वरिष्ठ नागरिकों को पूर्ण सुरक्षा और संरक्षण दे सरकार : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट

‘अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक संरक्षण एवं कल्याण अधिनियम 2007’ के प्रभावी क्रियान्वयन का आदेश

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक बड़े फैसले के अंतर्गत केंद्र सरकार को अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक संरक्षण एवं कल्याण अधिनियम 2007″ (MWP Act 2007)के प्रभावी क्रियान्वयन का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने इसके लिए केंद्र सरकार को अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए 5 सूत्री दिशानिर्देश भी दिया है. इसके आधार पर कोर्ट ने आगामी 31 जनवरी 2019 तक एडिशनल सॉलिसिटर जेनेरल के माध्यम से केंद्र सरकार को कोर्ट में स्टैटस रिपोर्ट भी दाखिल करने का आदेश दिया है. इस रिपोर्ट के साथ सुप्रीम कोर्ट ने आगे की होने वाली कार्रवाइयों की सूची भी पेश करने का निर्देश दिया है.

जस्टिस मदन बी. लकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता के बेंच ने अपने 28 पृष्ठों के फैसले में मुख्यतः चार सूत्री आदेश के तहत सरकार को आदेश दिया है-
1. सभी वरिष्ठों के लिए पेंशन सुनिश्चित करने,
2. उन्हें आश्रय और संरक्षण प्रदान करने,
3. बुढ़ापे में देखभाल और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने और
4. इससे संबंधित “अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक संरक्षण एवं कल्याण अधिनियम 2007” (MWP Act 2007) का पूर्ण क्रियान्वयन सुनिश्चित करने आदेश दिया है.

डॉ. अश्विनी कुमार की याचिका पर सुनवाई के बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के विद्वान न्यायाधीशों ने यह फैसला सुनाया है. इस फैसले में 5 सूत्री दिशानिर्देशों में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित सरकारों से कहा है कि-
1. जिलावार वृद्धाश्रमों की संख्या एवं उनमें रहने वाले वृद्धों की संख्या और उनकी स्थिति,
2. वृद्धों की देखभाल और उन्हें मिलने वाली चिकित्सा सुविधाओं की विस्तृत जानकारी के साथ स्टैटस रिपोर्ट,
3. प्राप्त इन जानकारियों और स्टैटस रिपोर्ट के आधार पर तैयार कार्ययोजना एवं एमडब्ल्यूपी अधिनियम 2017 के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार करना, ताकि वरिष्ठ नागरिकों को अपने वैधानिक अधिकारों की जानकारी हो सके,
4. चौथे दिशानिर्देश में बताया गया है कि एमडब्ल्यूपी अधिनियम 2017 भारत सरकार को यह अधिकार देता है कि वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन का आदेश दे सकता है. साथ ही केंद्र राज्यों में इसके कार्यान्वयन की समीक्षा भी कर सकता है. और
5. अंत में केंद्र और राज्य सरकारओं से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे इस बात का ध्यान रखें कि इसके क्रियान्वयन में अन्य योजनाओं के प्रावधानों का दोहरा लाभ किसी को न मिले. साथ ही पेंशन की राशि अधिकाधिक वास्तविक जरूरतों के मुताबिक़ हो, मात्र औपचारिक पेंशन न हो.

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