पुलगांव (वर्धा) : मराठा समाज की आरक्षण की मांग का पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एवं अन्य दलों ने समर्थन किया था. इसके बाद राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार ने मराठा समाज के लिए 13% आरक्षण की घोषणा की थी. किंतु वर्तमान मे इस आरक्षण पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है
मराठा समाज, वर्धा जिला की ओर से समाज को फिर आरक्षण देने एवं अपनी अन्य मांगों का एक ज्ञापन का निवेदन जिलाधिकारी के मार्फत राज्य शाशन को दिया गया. जिसमे प्रमुख मांगे-
1. सर्वोच्च न्यायालया ने SEBC मराठा आरक्षण का विषय संविधान पीठ को सुपूर्द कर रोक लगा दी है, उसे हटवाई जाए और घोषित आरक्षण पूर्ववत की जाए.
2. मराठा समाज के व्यक्ति को परडी अत्याचार की घटना में सत्र न्यायालय ने आरोपी को दंड दिया है, जिस पर उच्च न्यायालय मे सुनवाई चल रही है, उच्च न्यायालय उस पर शीघ्र निर्णय दे
3. सारथी संस्था के माध्यम से मराठा विध्यार्थी को विविध व्यवसाय संबंधी प्रशिक्षण देकर जिला स्तर पर एक समिति गठीत करे, ताकी मराठा समाज के युवा को उसका लाभ मिले
4. अण्णा साहेब महामंडल पर स्थानीय समिति गठित कर लाभ देने की उपाय योजना लागू करें
5. मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले सभी लोगों पर दायर केस वापस ली जाए.
इनके साथ ही अन्य मांगों का निवेदन दिया गया. निवेदन देते समय जिला अध्यक्ष दीपक कदम, मार्गदर्शक सुरेंद्र जगदाले, पूखराज मापारी, वर्धा शहर अध्यक्ष अरुण जगताप, जिला उपाध्यक्ष चंद्रकांत पवार, जिला प्रचार प्रमुख दिलीप चव्हाण, प्रा वामन पवार, राजेश चिखलठाने, भोसले, महिला अध्यक्ष रोहिणी बाबर, रंजना पवार, अधिवक्ता अभय शिंदे आदि अनेक मान्यवर उपस्थित थे
मराठा आरक्षण के लिए फिर एकजुट हुए सभी दल
दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से तमाम बार ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण पर लगी रोक हटाई जा सके. सरकार की इस कोशिश को राज्य की महाअघाड़ी में शामिल दलों के साथ-साथ भाजपा ने भी अपना समर्थन दिया है. साल 2018 में महाराष्ट्र की विधानसभा ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने का कानून पास किया था, जिसे राज्यपाल की भी मंजूरी मिली थी.
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव सरकार ने उतारी वकीलों की फौज
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मराठा आरक्षण पर लगी रोक को हटवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी. मराठा आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कई सीनियर वकीलों को खड़ा किया है. इसमें वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी समेत केंद्र सरकार के साथ काम कर चुके तमाम अधिवक्ता शामिल हैं.