राजभाषा हिंदी की विलक्षणता से परिचित कराती पुस्तक

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राजभाषा

 नवोन्मेषी आयामों का अभिलेख है ‘राजभाषा हिन्दी के अभिनव आयाम’

इंटरनेट के इस ‘टेक्नो युग’ में राजभाषा हिंदी भी तकनीक से समृद्ध हो चुकी है. तकनीक से जुड़े ज्यादातर आयामों और प्रारूपों को हिंदी आत्मसात कर चुकी है. इससे पता चलता है कि नवीनतम प्रौद्योगिकी को ग्राह्य करने की हिंदी की क्षमता विलक्षण है. तकनीक के इन्हीं नवोन्मेषी आयामों का अभिलेख है श्री राहुल खटे जी की यह पुस्तक ‘राजभाषा हिंदी के नवोन्मेषी आयाम”. उनकी यह पुस्तक बताती है कि हिंदी में विभिन्न विषयक काम काम करने के लिए कौन-कौन से सॉफ्टवेयर विकसित कर लिए गए हैं. इनसे जुड़ने के लिंक क्या हैं और इन्हें प्रयोग में कैसे लाते हैं… मजे की बात है कि यह सभी सॉफ्टवेयर निःशुल्क इंटरनेट (अंतरजाल) पर उपलब्ध हैं. अर्थात इन्हें सीखने के लिए अपनी जेब में हाथ डालने की जरूरत ही नहीं है… -प्रमोद भार्गव 

*पुस्तक समीक्षा : डॉ. कंचनमाला बाहेती (रांदड़)

मैंने राहुल खटे जी की पुस्तक ‘राजभाषा हिंदी के नवोन्मेषी आयाम’ पढ़ी और मैं इससे बहुत प्रभावित हूं. विभिन्न विषयों पर यह शोध परक कृति लेखक के गहन अध्ययन और गहन बुद्धि का प्रतिबिंब है.

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।

भावार्थ:
निज यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है।
मातृभाषा के ज्ञान के बिना हृदय की पीड़ा का निवारण संभव नहीं है।
विभिन्न प्रकार की कलाएं, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान,
सभी देशों से जरूर लेने चाहिये, परन्तु उनका प्रचार मातृभाषा के द्वारा ही करना चाहिए। (विकिपीडिया से)

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के इन्हीं शब्दों के अनुसार लेखक ने इस पुस्तक में बताया है कि अपनी भाषा में तकनीकी ज्ञान भी प्राप्त करना कितना आवश्यक है. ‘भारत की शिक्षा नीति एवं राजभाषा नीति’ लेख में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा नीति में भाषा को उचित सम्मान दिया जाना चाहिए तथा हमें अपनी संस्कृति के महत्व को भी समझना चाहिए. लेखक ने हिंदी में विज्ञान-तकनीकी साहित्य की उपलब्धता और पाठ्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए स्पष्ट कहा है कि अपनी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा में ज्ञान प्राप्त करना आसान है और हम हिंदी को रोजगार की भाषा बना सकते हैं. रोजगार की दृष्टि से आज हिन्दी समृद्ध है.

लेखक भारतीय स्टेट बैंक में राजभाषा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं और हिंदी भाषा, अध्ययन और चिंतन में विशेष रुचि रखते हैं. भारतीय भाषाओं में उपलब्ध वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों के परिचय के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा में प्रचलित शब्दों की उत्पत्ति संस्कृत और अन्य भाषाओं से कैसे हुई है, यह भाषा विज्ञान के सिद्धांतों के आधार पर सिद्ध हुआ है. अनेक उदाहरणों से यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अनेक शब्द प्रथम दृष्टया अंग्रेजी या लैटिन भाषा के प्रतीत होते हैं, पर मूलत: वे भारतीय भाषाओं से लिए गए हैं. ‘बैंक’ शब्द भी भारतीय शब्द ‘बनिक’ से ‘बैंक’ बना है. लेखक के शब्दों की व्युत्पत्ति का गहन ज्ञान हमें इस पुस्तक से प्राप्त होता है.

आज का युग टेक्नोलॉजी का है. आज हम हर काम में बहुत सारी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. यह पुस्तक भारतीय भाषाओं और प्रौद्योगिकी के बीच सामंजस्य स्थापित करने का कार्य करती है. इसमें हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जो शिक्षा तथा सरकारी कामकाज दोनों में सहायक हो सकती है.

तकनीक के हर क्षेत्र में आज हिंदी को अपनाना आसान हो गया है. टाइपिंग सुविधा से लेकर वॉइस टाइपिंग तक सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. प्रौद्योगिकी, विज्ञान और भाषाओं के बीच क्या संबंध है? प्रौद्योगिकी का उपयोग हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में कैसे किया जा सकता है? ऐसे कई सवालों के जवाब हमें इस पुस्तक में मिलेंगे.

लेख ‘भाषा संगम’ भारत की विभिन्न भाषाओं के बीच एकता स्थापित करने तथा छात्रों को मातृभाषा के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का बुनियादी ज्ञान देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक कार्यक्रम है. इससे राष्ट्रीय एकता की भावना को बढ़ाने में मदद मिलेगी. अनेकता में एकता की भावना बढ़ेगी. लेखक ने हमें एक उदाहरण दिया है- भारत की प्रादेशिक भाषाओं के अधिकांश शब्द संस्कृत से ही व्युत्पन्न हुए हैं, जिसके कारण इनमें प्रादेशिक भिन्नता के साथ विशेष एकरूपता है. भाषा संगम कार्यक्रम से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का सपना साकार हो सकता है.

‘स्वयंप्रभा’ लेख में घर बैठे टीवी का शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है, इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है, जो विद्यार्थियों के लिए उपयोगी होगी. ‘क्या हम सभी बेहतरीन भारतीय हैं?’ विशाल के भारतीय प्राचीन ज्ञान और विज्ञान पर विस्तार से चर्चा की गई है. ‘रामचरित मानस’ जैसी विश्व प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में साहित्य और विज्ञान के अंतर्संबंधों पर प्रकाश डाला गया है. हमारे देश में ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी के अनेक उदाहरण हैं, इस बात को लेखक ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट किया है.

‘इडियट बॉक्स और किसानों की आत्महत्या’ लेख में बताया गया है कि हमें जीवनदायी कृषि संस्कृति को समझना होगा और वैज्ञानिक तरीके से खेती करनी होगी जिससे हमारा नाम देश में ही नहीं विदेशों में भी चमके. लेख में डार्विन के विकासवादी सिद्धांत और भारतीय दशावतार की मान्यताओं में सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास किया गया है.

यह पुस्तक विभिन्न विषयों पर ज्ञान का खजाना है. ‘समस्याओं से अधिक समाधानों पर प्रकाश डालती है’, लेखक राहुल खाते जी ने प्रस्तावना में लिखा है – इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य “राजभाषा हिंदी के साहित्य, भाषा तकनीकी और वैज्ञानिक पहलुओं को शामिल करना” है. पूरी तरह सफल रहा है. यह पुस्तक भाषा, साहित्य, कला, शिक्षा, पत्रकारिता और अनुसंधान सभी क्षेत्रों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी. यह पुस्तक भारतीय भाषाओं के प्रयोग को जनसाधारण के लिए उपयोगी बनाती है.’

डॉ. कंचनमाला बाहेती (रांदड़), (एमए, बी.एड., पीएच.डी.) प्रतिभा निकेतन कॉलेज, नांदेड़ की सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं. 

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