CAG करे EPFO का सम्पूर्ण ऑडिट, फौजदारी मुकदमें दायर हों

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निवृत्त कर्मचारी 95 समन्वय समिति को जांच एजेंसियों की तलाशी पर भरोसा नहीं

नागपुर : EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) में व्याप्त भ्रष्टाचार और लाखों करोड़ रुपए की हेराफेरी पर निवृत्त कर्मचारी 95 समन्वय समिति, नागपुर ने गंभीर चिंता व्यक्त की है. समिति ने भारत के मुख्य महालेखा परीक्षक (CAG) से EPFO का सम्पूर्ण ऑडिट कराने की मांग की है. समिति ने जांच एजेंसियों की EPFO, नागपुर और देश के अन्य कार्यालयों में हाल ही में हुई छानबीन और तलाशी को भरोसेमंद मानने से इंकार कर दिया है.

समिति के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश पाठक और राष्ट्रीय सलाहकार दादा तुकाराम झोड़े ने इस बात पर क्षोभ व्यक्त किया है कि ऐसे मामलों की जांच के बाद भी सरकार भ्र्ष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं करती है. उन्होंने कहा कि अब यह जरूरी हो गया है कि सरकार जल्द से जल्द CAG के माध्यम से EPFO में हमारे अंशदान की रकम की ऑडिट कराए, ताकि देश को पता चल सके कि लोगों के अंशदान की रकम और पेंशनरों के साथ EPFO कैसा खेल खेल रहा है.

उन्होंने कहा कि अभी पिछले 12 अप्रैल को नागपुर के दोनों क्षेत्रीय कार्यालयों और देश के अन्य EPFO कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए सीबीआई और EPFO विजिलेंस की संयुक्त टीम ने तलाशी और छानबीन की है. लेकिन पूर्व की तरह इस जांच का कोई नतीजा भी निकलेगा, इसमें संदेह ही है.

उन्होंने यह भी मांग की है कि पिछले 12 अप्रैल को जांच एजेंसियों द्वारा नागपुर सहित देश के जिन सभी EPFO कार्यालयों में छानबीन और तलाशी ली गई है, उनमें दोषी पाए गए अधिकारियों और पर फौजदारी मुकदमें दायर कर उन्हें जेल भेजा जाए.

उन्होंने एक प्रेस वक्तव्य में बताया है कि EPFO में विगत 6 अक्टूबर 2019 को 11 लाख करोड़ की अनियमितता का समाचार, गुजरात के दैनिक समाचार पत्र “सन्देश” सहित देश के अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ था. इस खबर के आधार पर निवृत्त कर्मचारी 95 समन्वय समिति, नागपुर ने 4 नवंबर 2019 को उमरेड रोड स्थित EPFO कार्यालय पर धरना देकर EPFO की CAG (मुख्य महालेखा परीक्षक), नई दिल्ली से शत-प्रतिशत जांच कराने की मांग की थी. साथ ही मुख्य महालेखा परीक्षक, (CAG) नई दिल्ली से ऑडिट का निवेदन भी किया था. लेकिन इतने बड़े घोटाले पर न तो कोई कार्रवाई हुई और न सरकार की कान पर कोई जूं भी रेंगी.

पाठक और झोड़े ने रोष व्यक्त किया है कि जहां, एक ओर EPFO के अधिकारी और कर्मचारी, सदस्य कर्मचारियों और पेंशनरों के अंशदान पर पल रहे हैं. केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप हमारे अंशदान से ही वेतन सहित सारी सुविधाएं हासिल कर रहे हैं, 2000 रुपए मासिक चिकित्सा भत्ते का लाभ ले रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर हम पेंशनरों को पेंशन के रूप में मामूली 500 से 2500 हजार रुपए तक की मामूली रकम दे कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, और हमारे अंशदान की रकम को लूटने में भी लगे हुए हैं. यह सारी गड़बड़ियां CAG द्वारा ऑडिट करने से ही सामने आ सकती है.

उन्होंने कहा है कि ईपीएस-95 के 68 लाख से अधिक पेंशनरों के साथ सामाजिक न्याय के अनुरूप जीवन बसर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार न्यायपूर्ण पेंशन देना EPFO और सरकार को अभी तक गंवारा नहीं हुआ है. 68 लाख पेंशनरों को सरकार और EPFO न्यायपूर्ण पेंशन से वंचित कर उन्हें अर्थाभाव में घुट-घुट कर मारने पर तुली हुई है. ऐसे ही लगभग साढ़े तीन लाख से अधिक पेंशनर पिछले तीन वर्षों में अर्थाभाव में अपने प्राण गवां चुके हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार EPFO कार्यालयों की यह तलाशी लंबित पीएफ भुगतान केस, फैक्ट्रियों के चालान सब्मिट केस, विभाग की कार्यप्रणाली, पीएफ दावा निपटान, भुगतान राशि में किए गए फर्जीवाड़ा आदि के लिए नागपुर शहर में ईपीएफओ के दोनों कार्यालयों सहित देश के अन्य कार्यालयों की भी तलाशी ली गई है. लेकिन इन सब की जांच का परिणाम सामने आ पाएगा, इसमें संदेह बना हुआ है.

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