कल्याण कुमार सिन्हा,
आम बजट 2020-21 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 लाख तक के वार्षिक आय वालों को जीरो टैक्स, 5 लाख से 7.5 लाख रुपए तक वार्षिक आय पर टैक्स को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की घोषणा की है. वैसे है तो यह एक बड़ी राहत, लेकिन उन्होंने यह कह कर भ्रमित भी किया है कि कर छूटों लेने के साथ यह घटाई गई दरें लागू नहीं होंगी. हालांकि उनका संकेत बहुत साफ है. लेकिन आम आदमी भ्रम का ही शिकार नजर आ रहा है.
हमारा तो मानना है कि टैक्स स्लैब को 5 से 7.5 लाख पर 10 प्रतिशत तक घटाने के फैसले के लिए दिल भी बड़ा होने की जरूरत है और कलेजा भी. 7.5 लाख से 10 लाख तक की आय पर टैक्स की दर 20 प्रतिशत से 15 प्रतिशत करना, 10 लाख से 12.5 लाख तक की आय पर टैक्स को 30 प्रतिशत से 20 प्रतिशत पर लाना और 12.5 लाख से 15 लाख तक के वार्षिक आय पर कर की दर को 25 प्रतिशत करना आयकर सुधार प्रक्रिया की राह में बड़ा और क्रांतिकारी फैसला हो सकता था. वैसे 15 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स के पुराने दर को जारी रखा गया है.
कहना नहीं होगा, वेतनभोगी आयकर दाताओं की यह खुशी क्षणिक ही रही, जब उन्हें पता चला कि नई कर प्रणाली में निवेश पर मिलने वाली छूट प्राप्त नहीं होगा. यदि करदाताओं को विभिन्न मदों में किए गए निवेश की छूट का फायदा लेना है तो उन्हें पुरानी दरों पर ही कर की अदायगी करनी होगी. अब वेतनभोगी का भ्रमित होना लाजिमी ही तो है.
मैं भी सोच में पड़ गया हूं कि वर्तमान में करदाता अपनी वार्षिक आय के हिसाब से यदि आयकर कानून के सेक्शन 80सी, 80सीसीसी, 80सीसीडी, 80डी, 80डीडी, 80डीडीबी, 80यू, 80ईई, 80टीटीए, 80जी, 80जीजी, 87ए, 80ई, 80जीजीसी, 80आरआरबी आदि के तहत 1.5 लाख की छूट हासिल करते हैं तो वित्त मंत्री अपनी घोषित कर छूटों से वंचित तो नहीं कर देंगीं. आखिर इनमें पीपीएफ/ईपीएफ, पांच वर्ष के बैंक/पोस्ट ऑफिस कर बचत जमा, एनएससी, इक्विटी युक्त बचत योजनाएं, बच्चों का ट्यूशन फी, जीवन बीमा के प्रीमियम, होमलोन (प्रिंसिपल) की देनदारी, नेशनल पेंशन सिस्टम, नए घर की खरीद के लिए स्टॉम्प ड्यूटी चार्ज आदि शामिल होते हैं. टीए, एचआरए, एलटीसी आदि से संबंधित छूट को भी जोड़ लिया जाए तो हिसाब में अधिक का फर्क तो नहीं पड़ता. लेकिन घोषित छूट का क्या?
अब बेचारे वे पुराने करदाता क्या करें, जिन्होंने कर में छूट हासिल करने के लिए कई सारे प्लान पहले ही ले रखें हैं. अब यदि वे पुराने प्लान को बंद कराते हैं तो भी नुकसान और नहीं कराते हैं तो भी नुकसान. इसलिए आयकर में छूट के माध्यम से आम जनता को राहत और इसके माध्यम से खरीद बिक्री को बढ़ाकर बाजार में मुद्रा के प्रवाह को बढ़ाने का उद्देश्य तो पूरा होता कत्तई दिखाई नहीं देता.
ऐसे में आयकरों में ये छूट वित्त मंत्री के आंकड़ों की बाजीगरी ही समझ में आती है. हालांकि इस बात से राहत महसूस की जा सकती है कि करदाताओं के पास दोनों विकल्प मौजूद रहेंगे और वे नए या पुराने स्लैब में से किसी भी स्लैब को चुनने के लिए आजाद तो होंगे ही.
थोड़ी खुशी, थोड़े गम भी..!
वित्त मंत्री निर्मला केंद्रीय बजट में किसान, रेलवे, आयकर स्लैब, शिक्षा आदि को लेकर तमाम बड़े ऐलान किए हैं. ‘तेजस’ जैसी और ट्रेन देश में ही बनाने एवं चलाने की घोषणा की गई है. तेजस को प्रमुख पर्यटन स्थलों से जोड़ा जाएगा. ‘किसान रेल’ चलाई जाएगी। पीपीपी मॉडल के तहत 150 निजी यात्री ट्रेनें चलेंगी. वैसे ट्रेड-कॉमर्स और इंडस्ट्रीज सेक्टर भी लगता है, कशमसा कर रह गया है. उन्होंने भी वित्त मंत्री से बहुत अधिक उम्मीदें लगा रखी थीं. लेकिन उनकी उम्मीदों पर भी पानी फिर सा गया लगता है.
इस बजट में लोगों को राहत देने की कोशिश की गई. हर बार की तरह इस बार भी बजट के बाद कुछ चीजें महंगी हुई और कुछ चीजें सस्ती होंगी. तो आइए आपको बताते हैं कि आपकी रोजमर्रा के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पडे़गा.
इस बजट को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने अब तक सबसे लंबा बजट भाषण दिया. इससे पहले जसवंत सिंह ने साल 2003 में दो घंटे 13 मिनट का भाषण दिया था. वित्त मंत्री का भाषण 11 बजे शुरू हुआ, जो ढाई घंटे से ज्यादा देर तक चला. आम लोगों को इस बजट से काफी उम्मीदे हैं. आइए जानते हैं कि क्या महंगा हुआ है और किस सामान की कीमतों में राहत मिली है..!
जानिए बजट के बाद क्या हुआ महंगा और क्या हुआ सस्ता :
– इस आम बजट की मार लोगों को घरेलू चीजों पर पड़ेगी जैसे जूते चप्पल महंगे होने वाले हैं. जूते, फर्नीचर और ऑटोमोबाइल स्पेयर अब आपको महंगा खरीदना होगा.
– मोबाइल महंगे हो गए हैं तो टीवी आम जनता के लिए सस्ता कर दिया गया है। पर सोलर बैट्री लोगों को सस्ती पड़ेंगी.
– छत वाले पंखे, बरतन, पानी फिल्टर, मिक्सर जैसे घरेलू उपकरण और ग्लास के सामान महंगे हो जाएंगे क्योंकि क्योंकि कस्टम ड्यूटी 10 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद कर दी गई है.
– ऑटोमोबाइल और ऑटो स्पेयर पार्ट्स भी महंगे हो जाएंगे वहीं प्लैटैनिम लोगों को सस्ता मिलेगा. प्लासटिक शीट सस्ती हो गई है.
– सीतारमण ने न्यूजप्रिंट (अखबारी कागज) पर आयात शुल्क पांच प्रतिशत घटाने का एलान किया है. ये सस्ता हो गया है. सरकार ने पिछले साल बजट में न्यूजप्रिंट और हल्के कोटेड कागज पर 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया था.
– सरकार ने विदेशी फर्नीचर पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 25 फीसद कर दी है, इसके बाद इंपोर्टेड फर्नीचर लोगों को महंगा पड़ेगा. इंपोर्टेड मेडिकल डिवाइस भी महंगे होंगे.
– एक बार फिर सिगरेट, तंबाकू उत्पाद और कुछ मादक पेय महंगे हो गए हैं.
– किचन की बात की जाए तो कच्ची चीनी, स्किम्ड मिल्क, सोया फाइबर, सोया प्रोटीन और कुछ कृषि आधारित पशु उत्पाद महंगे हो जाएंगे.
– इस्पात, तांबा, मिट्टी का लोहा, उत्प्रेरक कन्वर्टर्स / कुछ बिजली के उत्पाद और ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट्स भी महंगे हो जाएंगे. वहीं प्लैटिनम के सस्ता होने की उम्मीद है.
क्या हुआ महंगा..?
– फुटवेयर
– फर्नीचर
– सिगरेट, तंबाकू उत्पाद
– स्टील, कॉपर
– कुछ टॉयज
– कुछ मोबाइल उपकरण
क्या हुआ सस्ता..?
– रॉ सुगर
– स्किम्ड मिल्क
– सोया फाइबर
– सोया प्रोटीन
– कृषि-पशु आधारित उत्पाद
– प्यूरीफाइड टेरिफैलिक एसिड (PTA)
– अखबार का कागज
-कोट्ड पेपर