फर्जीवाड़ा करोड़ों का : बिगड़ा NEERI का ही पर्यावरण

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फर्जीवाड़ा

डायरेक्टर सहित 13 अफसरों को CVC ने किया दिल्ली तलब

नागपुर : भारत सरकार का नागपुर स्थित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पर्वावरण अभियांत्रिकी एवं अनुसंधान संस्थान ( NEERI) अचानक घोटाला और फर्जीवाड़ा जैसे विवादों में घिर गया है. यह शिकायत केंद्रीय विजीलेंस कमीशन (CVC) को मिलते ही उसने NEERI के डायरेक्टर राकेश कुमार सहित संस्थान के 13 सम्बंधित अफसरों को दिल्ली तलब किया है. इनमें कुछ गवाह के रूप में भी बुलाए गए हैं. CVC ने एक फैक्ट फाइंडिंग कमिटी का गठन कर उसे प्राथमिक जांच का जिम्मा सौंप दिया है.

फर्जीवाड़ा
NEERI के डायरेक्टर राकेश कुमार

फर्जीवाड़ा 20 करोड़ का  
यह फर्जीवाड़ा करीब 20 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है. CVC को भेजी गई शिकायत में बताया गया है कि NEERI के कई प्रोजेक्ट रिसर्च और कंसल्टेंसी के नाम पर फर्जी कंपनियों को करोड़ों के भुगतान किए गए. ये फर्जी कंपनियां संस्थान के ही अफसरों के रिश्तेदारों के हैं.

फर्जी पते, फर्जी कंपनियां, डेली वेजेज वर्कर है डायरेक्टर
ऐसी कुछ कंपनियों में से एक के कार्यालय का पता उसके मालिक की पत्नी का है. उसकी कंपनी रिसेलर वर्क्स कांट्रैक्टर का काम करती है, जबकि NEERI में अपने को अनुसंधान सेवाएं देने वाली कंपनी दिखाया है. एक कंपनी मेसर्स WTERT का रजिस्ट्रेशन NEERI के जोनल सेंटर ऑफिस, मुंबई के पते का पर है. लेकिन  NEERI को मुख्यालय को इसकी कोई जानकारी नहीं है. फर्जीवाड़ा वाले इनमें से कुछ कंपनियों के डायरेक्टर तो NEERI में ही कार्यरत डेली वेजेज कर्मी हैं. ऐसी सभी फर्जी कंपनियों को विभिन्न मदों में करोड़ों रुपए का भुगतान किया जाता रहा है.  

ऐसे हुआ पर्दाफास
संस्थान में चल रहे इस फर्जीवाड़े को NEERI में पर्चेज और स्टोर के प्रमुख संजय सुमन ने उजागर किया. यह दायित्व संभालने के बाद उनके ध्यान में कुछ गड़बड़ियां सामने आईं. जब उन्होंने गहराई से पड़ताल शुरू की तो मामले सामने आने लगे. पहले तो उन्होंने अपने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी. उनका रवैया देख उन्हें संदेह हुआ, फिर उन्होंने  NEERIके डायरेक्टर राकेश कुमार को बताई. उनसे भी जब निराशा हुई हुई, तब उन्होंने सारे कच्चे चिट्ठे की फ़ाइल तैयार कर सीधे सेन्ट्रल विजिलेंस कमीशन (CVC) को फाइल भेज दी. इसके बाद अब CVC ने जांच शुरू कर दी है.

NEERI है क्या, क्या करती है…?  
NEERI भारत सरकार की पर्यावरण प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रतष्ठित अनुसंस्थान संस्थान है
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद से संबद्ध नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण अभि‍यांत्रिकी अनुसंधान संस्‍थान (CSIR- NEERI) भारत सरकार द्वारा बनाया और वित्त पोषित एक शोध संस्थान है. इसकी स्थापना 1958 में नागपुर में पानी की आपूर्ति, सीवेज निपटान, संचारी रोगों और कुछ हद तक औद्योगिक प्रदूषण और व्यावसायिक रोगों पर ध्यान देने के साथ की गई थी, जो स्वतंत्र भारत के बाद पाए गए.

नीरी अब पर्यावरण विज्ञान एवं अभि‍यांत्रिकी के क्षेत्र में एक अग्रणी प्रयोगशाला है और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की घटक प्रयोगशाला है. देश की इस प्रतिष्ठित संस्थान की चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में पाँच ज़ोनल प्रयोगशालाएँ हैं. नीरी केंद्रीय सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (भारत) के अंतर्गत आता है. यह भारत की पीओपी राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना (एनआईपी) में एक महत्वपूर्ण भागीदार संगठन है.

संस्थान ने मुख्य रूप से जल प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए अपनी यात्रा शुरू की, बाद में हवा और भूमि के वातावरण में प्रवेश ने इसे पर्यावरण के सभी प्रमुख क्षेत्रों में शामिल कर दिया.

वर्तमान में, संस्थान, सीएसआईआर के विजन, मिशन और नीति के साथ, वायु प्रदूषण निगरानी और नियंत्रण, जल प्रौद्योगिकी और प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, क्लीनर प्रौद्योगिकी और मॉडलिंग, ऊर्जा और संसाधन प्रबंधन सहित अनुसंधान और विकास के लिए भरोसेमंद क्षेत्रों का परिसीमन किया.

भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने वर्ष 1974 में राष्ट्रीय पर्यावरण अभि‍यांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के रूप में संस्थान को फिर से प्रतिष्ठित किया. राष्ट्रीय पर्यावरण अभि‍यांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी), नागपुर इसके अलावा पर्यावरण विज्ञान एवं अभि‍यांत्रिकी में अनुसंधान, नवाचारों के लिए और उद्योग, सरकार तथा जनता की समस्याओं का समाधान समर्पित है.  

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