60 लाख से अधिक वयोवृद्धों को उच्च पेंशन पाने के वैधानिक अधिकार पर अभी भी लगाए हुए है अड़ंगा
नागपुर : पिछले 3 वर्षों में देश के 1,54,003 पेंशनर्स HIgher Pension की राह तकते हुए चल बसे. ऐसी दु:खदायी स्थिति आई है तो बस EPFO की उस बदनीयति से, जिसने पेंशन स्कीम में वर्ष 1996 के संशोधन के बावजूद हर बार अड़ंगा लगाते हुए और हाईकोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ठुकराते हुए वयोवृद्धों को अभी भी Higher Pension से वंचित कर रखा है. गरीबी और आर्थिक बदहाली की मार झेल रहे देश के वरिष्ठ नागरिक दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक सुरक्षा स्कीम चलाने का दम भरने वाले भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के अधीन बनाए गए इस संगठन को अभी भी शर्म नहीं आई है.
इस आशय का एक पत्र एक बार फिर EPF-95 स्कीम के पेंशनरों के योद्धा दादा झोड़े ने प्रधानमंत्री और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को भेजा है. झोड़े मातोश्री जनसेवा सामाजिक बहुद्देशीय संस्था, नागपुर के अध्यक्ष भी हैं. उन्होंने ऐसे पत्र देश की सरकार के मुखिया और देश की सबसे ऊंची अदालत के प्रमुख को पहले भी भेज कर लाखों की संख्या में पेंशनर्स के इस वैधानिक अधिकार के साथ EPFO के ऐसे रवैये की ओर ध्यान दिला चुके हैं.
उन्होंने एक बार फिर सविस्तार उन्हें बताया है कि Higher Pension देने के 1996 के ही निर्णय को लागू करने में EPFO कैसी-कैसी चालें चलता रहा है. साथ ही यह कब-कब और किस प्रकार कभी नियम में गलत ढंग से फेरबदल कर, नए नोटिफिकेशन जारी कर, कभी केरल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की अवहेलना करने में जुटा रहा है. मात्र 500-700 रुपए पेंशन पर आजीविका चलाने पर मजबूर 1,54,003 वरिष्ठ नागरिकों की आर्थिक बदहाली के बीच प्राण गंवाने का ह्रदय उद्वेलित करने वाला यह आंकड़ा भी EPFO ही स्वयं बयान कर गया है. सहज ही समझने वाली बात है कि जीवन भर निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अपनी सेवाएं देकर रिटायर हुए वरिष्ठ नागगरिक मामूली सी पेंशन की रकम में कैसे जीवनयापन करते रहे हैं.
इन्हीं कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि और पेंशन के नाम पर प्रत्येक महीने की कटौती की रकम में से ही EPFO अपने मोटे वेतन पाने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रत्येक माह 2000 रुपए चिकित्सा भत्ता देता है. लेकिन जिनके पैसे पर ये ऐश कर रहे हैं, उन्हें पूरे महीने आजीविका चलाने के लिए पर्याप्त पेंशन से भी वंचित कर रखा है.