लोकसभा चुनाव 2024 में 428 सीटों पर वोटिंग पूरी हो चुकी है, बाकी हैं बस और दो चरण
– विदर्भ आपला
राजनीति के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके* इस बार लोकसभा चुनाव 2024 के लिए किसी राजनीतिक दल के लिए काम नहीं कर रहे. लेकिन आखिर इस बार वोटरों ने क्या फैसला दिया है, इसको लेकर बढ़ती कसमसाहट से वे अपने को अलग भी नहीं रख पा रहे हैं. पीके* की नजर 4 जून को आने वाले नतीजों को लेकर तरह-तरह की अटकलों पर भी है. भाजपा क्या 370 और 400 पार के अपने टारगेट को हिट कर रही है? क्या पूरब और दक्षिण में वाकई भाजपा चौंकाने वाले नतीजे ला रही है? इन सभी सवालों के जवाब उनसे सुनाने की बेताबी न्यूज चैनलों को ज्यादा है.
एनडीटीवी इंडिया भी सियासी ‘चाणक्य’ कहे जाने वाले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से लोकसभा चुनाव को लेकर उनके आकलन पर बातचीत कर चुका है. अब जानिए एनडीटीवी इंडिया से उन्होंने आखिर कहा क्या? प्रशांत किशोर मानते हैं कि इस बार मोदी 2019 से कहीं ज्यादा मजबूती के साथ लौटेंगे. उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि पीएम मोदी 4 जून को 2019 की तरह ही या उससे थोड़ा बेहतर आंकड़ों के साथ सत्ता में लौटेंगे.”
पश्चिम बंगाल, ओडिसा में भी बढ़ेंगी सीटें
पिछले पांच चरणों के मतदान में कम वोटिंग प्रतिशत के बाद इस बात की चर्चा चल पड़ी है कि इसका नुकसान भाजपा को होने जा रहा है. प्रशांत किशोर ने हालांकि अनुमान जाहिर किया है, ऐसा होता दिख नहीं रहा है. उनका आकलन है कि पश्चिम बंगाल और ओडिसा जैसे राज्यों में भी उसकी सीटें बढ़ेंगी. वे कहते हैं, “पूर्व और दक्षिण में भाजपा का वोट शेयर और सीटें दोनों ही बढ़ती दिख रही हैं. दक्षिण-पूर्व में भाजपा को 15-20 सीटों का फायदा हो सकता है. पश्चिम-उत्तर में भी भाजपा को कोई खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है.”
भाजपा की चुनावी रणनीति में बुरी तरह से फंस गए विपक्षी दल
पीके* के अनुसार भाजपा की रणनीति की वजह से ही ज्यादातर रणनीतिकार भाजपा की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं. क्योंकि 370 और 400 पार वाली भाजपा की चुनावी रणनीति में विपक्षी दल बुरी तरह से फंस गए हैं. और, वे उलजलूल मुद्दों को लेकर चीखने-चिल्लाने में लगे हुए हैं.
पीके* ने कहा कि अगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें, तो चुनावी पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि भाजपा को 272 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी. इस बार भाजपा के हक में भविष्यवाणी हो रही है. भाजपा ने सीटों के लक्ष्य को 272 सीटों से हटाकर 370 कर दिया है.
इंडिया गठबंधन एक्टिव होने तक बहुत देर हो गई
पीके* ने बताया, “जब तक इंडिया गठबंधन एक्टिव हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. भाजपा पहले ही अपने नुकसान वाली जगह भर चुकी थी.” पीके* का मानना है कि इंडिया गठबंधन के ऐलान के बाद विपक्षी गुट ने महीनों तक कोई एक्शन नहीं लिया. उन्होंने पीएम चेहरे का भी ऐलान नहीं किया. जनता देख सकती है कि उनके पास भाजपा के खिलाफ कोई विश्वसनीय चेहरा या स्ट्रॉन्ग नेरेटिव भी नहीं है.
पीके का राजनीतिक रणनीतिकार का सफर
राजनीतिक जगत में प्रशांत किशोर कोई नया नाम नहीं हैं, वह एक जाना पहचाना चेहरा हैं. पीके* के नाम से चर्चित प्रशांत किशोर एक जाने माने राजनीतिक चुनावी रणनीतिकार हैं, जो कि अब तक कई दलों के लिए काम कर चुके हैं. लेकिन वह साल 2014 में भाजपा के लिए ब्रांडिंग कर चर्चा में आए थे. जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तो प्रशांत किशोर भी लोगों के बीच जाने-पहचाने जाने लगे. भाजपा के चाय पर चर्चा, रन फॉर यूनिटी, मंथन जैसे कैंपेन का श्रेय प्रशांत किशोर को ही जाता है. वह पीएम मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, जगन मोहन रेड्डी को सत्ता के सिंहासन पर बैठाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं.
साल 2011 में वह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े साल 2023 में पीके ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी कि I-PAC बनाई. साल 2014 में पीके ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) बनाई. इसको देश की पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी माना जाता है.
बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले प्रशांत किशोर हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर वे संयुक्त राष्ट्र के हेल्थ प्रोग्राम से जुड़ गए थे. उसके बाद विभिन्न राज्यों में पोलियो निर्मूलन कार्यक्रम के दौरान गांव और गरीबी की नब्ज पहचानी. इसके बाद राजनीति रणनीतिकार बन गए.
-टीवी न्यूज़ चैनल एनडीटीवी इंडिया के इंटरव्यू पर आधारित