राजद्रोह कानून के तहत कोई नया केस दर्ज करने पर रोक

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राजद्रोह कानून

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, राजद्रोह कानून धारा 124A पर पुनर्विचार करने की इजाजत

सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर चार अहम बातें कही-

– पहला, फिलहाल कोई मुकदमा इस मामले में दर्ज नहीं होगा.

– दूसरा, पेंडिग मामलों में जो मुकदमे इस धारा के तहत दर्ज है उन्हे ठंडे बस्ते में रखा जाएगा.

– तीसरा, जो लोग 124A के तहत जेल में बंद हैं, वो जमानत के लिए कोर्ट में जाएं.

– चौथा, ये सारे आदेश तब तक लागू रहेंगे, जब तक कोर्ट कोई अगला आदेश न दे या फिर सरकार इस पर कोई फैसला न ले ले.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला देते हुए राजद्रोह कानून (Sediton Law) के तहत कोई नया केस दर्ज करने पर रोक लगा दी. चीफ जस्टिस एन.वी. रमणा की बेंच ने केंद्र सरकार को देशद्रोह कानून धारा 124A पर पुनर्विचार करने की इजाजत देते हुए कहा कि इस प्रावधान का उपयोग तब तक करना उचित नहीं होगा, जब तक कि इस पुनर्विचार की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती.

उन्होंने उम्मीद जताई कि 124ए पर फिर से विचार की प्रक्रिया पूरी होने तक न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार इसके तहत केस दर्ज करेगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि जो लोग 124A के तहत जेल में बंद हैं, वो जमानत के लिए कोर्ट में जाएं.

राजद्रोह कानून (Sediton Law) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. अब प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जुलाई में सुनवाई होगी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दी दलील

केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जब तक केंद्र ब्रिटिश काल के कानून की फिर से जांच नहीं करता तब तक राजद्रोह कानून के प्रावधान पर रोक लगाना सही दृष्टिकोण नहीं हो सकता है. इसके साथ ही उन्होंने ने यह भी बताया कि हमने राज्य सरकारों को जारी किए जाने वाले निर्देश का मसौदा तैयार किया है और उसके मुताबिक राज्य सरकारों को स्पष्ट निर्देश होगा कि पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी की मंजूरी के बिना राजद्रोह संबंधी धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी.

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