केंद्रीय मंत्रिमंडल में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के गठन का प्रस्ताव पारित
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बुधवार को लोकसभा में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट का गठन कर दिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस पर फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने का समय दिया था. यह मियाद 9 फरवरी को समाप्त होने वाली थी.
प्रधानमंत्री ने संसद में कहा, “आज सुबह हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए इस दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं. मेरी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार श्रीराम जन्मस्थली पर भगवान श्रीराम के भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए और इससे संबंधित अन्य विषयों के लिए एक वृहद योजना तैयार की है.”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार एक स्वायत्त ट्रस्ट ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन का प्रस्ताव पारित किया गया है. ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य और दिव्य श्री राम मंदिर के निर्माण और उससे संबंधित विषयों पर निर्णय लेने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होगा.”
प्रधानमंत्री ने बताया, “सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार गहन विचार-विमर्श और संवाद के बाद अयोध्या में पांच एकड़ ज़मीन सुन्नी वक़्फ बोर्ड को आवंटित करने का अनुरोध उत्तर प्रदेश सरकार से किया गया. इस पर राज्य सरकार ने भी अपनी सहमति प्रदान कर दी है.”
चारों मठों के शंकराचार्य हाेंगे ट्रस्ट में शामिल
सूत्रों के अनुसार, आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों मठों के शंकराचार्य ट्रस्ट में शामिल होंगे. अयोध्या से महंत नृत्य गोपाल दास, दिगंबर अनी अखाड़े के महंत सुरेश दास, निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास, गोरक्षपीठ गोरखपुर के प्रतिनिधि, कर्नाटक के उडुपी पेजावर मठ के प्रतिनिधि, विहिप से ओम प्रकाश सिंघल, उपाध्यक्ष चंपतराय, राम मंदिर आंदोलन को आमजन तक पहुंचाने वाले दिवंगत अशोक सिंघल के भतीजे सलिल, दिवंगत विष्णुहरि डालमिया के परिवार से पुनीत डालमिया, एक दलित प्रतिनिधि और एक महिला प्रतिनिधि ट्रस्ट में शामिल होंगी. केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी, प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अयोध्या के डीएम (जिलाधिकारी) काे भी ट्रस्ट में शामिल किया जा सकता है.
अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतजाम होंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रियान्वयन के साथ ही अयोध्या में सुरक्षा कड़ी करने की तैयारी शुरू है. राज्य में पिछले दिनाें सीएए के विराेध में हुई हिंसा के तार पीएफआई सहित कुछ अन्य संगठनाें से जुड़े हैं. उसे ध्यान में रखकर राज्य सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है. ज्ञातव्य है कि अयोध्या के श्रीरामलला मंदिर पर 2005 में आतंकवादी हमला भी हाे चुका है.
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला..?
जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने 40 दिनों की सुनवाई के बाद पिछले साल 9 नवंबर को सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था. फैसले में विवादित स्थल पर पूजा के अधिकार को मंज़ूरी और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन देने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए रास्ता तैयार कर दिया था. बुधवार को प्रधानमंत्री की घोषणा उसी दिशा में उठाया गया कदम है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सुन्नी सेंट्रल वक़्फ बोर्ड को मस्जिद के लिए पांच एकड़ उपयुक्त जमीन दिए जाने का आदेश दिया था. अदालत ने कहा था कि सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड को दी जाने वाली जमीन 1993 के अयोध्या एक्ट के तहत अधिगृहीत की गई जमीन का हिस्सा हो सकती है या राज्य सरकार चाहे तो अयोध्या में किसी और उपयुक्त और प्रमुख भूखंड का चुनाव कर सकती है.