शुक्रवार को 6 घंटे में निवेशकों के डूबे 8 लाख करोड़ रुपए
भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार, 19 जुलाई को चौतरफा बिकवाली के कारण निफ्टी 50 और सेंसेक्स में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई. अगले सप्ताह मंगलवार, 23 जुलाई को केंद्रीय बजट पेश होने वाला है. उम्मीद है कि सरकार विकास को बढ़ावा देने वाला बजट पेश करेगी. उससे पहले निवेशकों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में मुनाफा वसूली किए जाने के कारण मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में और भी अधिक गिरावट देखी गई.
बजट को लेकर निवेशकों ने निकाले पैसे
एक्सपर्ट को उम्मीद है कि सरकार आम जनता को सीधा फायदा पहुंचाने वाली योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. एक्सपर्ट्स के अनुसार ऐसे में जागरूक ग्राहकों ने बजट के कारण संभावित नुकसान से बचने के लिए मुनाफ़ा वसूल लिया.
घरेलू स्तर पर कमजोर वैश्विक संकेतों का भी इस गिरावट में योगदान रहा. अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में परिणाम की अनिश्चितता भी इसका कारण बना है. इसका असर शुक्रवार को दुनिया के सभी शेयर बाजारों में मायूसी के रूप में देखने को मिला.
इसके अलावा दिन में माइक्रोसॉफ्ट क्लाउड आउटेज के बाद लंदन स्टॉक एक्सचेंज से लेकर भारतीय एयरलाइंस तक व्यापक असर देखने को मिला है. लंदन में स्टॉक मार्केट ने कारोबार बंद कर दिया.
इससे बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई. बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का कुल मार्केट कैप पिछले सेशन के लगभग 454.3 लाख करोड़ रुपए से घटकर लगभग 446.3 लाख करोड़ रुपए रह गया, जिससे निवेशकों को एक ही सत्र में लगभग 8 लाख करोड़ रुपए की चपत लग गई.
निफ्टी-50 270 अंक या 1.09 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,530.90 पर बंद हुआ, जबकि सेंसेक्स 739 अंक या 0.91 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,604.65 पर बंद हुआ.
निवेशकों के 8 लाख करोड़ डूबे
बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई. बीएसई में सूचीबद्ध फर्मों का कुल मार्केट कैप पिछले सेशन के लगभग 454.3 लाख करोड़ रुपए से घटकर लगभग 446.3 लाख करोड़ रुपए रह गया, जिससे निवेशकों को एक ही सत्र में लगभग 8 लाख करोड़ रुपए की चपत लग गई.
मेहता इक्विटीज के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा कि शुरुआती कारोबार में बढ़त बनाए रखने वाले आईटी शेयरों ने भी अपनी बढ़त गंवा दी है, जबकि अन्य क्षेत्रीय और व्यापक सूचकांकों में भी भारी नुकसान हुआ है. इसके पीछे कारण कमजोर वैश्विक संकेतों और भारत सहित कई देशों में ऑनलाइन कारोबार के साइबर संकट से प्रभावित होना है.