दशहरा रैली पर काले बादल, फिर टूटेंगे उद्धव के सांसद, विधायक..!

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*कल्याण कुमार सिन्हा- 
दावेदारी की सियासत : महाराष्ट्र में शिवसेना के दावेदारों उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच का घमासान जारी है. दोनों नेताओं के बीच असली शिवसेना की दावेदारी के साथ शिवाजी पार्क की दशहरा रैली भी दोनों के अस्तित्व के लिए भी जरूरी हो गया है.

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शिवसेना की शिवाजी पार्क पर पहले की दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे.

इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बनाम शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की अदालती जंग पर सुनवाई की तारीख इसी महीने की 27 सितंबर मुकर्रर हो गई है. सुप्रीम कोर्ट का संवैधानिक बेंच राज्य के सियासी संकट से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करने जा रहा है. खबर है कि शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल की तरफ से मामले में तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया था.

चुनाव चिह्न, 16 एमएलए की अयोग्यता पर छिड़ा सियासी युद्ध

शिंदे कैंप की तरफ से ‘असली शिवसेना’ की मान्यता पाने के लिए आवेदन किया गया था. इसमें शिवसेना का चुनाव चिह्न ‘तीर और धनुष’ दांव पर लगा हुआ है. इस पर शीर्ष न्यायालय ने भारत चुनाव आयोग को पत्र भेजकर आवेदन पर फैसले नहीं करने के आदेश दिए थे. साथ ही कोर्ट ने मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया था. अब यह सुनवाई 27 सितंबर को होगी, जिसमें शिंदे गुट ने भी 16 विधायकों के खिलाफ जारी अयोग्यता के नोटिस की वैधता पर भी विचार होगा.

एक सांसद, दो विधायक सहित 15 शिंदे सेना में आएंगे

इस बीच चर्चा है कि शिंदे गुट उद्धव ठाकरे को घुटने पर लाने की तैयारी कर रहा है. बताया गया कि विजयादशमी के मौके पर उद्धव गुट के करीब 15 नेता एकनाथ शिंदे के समर्थन में आ सकते हैं. इन नेताओं में एक सांसद, दो विधायक और लगभग 5 पूर्व पार्षद के होने की बात कही जा रही है. इसके अलावा उद्धव गुट के कुछ और नेता, जो विभिन्न निगमों पर पदासीन हैं या किसी और पद पर हैं, शिंदे गुट के साथ आने को तैयार बताए जा रहे हैं.  

शिवाजी पार्क में विजयादशमी की रैली रोकने पर आमादा

इतना ही नहीं, एकनाथ शिंदे गुट ने तो उद्धव ठाकरे खेमे को शिवाजी पार्क में विजयादशमी की रैली संबोधित करने से रोकने के लिए भी पूरी फिल्डिंग सजा ली है. शिवाजी पार्क में दशहरा रैली न हो पाए, ऐसे जुगत भी किए जा रहे हैं. 1966 में शिवसेना की स्थापना हुई थी और तब से ही दशहरे की रैली को बाला साहब ठाकरे संबोधित किया करते थे, जैसे हर वर्ष 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री का भाषण होता है. बाद में शिवसेना प्रमुख के नाते उद्धव का भाषण होता आया. यह शिवसेना का बड़ा और महत्वपूर्ण आयोजन होता है.

शिवाजी पार्क पर दशहरा रैली का नहीं होना, उद्धव गुट के लिए बहुत बड़ा झटका सिद्ध होगा. एक ओर उद्धव पर शिवसेना चुनाव चिह्न छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है, दूसरी ओर दशहरा रैली की परंपरागत जगह से उन्हें महरूम करने की तैयारी है. शिंदे गुट अपने आप को असली शिवसेना साबित करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आ रहा है.

पुराने सहयोगियों पर भी डोरे डालने की कोशिश तेज

यदि उद्धव के विधायक टूटते हैं तो फिर एकनाथ शिंदे खेमे में विधायकों की संख्या 42 से 43 तक हो सकती है. उद्धव ठाकरे ग्रुप के कई नेताओं को तोड़ने के बाद अब एकनाथ शिंदे गुट की कोशिश उनके करीबी नेताओं को भी अपने पाले में लाने की है. शिंदे ने उद्धव ठाकरे के कई पुराने सहयोगियों पर भी डोरे डालने की कोशिश तेज कर दी है.

बता दें कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पार्टी को लेकर भी कलह तेज हो गई है. दोनों ही गुटों ने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में अर्जी दाखिल कर शिवसेना पर अपना दावा ठोका है. चुनाव आयोग में अर्जी डालकर दोनों पक्षों ने शिवसेना के चिह्न तीर और धनुष पर दावा ठोका है.  

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