बेहद निराश हैं ईपीएस 95 के पेंशनर्स बजट से

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मोदी सरकार ने झूठी खबरें फैलाकर देश के गरीब बुजुर्ग सेवानिवृत्तों का मजाक ही उड़ाया है

 
*दादा झोड़े-
प्रतिक्रिया : केंद्रीय बजट ने इस वर्ष एक बार फिर ईपीएस 95 के पेंशनर्स को बेहद निराश किया है. वयोवृद्ध पेंशनर्स को इस साल के बजट में पेंशन वृद्धि से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा 1 फरवरी, 2022 को पेश किए गए बजट ने सेवानिवृत्त लोगों को फिर निराश किया.

देश में करीब 30 लाख सेवानिवृत्त लोगों को 1000/- रुपए से कम पेंशन मिल रहा है. यह पेंशन बुजुर्ग सेवानिवृत्त लोगों के लिए दवा और पानी की लागत को कवर नहीं करता. अनेक लोग अपने जीवन के अंतिम समय में अत्यंत दयनीय जीवन जी रहे हैं. पिछले तीन-चार साल में करीब 3 से 3.5 लाख सेवानिवृत्त लोगों की मौत हुई है. कोरोना काल में भी सरकार ने इन सेवानिवृत्त लोगों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी.

बजट पेश होने से पहले और देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, मीडिया में अफवाहें चल रही थीं कि पेंशन को बढ़ाकर 9,000 रुपए और दोगुना कर दिया जाएगा. इस तरह मोदी सरकार ने बजट में झूठी खबरें फैलाकर और कद्दू देकर देश के गरीब बुजुर्ग सेवानिवृत्त लोगों का मजाक ही उड़ाया है, धोखा दिया है, बेहद निराश भी किया है.

वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में भी मारी कैंची..!
कई सेवानिवृत्त, सेवानिवृत्ति के बाद या बैंक के ब्याज पर अपनी आजीविका चलाते हैं. इसलिए जब 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई, तो ऐसे माननीय बुजुर्गों के लिए मोदी सरकार ने वरिष्ठ नागरिक बचत योजना शुरू की. सब्जबाग दिखाए. डाकघरों में 10 लाख रुपए की बचत कर 7.5 हजार रुपए प्रतिमाह पाएं. फिर 15 लाख रुपए तक निवेश करें और 9.20% ब्याज दर प्राप्त करें, अगर आप इस योजना में 15 लाख रुपए का निवेश करते हैं तो आपको तीन महीने में 32,625 रुपए मिलेंगे, यानी 10625 रुपए प्रति माह.  

घटा दिया ब्याज दर, छीन लिया बुजुर्गों से आय का स्रोत
मोदी सरकार ने शुरू में इस योजना को लेकर बड़ा शोर भी मचाया. लेकिन बाद में ब्याज दर को 9.20 फीसदी से घटाकर 8.3 फीसदी और बाद में 7.4 फीसदी कर दिया. यह भी सेवानिवृत वयोवृद्धों के लिए बेहद निराश करने वाली और अफसोस जनक बात है. सभी (विधायकों, सांसदों, केंद्र सरकार के कर्मचारियों, राज्य सरकार के कर्मचारियों, आदि) के लिए बढ़ती पेंशन बढ़ती महंगाई पर भत्ते के साथ दिया जा रहा है. लेकिन मोदी सरकार ने अपनी स्वघोषित इस योजना पर ब्याज दरों में कमी कर एवं ईपीएस 95 सेवानिवृत्त लोगों की मासिक आय को और घटा कर उनकी दुर्दशा ही की है. यह बेहद शर्मनाक है.

मुख्य रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए शुरू की गई इस योजना में ब्याज दरों को कम क्यों किया गया, यह मोदी सरकार ने कभी नहीं बताया. मोदी सरकार ने इन सेवानिवृत्त लोगों के साथ न केवल बेहद अन्याय किया है, बल्कि इन लोगों की अल्प पेंशन को बढ़ाए बिना मिलने वाले ब्याज की राशि को कम करके उनके साथ बहुत बड़ा अपराध किया है.

रिव्यु पिटीशन से फंसा रखा है मोदी सरकार ने
भारतीय जनता पार्टी की भूमिका भी क्या अब “जरूरतमंद और वृद्धों को मारना” ही रह गई है? जब वह विपक्ष में थी, तो इसी भारतीय जनता पार्टी के नेता ईपीएस पेंशनरों की पेंशन बढ़ाने के आंदोलन करते थे. वादा किया था कि अगर 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार सत्ता में आई तो 90 दिनों के भीतर पेंशन वृद्धि का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा. लेकिन फिर सत्ता पाते ही अपने इस वादे को भुला दिया. इतना ही नहीं, देश की शीर्ष अदालत और अनेक हाईकोर्ट से जब इन पेंशनरों को न्यायपूर्ण पेंशन देने के आदेश दिए गए तो मोदी सरकार ने उस पर भी पेंच मार कर उसे रिव्यु पिटीशन से फंसा रखा है.

विकास की दिशा में ले जाने की बातें भ्रामक
देश के बुजुर्ग बिना दवा, बिना समुचित इलाज के मर रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे अमीर पार्टी बनती जा रही है. अगर घर के बुजुर्ग बुजुर्ग और देश के वरिष्ठ नागरिक उपेक्षित और दयनीय हैं तो देश को विकास की दिशा में ले जाने की इनकी बातें निश्चित रूप से भ्रामक हैं.

अब जब इन गरीब वृद्ध सेवानिवृत्त लोगों को यह महसूस हो रहा है कि मतदान की आवश्यकता समाप्त हो गई है. तो उन्होंने मतदान का बहिष्कार करने या “नोटा” अपनाने का फैसला कर लिया है. इसलिए अब मोदी सरकार और उनकी भारतीय जनता पार्टी को इन गरीब वृद्ध सेवानिवृत्त लोगों के लिए और अधिक चिंता करने का दिखावा करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

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