चंद्रकांत

चंद्रकांत भाई पोपट : हर दिल अजीज समाजसेवी

अमरावती जीवन शैली
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तुझे मिले जन्मदिन पर हजारों-हजार खुशियां, 
तुम जो चाहो रब से, वो पल भर में मंजूर हो जाए.
 

  
*सुरेश वसाणी-
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, 
किसीका दर्द हो सके तो ले उधार, 
किसीके वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, 
जीना इसी का नाम है…

सिने पार्श्व गायक स्व.मुकेश जी की गाई यह पंक्तियां जब मेरे जेहन में आती है, तब मेरी नजरों के सामने हमारे अजीज चंद्रकांत भाई पोपट का चेहरा दिखाई देता है. क्योंकि, उनका व्यक्तित्व इन पंक्तियों को चरितार्थ करता है. उनके लबों पर भी यह गीत हमेशा उनकी गायकी का हिस्सा भी बनती है, जब वे गीत गायन कार्यक्रमों में होते हैं. 

चंद्रकांत
गीत-संगीत चंद्रकांत भाई पोपट के जीवन में रचा बसा है. जीवन की सारी दुश्वारियों को संगीत के इन्हीं महफिलों में डुबो कर वे अपने जीवन की नैया समाज कार्य और लोगों की मदद में जुटे रहते हैं.

उनकी समाज कार्य के प्रति निष्ठा, मित्रों सहित सभी लोगों के साथ अपनत्व का भाव और सबसे बड़ी बात किसी के भी संकट में अपना या पराए के भेद के बिना तन, मन, धन से उस व्यक्ति की मदद, उनके व्यक्तित्व का पूरा सार इस गीत के इन चार लाइनों में उतरता दिखाई देता है. चंद्रकांत भाई का नाम अमरावती में ही नहीं, बल्कि पूरे विदर्भ में सामाजिक, धार्मिक, व्यवसाय या अन्य क्षेत्र में अपनी पैठ बना चुका है. क्योंकि उनकी मिलनसार शैली हरेक को उनकी तरफ आकर्षित करती है.

11 अक्टूबर 1965 को स्व.मंगल जी भाई तथा स्व.लीलाबेन के यहां दूसरे पुत्ररत्न के रूप में चंद्रकांत भाई का जन्म हुआ. 6 भाई-बहनों में में चंद्रकांत दूसरे नंबर थे. बड़े भाई दिलीप पोपट के मार्गदर्शन में तथा बहन अल्का तन्ना, निता, भाई नरेश, निलेश के सहयोग से उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत की. स्व.मंगल जी भाई के संस्कार उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहे. मनी बाई गुजराती स्कूल में एसएससी तक की शिक्षा ग्रहण की एवं व्यवसाय से जुड़ गए. चंद्रकांत भाई पोपट एवं पोपट परिवार ने रघुवीर के माध्यम से संपूर्ण अमरावती को चटक और मीठे स्वाद का ज्ञान कराया. 

चंद्रकांत भाई का सर्मपण केवल व्यवसाय में ही नहीं, अपितु सामाजिक क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है. हालही उने महाराष्ट्र रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. सामाजिक क्षेत्र में भी तन मन धन से आगे रहते हुए कई समाजसेवी संस्थाओं के साथ कार्य किया और कार्यरत भी हैं. नेत्रदान के क्षेत्र में अग्रणी संस्था हरिना फाउंडेशन के उपाध्यक्ष, खाद्य, पेय विक्रेता मंडल के सचिव, संगीत साधना म्यूजिकल ग्रुप के संस्थापक तथा विश्व लोहाणा महापरिषद, विदर्भ रीजन के अध्यक्ष, लोहाणा महाजन के उपाध्यक्ष, दिव्य योग साधना ट्रस्ट, श्री लोहाणा नवयुवक मंडल, जेसीआई अमरावती सिटी, लायन्स क्लब ऑफ इंद्रपुरी के पूर्व अध्यक्ष रहकर अपनी सेवाएं देते रहे हैं. अभी भी हर समाज कार्य में उनकी सक्रियता और सहभागिता कायम है. 

जिस शाला में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की उसी शाला को संचालित करने वाली दि गुजराथी एज्युकेशन सोसायटी के सक्रीय सदस्य के रूप में शाला के विकास को गति दे रहे हैं. श्री जलाराम सत्संग मंडल, राजापेठ पुलिस स्टेशन शांतता कमिटी के सदस्य के नाते उनके कार्यों की सराहना हर वर्ग में होती है. इसके साथ ही आपने 22 बार रक्तदान शिविर का सफल आयोजन किया, अंध विद्यार्थियों के लिए 19 बार विदर्भ स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन कराया, स्व.मंगल जी भाई पोपट स्मृति में ट्राइसिकल वितरण के साथ वे 11 फरवरी 2018 से प्रति रविवार हरिना फाउंडेशन के सहायता से सफलतम 46 नेत्र जांच एवं चष्मा वितरण शिविरों का आयोजन कर चुके है. 

धन्वंतरी हॉस्पिटल के माध्यम से उन्होंने 60 रोगियों को मोतियाबिंद के ऑपरेशन करवाए, 156 स्थानों पर वृक्षारोपण करवाया, साथ ही अपने बेटे तेजस के विवाह में आने वाले सभी मेहमानों को वृक्ष देकर वृक्षारोपण का महत्व बताया. अमरावती में योग गुरु रामदेव जी के अमरावती शिविर के वे ही संचालक हैं. 

किसी भी कार्यक्रम में मंच पर गाने का मौका मिला तो फिर चंद्रकांत भाई के गीतों और गायिकी का जुनून देखते ही बनता है. अपने मधुर और मनमोहक अंदाज से वे श्रोताओं के दिलों में उतर जाते हैं. वे सिने पार्श्व गायक स्व. मुकेश के गीतों के दीवाने हैं. अब तक उन्होंने स्टेज, लाइव तथा फेसबुक पर आयोजित कार्यक्रमों मे बड़ी खुबसूरती से उनके गीतों को 100 बार से ज्यादा कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया है. संगीत साधना कराओके क्लब की स्थापना कर शहर के कई गायकों को गायकी के लिए वे मंच उपलब्ध करवा चुके हैं. मिलनसार व्यक्तित्व वाले हर दिल अजीज चंद्रकांत भाई में सभी के लिए सदैव मदद का हाथ बढ़ाना मानो उनके रक्त में ही समाया हुआ है. 

विशेष बात यह कि 2010 में हरिना नेत्रदान समिति की स्थापना हुई थी. लेकिन यह संस्था अमरावती जिले में धीमी गति से कार्य कर पा रही थी. 2013 में एक नेत्रदान के सिलसिले में समिति को फोन द्वारा रात 2.30 बजे सूचना मिली. दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड, सभी लोगों ने लगा कि इतनी ठंड में समिति के लोग नहीं पहुंच पाएंगे. लेकिन चंद्रकांत भाई नहीं रुके. वे वहां हाजिर थे. वे समिति से ऐसे जुड़े कि अपने साथ कई लोगों को जोड़ते चले गए. 
 
तन, मन, धन से कार्य करते हुए और नेत्रदान महादान का सन्देश देते हुए वे अनेक लोगों के जीवन का अंधकार मिटाने के लिए नेत्र ज्योति प्रदान करने के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाने में समर्पित भाव से महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. उनकी सक्रियता से नेत्रदान में आज महाराष्ट्र में अमरावती प्रथम क्रमांक पर है. चंद्रकांत भाई नेत्रदान, रक्तदान और अवयव दान के लिए लोगों को प्रेरित करने में सदैव अग्रसर ही दिखाई देते हैं. 
चंद्रकांत भाई पोपट का विवाह 7 फरवरी 1988 को नागपुर की सौ.वीणा बेन के साथ हुआ. जिससे उन्हें एक पुत्री यशश्री एवं  एक पुत्र तेजस है. जीवन के इस चक्र को पार करते हुए चंद्रकांत भाई ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. पत्नी सौ. वीणा बेन का स्वास्थ्य कुछ वर्षों में ठीक नहीं रहता. उनकी देखभाल और परिचर्या में लीन रहने के बावजूद कभी-भी चंद्रकांत भाई अपने चेहरे पर परेशानी का भाव आने नहीं देते और हर रिश्ते को वे सच्चाई से निभाते जा रहे हैं.  

आज उनके जन्मदिन पर, चंद्रकांत भाई के लिए इतना अवश्य कहूंगा-
 
इतनी सी मेरी दुआ है कि तेरी हर दुआ कबूल हो जाए.
तुझे मिले जन्मदिन पर हजारों-हजार खुशियां, 
तुम जो चाहो रब से, वो पल भर में मंजूर हो जाए.
 

-सुरेश वसाणी, अमरावती
अध्यक्ष, लोहाणा महापरिषद,
पर्यावरण समिति (विदर्भ).
 

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