देश के 74 वें स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाओं के साथ

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प्रस्तुत है महत्त्व की कुछ जानकारियां, जिन्हें प्रत्येक भारतीयों को जानना चाहिए

हमारा यह महान गणतंत्र स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध रहे, देश के तमाम नागरिक खुशहाल रहें, किसान-श्रमिक खुशहाल बनें, देश की प्रगति चतुर्दिक खुशहाली लाए, तमाम आपदाओं पर हमेशा पारपाने को हम सक्षम रहें, भारत भूमि का मान-सम्मान दुनिया में बढ़ता रहे, भारत पुनः विश्व गुरु बने, हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से तरक्की करे और जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में भारत अभूतपूर्व तरक्की करे.
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देश आज अपना 74वां आज़ादी दिवस मना रहा है. भारतीय के इतिहास का यह सबसे महत्वपूर्ण दिन है. भारत कई धर्म और विविधता वाला देश है, जिसमें तरह-तरह के धर्मों, भाषाओं, जाति और पंथ के लोग एक साथ सद्भाव में रहते हैं. आपने स्वतंत्रता सेनानियों की वीर गाथा, हमारी स्वतंत्रता के लिए कुर्बानियों का इतिहास है.

जय हिन्द, विदर्भ आपला की ओर से सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारा यह महान गणतंत्र स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध रहे, देश के तमाम नागरिक खुशहाल रहें, किसान-श्रमिक खुशहाल बनें, देश की प्रगति चतुर्दिक खुशहाली लाए, तमाम आपदाओं पर हमेशा पारपाने को हम सक्षम रहें, भारत भूमि का मान-सम्मान दुनिया में बढ़ता रहे, भारत पुनः विश्व गुरु बने, हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से तरक्की करे और जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में भारत अभूतपूर्व तरक्की करे. हृदय से ऐसी कामना के साथ प्रस्तुत है-

74 वर्ष पूर्व प्राप्त अपनी सवतंत्रता दिवस से जुड़ी कुछ महत्त्व की बातें-  

-15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली थी, तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे. क्योंकि उस समय वह दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुई थीं और राष्ट्रपिता उस हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे.
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– जब तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आजाद होगा तो जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को ख़त भेजा. इस ख़त में लिखा था, “15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं. इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें.”

– गांधी ने इस ख़त का जवाब भिजवाया, “जब कलकत्ते में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं. मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा.”

भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली स्थित संविधान हॉल में 14 अगस्त को 11 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की. इस सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की. इस सत्र में जवाहर लाल नेहरू ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” यानि “नियति से वादा” नामक भाषण दिया.

-हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं. लेकिन 15 अगस्त 1947 को ऐसा नहीं हुआ था। लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.

-15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली थी तब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इस जश्न में शामिल नहीं हुए थे, क्योंकि उस समय वह दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे.

-15 अगस्त 1947 तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फ़ैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ था.

-देश 15 अगस्त को आज़ाद जरूर हो गया, लेकिन उसका अपना कोई राष्ट्र गान नहीं था. रवींद्रनाथ टैगोर जन-गण-मन 1911 में ही लिख चुके थे, लेकिन यह राष्ट्रगान 1950 में ही बन पाया.

-आजादी के समय सैंकड़ों ऐसी रियासतें थीं, जिनको इस बात का निर्णय करना था कि उन्हें भारत के साथ जाना है या पाकिस्तान के साथ, अधिकतर ने भारत के साथ आने का निर्णय किया.

-भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख ही क्यों चुनी गई थी? इसका कारण यह था- ब्रिटिश संसद ने लॉर्ड माउंटबेटन को साल 1947 में भारत के आखिरी वायसराय के तौर पर नियुक्त किया गया था और उन्होंने ही भारत की आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख का चयन किया था.

-कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख को शुभ मानते थे. इसीलिए उसने इस तारीख का चयन भारत की आजादी के लिए किया था. दरअसल 15 अगस्त लॉर्ड माउंटबेटन के लिए इसलिए शुभ था, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के समय वह संयुक्त सेना का कमांडर थे और 15 अगस्त, 1945 को जापानी सेना ने उसके समक्ष आत्मसमर्पण किया था.

-15 अगस्त को भारत आजाद क्यों किया गया इसके बारे में कुछ इतिहासकारों ने यह भी कहा है कि लॉर्ड माउंटबेटन ने इस तारीख का चयन सी. राजगोपालाचारी के सुझाव पर किया. दरअसल ब्रिटिश सरकार की पहले की योजना के तहत भारत को 30 जून 1948 को आजाद किया जाना था, लेकिन जिस तरह भारत में अंग्रेज हुकूमत का विरोध तेज होता जा रहा था, उसको देखते हुए सी राजगोपालाचारी ने लॉर्ड माउंटबेटन से कहा था कि अगर 30 जून 1948 तक इंतजार किया गया तो हस्तांतरित करने के लिए कोई सत्ता नहीं बचेगी. ऐसे में अब लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त की तारीख भारत की आजादी के लिए चुनी.

-लॉर्ड माउंटबेटन इसलिए भी परेशान थे, क्योंकि उस समय जिन्ना और नेहरू के बीच देश बंटवारे को लेकर मतभेद खुल कर सामने आ गए थे. जिन्ना ने अलग देश बनाने की मांग कर दी, जिसके चलते देश के विभिन्न भागों में साम्प्रदायिक झगड़े शुरू हो गए. इससे पहले कि हालात और बिगड़ते, आजादी 1948 में देने की योजना में बदलाव करते हुए 1947 में ही भारत को आजादी दे दी गई.

-देश की आजादी का दिन जब 15 अगस्त तय हो गया तो इसके बाद ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस में इंडियन इंडिपेंडेंस बिल 4 जुलाई 1947 को पेश किया गया. इस बिल में भारत के बंटवारे और पाकिस्तान के बनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया था. यह बिल 18 जुलाई 1947 को मंजूर हुआ और 14 अगस्त को विभाजन के बाद 15 अगस्त 1947 को मध्यरात्रि 12 बजे भारत की आजादी का ऐलान किया गया.

-जब लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय कर दी तो देश के ज्योतिषियों ने इसका विरोध किया था. यह विरोध इसलिए हो रहा था, क्योंकि यह शुभ दिन नहीं माना जा रहा था. फटाफट लॉर्ड माउंटबेटन को कुछ और तारीखों का सुझाव दिया गया, लेकिन लॉर्ड माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर अड़ गए. तब ज्योतिषियों ने एक बीच का रास्ता निकाला और 14 तथा 15 अगस्त की रात 12 बजे का समय तय किया गया. इससे दोनों पक्षों की बात रह गई. अंग्रेजों के हिसाब से दिन 12 AM पर शुरू होता है और हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सूर्योदय होने पर नया दिन माना जाता है. इस तरह 15 अगस्त की सुबह भारत के लिए शुभ सवेरा लेकर आई.

-ज्योतिषियों ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भी कहा था कि वह आजादी मिलने पर अपना ऐतिहासिक भाषण अभिजीत मुहूर्त (11:51 PM से 12:39 AM) के बीच में ही दें. नेहरू जी ने इसका पालन करते हुए अपना भाषण समय पर समाप्त कर दिया, जिसके बाद शंखनाद किया गया.

-15 अगस्त 1947 को सुबह 8.30 बजे गवर्नमेंट हाउस पर गवर्नर जनरल और मंत्रियों का शपथ समारोह आयोजित किया गया, उसके बाद गवर्नर जनरल को शाही सलाम दिया गया और संवैधानिक सभा में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

-15 अगस्त 1947 को इंडिया गेट पर झंडा समारोह आयोजित किया गया, आतिशबाजी की गई और गवर्नमेंट हाउस पर आधिकारिक रात्रि भोज दिया गया.

– जवाहर लाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टनी’ 14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था. तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे. इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे सोने चले गए थे.

-15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ्तर में काम किया. दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया.

-हर स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं. लेकिन 15 अगस्त, 1947 को ऐसा नहीं हुआ था. लोकसभा सचिवालय के एक शोध पत्र के मुताबिक नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया था.

-15 अगस्त भारत के अलावा तीन अन्य देशों का भी स्वतंत्रता दिवस है. दक्षिण कोरिया को जापान से 15 अगस्त, 1945 को आजादी मिली. ब्रिटेन से बहरीन 15 अगस्त, 1971 को और फ्रांस से कांगो 15 अगस्त, 1960 को स्वतन्त्र हुआ.

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