मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद किनारे पड़ चुकी भाजपा ने अब तक उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं. शुक्रवार को भाजपा ने कहा कि हमारे पास सबसे ज्यादा विधायक हैं, हम राज्य को एक स्थिर सरकार देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. दूसरी ओर अपने प्रयासों में सफल शिवसेना को अब घोड़ा-बाजार (विधायकों की खरीद-फरोख्त) का खतरा नजर आ रहा है.
महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि बिना भाजपा के महाराष्ट्र में कोई सरकार नहीं बन सकती. चंद्रकांत पाटिल ने भाजपा के पास 119 विधायकों के समर्थन का दावा किया, इसमें 105 भाजपा के विधायक हैं, जबकि 14 निर्दलीय के समर्थन का दावा उन्होंने किया है.
सरकार गठन के लिए 145 विधायक जरूरी
महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 विधायक हैं. यहां सरकार बनाने के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए. विधानसभा चुनाव में भाजपा को 105 सीटें आई हैं. जबकि शिवसेना के 56 विधायक जीते हैं, एनसीपी के विधायकों की संख्या 54 है तो कांग्रेस के 44 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. अन्य विधायकों की संख्या 29 है.
शिवसेना की जल्दबाजी पर पवार ने फेरा पानी
इधर, हालांकि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की शिवसेना की कोशिशें सफल होती तो दिख रही है और सरकार बनने की स्थिति में उसका मुख्यमंत्री भी बनता दिखाई दे रहा है, बावजूद इसके यह इतना सरल भी नहीं दिखाई दे रहा. कल तक ऐसा लग रहा था कि 17 नवंबर को यानी बालासाहेब ठाकरे के स्मृति दिवस पर सरकार आ जाएगी, लेकिन जोड़तोड़ के गठबंधन के सबसे बड़े नेता शरद पवार ने उसकी जल्दबाजी पर पानी फेर दिया है पवार ने नागपुर में शुक्रवार को ही कह दिया कि सरकार बनने में वक्त लगेगा. चूंकि शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस का मिलन आसान नहीं रहा है, इसलिए पवार का इतना कहना भी कई सस्पेंस की नई शुरूआत है.
घोड़ा बाजार के भूत से शिवसेना परेशान
दूसरी ओर उसे अपने और अपने दोनों मित्र दलों के विधायकों का छिटकने का खतरा भी परेशान कर रहा है. उसने “घोड़ा बाजार” अर्थात हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप भी लगाना शुरू कर दिया है. उसके मुखपत्र “सामना” ने आज शनिवार के अंक में इस घोड़ा बाजार पर भाजपा पर हमला भी बोल दिया है.
शिवसैनिक बने सीएम : बाला साहेब का यह सपना पूरा करना है
ज्ञातव्य है कि राज्य में अपने घटते जनाधार से चिंतित शिवसेना “बाला साहेब ठाकरे का सपना” पूरे करने के लिए इस बार किसी भी तरह से बहुमत जुटाकर महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने के लिए सारी कवायद में जुटा है. उसका कहना है कि बाला साहेब का यह सपना था कि कि एक दिन एक शिवसैनिक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बने. उद्धव ठाकरे कहते रहे हैं हैं कि उन्होंने बाला साहेब से वादा किया है कि एक दिन शिवसेना का सीएम होगा. इस वादे का हवाला देकर शिवसेना भाजपा पर दबाव बना रही थी. हालांकि, भाजपा साथ उसकी डील नाकाम हो गई, तब शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी की ओर रुख किया.
रविवार को फिर होगी सोनिया-शरद की मुलाकात
महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की सरकार बनाने के लिए तीनों दलों के बीच कई बार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष बात हो चुकी है. लेकिन सियासत के इन तीन संभावित दोस्तों के बीच एक दूसरे पर अविश्वास करने के कई कारण हैं तो एक दूसरे के बीच अनर्गल बयानबाजी का कड़वा इतिहास भी है. इस वजह से कई राउंड की बातचीत के बावजूद सरकार गठन का मामला डेड एंड में फंसा है. इस बीच शरद पवार रविवार को एक बार फिर से सोनिया गांधी से मुलाकात करने वाले हैं. इस मुलाकात में एक बार फिर से सरकार गठन की डील की शर्तों पर मंथन होगा.
आसान नहीं है शिवसेना के साथ कांग्रेस-राकांपा के रिश्ते को परवान चढ़ाना
इन तीनों दलों को सरकार गठन के लिए एक साथ लाना कितना मुश्किल है, इसका अंदाजा कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान से लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि कांग्रेस अकेले मुद्दे नहीं सुलझा सकती है, दोनों नेताओं को साथ बैठना ही पड़ेगा. यहां पर दूसरे नेता से खड़गे का तात्पर्य शरद पवार से था.
खड़गे ने कहा है, “सिर्फ कांग्रेस चीजें तय नहीं कर सकती है, एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रविवार को एक साथ बैठेंगे, इस दौरान आगे की कार्रवाई पर चर्चा होगी, ये लोग तय करेंगे कि समस्याएं कैसे सुलझाई जाएं, इसके बाद ही आगे की कार्रवाई हो पाएगी.”