्रपति
कब होना है उपराष्ट्रपति पद का चुनाव

चुनाव आयोग ने 5 जुलाई को भारत के उप राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की थी. चुनाव 6 अगस्त को होगा और 19 जुलाई नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख थी. यह चुनाव एनडीए प्रत्याशी जगदीप धनखड़ और विपक्ष की प्रत्याशी श्रीमती मारग्रेट अल्वा के बीच होना है. मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है.

कैसे होता है उपराष्ट्रपति पद का चुनाव

उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ राज्यसभा और लोकसभा के सांसद ही वोट डाल सकते हैं. दोनों सदनों के मनोनीत सांसद भी उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग कर सकते हैं. हालांकि मनोनीत सांसदों को राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं होता. इस तरह से उप राष्ट्रपति चुनाव में दोनों सदनों के 790 सदस्य हिस्सा लेते हैं. राज्यसभा में कुल सांसदों की संख्या 245 है जिनमें चुने हुए सदस्य 233 और मनोनीत सदस्यों की संख्या 12 है. उसी तरह निचले सदन यानी लोकसभा में कुल 545 सदस्य हैं. इनमें चुने हुए सदस्य 543 और मनोनीत सदस्यों की संख्या 2 है. उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव इलेक्शन अनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति के आधार पर किया जाता है. इसमें खास तरह से वोटिंग होती है जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं. चुनाव में मतदाता को वोट तो एक ही देना होता है मगर उसे अपनी प्राथमिकता तय करनी होती है. जैसे पहली पसंद को 1, दूसरी पसंद को 2 और तीसरी पसंद को प्राथमिकता देना होता है.

कैसे होती है वोटों की काउंटिंग?

काउंटिंग में सबसे पहले यह देखा जाता है कि उम्मीदवारों को पहली प्राथमिकता वाले कितने वोट मिले हैं. फिर सभी को मिले पहली प्राथमिकता वाले वोटों को जोड़ा जाता है. इसके बाद कुल संख्या को 2 से भाग दिया जाता है और भागफल में 1 जोड़ दिया जाता है. अब जो संख्या मिलती है उसे वह कोटा कहा जाता है. जीतने वाले प्रत्याशी को कम-से-कम कोटा जितने वोट हासिल करना जरूरी होता है. अगर पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए जरूरी कोटे के बराबर या इससे ज्यादा वोट हासिल कर लेता है तो उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है.

अगर पहली प्राथमिकता में जीत के लिए जरूरी वोट नहीं मिलते तो उस स्थिति में पहली प्राथमिकता में सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को दौड़ से बाहर मान लिया जाता है. तब उसे दूसरी प्राथमिकता में मिले वोटों को दूसरे उम्मीदवार के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है. इसके बाद देखा जाता है कि दूसरा उम्मीदवार उन ट्रांसफर हुए वोटों के आधार पर कोटे की संख्या तक पहुंचा या नहीं? अगर वह कोटा तक पहुंचने में सफल रहता है तो उसे विजेता मान लिया जाता है, वरना यह प्रक्रिया तब तक जारी रहती है, जब तक कोई एक उम्मीदवार निर्धारित कोटे को हासिल नहीं कर लेता.

चुनाव लड़ने के लिए क्या है जरूरी?

उपराष्ट्रपति चुनाव में खड़े होने के लिए उम्मीदवार को कम से कम 20 संसद सदस्यों को प्रस्तावक और कम से कम 20 संसद सदस्यों को समर्थक के रूप में नामित कराना होता है. चुनाव लड़ने वाले सदस्य को संसद के किसी सदन का सदस्य नहीं होना चाहिए. अगर कोई संसद सदस्य उप राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना होगा. उपराष्ट्रपति प्रत्याशी बनने वाले 15,000 रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी होती है. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पूरा होने के 60 दिनों के भीतर चुनाव होना जरूरी है.

उपराष्ट्रपति की शक्तियां

राष्ट्रपति के बाद उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सर्वोच्च पद होता है. देश का संविधान उपराष्ट्रपति को दोहरी भूमिका सौंपता है. पहली भूमिका कार्यपालिका के दूसरे मुखिया और दूसरी भूमिका है राज्यसभा के सभापति की होती है. उप राष्ट्रपति की जिम्मेदारी तब अहम हो जाती है, जब राष्ट्रपति का पद किसी वजह से खाली हो जाए. तब इस जिम्मेदारी को उप राष्ट्रपति को ही निभानी पड़ती है.

उपराष्ट्रपति को कितना मिलता है वेतन?

देश के उप राष्ट्रपति की सैलरी ‘संसद अधिकारी के सैलरी और भत्ते अधिनियम, 1953’ के तहत निर्धारित होता है. उप राष्ट्रपति को कोई सैलरी नहीं होती है. उप राष्ट्रपति ही राज्यसभा का सभापति भी होता है इसलिए सभापति के तौर पर उन्हें सैलरी और सुविधाएं दी जाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक उप राष्ट्रपति को प्रतिमाह 4 लाख रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं.
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देश में अब तक कुल कितने उप राष्ट्रपति रहे हैं?

1 डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन- 13 मई 1952 से 12 मई 1962 – 2 बार
2 डॉ. जाकिर हुसैन– 13 मई 1962 से 12 मई 1967
3 वी.वी. गिरि– 13 मई 1967 से 3 मई 1969
4 गोपाल स्वरूप पाठक- 31 अगस्त 1969 से 30 अगस्त 1974
5 बी.डी. जत्ति– 31 अगस्त 1974 से 30 अगस्त 1979
6 एम. हिदायतुल्ला- 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त 1984
7 आर. वेंकटरमन– 31 अगस्त 1984 से 24 जुलाई 1987
8 डॉ. शंकर दयाल शर्मा- 3 सितम्बर 1987 से 24 जुलाई 1992
9 केआर नारायणन– 21 अगस्त 1992 से 24 जुलाई 1997
10 श्री कृष्णकांत– 21 अगस्त 1997 से 27 जुलाई 2002
11 भैरों सिंह शेखावत– 19 अगस्त 2002 से 21 जुलाई 2007
12 मोहम्मद हामिद अंसारी- 11 अगस्त 2007 से 10 अगस्त 2017- दो बार
13 एम. वेंकैया नायडू- 11 अगस्त 2017 से अब तक
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