ड्राई टेस्टिंग : Good News कोरोना संक्रमण की जांच की बड़ी खोज

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ड्राई टेस्टिंग

नीरी के वैज्ञानिकों ने इजाद की संक्रमण जांच की सुरक्षित और कम खर्चीली प्रणाली

नागपुर : कोरोना संक्रमण जितनी तेजी से फैलता है, इसकी जांच कर संक्रमण का जल्द से जल्द पता चलाना भी बहुत जरूरी हो गया है. इसमें अच्छी खबर यही कि इस दिशा में हमारी स्वदेशी वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थानों ने पहले ही उपाय ढूंढ निकाला है. 

इस दिशा में भारत सरकार के नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी), नागपुर ने अद्भुत सफलता प्राप्त कर ली थी. नीरी के वैज्ञानिकों ने स्वाब टेस्टिंग का बहुत ही सहज और कम खर्चीली टेस्टिंग प्रणाली विकसित करने में सफलता पहले ही प्राप्त कर ली है. नीरी के विषाणु विशेषज्ञों ने स्वाब टेस्टिंग की जगह ड्राई टेस्टिंग प्रणाली से मात्र तीन घंटे में सटीक परिणाम पाने का दावा किया है. नीरी के अनुसार इस प्रणाली से अभी तक 54 हजार जांच किए जा चुके हैं. इधर नीरी की मातृ संस्थान राष्ट्रीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने भी कोरोना संक्रमण के ड्राई टेस्टिंग को पहले ही हरी झंडी दिखा चुकी है. 

नीरी के पर्यावरण विषाणु विभाग के प्रमुख डॉ. कृष्णा खैरनार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, नमूने की ड्राई टेस्टिंग प्रणाली से न केवल समय की बचत हो रही है, बल्कि टेस्ट करने वाले के लिए भी बिलकुल सुरक्षित है. इसमें संक्रमण का कोई खतरा ही नहीं है. इसके साथ ही ड्राई टेस्टिंग में टेस्ट करने का खर्च भी आधा ही आता है.

डॉ. खैरनार के अनुसार इस प्रणाली में द्रव (तरल) स्वाब की जरूरत ही नहीं होती. इस कारण टेस्ट करने वाले के लिए संक्रमण का खतरा शून्य हो गया है. इस प्रणाली में 4 डिग्री सेल्सियस पर एक खाली टेस्ट ट्यूब का उपयोग जांच के लिए किया जाता है. इससे संक्रमण की खतरा समाप्त हो गया है.

डॉ. खैरनार ने बताया कि इस प्रणाली का उपयोग फिलहाल नीरी की प्रयोगशाला में ही हो रहा है. लेकिन अभी नागपुर समेत देश की 40 प्रयोगशाला के लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने कहा कि अभी तक देश के अन्य जिलों ने इस ड्राई टेस्टिंग प्रणाली में विशेष रुचि नहीं दिखाई है. जबकि इससे न केवल जांच का खर्च बचता है, बल्कि जांच करने वाले के लिए संक्रमण का खतरा बिलकुल नहीं रहता.

इधर नागपुर महानगर पालिका से सम्बद्ध प्रयोगशालाओं में भी फिलहाल इस प्रणाली का उपयोग शुरू नहीं किया गया है. महानगर पालिका के आयुक्त राधाकृष्णन बी के हवाले बताया गया कि इस नई प्रणाली के संबंध में फिर से राष्ट्रीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है.

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